rpmwu143
31.10.2018
How aboriginal people were made to suffer by foreign intruders in the world.... एक झलक!
विदेशियों का यह कहना कि वे स्थानीय लोगों को सिवलाईज बना रहे है और उनका मास मर्डर करके उसे जस्टीफाई करना वैसे ही है जैसे कि द्रौणाचार्य ने एकलव्य के अंगूठे को कटवाकर यह कहा कि धनुर्विध्या सिखकर एकलव्य ने पाप किया था एवं उसका अंगूठा कटवाकर उसे पाप से मुक्ति दिला दी।
अधिकतर जगह ट्राईबलस् के साथ तो विदेशियों के अलावा उनके देश वासियों ने भी ऐसा ही खराब व्यवहार किया है। जब ट्राईबलस् हक की बात करते है तो उन्हें नक्सली इत्यादि करार देकर बदनाम करके दमन किया जाता रहा है। आज भी उन्हें जंगल व पहाड़ पर भी भूमि का हक नहीं दिया गया जबकि देश के आजाद होने के बाद राजा महाराजाओं को महल व बडी़ जमीनें जो कि राजकीय प्रोपर्टी थी को उनके भोग विलास के लिए छोड़ दिया गया।
यह विचारणीय बिन्दु है, इस पर देश के नेतृत्व व जनता को सोचकर कार्यवाही करनी होगी।
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