Sunday 15 March 2020

चुनावी राजनीतिक समझ और समाज हित।

rpmwu155
13.11.2018

लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक मजबूती समाज के लिए बेहद जरूरी है। हमारे समाज का पहले राज होता था, जिसे धोखे व हमारी परम्परागत राजा के प्रति समर्पण की सोच के कारण छीन लिया गया। प्रजातंत्र के शुरू में ब्राह्मणों का बहुत अधिक बोलावाला था जो कि धीरे धीरे कम हो रहा है। दूसरे समाजों के साथ हमारे नेताओं की संख्या भी बढ़ रही है। समाज के उत्थान के लिए अच्छे नेताओं का होना बहुत अधिक आवश्यक है। याद रखें कि यदि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जैसा नेता गरीबों व पिछड़ों के लिए संविधान में प्रावधान प्रदत्त नहीं करता तो आज उनकी क्या स्थिति होती? चुने हुए नेता ऐसे योग्य होने चाहिए जो समाज हित की बात संसद व विधानसभा में पूरजोर तथ्यात्मक रूप से रख सके और तय नीति की फिल्ड में क्रियान्वित सुनिश्चित करवा सके।
अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या राजस्थान में लगभग 14-15 % है उसके अनुसार 200 में से कम से कम 28-30 एमएलए अनुसूचित जनजाति के होने चाहिए जबकि केवल 25 सीटें ही आरक्षित है। अत: आवश्यक है कि जिन अनारक्षित सीटों पर अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं उनमें कोशिश करके सुलह करवाएं और एक ही व्यक्ति को फाईनल करें। यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो जो भी व्यक्ति सबसे योग्य समाज द्वारा तय किया जाए उसी के हित में वोट करें।
कुछ सीटों पर बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने भी अयोग्य या कम लोकप्रिय उम्मीदवारों को विभिन्न मजबूरियों एवं राजनीतिक समीकरणों के कारण टिकट जारी किए हैं। ऐसे उम्मीदवारों के विरूद्ध समाजसेवी, योग्य और आम नागरिकों से जुडाव रखने वाले उम्मीदवार भी वहां से निर्दलीय या छोटे दलों से खड़े हो रहे हैं। अतः सोच समझ कर निर्णय ले और अच्छे नेता का ही चुनाव करें।
लक्ष्य होना चाहिए कि समाज के अधिक से अधिक योग्य एमएलए विधान सभा में पहुंचे और समाज के हितों की रक्षा करें और ऐसी नीतियां बनवाएँ जिनसे हमारे जैसे समाजों की उन्नति हो सके।
हमें फेसबुक या व्हाट्सएप तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। लोकतंत्र के इस पर्व को महत्व देते हुए हर व्यक्ति वोट डालना अवश्य सुनिश्चित करें।
रघुवीर प्रसाद मीना

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