Sunday 28 October 2018

मंदिरों में दान करना छोड़े।

rpmwu145
28.10.2018

मंदिरों में दान करने की बजाय गरीब व असहाय की मदद कहीं अधिक समझदारी की सोच है। छात्रावास बनाने व शिक्षा में आर्थिक सहयोग देना कहीं बेहतर है। मंदिरों में दान देने का 99% प्रतिशत मतलब यह है व्यक्ति यह दिखा रहा है कि उसने कोई गलत कार्य या पाप किया है एवं उन गलत कामों या पाप से मुक्ति हेतु मंदिर में फीस जमा करवा रहा है।
क्या मंदिर पाप से मुक्ति दिलाने के केन्द्र है? यदि ऐसा है तो क्या दान करने वाले लोग अप्रत्यक्ष रूप से समाज को यह नहीं दिखा रहे है कि मंदिर का देव (भगवान) पापियों की सहायता करता है? उन लोगों को गलत कामों या पापों से मुक्ति दिलाने वाला है। यदि ऐसा है तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
आवश्यकता है कि हम यह समझे कि दिये जा रहे दान से किसे लाभ होने वाला है? असली दान तो #नेकीकरदरियामेंडाल की फिलॅास्फी के अनुसरण में है। यदि धन को परोपकार हेतु दान में देना ही चाहते है तो गरीब व असहाय की मदद करें व छात्रावास बनाने एवं शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक सहयोग दे।
मेरे मतानुसार व्यक्ति यदि उसकी विभिन्न ड्यूटीज् को भलीभांति निष्पादित करता है तो उससे बड़ी अन्य कोई पूजा नहीं है। यदि कोई दान ही करना चाहता है तो ड्यूटी पर अतिरिक्त समय देकर समय का दान कर सकता है।
रघुवीर प्रसाद मीना

Friday 26 October 2018

देश में धन का असमान बंटवारा ।


rpmwu144
25.10.2018

देश में धन के असमान बंटवारा के बारे में सभी लोग बात करते हैं, सर्वे के आंकड़े चौकाने वाले है। समरी निम्न प्रकार है -
  1 प्रतिशत अमीर लोगों के पास 51.1% दौलत।
10 प्रतिशत अमीर लोगों के पास 77.4% दौलत।
60 प्रतिशत गरीब लोगों के पास महज 4.7% संपत्ति। ये लोग मजदूर व किसान है।
195 में देशों में से 128 वें स्थान पर है भारत प्रति व्यक्ति औसत संपत्ति के मामले में।
उक्त आंकड़े क्या इंगित करते हैं? ये आंकड़े सीधे सीधे दर्शाते है कि प्रत्यक्ष मेहनत करने वाले लोगों की अपेक्षा चीजों को मैनेज करने वाले लोगों के पास बहुत अधिक धन सम्पदा है। मेहनत करने वाले लोग गरीब ही है, जो मजदूर है उनको मेहनताना बहुत कम दिया जाता है एवं किसानो़ को लागत की तुलना में फसल की उचित दर नहीं मिलती है या लोगों के पास न तो मजदूरी और न ही खेती के अवसर है। यहाँ तक कि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन या न्यूनतम सपोर्ट प्राईस में से भी मैनेज करने वाले समृद्ध विचौलिए एक बड़ा हिस्सा रख लेते है। जब लोग निजि कार्य करवाते हैं तो काम करने वालों को कम से कम भुगतान करते हैं। किसान की फसल खरीदते समय विभिन्न वाहनों से उसको ठगा जाता है। कमजोर के साथ यह अन्यायपूर्ण रवैया सदियों से चला आ रहा है।
गरीब को पहले राजा महाराजा व उनके सिपासालान लुटते थे, बेगारी (बिना भुगतान के काम) करवाते थे व फसल में से भारी हिस्सा टैक्स के रूप में ले लेते थे। अब ठेकेदार या पढे़लिखे लोग इन्हें मुर्ख बना रहे है। सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन नहीं होने से सरकार भी अभी तक गरीब की स्थिति में समुचित सुधार नहीं कर पाई है।
सरकार को चाहिये कि न्यूनतम मजदूरी एवं न्यूनतम सपोर्ट प्राईस की चोरी करने वाले लोगों पर कडा़ अंकुश लगाये, ऐसे कृत्य को बहुत कठोरता से डील करें। दूरदराज के क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करें ताकि प्रोसेस के दौरान वहां के स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके व बाद में रोजगार की अपाॅर्चुनिटी बढ़ सके।
हम सभी व्यक्तिगत तौर पर अपनी अपनी कैपेसिटी में हर सम्भव प्रयास करें कि गरीब लोगों के साथ न्याय हो, उन्हें उनका हक मिले। यदि गरीब लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा तो उनकी भावी पीढ़ी देश की अच्छी नागरिक बनेंगी।
अमीर लोगों को भी चाहिये कि वे प्रोफिट मार्जिन को कम रखे व मेहनत करने वाले लोगों को उनका हक देवे।
रघुवीर प्रसाद मीना

Saturday 20 October 2018

अमृतसर में घटित हुए दर्दनाक हादसे के लिये DAP व लोगों की स्वयं की लापरवाही तथा आयोजक जिम्मेदार है।

rpmwu142
20.10.2018

दिनांक 19.10.2018 को पंजाब के अमृतसर में एक बहुत ही दर्दनाक हादसा हुआ जिसमें 61 लोग रेलगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई। ये लोग रेलवे ट्रैक पर अनाधिकृत रूप से दशहरे के अवसर पर रावण दहन देखने एकत्रित हुए थे। इन्होंने इस बात की परवाह नहीं की कि रेललाइन पर रेलगाड़ी आ सकती है। जिस समय हादसा हुआ था उस समय अंधेरा हो चुका था, ये लोग रावण दहन देखते रहे और तेज रफ्तार की रेलगाड़ी से रौंदे गये।
यह हादसा बहुत ही दर्दनाक एवं खेदजनक है। इस हादसे के लिए आयोजनकर्ता एवं ये लोग स्वयं जिम्मेदार है। आयोजनकर्ताओं को रेलवे ट्रैक के इतने नजदीक कार्यक्रम नहीं रखना चाहिए था एवं इन लोगों को भी रेल ट्रैक पर इकठ्ठा नहीं होना चाहिये था।
मरने वालों में अधिकतर उन लोगों की संख्या थी जो कम पढ़े लिखे व कमजोर वर्ग के थे। ऐसा केवल इन लोगों की धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (DAP) में आस्था के कारण हुआ। जब भी DAP की घटनाओंं में भीड़ की भगदड़ से लोग मरते हैं तो वे गरीब व पिछड़े लोग ही अधिकतर होते हैं। जरूरत है लोगो को DAP से दूर रहने हेतु जागरूक करने की।
रेल्वे एक्ट 1989 की धारा 147 के अनुसार रेल सम्पत्ति पर ट्रेस पासिंग करना दण्डनीय अपराध है। रेलवे ट्रैक पर जाना या पार करना भी इसी श्रेणी में आते हैं। जयपुर में खासकर गांधीनगर से जगतपुरा व अन्य कई स्थानों पर भी लोग रेल ट्रैक पर अनाधिकृत रूप से जाते है, कई बार आती हुई ट्रेन के सामने सेल्फी लेते है। लगभग हर दिन कहीं न कहीं एकाध हादसा होता है, फिर भी लोग नहीं समझ रहे है।
हम सभी को स्वयं को समझने व दूसरों को DAP से दूर रहने व रेल ट्रैक पर ट्रेसपासिंग नहीं करने के लिए समझाने की जरूरत है।

Sunday 7 October 2018

DAP (धार्मिक अंधविश्वास का प्रदूषण) ने किया है देश का सबसे ज्यादा नुकसान।

rpmwu141
06.10.2018

यदि देश को विकसित बनाना है और नागरिकों की उन्नति चाहते हैं तो हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना पड़ेगा और धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण से स्वयं को दूर रखना होगा एवं जो लोग कम समझदार है उन्हें भी दूर रहने के लिए बेझिझक सलाह देनी होगी। कृपया निम्नलिखित का अवलोकन करें और समझे कि हमें क्या करना चाहिए?
यदि मंत्र,तंत्र,यज्ञ,पूजा, प्रसाद,अगरबत्तियाँ लगाने,परिक्रमा देने,कथा-भागवत सुनने इत्यादि से काम चल जाता तो देश की गरीबी, अशिक्षा, ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर का खस्ताहाल, तेल के बढे़ दाम, डाॅलर की तुलना में रू. की वैल्यू में भारी गिरावट, हर स्तर का भ्रष्टाचार, बैंक से पैसे लेकर भागने, क्राईम, रेप, बार्डर पर तनाव, कश्मीर आदि समस्याएं क्यों नहीं इनसे ठीक की जा रही है?
बच्चे को काला टिका लगाने से उसका संरक्षण होता तो भारत मे बाल मृत्यु दर शून्य क्यों नहीं है?
गाड़ी मे निंबू मिर्च बांधने से सुरक्षा मिलती तो भारत मे दुर्घटना मृत्यु दर शून्य क्यों नहीं है?
पुजा करने से व्यापार, उद्योग धंधो मे बरकत आती तो देश के सभी लोग धनाढ्य क्यों नहीं बन गये?
बडे़-बडे़ बाबाओं के पास जाने से दुखों का निवारण हो सकता है तो सभी बाबाओ के भक्त सुखी क्यों नहीं है?
कुंडली मिलाने से अगर सभी पती-पत्नी का मन जुड़ गये होते तो सभी अरेंज-मैरिज सुखद क्यों नहीं है?
यज्ञ करने से कोई टीम जीत जाती तो भारत विश्व में किसी भी खेल में नहीं हारता!
 #मुहूर्त : जब जन्म व मृत्यु का कोई मुहूर्त नहीं है तो और कार्यक्रमों के मुहूर्त का क्या महत्व है?
मुझे तो लगता है कि हमारे देश में यदि किसी चीज ने सबसे अधिक नुकसान किया है तो वह धार्मिक अंधविश्वास का प्रदूषण (DAP) है। DAP की वजह से एक बहुत बड़ी जनसंख्या को डेमोरलाईज कर दिया गया और वे लोग भी इसके जाल में गहरे फंस गये। लोग मेहनत व वैज्ञानिक रास्ते की बजाय पूजा पाठ, परिक्रमा, प्रसाद इत्यादि के माध्यम से समस्याओं के हल खोजने लग गये।
DAP के कारण जो लोग काम करते थे उनकी वैल्यू कम आॅकी जाने लगी एवं जो लोग काम नहीं करते थे और केवल निर्देश या थ्योरीटिकल ज्ञान देते रहे उनकी वैल्यू व काम करने वालों की वैल्यू में बहुत अधिक अंतर कर दिया गया। इसी का कारण है कि देश में स्किल कम होती गई। वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं अपनाने से आज डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत में जो गिरावट आई है उसका मुख्य कारण भी यह है कि हमें बहुत सारी तकनीकी चीजें खासकर हथियार व आई. टी. के उपकरण बाहर से आयातित करने पड़ रहे हैं और रुपए का अवमूल्यन हो रहा है और दिनोंदिन हम विदेशी चीजों के ऊपर बहुत अधिक निर्भर हो रहे हैं।
हमें तुरंत प्रभाव से चाहिए कि धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (DAP) से मुक्त हो और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाये व देश में काम करने वालों की वैल्यू करें ताकि अधिक से अधिक चीजें हमारे देश में ही बन सके और विदेश से होने वाले आयात में कमी हो और रुपए की वैल्यू में बढ़ोतरी हो।
रघुवीर प्रसाद मीना