Sunday 4 December 2022

अच्छाई के सूचकांक में सुधार करें। Improve the index of goodness.

rpmwu 463 dt. 04.12.2023
व्यक्ति मूलतः अच्छा ही होता है। वह मदद, सहायता व सहयोग लेता है और करता भी है। निम्नलिखित के बारे में विचार करे व सोचे -
1. वे दो अवसर जब आपकी या आपके प्रियजन की किसी दूसरे व्यक्ति ने मदद की हो।
2. वे दो अवसर जब आपने किसी दूसरे व्यक्ति की सहायता की हो।

उक्त दोनों ही प्रकार के पल आपको अच्छा अहसास करवाने वाले है। इसलिए हमें चाहिए कि दूसरो की मदद व सहायता और सहयोग करके ऐसे पलों की संख्या में बढ़ोतरी करे। 

कृपया विचार करके प्रतिक्रिया दे।

सादर
रघुवीर प्रसाद मीना

आदिवासियों के कल्याण के लिए आवाज उठायें।

rpmwu 462 dt 04.12.2022

सही_बात_को_डट_कर_बोलें_जो_जहां_है_वहां_से_बोलेसही_व_हक_की_बात_को_कहने_में_संकोच_नहीं_करे
हम_नहीं_कहेंगे_तो_दुसरा_कौन_और_क्यों_कहेगा?
बोलोगे_तो_सभी_सुनेंगे_और_समाधान_होगा

Goodstep सभी जानते है और जो नहीं जानते है उन्हें इतिहास की किताबों, डाक्यूमेंट्री, सत्य पर आधारित फिल्मों इत्यादि से जानकारी हासिल करनी चाहिए कि समस्त संसार में आदिवासियों (Indigenious Peoples) पर कितने जुल्म और एट्रोसिटिज हुई है।

हम भारत की ही बात करे तो यह एकदम तथ्यात्मक है कि आदिवासी जो कि लम्बे अर्से से जंगल व पहाड़ो में रहते आये है, उनका उपयोग करते थे, उन पर हक मानते थे, को जंगल व पहाड़ो के अधिकारी नहीं दिये गये है जबकि देश की आजादी के समय राजा महाराजाओं को उनकी रियायतों की लम्बी चौड़ी जमीन, महल, खजाने इत्यादि दे दिये गये।

आदिवासियों को जंगल के जानवर की तरह माना जाता रहा। जब किसी जंगल या पहाड़ में खदान करनी होती थी तो वहां के आदिवासियों को जंगल के जानवरों की तरह ही खदेड़ दिया जाता था। और उनके विरोध करने पर उन्हें या तो मार दिया जाता है या जेलों में बंद कर दिया जाता है। यह ऐसे है जैसे किसी बच्चे की माँ की आँचल में बहुत अच्छा दूध है परन्तु पियेगा कोई दूसरा ही। 

माननीय राष्ट्रपति महोदय द्वारा गरीब आदिवासियों के दुखों को महसूस करके माननीय उच्चतम न्यायालय एवं सरकार से उनको राहत दिलाने के लिए दिशानिर्देश देने के लिए बहुत-बहुत साधुवाद।

आवश्यकता है कि वन अधिकार अधिनियम 2006 व नियम 2008 एवं संशोधित नियम 2012 की अनुपालना की भी समीक्षा करवाई जाये ताकि पता चल सके कि कितने आदिवासियों को अभी तक भी वनभूमि के अधिकार नहीं दिए गए है।

जितने भी खासकर आदिवासी राजनेता/अधिकारी/कर्मचारी है या जो भी राजनेता/अधिकारी/कर्मचारी आदिवासियों के कल्याण के बारे में सोचते है, उन्हें चाहिए कि वे इन दोनों मुद्दों को प्राथमिकता दे और आदिवासियों के साथ होने वाले अत्याचार व अन्याय और भेदभाव को कम करवाने में सहयोग दे एवं महत्ति भूमिका निभाये।

जोहार
Raghuveer Prasad Meena

Saturday 3 December 2022

विचार करें कि पानी पर चलना सीखने पर कहीं बेवजह समय, ऊर्जा व संसाधन तो नष्ट नहीं कर रहे है?

rpmwu 461 dt 03.12.2022

जो काम वैकल्पिक तरीकों से आसानी से सम्भव हो सकते है उन पर बेवजह बहुत अधिक समय, ऊर्जा व संसाधन खर्च नहीं करने चाहिए।

एक बार दो व्यक्ति स्वामी रामकृष्ण परमहंस के पास गये और उनमें से एक ने दूसरे का परिचय करवाया कि महाराज इस महापुरुष ने 20 वर्ष की कड़ी मेहनत, लगन और तपस्या से पानी पर चलना सीख लिया है और अब यह बिना कपड़े गीले किये आसानी से नदी पार कर सकता है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने कहा यह काम तो 2 पैसे देकर नाव के माध्यम से आराम से किया जा सकता है। नदी पार करने के लिए पानी पर चलना सीखने में 20 वर्ष का लंबा समय खर्च करने की क्या आवश्यकता थी? वे दोनों व्यक्ति एकदम निरूत्तर हो गये।

हम भी जीवन में बहुत से कामों पर बेवजह असंगत (disproportionate) समय, ऊर्जा व संसाधन खर्च करते है। जो भी चीज हम कर रहे है उनके बारे में विचार करें और परखें कि कहीं हम पानी पर चलना सीखने जैसे कामों पर तो अनावश्यक समय, ऊर्जा व संसाधन खर्च तो नहीं कर रहे है।

सादर
Raghuveer Prasad Meena

Friday 2 December 2022

सहयोग (Cooperation) करना मानवीय गुण है।

rpmwu 460 dt. 02.12.2022

आपस में सहयोग (Cooperation) करने के सकारात्मक गुण की मनुष्य को दूसरे जानवरों से भिन्न बनाने में अति महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मानव के जीवन को सहज, सुखमय व सुरक्षित बनाने के लिए जितनी भी चीजें ईजाद हुई है उनके बैकग्राउंड में दूसरों को सहयोग करने की भावना रही है।

जीवन में काम आने वाली चीजें यथा खाना, पानी की उपलब्धता, कपड़ा, मकान, जूता, रोड, पानी के जहाज, हवाईजहाज़, राॅकेट, ट्रेन, बस, कार, ट्रेक्टर, अन्य व्हीकलस् ,अस्पताल, टीका, दवाईयां, स्कूल, कॉलेज, शिक्षा, सरकारी सिस्टम, इलेक्ट्रिसिटी, सेटेलाईट, मोबाइल, लेपटॉप, कम्प्यूटर, इंटेरनेट, टीवी, बिजली से चलने वाले उपकरण, कोयला, डीजल, पैट्रोल की उपलब्धता, मशीनें, चश्मा, कैमरा, प्रिटिंग प्रेस या और जो भी आप देखे या समझे वे सभी किसी न किसी की मेहनत के नतीजे से सम्भव हो सकी है।

आसानी से समझा जा सकता है कि हर व्यक्ति व उसके प्रियजन दूसरों द्वारा ईजाद या बनाई गई चीजों से हर दिन हर समय लाभान्वित होते है। अतः हमारी प्रत्येक की भी जिम्मेदारी बनती है कि हम भी दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए #सहयोग की भावना से कुछ न कुछ काम अवश्य करें।

सादर
Raghuveer Prasad Meena