Sunday 20 November 2022

सबोर्डिनेट कल्चर से बचे। वार्तालाप में धर्म, जाति, समुदाय, नौकरी व व्यवसाय के आधार पर व्यक्ति के लेवल का निर्धारण नहीं करे।

rpmwu 459 dt. 20.11.2022

#सबोर्डिनेट_कल्चर हमारे देश में सामान्यतः जब दो व्यक्ति मिलते है तो वे खुलकर बात करने से पहले एक दूसरे के बारे में यह जानने की कोशिश करते है कि सामने वाले का लेवल क्या है? दोनों ही स्वयं की तुलना में दूसरे के लेवल के काॅर्डिनेटस् तय करने का प्रयास करते है। उसके बाद वार्तालाप के व्यवहार में एक दूसरे को ऊंचा या समस्तर या नीचे मानकर आगे बढ़ते है। 

सदियों पुरानी मानसिक बीमारी है कि सामान्य नागरिक, व्यक्ति का लेवल धर्म, जाति व समुदाय के आधार पर निर्धारित करते है। माडर्न व पढ़े-लिखे लोग सामने वाले की नौकरी के प्रकार व स्तर अथवा व्यवसाय के बारे में पता करके लेवल निर्धारित करते है।

लेवल निर्धारित होने के पश्चात वे अपने आप को ऊपर या नीचे (subordinate) मानकर विचार विमर्श व डिस्कशन करते है।

आवश्यकता है कि वार्तालाप व व्यवहार में व्यक्ति के सोचने का तरीका, विचार, अनुभव, ज्ञान, जनसामान्य के कल्याण के लिए दृष्टिकोण महत्वपूर्ण होने चाहिए ना कि धर्म, जाति, समुदाय, नौकरी, व्यवसाय के आधार पर उसके लेवल के काॅर्डिनेटस्।

सादर
Raghuveer Prasad Meena

Tuesday 1 November 2022

आदिवासियों को मेनस्ट्रीम में लाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव।

rpmwu458 dt. 01.11.2022

आदिवासियों को महत्व देने, उनको मेनस्ट्रीम में लाने व उत्थान तथा कल्याण की विभिन्न योजनाओं के लिए सरकार को बहुत बहुत साधुवाद। आदिवासियों को मेनस्ट्रीम में लाने के लिए निम्नलिखित काम करने की जरूरत है -

1. आदिवासियों को उनके अधिकारों के प्रति जागृत करने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई जाये। इसी कड़ी में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर केन्द्र व राज्य सरकार उपयुक्त कार्यक्रम आयोजित करवायें एवं इस दिन को राजकीय अवकाश घोषित करें।

1.1 आजतक किसी भी आदिवासी महानुभाव को भारतरत्न से सम्मानित नहीं किया गया है। योग्य आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनेताओं व अन्य क्षेत्रों में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों को भारतरत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। 

2. प्राकृतिक संसाधनों पर आदिवासियों के हक की नीति तय हो। आदिवासी क्षेत्र से निकाली जाने वाली प्राकृतिक सम्पदा में आदिवासियों की हिस्सेदारी हो।

3. विकास के नाम पर आदिवासियों की बेदखली पर नियंत्रण हो। विकास कार्य हेतु सोशल इम्पेक्ट ऑडिट हो एवं उसके पश्चात यदि बेदखली टाली नहीं जा सकती तो मुआवज़े की ठोस नीति बने व उसकी अनुपालना हो।

4. वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत वन भूमि पर स्वामित्व के अधिकार की अनुपालना एवं उसकी गहन मॉनिटरिंग ज़रुरी है।

5. आदिवासियों के संस्थागत विकास हेतु विशेष पैकेज के साथ कार्ययोजना बने व उसकी क्रियान्विति हो।

6. आदिवासी नेताओं, समाजसेवियों व स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये।

7. महत्वपूर्ण सार्वजनिक सम्पत्ति व रोडस् के नाम आदिवासी नेताओं, समाज सेवियों व महत्वपूर्ण व्यक्तियों के नाम पर रखे जाये।

8. देश की राजधानी व समस्त राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियों में आदिवासी विकास केंद्रों की स्थापना की जाये। इन केंद्रों में आधुनिक सुविधाओं के साथ ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस हॉल, पुस्तकालय, शोध केन्द्र, होस्टल्स, गेस्ट हाउसेस एवं थियेटर बनाये जायें ताकि आदिवासियों की संस्कृति, खेल-कूद, परम्पराएँ एवं पुरा महत्व के दस्तावेज़ों का संरक्षण हो ताकि नई पीढ़ी आदिवासी धरोहरों से अवगत हो सके।

9. वर्ष 2011 के जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार देश में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या 8.62 % है जबकि आरक्षण 7.5 % ही है। अतः आवश्यकता है कि जनजाति आरक्षण वर्तमान जनसंख्या के अनुरूप 7.5 % से बढ़ाकर 8.62 % किया जाये।

10. राज्य सभा में आदिवासियों की जनसंख्या के अनुसार प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण होना चाहिए।

11. सरकार के मंत्रियों में आदिवासियों को जनसंख्या के अनुसार उपयुक्त प्रतिनिधित्व मिले।

12. न्यायिक सेवाओं हेतु भारतीय न्यायिक सेवा का गठन हो ताकि न्यायिक सेवाओं में हर वर्ग का प्रतिनिधित्व हो सके। सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायधीशों के चयन में आदिवासियों की जनसंख्या के अनुरूप प्रतिनिधित्व हेतु आरक्षण होना चाहिए।

13. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान एवं विश्वविद्यालयों एवं काॅलेजों की फैकल्टी में जनसंख्या के अनुसार आदिवासियों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।

14. सरकार के महत्वपूर्ण पदों (की-पोस्टों) पर आदिवासी अधिकारियों को उनकी जनसंख्या के अनुसार प्रतिनिधित्व मिले। ग्रुप ए तक की सभी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान हो एवं आयु सीमा हटाई जाये ताकि सभी स्तरों के पदों पर जनसंख्या के आधार पर समुचित प्रतिनिधित्व हो सके।

15. जिन-जिन विभागों में अनुसूचित जनजाति का बैकलाॅग है, उसे अविलम्ब भरा जाये।

16. व्यवसाय की ओर प्रेरित करने हेतु आदिवासियों को विशेष प्रकार के इंसेंटिव दिये जाये।

17. सरकार की नीतियों की वजह से सरकारी क्षेत्र कम होते जा रहे हैं व निजी क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। अतः निजी क्षेत्र में भी आरक्षण का प्रावधान किया जाये।

18. आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य व शिक्षा पर विशेष कार्ययोजना होनी चाहिए। इन क्षेत्रों में पदस्थ किये जाने वाले अधिकारी व कर्मचारियों को विशेष इंसेंटिव दिया जाये ताकि कठिन परिस्थितियों में पदस्थ होने से परहेज नहीं हो।

19. अंधविश्वास व कुरीतियों को दूर करने हेतु विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करवाया जाये एवं कार्यरत समाजसेवियों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाये।

20. आदिवासियों से संबंधित पुस्तकों, लेखों व साहित्य को बढ़ावा देने हेतु विशेष कार्ययोजना बनाई जाये एवं उसकी क्रियान्विति सुनिश्चित कराएं।

21. आदिवासी क्षेत्रों में पुलिस व अर्द्धसैनिक बलों की ज्यादतियाँ कम हो एवं आदिवासियों के उत्पीड़न के प्रकरणों पर तत्परता से ठोस कार्यवाही की जाये।

सादर
Raghuveer Prasad Meena