Friday 24 January 2020

संतुलित व्यक्तिव के लिए जीवन में माँ सरस्वती, दुर्गा और लक्ष्मी को उनके उचित स्थान पर ही विराजमान करना चाहिए।

rpmwu301
24.01.2020

संतुलित व्यक्तिव के लिए जीवन में माँ सरस्वती, दुर्गा और लक्ष्मी को उनके उचित स्थान पर ही विराजमान करना चाहिए। 

(हांलाकि मैं देवी देवताओं में ज्यादा विश्वास नहीं करता हूं फिर भी समझाने के लिए इन तीन देवियों के नाम का प्रयोग किया है।)

हम सभी जानते है कि सरस्वती देवी ज्ञान व शिक्षा, दुर्गा देवी बल व शक्ति और लक्ष्मी देवी धन दौलत की ध्योतक है।

व्यक्ति को सरस्वती देवी को मष्तिष्क में, दुर्गा देवी को ह्रदय में व लक्ष्मी देवी को कमर के नीचे निवास करवाना चाहिए। शिक्षा, कौशल व ज्ञान को सबसे अधिक महत्व देने की जरूरत है अतः इनका स्थान मष्तिष्क में है। पुरुषार्थ के लिए जरूरत पड़ने पर पराक्रम भी बहुत जरूरी है अतः बल व शक्ति को दिल (ह्रदय या सीने) में रखा जाये और मौके पर इनका जरूर प्रयोग करें। अब आती है धन दौलत की बात, इन्हें उक्त दोनों से कम महत्व दिया जाना चाहिए। जैसे विष्णु भगवान भी लक्ष्मी जी से पैरों की सेवा करवाते रहते हैं वैसे ही धन दौलत को शुभकार्यो व दूसरों की भलाई हेतु उपयोग में लिया जाना चाहिए। 

परन्तु देखा गया है कि आजकल व्यक्ति लक्ष्मी जी को सरस्वती जी या दुर्गा जी के स्थान पर रखते हैं। जब लक्ष्मी जी को सरस्वती जी के स्थान पर रख लिया जाता है तो ज्ञान व गुणों की कमी हो जाने के कारण व्यक्ति में घमंड हो जाता है। ऐसे ही जब दुर्गा जी के स्थान पर रख लिया जाता है तो व्यक्ति लालची और लालच के कारण मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है। 

अत: हर समझदार व्यक्ति को शिक्षा, कौशल, ज्ञान व गुणों को विकसित करने को सबसे अधिक महत्व देना चाहिए। तदोपरांत बल व शक्ति को विकसित करना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ जाने पर पराक्रम दिखाया जा सके। धन दौलत भी महत्वपूर्ण है परन्तु उनकी महत्ता शिक्षा, कौशल, ज्ञान, गुण, बल, शक्ति व साहस के बाद ही आनी चाहिए। 

क्रम को बदलने पर व्यक्ति का व्यक्तित्व असंतुलित हो जायेगा जो कि चिरकाल में नुकसानदायक ही होगा। अत: तीनों देवियों के स्थान को ध्यान में रखा जाना जरूरी है। 

रघुवीर प्रसाद मीना 


Sunday 19 January 2020

भ्रष्टाचारी लोग ही ज्यादा रिश्वत देते हैं भगवान को।

rpmwu299
19.01.2020

भ्रष्टाचारी लोग ही ज्यादा रिश्वत देते हैं भगवान को।

अमूमन यह देखने को मिलता है कि जो लोग भ्रष्टाचार अथवा अनैतिक तरीकों से धनोपार्जन करते हैं वे ही धर्म के नाम पर उनके द्वारा किए गए गलत कार्यों के पाप से मुक्ति के लिए धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण के कार्यों में अत्यधिक धन खर्च करके भगवान से प्रोटेक्शन चाहते हैं।

आप आपके आसपास जहां भी धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण से संबंधित कार्य जैसे कथा-भागवत, पदयात्रा, परिक्रमा, भव्य मंदिर बनवाना इत्यादि कार्य होते हैं उनमें अधिक आर्थिक सहयोग वे ही लोग करते हैं जो भ्रष्टाचार अथवा अन्य अनैतिक कार्यों में लिप्त होते हैं।  इस प्रकार के कार्यों में पैसे खर्च करके वे मन में सोचते हैं कि उन्हें गलत कार्य के लिए जो पाप लगा है उससे मुक्ति मिल जाएगी और भगवान, सरकार की जो भ्रष्टाचार नियंत्रण करने वाली एजेंसी है उनसे बचाव कर देगा। 

इस विषय में सभी को चाहिए कि भ्रष्टाचार व अनैतिक कार्य को नहीं करके जो भी सीमित आय हैं उसमें से शिक्षा के लिए यदि किसी गरीब की मदद कर दी जाए तो वह कहीं ज्यादा फलदाई वह संतोषप्रद होगा।

रघुवीर प्रसाद मीना 

Welfare_of_the_labour : It is a sacred duty of all of us.

rpmwu298
18.01.2020

Welfare_of_the_labour : It is a sacred duty of all of us.

माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों पर सरकार द्वारा कैजुअल लेबर के हित में बहुत अच्छे संलग्न निर्देश जारी किए गए हैं। परंतु दुख की बात है कि अधिकांश जगह इन निर्देशों की वास्तविक अनुपालना नहीं होती है। अधिकतर अधिकारी व कर्मचारी लेबर हित के बारे में ध्यान ही नहीं देते हैं एवं उनकी छोटी सी लालच के अधीन होकर लेबर को मिलने वाले हक को दिलाने में कोताही बरतते है।

इन निर्देशों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि जो कार्य नियमित प्रवृत्ति के हैं उनके लिए कैजुअल लेबर नहीं रखे जाए अर्थात उनके लिए सरकारी लोगों की भर्ती करनी चाहिए परंतु हाउसकीपिंग व साफ सफाई जैसे कार्य जो कि वास्तव में नियमित प्रवृत्ति के हैं उनके लिए सरकार में हर जगह ठेके दे दिए गए हैं। अब तो और बहुत से नियमित प्रवृत्ति के कार्यों को अंधाधुंध ठेके पर दिया जा रहा है। 

प्रावधान है कि यदि ठेके पर व्यक्ति रखे गये व्यक्ति को जो कार्य दिया गया है वह नियमित सरकारी कर्मचारियों के समान है तो लेबर को सरकारी कर्मियों के समकक्ष भुगतान करना चाहिए यानि प्रतिदिन के हिसाब से सरकारी कर्मियों के भुगतान का 1/30. 

वास्तविकता यह है कि कैजुअल लेबर को सरकारी कर्मियों की तुलना में 1/3 से 1/5 भुगतान ही मिलता है। आयेदिन सुनने को मिलता है कि कार्य करने वाले लेबर को मिनिमम वेजेस भी नहीं मिल पाता है। यदि ठेकेदार मिनिमम वेजेस देते भी है तो विभिन्न धोखाधड़ी के तरीकों से उसके उस मिनिमम वेज में से काफी हिस्सा वापस प्राप्त कर लेते हैं।

सभी सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि कैजुअल लेबर जोकि हमारे ही देश के ही नागरिक हैं उनके परिवार के भरण-पोषण और उनके बच्चों की उचित परवरिश व पढ़ाई लिखाई के लिए उन्हें कानूनी रूप से तय अधिक से अधिक भुगतान दिलाये।

रघुवीर प्रसाद मीना

Sunday 12 January 2020

छपाक_a_film_on_acid_attack

rpmwu296
11.01.2020

छपाक_a_film_on_acid_attack

एक लंबे अंतराल के बाद आज थिएटर में एक फिल्म देखी। यह फिल्म #छपाक एक गंभीर महिला उत्पीड़न से समाज को अवगत कराती है। #दीपिका_पादुकोण व फिल्म की समस्त टीम ने बहुत ही उम्दा अभिनय से एसिड अटैक की वजह से लड़़कियों और महिलाओं को होने वाले उत्पीड़न को बखूबी बयां किया है।

इस फिल्म को देखने के बाद मुझे लगा कि इस विषय पर पोस्ट करना जरूरी है ताकि फिल्म के मैसेज से हमें जो सबक लेने चाहिए उनके बारे में #विचार करें। 

#व्यक्तिगत : 1. सबक यह है कि यदि किसी लड़की या महिला से कोई व्यक्ति अनावश्यक रूप से बातें करने अथवा परेशान करने की कोशिश करें तो उसके बारे में अपने #घर_वालों से अवश्य ही #शेयर करना चाहिए ताकि वे आपको होने वाली भयंकर परेशानी से बचने की समय पर सही सलाह दे सकें। 
2. दूसरों से 
#बेेवजह_अनावश्यक_फेवर_नहीं लिए जाए अन्यथा फेवर के बदले लोग लड़कियों व महिलाओं को परेशान कर सकते हैं। 

#समाज : 1. समाज को चाहिए कि यदि किसी के समक्ष एसिड अटैक जैसी घटना होती है तो एसिड अटैक करने वाले व्यक्ति पर #तत्काल_कार्यवाही करें और यदि सम्भव हो सके तो उसेे पकड़ कर #पुलिस_केे_हवाले कर दे।
2. कानूनी कार्यवाही में #विक्टिम_का_साथ दें तथा विक्टिम के प्रति मन से सहानुभूति रखें और जिस व्यक्ति ने इस प्रकार का घिनौना कृत्य किया है उसे #कड़ी_से_कड़ी_सजा दिलाने अपना योगदान दें। 
3. यदि विक्टिम गरीब है तो उसकी यथासंभव #आर्थिक_सहायता करें। यदि हो सके तो विक्टमस् को #जाॅब मुहैया कराया जाये। 

#सरकार : 1. सरकार को चाहिए कि कंसंट्रेटेड एसिड की #बिक्री को या तो #बंद कर दे अथवा उसे #गंभीरता_से_नियंत्रित करें। जो काम कंसंट्रेटेड एसिड करती है उसके स्थान पर अन्य उपयुक्त #वैकल्पिक_पदार्थों का इस्तेमाल ढूंढना चाहिए। 
2. लड़की या महिला जिस पर अटैक होता है उनका अच्छे से अच्छे अस्पताल में #सरकारी_खर्चे_पर_ईलाज करवाना चाहिये। 
3. एसिड़ अटैक के केसों को #रेप_की_तरह_गम्भीर समझना चाहिए और अधिक से अधिक #6_माह_में_केस_निस्तारित करके #कड़ी_सजा दी जाए। सजा के प्रावधानों को और कठोर बनाए जाने की जरूरत है। 
4. सरकारी व निजि कम्पनियों में एसिड़ अटैक से पीड़ित महिला व लड़की को #जाॅब दे देेने का प्रावधान होना चाहिए। 
5. बड़ी कम्पनियां के #सीएसआर_फण्ड से एसिड अटैक विक्टिमस् की मदद करने को मान्यता दी जानी चाहिए। 
6.सामाजिक बुराई पर समाज में अलख जगाने के लिए इस #फिल्म को #टैक्स_फ्री कर देना चाहिए। 

#आपके_विचार से एसिड अटैक की घटनाओं को कम करने के लिए जो भी सुझाव हो उनसे भी अवगत कराएं। 

रघुवीर प्रसाद मीना 

Sunday 5 January 2020

ठूंठ नहीं फलदार वृक्ष बने।

rpmwu295
04.01.2020

ठूंठ नहीं फलदार वृक्ष बने। 

बासाहब डाॅ भीमराव अम्बेडकर जब लंदन से वापस आ रहे थे तो उन्होंने सोचा कि अपने देश के लिए अच्छे-अच्छे फलदार वृक्ष के बीज ले चलता हूं और बाबासाहब बहुत सारे अच्छे बीजों को भारत लेकर आए। जिन बीजों को वे भारत लेकर आए उन्हें बहुत मेहनत करके गहरा गड्ढा बनाकर, अच्छी व उपजाऊ मिट्टी और खाद डालकर वो दिया। समय समय पर सिंचित किया। उन बीजों से जो पौधे अंकुरित हुए उनकी सिचाई और परवरिश की ताकि वे जल्दी बड़े पेड़ बनकर फल देने लगे। परंतु बाबासाहब ने नोट किया जो पेड़ लंदन में बहुत अच्छे फल दे रहे थे उनमें से अधिकांश भारत में आकर फल देना तो दूर की बात दूसरों को छाया भी नहीं दे रहे हैं। बहुत मेहनत के उपरांत अधिकांश पेड़ ठूंठ बनकर रह गये। ऐसे पेड़ चाह रहे थे कि बिना पत्तों के ठूंठ रहने से उन्हें कोई पहचान नहीं पायेगा कि वे कौनसे पेड़ है? उन्हें स्वयं की पहचान छुपाना अच्छा लग रहा था। यह देखकर बाबा साहब को बहुत दुख हुआ।

उक्त बात को हम उन लोगों पर बिल्कुल सही ठहरा सकते हैं जो बाबा साहब द्वारा मुहैया कराए गए आरक्षण की वजह से अपने जीवन में ऊपर आए, उन्नति की और जो बाद में समाज के कमजोर वर्ग के हितों के लिए कोई काम नहीं आते हैं। अपनी पहचान छुपाते रहते हैं। ऐसे कई लोग चाहते है कि किसी को पता नहीं लग जाये कि वे आरक्षित वर्ग से है।

आवश्यकता है हम ठूंठ नहीं फलदार वृक्ष बने और समाज के हर कमजोर व्यक्ति की इमानदारी से मदद करें, उसको हममें सहारा नज़र आना चाहिए।

रघुवीर प्रसाद मीना