Sunday 26 March 2017

अच्छा जीवन जीने के लिए आवश्यकता पड़ने पर परिवारजनों, दोस्तों व जानकारों से साहारा मिलने की अनुभूति होना बहुत महत्वपूर्ण होती है। हम स्वमं भी औरों के लिए इसी भावना के पात्र बनें।

rpmwu 109
26.03.17

जीवन में साहारे का बहुत अधिक महत्व होता है इस बात को समझने के लिए मानिये कि आप किसी बहुत ही सकरे (तंग) रास्ते पर जमीन पर चल रहे हैं, हो सकता है आप उस पर दौड़ भी सकते हैं। आपको पता है कि यदि गिरोगे तो जमीन से साहारा मिल जायेगा, ज्यादा चोट नहीं लगेगी। अब यदि वही तंग रास्ता ऊंचाई पर हो और दोनों ओर कोई साहारा नहीं हो तो उस पर चलना मात्र ही बहुत मुश्किल हो जाएगा। यदि ऊँचाई पर स्थित उस तंग रास्ते के दोनों ओर रेलिंग लगा दी जाए तो व्यक्ति बिना रेलिंग को टच किए हुए साहारा होने मात्र की अनुभूति से ही आराम से चल सकता है क्योंकि उसके मन में यह भावना रहती है कि यदि कुछ हुआ तो साहारा तो है। रेलिंग मुझे संभाल लेंगी, गिरने नहीं देगी।

इसी बात को जब हम जीवन के अन्य पहलुओं पर परखते हैं तो लगेगा कि जिन व्यक्तियों के पास परिवार या दोस्तों या जानकार व्यक्तियों से साहारा मिलने की सम्भावना होती है वे सामान्यतः जीवन में डरते नहीं है और उन्नति के लिए रिस्क लेने को तैयार रहते है। दूसरी ओर उन लोगों को देखो जिनके पास परिवार या दोस्त या जानकारों का साहारा नहीं है उन्हें हर कदम पर लगेगा कि कोई गलत नहीं हो जाए, वह डर डर के जीवन यापन कर करेगा।

अतः समझदारी इसी में है कि व्यक्ति अपने परिवार, दोस्तों व जानकार लोगों के साथ अच्छी तरह रहे, उनके यथासंभव काम आये ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे सभी भी उसके काम आये व उसके मन में साहारा मिलने की उम्मीद रहे।

रघुवीर प्रसाद मीना

यदि घर पर समय रहते ध्यान नहीं दिया, दरवाजों पर ताला नहीं लगाया या लंबे समय तक सूना छोडा और नुकसान हो जाये तो दोष किसका है ?

rpmwu 108
26.03.2017

अक्सर इस प्रकार के प्रकरण सामने आते हैं जिनमें व्यक्ति बोलता है कि मेरे साथ गलत हो गया, मुझे भारी नुकसान कर दिया गया है इत्यादि इत्यादि। गहराई में जाने पर पता चलता है कि कई बार व्यक्ति स्वयं ही पहले तो चीजों पर ध्यान नहीं देता है, लापरवाही बरतता है या उन्हें सही ढंग से हैंडल नहीं करता है और जब परिस्थितियां विपरीत हो जाती है एवम नुकसान हो जाता है तो वह स्वयं के बजाय दूसरों पर दोष मढ़ता रह जाता है और हो चुके नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती है। 

यह बात जीवन के हर पहलु, घर व ऑफिस दोनों पर लागु होती है। यदि हम महत्पूर्ण चीजों पर समय रहते उचित ध्यान नहीं देगें तो उन्हें नुकसान होने की सम्भावना बनी रहेगी। हमें समय रहते हुए अपनी चीजों पर उचित ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि कोई भी व्यक्ति अनावश्यक या आसानी से हमें नुकसान नहीं कर सके । 

सभी को सावधान रहने तथा अपने अपने घर और कार्य क्षेत्र में अच्छे सिस्टम अपनाने जरुरत है ताकि नुकसान होने की सम्भावना कम से कम रहे । यदि सिस्टम लूज़ रहेगा तो नुकसान करने वालों को आसानी रहेगी तथा वे आसानी से नुकसान करने में सफल हो पाएंगे। यदि घर पर समय रहते ध्यान नहीं दिया, दरवाजों पर ताला नहीं लगाया या लंबे समय तक सुना छोडा और नुकसान हो जाये तो दोष दूसरे का न होकर हमारा ही ज्यादा है। अतः चीजों को ढीला नहीं छोड़े व समय रहते उन पर उचित ध्यान दे। 

रघुवीर प्रसाद मीना 

Saturday 25 March 2017

क्वालिटी एवं भगवान राम के वनवास, सीता हरण व रामायण की बाकी समस्त कहानी में सम्बन्ध - रूट काॅज एनालिसिस।

rpmwu 107
25.03.2017


 रामायण की समस्त कहानी को गहराई से देखें व सोचे कि आखिरकार सीता हरण से लेकर लंका दहन व अन्य घटनाएं क्यों घटित हुई?

सीता राम के साथ वन में गई थी, यदि राम का वनवास नहीं होता तो सीता का अपहरण भी नहीं होता और यदि सीता का अपहरण नहीं होता तो उसके पश्चात की जितनी भी कहानी है वह घटित नहीं होती।

मूल प्रश्न यह है कि राम को वनवास में क्यों जाना पड़ा? इस प्रश्न का उत्तर अगर देखें तो पता चलता है कि रानी कैकई अपने बेटे भरत को राजा बनाना चाहती थी, जिसके कारण उसने राजा दशरथ से उसे दिए गए बचनों को निभाने के लिए कहा।

गहराई में जाने से पता चलता है कि बचन क्यों दिये? बचन देने के पीछे कहानी है कि एक बार जब युद्ध के समय राजा दशरथ के रथ के पहिए का एक्सेल टूट गया था तो उस समय रानी कैकई ने एक्सेल के स्थान पर उनकी ऊँगली लगाई और राजा दशरथ को युद्ध जीताया, राजा दशरथ कैकई के कौशल, तत्परता एवं समझदारी से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कैकई को दौ वचन दिये। कैकई के इन्हीं बचनों के बल पर राम भगवान को वन में जाना पड़ा व समस्त कहानी तत्पश्चात घटित हुई।

इस प्रकार रूट काॅज एनालिसिस से पता चलता है कि यदि रथ के एक्सेल की क्वालिटी सही होती तो वह युद्ध के दौरान फैल होकर नहीं टूटता और अगर ऐसा नहीं होता तो राम को वनवास में नहीं जाना पड़ता और सीता माता को जितने भी कष्ट हुए वे घटित नहीं होते।

हमारे देश में रामायण को बहुत ही शिद्दत से पढ़ा जाता है, सम्मान दिया जाता है, परंतु इस बात पर कम ही लोग ध्यान देते है कि यदि  चीजों की क्वालिटी बेहतर हो तो अप्रिय घटनाएँ कम से कम घटित होगी। अतः खराब घटनाओं के रूट काॅज पर ध्यान दे एवं अपने अपने कार्य क्षेत्र में बेहतरीन क्वालिटी मेनटेन करे।

रघुवीर प्रसाद मीना