Sunday 15 March 2020

भारतीय रेल में संरक्षा एवं कार्यशैली में सुधार के लिए सुझाव।

rpmwu115
25.08.2017

भारतीय रेल एक बहुत बड़ी आॅर्गनाइजेशन है जिसमें लगभग 13 लाख अधिकारी व कर्मचारी मुख्य रुप से 10 विभागों, जिनमें 5 इंजीनियरिंग (सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, एस & टी. एवं स्टोर) और 5 नाॅन इंजीनियरिंग (ट्रैफिक, एकाउंट्स पर्सनल, आर.पी.एफ एवं मेडिकल) में कार्य करते है।
रेलवे के संरक्षित परिचालन एवं कार्यकुशलता में वांछित सुधार हेतु अधिकारियों व कर्मचारियों में स्वमं की लगन के साथ साथ इन विभागों में आपसी तालमेल होना बहुत आवश्यक है। परंतु देखा जा रहा है कि अधिकारी व कर्मचारी उच्च प्रशासन की विभिन्न नीतियों के कारण ना केवल लगन व कर्तव्यनिष्ठा खोते जा रहे हैं बल्कि विभागों में आपसी सामंजस्य और तालमेल भी प्रभावित हो रहा है जिसके कारण रेलवे के अधिकारी व कर्मियों की कार्यशैली दिनोंदिन बिगड़़ती जा रही है और ऑर्गनाइजेशन की परफॉर्मेंस में सुधार की अपेक्षा गिरावट नजर आ रही है। ऐसी स्थिति को सुधारने के लिए निम्नलिखित पर तत्परता से ध्यान देने की आवश्यकता है - 

1. रेलवे में बोर्ड मेंबर्स, महाप्रबंधक, प्रिंसिपल हेड ऑफ डिपार्टमेंटस् एवं मंडल रेल प्रबंधक "की- पोस्टस्" होती है। इन पोस्टस् पर पदोन्नति के लिए अधिकारियों की योग्यता से ज्यादा उनकी उम्र मायने रखती है। की-पोस्टस् पर  योग्य व सक्षम अधिकारियों का होना बहुत ही महत्वपूर्ण है परंतु वर्तमान व्यवस्था में यदि कोई अधिकारी कम उम्र का है तो उसे  की-पोस्ट पर कार्य करने का मौका मिल जाएगा जबकि हो सकता है वह व्यक्ति उस पोस्ट पर कार्य करने के लिए योग्य हो ही नहीं। की-पोस्ट पर कार्य करने वाले अधिकारियों में लीडरशिप क्वालिटी, टीम को मोटिवेटेड रखने व निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए परंतु कई अक्षम व्यक्तियों की उम्र कम होने के कारण उनके की-पोस्टस् पर पहुंचने की वजह से उनके अधीन कार्यरत सक्षम अधिकारी व कर्मचारी भली-भांति कार्य नहीं कर पाते हैं और जिसका खामियाजा ऑर्गनाइजेशन को भुगतना पड़ता है। अतः आवश्यक है कि उम्र  को नजरअंदाज करते हुए केवल योग्य व्यक्तियों को ही की-पोस्टस् पर नियुक्त दी जाये।

2. अधिकारियों की पदोन्नति APARs के आधार पर निर्धारित होती है APARs मैं अधिकारियों की रेटिंग उनकी वास्तविक परफॉर्मेंस के अलावा अन्य कई व्यक्तिगत व सामाजिक पहलूओं पर निर्भर करती है। जिसके कारण कई बार योग्य व्यक्तियों की APAR खराब कर दी जाती है और उन्हें की-पोस्टस् पर कार्य करने का मौका नहीं मिलता है वहीं दूसरी ओर अयोग्य व्यक्तियों की APAR उत्कृष्ट दे दी जाती है। अतः आवश्यकता है कि अधिकारियों की योग्यता जांचने के तरीके को बदलने की जरूरत है। अधिकारियों की योग्यता जांचने हेतु उनके परफोर्मेंस टार्गेट्स् भलीभांति निर्धारित किए जाएँ और अचीवमेंटस् की गणितिय गणना के आधार पर उनकी रेटिंग तय की जाएँ। व्यक्तिगत लाइकिंग, डिसलाईकिंग व सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर अधिकारियों की रेटिंग तय नहीं की जानी चाहिए। मेलाफाईड़ कारणों से गलत APAR देने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही की जाने की भी सख्त आवश्यकता है।

3. की-पोस्टस् पर कार्य करने वाले अधिकारी, उनके अधिनस्थ अधिकारीयों के एक छोटे से ग्रुप (coterie) से  इतना घिर जाते है कि वे अन्य अधिकारियों से मिलने व उनसे इंटरेक्शन करने का समय ही नहीं निकाल पाते है तथा कुछ समय पश्चात वे सही या गलत में अंतर नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में वास्तविक कार्य करने वाले अधिकारियों से उनकी दूरी बन जाती है। आवश्यकता है कि महाप्रबंधको को उनके अधीन कार्य करने वाले SAG/SG/JAG अधिकारियों से कम से कम 3 माह में एक बार खुला संवाद व इंटरेक्शन करना चाहिए। इसी प्रकार मंडल रेल प्रबंधकों को भी जूनियर स्कूल तक के अधिकारियों  वह वरिष्ठ पर्यवेक्षकों के साथ संवाद कायम करना चाहिए। ऐसे करने से फील्ड के अधिकारी ना केवल मोटिवेटेड फील करेंगे बल्कि वे उनकी समस्याओं से उच्च प्रशासन को सहजता से समय पर अवगत भी करवा सकेगें।

उच्च पदों पर आसिन अधिकारियों एवं अन्य अधिकारीयों के बीच दूरी बनाने में उनके सेक्रेटरीज् जोकि काफी जूनियर होते हुए भी अहम रोल रखते है। वे हर तरह से कोशिश करते है कि उच्च अधिकारी से कनिष्ठ अधिकारी मिल ही नहीं पाये। उनकी जेन्यूईन समस्याएं से अवगत कराने में भी बडी़ मुश्किल होती है।  कई बार सेक्रेटरी उससे वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ भी हेडमास्टर की भाँति व्यवहार करते है, जिसके कारण सिस्टम की हार्मनी पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अत: आवश्यकता है कि सेक्रेटरी बनाते समय ध्यान रखा जाये कि कहीं वह पावर का गलत उपयोग तो नहीं करेगा। सेक्रेटरी को सहानुभूतिपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए ताकि उच्च अधिकारी की छवि धूमिल नहीं हो।

4. रेलवे में धीरे-धीरे ऐसी पृवत्ति डेवलप हो गई है कि अधिकारी और परिवेक्षक खराब गुणवत्ता के कार्यों व अनुशासनहीनता को सहजता से स्वीकार करने लग गए हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है कि भर्ति व ट्रेनिंग के समय से ही अधिकारियों व पर्यवेक्षकों को मिलने वाली सुविधाओं की गुणवत्ता एवं सम्मान कम होता जा रहा है। जिसके कारण वे अपने आप को महत्वपूर्ण नहीं मानते हैं और धीरे-धीरे उनकी कार्यशैली में खराब गुणवत्ता को स्वीकार करने की आदत घर जाती है। अत: अत्यावश्यक है कि ग्रुप 'ए' ऑफिसर को प्रोबेशन के समय से ही अच्छी से अच्छी सुविधाएं दी जाएँ, उन्हें ऐसा एहसास कराया जाएँ कि वे एक बड़ी महत्वपूर्ण आर्गेनाईजेशन का हिस्सा बनने जा रहे हैं और उनके ऊपर बड़ी जिम्मेदारी आने वाली है तथा उनके द्वारा लिए गए निर्णयों से ऑर्गनाइजेशन की कार्यशैली पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ेगा।

सुनने में यह भी आने लगा है कि कई उच्च अधिकारी, कनिष्ठ अधिकारियों की भर्ती, पदोन्नति व पोस्टिंग में भ्रष्टाचार मैं लिप्त हो जाते है। ऐसा करना तो भ्रष्टाचार का पेड़ लगाने के समान है क्योंकि जो अधिकारी भ्रष्टाचार के तरीके से भर्ती, पदोन्नति या पोस्टिंग लेगा वह आवश्यक रूप से भ्रष्टाचार में लिप्त होगा। अतः जरूरत है कि ऐसे उच्च अधिकारियों के विरुद्ध पता चलने पर कड़ी से कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएँ।

5. कई विजिलेंस व डीएआर केस 5 - 10 बर्षो या अधिक अवधि तक भी चलते रहते है। ऐसे केसों के बर्षो तक लंबित होने के कारण अधिकारी ना तो निर्णय लेने हेतु सक्षम रहते है और ना ही उनमें कार्य करने की लगन रहती है। जिसके कारण उनके अधिन आने वाले सम्पूर्ण सिस्टम में इनएफिशियेंसी आ जाती है। अत: विजिलेंस व डी ए आर के समस्त प्रकरण सामान्यतः छह माह की अवधि में निर्णित हो जाने चाहिए।

उच्च प्रशासन को गलती एवं भ्रष्टाचार में अंतर करना आना चाहिए और गलती वाले प्रकरणों को तत्परता से निष्पादित कर देना चाहिए क्योंकि गलती उन्ही लोगों से होती है जो कार्य करते हैं अथवा लीक से हटकर कार्य करने की कोशिश करते हैं।

6. रेलवे की लगभग 70% आय मालगाड़ियों के संचालन से होती है जबकि माल गाड़ियों के अनुरक्षण, संचालन, मालडिब्बों को होने वाले डैमेजज्, उनके एनरूट अनयूजूअलस्, डिब्बों के इनईफेक्टिव प्रतिशत को कम करने के लिए ढाँचागत सुविधाओं इत्यादि पर मुश्किल से 10% अधिकारी भी ध्यान नहीं देते है। अधिकतर अधिकारी यात्री गाड़ियों के अनुरक्षण व संचालन तथा उनके लिए सुविधाओं पर ही ध्यान केंद्रित करते है।

मंडल रेल प्रबंधक, कार्यों के एक्जीक्यूशन के लिए एक महत्वपूर्ण की पोस्ट है परंतु देखा जाता है कि मंडल रेल प्रबंधकस् शायद ही मालगाड़ियों से सम्बन्धित इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देते हैं।

आवश्यकता है कि उच्च प्रशासनिक अधिकारी मालगाड़ियों के रखरखाव हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर, उनके संचालन, माल डिब्बों को होने वाले डेमेजेज् एवं एनरूट अनयूजूअलस् को कम करने के उपायों पर विशेष ध्यान दें।

7. रेलवे में निरीक्षणों व अन्यथा दिये गये निर्देशों की कंप्लायंस पर ध्यान देने की बहुत अधिक आवश्यकता है। अधिकारी निरीक्षण के बाद निरीक्षण करते जाते हैं परन्तु कंप्लायंस पर उतना ध्यान नहीं देते हैं जितना देने की आवश्यकता है। जरूरत से ज्यादा निरीक्षण करने या ड्राईव चलाने से विशेष लाभ नहीं है। इसे ऐसे समझा जा सकता है जैसे 500 या अधिक डॉक्टर एक मरीज के बुखार  के स्तर को चैक कर लें और यदि कोई दवाई नहीं दे तो क्या मरीज की हालत में सुधार होगा? महाप्रबंधक स्तर के निरीक्षणों की कंप्लायंस को भी देखें तो पता चलेगा कि कई वर्षों पूर्व दिए गए निर्देशों की अभी तक भी अनुपालना नहीं हुई होगी। अतः निरीक्षण को कम करके उनकी कंप्लायंस पर विशेष बल देने की आवश्यकता है। वर्तमान IT के युग में, निरीक्षणों हेतु App बनाएँ जा सकते हैं और उनकी कंप्लायंस को बेहतर तरीके से मॉनिटर किया जा सकता है।

8. विभिन्न विभागों में पदोन्नति में भिन्नता के कारण अधिकारियों में आपस में अच्छी फीलिंग नहीं रहती हैं। विभिन्न सर्विसेस की पदोन्नति में कई बेचज् का अंतर होने के कारण जिन सर्विसेस् में  देरी से पदोन्नति होती है उनके अधिकारियों के मन में एक ईर्ष्या उत्पन्न हो जाती है और वे आर्गेनाईजेशन के प्रति अच्छा सोचना कम कर देते हैं। अतः उपाय किए जाएँ कि सभी सर्विसेस के समान बैचों के योग्य अघिकारियों की पदोन्नति साथ साथ हो।

9. ट्रांसफर पॉलिसी के नाम पर या कुछ उच्च अधिकारियों की अजिबोगरीब निति के कारण कई कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों की जेन्युइन परेशानियों को नजर अंदाज करते हुए उन्हें ऐसी जगह पोस्ट किया जाता है जहाँ उन्हें उच्च कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों व परिवार से दूर रहना पड़ता है। जबकि कईयों को उनके मनमाफिक पोस्टिंग लंबे समय तक मिलती रहती है। ऐसा होने के कारण कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के मन में एक कुंठा की भावना पैदा हो जाती है और पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उनकी कार्य निष्पादन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अतः आवश्यकता है कि अधिकारियों को यथासंभव एडजस्ट करते हुए पोस्ट करें ताकि उनके मन में आर्गेनाईजेशन के प्रति एक अहसान का भाव रहने से वे अच्छे से अच्छा कार्य करने हेतु प्रेरित हो।

10. नई गाड़ियों के संचालन अथवा नये असेटस् के क्रिएशन पर किसी पोस्ट का क्रिएट नहीं करना या वैकेंसीज् को अनदेखा करना सीधा-सीधा संरक्षा से समझौता इंकित करता है। अत: आवश्यक है कि जब भी नई गाड़ियां संचालित हो या अन्य नये महत्वपूर्ण असेट क्रिएट किये जाएँ तो साथ ही आवश्यक पोस्ट क्रिएट कर ली जाए और उन्हें तत्परता से भरा जाएँ।

रेलवे में एक भयंकर समस्या है कि असेट बनाने में 99 रू. तो खर्च करते हैं परन्तु उसके रखरखाव पर अगला 1 रू.को खर्च करने में परेशानी लगती है। यह तथ्य कहीं भी देखा जा सकता है, उदाहरणार्थ रेल निवास की जमीन व उस पर बनी बिल्डिंग बेशकीमती है परन्तु उसके रखरखाव को देखकर हर किसी को शर्म आ जायेगी। यहीं हाल रोलिंग स्कॉट इन्फ्रास्ट्रक्चर का है, पिट लाईन बनाते समय बहुत धन तो खर्च कर देगें परन्तु उसको मेन्टेन करने में ध्यान नहीं देते है।

कुछ चीजें लो-वैल्यू होने के बाबजूद बहुत अधिक हाई-यूटिलिटी की होती है, जैसे व्यक्ति का चश्मा। प्रधानमंत्री भी बिना चश्में के अपंग हो जाता है। फिल्ड़ में रात्री के दौरान कार्य करने हेतु समुचित उजाले का होना भी ऐसे ही है। इसी प्रकार अन्य कई चीजें है जिनकी उपलब्धता सही कार्य सम्पादन के लिये होना बहुत आवश्यक रहती है। 
इसी प्रकार सिविल इंजीनियरिंग द्वारा बनाये जाने वाले असेटस् का यूजर विभाग से निरीक्षण नहीं करवाया जाता है जबकि स्टोर द्वारा खरिदे गये हर मद का अंतिम निरीक्षण कन्साईनी कर सकता है। यह एक बड़ा कारण जिसकी बजह से बनाये जा रहे नये इन्फ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता में कमी रह जाती है। अतः आवश्यकता है कि नये इन्फ्रास्ट्रक्चर का अंतिम निरीक्षण यूजर डिपार्टमेंट से करवाया जाये।

11. किसी भी ऑर्गेनाइजेशन में लेखा विभाग का सामान्य कार्य एकाउंट्स का रखरखाव व बिल भुगतान करना होता है। परंतु देखा गया है कि रेलवे में लेखा विभाग को जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारी दिये जाने के कारण कार्यों के संपादन होने की गति बहुत धीमी हो जाती है। प्रस्तावों के कई बार वापस आने से उनमें लगने वाले अधिक समय के कारण कार्य की गति बाधित होती है। अत: आवश्यक है कि रेलवे के लेखा विभाग को दी गई जिम्मेदारियों की समीक्षा की जाएँ और प्रस्तावों पर देरी होने को रोकने के लिए महत्वपूर्ण उपाय किए जाएँ। अधिकारियों को बिना एकाउंट्स की सहमति के कार्य करवाने हेतु अधिक पाॅवर दी जाएँ और यदि उनके द्वारा भ्रष्टाचार इत्यादि किया जाता है तो उसके लिए दोषी पाए जाने पर सख्त कार्यवाही की जाएँ। ऐसा करने से कार्य सम्पादित करने की गति में अवश्य ही सुधार होगा।

12. पर्सनल विभाग को एग्जीक्यूटिव की भांति कार्य करते हुए मैन पावर से संबंधित समस्त गतिविधियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। वर्तमान में एग्जीक्यूटिव डिपार्टमेंटस् मैन पावर को मैनेज करने में बहुत अधिक समय खर्च करते हैं जबकि आवश्यकता है कि वे उनके द्वारा मेंटेन किए जाने वाले असेटस् और अन्य गतिविधियों पर अधिक से अधिक ध्यान दें।

13. टेक्निकल विभागों में कार्यरत जूनियर इंजीनियरस् व वरिष्ठ खंड इंजीनियरस् की पदोन्नति के बहुत कम एवेन्यू है अतः आवश्यकता है कि उनकी पदोन्नति के एवेन्यू बढ़ाने हेतु उपाय किए जाएँ ताकि उनके मन में एक संतोष का भाव रहे और वे अच्छा कार्य करें।

14. रेलवे में यूनियंस की महत्वपूर्ण भूमिका है। परंतु देखा गया है कि वरिष्ठ परिवेक्षकों के  यूनियन गतिविधियों में भागीदार होने के कारण उनके अधीन कार्यरत स्टाफ भली-भांति कार्य नहीं कर पाते हैं। सेफ्टी से संबंधित सभी विभागों के पर्यवेक्षकों का यूनियन गतिविधियों में भाग लेने को आवश्यक रूप से बंद कर दिया जाना चाहिए।

15. वरिष्ठ पर्यवेक्षकों एवं स्टाॅफ के लिए वर्तमान में रेस्टहाऊस, हाॅलिडेहोम की जो सुविधाएं दी जा रही है उनकी दशा बहुत अधिक खराब है, उनमें सुधार की त्वरित आवश्यकता है। ऐसा करने से पर्यवेक्षकों एवं स्टाॅफ के मन में स्वयं के प्रति सम्मान जागृत होगा और वे ऑर्गनाइजेशन के लिए अच्छे से अच्छा कार्य करने हेतु प्रेरित होंगे।
रेलवे में सुधार करने हेतु बहुत सारे और पहलू भी है। परंतु यदि उक्त मदों पर कार्यवाही हो जाएँ तो रेलवे की संरक्षा एवं कार्यशैली में अवश्य ही सुधार आएगा।

रघुवीर प्रसाद मीना
मुख्य चल स्टाॅक इंजीनियर
पश्चिम मध्य रेल्वे, जबलपुर।
 मो. 9752415402 

3 comments:

  1. Great sir. Really, if these will be implemented, then Railway working will be improved and results will be very positive for Indian Railways.

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  2. Sir, एकदम सही हैं, यदि उपरोक्त को रेलवे में तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए तो रेलवे संचालन में शिघ्र ही सकारात्मक और सुधारात्मक परिणाम मिलेंगे। चूंकि रेलवे संगठन पूर्णतया एक तकनीकी संगठन है, जिसके परिणामस्वरूप रेलवे में तकनीकी रूप से बढ़े पैमाने पर ढांचागत तकनीकी सुधार किए गए है लेकिन अभी तक सकरात्मक परिणाम नहीं मिले क्योकि इनके संचालन का जिम्मा ग़ैरतकनिकी कार्मिको को देकर रेलवे को नुकसान पहुचाया जा रहा है। अतः तकनीकी के इस युग मे :
    1. Integrated station operation system
    2. Integrated train operation system भी लागू होना चाहिए , इनके तहत केवल तकनीकी कार्मिको के द्वारा ही रेलवे के सफल, संरक्षित , सुरक्षित व कुशल और लाभकारी प्रबंधन की स्थापना की जा सकती है।

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  3. Bahut badhiya sir.....
    Saranksha ke saath saath railway ke surksha par bhi vishes dhyan dene ki aawshykta ha sir....
    Chahe wo railway ka koi bhi department ho or koi bhi rank ki training ho ...training me ek class desh ke prati ek nagrik ki jimmedariya kya hoti ha ye bhi honi chahiye.....

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Thank you for reading and commenting.