Monday 16 March 2020

कर्ज माफी से ज्यादा जरूरत है किसानों को सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराने की।

rpmwu184
10.01.2019

राजस्थान में पाँचना बाँध का निर्माण करौली जिले के करौली शहर के निकट पाँच नदियों 1. बरखेड़ा 2. भद्रावती 3. मॉची 4. भैसावट 5. अटाकी के संगम से बनी गम्भीर नदी पर शहर से 12 किलोमीटर दूर हिण्डौन-करौली मार्ग पर गुडला के पास किया गया । इसका निर्माण वर्ष 1977 से लेकर 2004 के मध्य लगभग 125 करोड़ रूपये की लागत से हुआ। इस बाँध की भराव क्षमता 2100 मिलियन क्यूबिक फीट, 240 डैड व 1860 लाइव स्टोरेज है अर्थात् इस बाँध से 1860 एमसीएफटी पानी सिंचाई हेतु उपलब्ध हो सकता है। 
पाँचना बाँध का कुल कमाण्ड क्षेत्र 9985 हैक्टेयर (39478 बीघा) है जोकि दो जिलों सवाई माधोपुर व करौली में विभाजित है। करौली जिले के 18 गाँवों की 4895.93 हैक्टेयर व सवाई माधोपुर के 17 गाँवों की 5089.03 हैक्टेयर भूमि कमाण्ड क्षेत्र में आती है। एक बीघा खेत का क्षेत्रफल 165 फीट x 165 फीट = 27225 वर्गफीट होता है। एक बार की सिंचाई हेतु भूमि को लगभग 4 इंच अर्थात् 4/12 =1/3 फीट पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार एक बीघा खेत की सिंचाई के लिए 27225 x 1/3 = 9075 घन फीट पानी की आवश्यकता रहती है। पाँचना बाँध की सिंचाई क्षमता के अनुसार इस बाँध से 204959 बीघा भूमि को एक बार या कमाण्ड क्षेत्र की भूमि को 5 बार भराया जा सकता है।
सूचना के अधिकार के तहत् अधोहस्ताक्षरकर्ता द्वारा माँगी गई सूचना के अनुसार वर्ष 2004 से 2006 तक 9985 हैक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई परन्तु वर्ष 2007 के उपरान्त बाँध में पानी की अवाक होने के बावजूद भी गूर्जर आन्दोलन के कारण नहर में पानी नहीं छोड़ा गया। 
नहरों में पानी नहीं छोड़ने के कारण कमाण्ड क्षेत्र के गाँवों के किसानों को निम्नलिखित आर्थिक हानि हो रही है -
1. सिंचित व असिंचित फसल के उत्पादन में अन्तर के कारण प्रति फसल सीजन लगभग 100 करोड़ रूपये की आर्थिक हानि।
2. जिन थोड़े बहुत किसानों के पास भूजल की उपलब्धता है, सिंचाई हेतु पानी उपयोग करने के लिए उन्हें बिजली व डीजल संचालित उपकरणों का प्रयोग करना पड़ता है जिससे कृषि उत्पादन की लागत बहुत अधिक बढ़ जाती है। 
3. भूमि क्रय-विक्रय के समय रजिस्ट्री के चार्ज तथा भेज कमाण्ड एरिया होने के कारण बढ़ी हुई दर से लगते  है।
4. ट्यूबेल व पम्पिंगसेट के माध्यम से भू-जल के अधिक दोहन की वजह से भू-जल का स्तर बहुत नीचे चला गया है जिससे पीने के पानी तक की समस्या हो जाती है।
5.पानी की कमी के कारण चारा नहीं होने से पशुपालन का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
गुर्जरों की मांग के अनुसार 13 गांवों हेतु 200 एम् सी एफ़ टी पानी देने के लिए 5 करोड़ रूपये की लागत से लिफ्ट योजना बनाने हेतु 2009 में स्वीकृति जारी हो चुकी है। कार्य लगभग सम्पूर्ण हो चूका हैं।  फिर भी कंमांड एरिया के गॉंवों हेतु नहर में पानी नहीं खोला जाना, सरकार व् राजनेताओं की किसानों के दुःख के प्रति उदासीनता दर्शाता है एवम यह भी लगता है कि सरकार असामाजिक तत्वो का साथ दे रही है। 
आपकी विचारधारा से प्रभावित होकर आपको लिख रहा हूँ एवं आपसे अनुरोध है कि कृपया इस मसले को टेक अप करें और डैम से नहरों में पानी खुलवाने मैं किसानों की मदद करें।
धन्यवाद।
रघुवीर प्रसाद मीना
ग्राम/पोस्ट - पीलोदा
तहसील - वजीरपुर
जिला - सवाई माधोपुर
राजस्थान
मो. 8209258619

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