Sunday 27 September 2020

राजा राममोहन रॉय - महान समाज सुधारक

 

(rpmwu382 dt. 27.05.2020)

राजा राममोहन राय (22 मई 1772 - 27 सितंबर 1833) को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है। इनके पिता का नाम रमाकांत तथा माता का नाम तारिणी देवी था। राजा राममोहन राय की दूर‍दर्शिता और वैचारिकता के सैकड़ों उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं।वे रू‍ढ़िवाद और कुरीतियों के विरोधी थे लेकिन संस्कार, परंपरा और राष्ट्र गौरव उनके दिल के करीब थे। वे स्वतंत्रता चाहते थे लेकिन चाहते थे कि इस देश के नागरिक उसकी कीमत पहचानें।

राजा राममोहन राय का जन्म बंगाल में 1772 में हुआ था।15 वर्ष की आयु तक उन्हें बंगालीसंस्कृतअरबी तथा फ़ारसी का ज्ञान हो गया था। किशोरावस्था में उन्होने काफी भ्रमण किया। उन्होने 1809-1814 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए भी काम किया। उन्होने ब्रह्म समाज की स्थापना की तथा विदेश (इंग्लैण्ड तथा फ़्रांस) भ्रमण भी किया।

राजा राममोहन राय ने ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी छोड़कर अपने आपको राष्ट्र सेवा में झोंक दिया। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के अलावा वे समाज में व्याप्त कुरितियों से भी लड़ाई लड़ रहे थे। उस वक्त देश के नागरिक अंधविश्वास और कुरीतियों में जकड़े थे। राजा राममोहन राय ने उन्हें झकझोरने का काम किया। बाल-विवाह, सती प्रथा, जातिवाद, कर्मकांड, पर्दा प्रथा आदि का उन्होंने भरपूर विरोध किया। देवेंद्र नाथ टैगोर उनके सबसे प्रमुख अनुयायी थे। आधुनिक भारत के निर्माता, सबसे बड़ी सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलनों के संस्थापक, ब्रह्म समाज, राजा राम मोहन राय सती प्रणाली जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अंग्रेजी, आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी और विज्ञान के अध्ययन की वकालत की।

आज ऐसे महान समाज सेवी की पुण्यतिथि की अवसर पर अपने आप से प्रश्न करें कि समाज से अंधविश्वास व कुरतियों की समाप्ति के  लिए में स्वयं क्या कर रहा हूँ ? क्या में स्वयं तो अंधविश्वास व कुरीतियों को बढ़ावा तो नहीं दे रहा हूँ? 

हमें जय जवान जय किसान जय विज्ञान जय अनुसंधान के साथ सभी के उत्थान पर बल देना चाहिए। 


सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 


Tuesday 15 September 2020

Happy Engineers' Day : 15th September


                                             
(rpmwu381 dt.15.09.2020)
विश्व में #इंजीनियरस् ने #मानव_जीवन को #सुलभ एवं #सुखद बनाने के लिए अनेकों #इंफ्रास्ट्रक्चर, विभिन्न #मशीनों, #सेटेलाईट व #आईटी का #आविष्कार किया है। अपने आसपास देखोगे तो लगेगा कि मनुष्य के काम में आनेवाली हर चीज, इंजीनियरस् की मेहनत और लगन का ही परिणाम है।

विदेशों के सफल इंजीनियरस् की भाँति भारत के इंजिनियरस् को भी #स्वयं_के_हाथ_से_काम करने में #गर्व महसूस करना चाहिए ना कि केवल साहब बनकर आदेश देने में। यदि हमारे देश के इंजिनियरस् स्वयं के हाथ से काम करने को अच्छा समझने लगेंगे तो किये जाने वाले कार्यों की #गुणवत्ता_बेहतर होगी और #देश_की_प्रगति  को #गति मिलेगी।

इसी प्रकार #आम_नागरिकों को भी चाहिए कि वे साहब कल्चर से बाहर आकर #स्वयं_के_हाथ_से_काम_करने_वाले_व्यक्तियों को #ज्यादा_इज्जत की नजर से देखें व उनका #सम्मान करें।

रघुवीर प्रसाद मीना

Tuesday 11 August 2020

The Indian Removal Act 1830 : Sufferings of Red Indians in America.



rpmwu380 dt. 11.08.2020

अमेरिका में इंडिजिनस लोगों के साथ भयंकर अत्याचार हुआ। भली-भांति एवं अच्छी तरह से सेटल्ड 5 आदिवासी समुदायों को मिसिसिपी नदी के पश्चिम में जबरदस्ती डंडे व बंदूक की नोक पर डिस्प्लेस कर दिया गया। ऐसी परिस्थितियों में आदिवासियों को बहुत अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा, ठंड व बीमारी की वजह से बहुत सारे आदिवासी मारे गए थे। उनके संसाधनों को लूटा और उन्हें ऐसी जगह जाने को मजबूर कर दिया जहां पर संसाधन नहीं थे अथवा रहने में भयंकर परेशानी थी। एक कानून बनाकर इस प्रकार का अत्याचार करना घोर निंदनीय है।

इस वीडियो लिंक को अवश्य देखें और समझे कि किस प्रकार से इंडियन कहे जाने वाले अमेरिकी आदिवासियों के साथ बाहर से आने वाले लोगों ने कितना अत्याचार किया।

हमारे देश में भी यदि देखा जाए तो पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश में जहां सबसे उपजाऊ भूमि है वहां पर आदिवासियों की संख्या लगभग नगण्य होना यह सिद्ध करता है कि उपजाऊ भूमि से आदिवासियों को जंगलों की ओर धकेला गया।

आवश्यकता है कि हम भूतकाल से सबक लें कि ऐसा अत्याचार आखिर क्यों हो पाया? उसका एक कारण यह रहा होगा कि इंडिजिनस लोग जहां भी रहते थे वे बाहर से आने वाले लोगों की तुलना में कम चालाक थे व तकनीकी में पीछे थे।  ऐसा आखिर क्यों हुआ? इस विषय में अपने विचार अवश्य व्यक्त करें?

सादर
Raghuveer Prasad Meena

Sunday 26 July 2020

Care of public property is far more greater responsibility than your private property

rpmwu379 dt. 26.07.2020

Care of public property is far more greater responsibility than your private property, see the video and understand.

https://youtu.be/3lKeSezDfx8


Regards
Raghuveer Prasad Meena

Leader to take responsibilty of failures and give credit of success to team.

rpmwu378 dt 26.07.2020

See the video and realize the role of a leader in an organization.

https://youtu.be/9QETsSfiHrk

Regards
Raghuveer Prasad Meena

कै काम करें? समझने व अपनी आदतें सुधारने के लिए अवश्य देखें।

rpmwu377 dt. 26.07.2020

घर की महिलाऐं घर में कितना काम करती है, समझने के लिए लिंक को क्लिक करके वीडियो ज़रूर देखें। हमें हमारी आदतें, वास्तव में बदलनी ही चाहिए।  

 https://youtu.be/8ygBQM0l99g

माँ बाप के प्रति जिम्मेदारी समझे।

rpmwu376 dt. 26.07.2020

माँ बाप के प्रति जिम्मेदारी समझने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करके वीडियो को देखें। 

जो लोग घर में बच्चों का सम्मान नहीं करते है तो उनके बच्चों को बाहर वाले क्यों पुछेंगे?


rpmwu375 dt 26.07.2020
यह बात एकदम सही है कि जिन घरों में घरवाले ही बच्चों का सम्मान नहीं करते है तो उनके बच्चों को बाहर वाले क्यों पुछेंगे? यह बात परेशानियों के लिए भी उतनी ही सटीक है। जब प्रभावित लोग ही ज्यादा परवाह नहीं करते है तो दूसरे परवाह क्यों करेंगे? पाँचना डैम के कमांड एरिया की नहरें पिछले 14 वर्षों से बंद है परन्तु क्षेत्र के जागरूक नागरिक व नेता जब परवाह नहीं करते रहे है तो दूसरों को क्यों ज्यादा फ़र्क पड़ेगा? नहरों के 14 वर्षों तक बंद रहने में क्षेत्रीय जागरूक समझे जाने वाले नागरिकों व नेताओं के द्वारा मुद्दे को मन से नहीं उठाना भी एक कारण रहा है।

अब समय आ गया है कि हम सभी मिलकर अपने क्षेत्र की परेशानियों पर ध्यान दें। यदि समस्याओं के समाधान में दूसरों की मदद चाहते है तो हमें स्वमं को तो उन पर ध्यान देना ही होगा। आओ मिलकर समझे और समझाएं, जनजागृति लाएं एवं क्षेत्र के किसानों को परेशानियों से मुक्ति दिलाएं।

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 

Saturday 25 July 2020

एक बार की गलती से बच सकते है, परन्तु बार बार करने पर फंसेंगे ही।


rpmwu374 dt. 25.07.2020
यदि कोई व्यक्ति पानी में एक बार कूद जाए और बाहर आ जाए तो वह डूबेगा नहीं। परंतु यदि वह बाहर ही नहीं आए और वहीं ठहर जाए तो डूबेगा ही। 

यह बात गलत काम करने वालों पर बहुत सटीक तरीके से लागू होती है। यदि किसी व्यक्ति से जाने-अनजाने में कोई गलत काम हो गया हो परन्तु वह उसकी पुनरावृत्ति नहीं करता है तो वह बच सकता है। परंतु यदि कोई व्यक्ति बारंबार गलत कार्य करता रहे अर्थात वह वहां ठहर ही जाये तो उसके बचने की संभावना नगण्य होती है, वह डूबेगा ही। अतः जाने अनजाने में यदि किसी व्यक्ति से कभी कोई गलत कार्य हो जाए तो उसे उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी चाहिए अन्यथा गलत काम के गलत नतीजे मिलने से कोई रोक सकता है। एक बार यदि गलती हो गई हो तो उससे सबक लेकर कदापि पुनरावृत्ति नहीं करें। 

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 

बुद्धिमान व्यक्ति, यदि गलत करने लग जाये तो स्वयं का ही सबसे अधिक नुकसान करते है।



 rpmwu373 dt.25.07.2020
एक बार अमेरिका में एक बहुत ही जबरदस्त पेंटर ने पेंट करके नकली डॉलर बनाना शुरू कर दिया और वह कई दिनों तक इस प्रकार करता रहा। एक दिन वह सब्जी मंडी गया और सब्जी बेचने वाले को उसने सब्जी के बदले नकली डॉलर दिए। सब्जी वाले के हाथ गीले थे तो उसने देखा कि डॉलर से पेंट निकल रहा है जबकि दिखने में वे डॉलर हूबहू एकदम असली जैसे लग रहे थे। डॉलर से जब पेंट निकलने लगा तो सब्जी वाले को शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है और उसने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आकर देखा और जाँच के उपरांत पाया कि जो डॉलर सब्जी वाले को दिए गए थे वे नकली थे। उसके पश्चात जिस व्यक्ति ने नकली डॉलर दिए थे उससे पुलिस ने बात की और उसको अरेस्ट कर लिया। पूछताछ में उस व्यक्ति से पूछा कि तुमने किस किस को कितना कितना ठगा है। उसने कई लोगों का नाम व कई घटनाएं बताई।  

पुलिस ने फिर पूछा कि तुमने सबसे अधिक किस को नुकसान किया? उस व्यक्ति ने जो जवाब दिया वह सुनने व सबक लेने लायक है - 

उस व्यक्ति ने कहा कि मैंने सबसे ज्यादा नुकसान स्वयं को ही किया है। मैं इतना अच्छा पेंटर होते हुए इस गलत कार्य में फंस गया, यदि ऐसा नहीं करता तो मैं अच्छी अच्छी पेंटिंग बनाकर ईमानदारी पूर्ण तरीके से उन्हें बेचकर आजीविका कमा सकता था और मुझे मेरे काम पर बहुत गर्व व प्रसन्नता होती कि मैंने एक ईमानदार व सार्थक जीवन जिया है। परंतु मेरा दुर्भाग्य रहा कि मैं बुद्धिमान होते हुए भी गलत कार्य में पड़ गया। 



इस बात से सभी को सीख लेनी चाहिए कि बुद्धिमान आदमी को अपनी बुद्धि गलत एवं असामाजिक कार्यों में नहीं लगानी चाहिए।यदि वास्तव में अच्छा एवं सफलतापूर्वक जीवन जीना चाहते है तो ईमानदार तरीक़े से कुछ खास करके छाप छोड़नी चाहिए।

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 

Thursday 23 July 2020

You are absolutely right! No need to worry...


rpmwu372 dt. 24.07.2020

एक बार एक घबराई हुई गर्भवती महिला डॉक्टर के पास गई एवं बोली कि मुभे उल्टी आती है, पैर भारी हो है, नई नई चीजें खाने का मन करता है। डॉक्टर सब कुछ पर्ची पर लिखते गए एवं अंत में लिखा एकदम ठीक (Absolutely Normal)। ऐसे ही आप जिस काम में है उससे सम्बंधित परेशानियां यदि आती है तो उनको एकदम ठीक (Absolutely Normal) समझे, परेशान नहीं हो। 

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना      

समय बड़ा बलवान। परंतु अच्छी बात है कि वह बदलता रहता है।

 rpmwu371 dt. 23.07.2020

हम सभी ने सुना है कि समय बड़ा बलवान होता है। इस बात को बहुत ही साधारण तरीके से हम सब आसानी से व्यवहारिक रूप में समझ सकते है। सभी लोगों ने अपने स्पेयर समय में दोस्तों व परिवारजनों के साथ ताश खेली होंगी। ताश खेलने के सबसे साधारण गेम में 4 रंग (शेड्ज़) के पत्ते होते है उनमें से किसी एक रंग में तिरुप (काट या ट्रंप) बोला जाता है। खेल के दौरान ट्रंप का छोटे से छोटा पत्ता भी दूसरे रंग के बड़े से बड़े पत्तों पर नियमों के अनुसार भारी पड़ जाता है। ऐसी घटनाएं, जीवन की गतिविधियों में हर व्यक्ति के साथ में घटित होती है। जब समय सही नहीं होता है तो बड़े से बड़े व्यक्ति व उसकी समस्त जानकारियों पर दूसरे छोटी सी हैसियत  रखने वाले लोग भी भारी पड़ जाते है और उनकी अच्छी से अच्छी जानकारियां या संपर्क काम नहीं आ पाते है। परंतु अच्छी बात यह है कि जब हम लगातार जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण से आगे बढ़ते रहते हैै तो समय या परिस्थितियाँ, ट्रंप के पत्ते की तरह बदलते रहते है और समय या परिस्थितियाँ आपके अनुकूल हो जाते है एवं आपके काम आसानी से सम्पन्न हो जाते है। व्यक्ति को जीवन में इस बात को मन में सोचते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए एवं बिना ज्यादा दुखी हुए खराब समय को तसल्ली से निकाले व इंतजार करें कि आने वाला समय अच्छा होगा और हम अवश्य सफल होंगे।

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 
 

Wednesday 22 July 2020

जीवन में शरीर मनुष्य का सबसे अहम् पार्टनर है : उसको महत्व दें।


rpmwu370 dt. 22.07.2020

जीवन में मनुष्य का शरीर उसका सबसे बड़ा पार्टनर है। परंतु जैसे सूर्य का प्रकाश, हवा, पानी, जमीन व आकाश हम सभी को बिना शुल्क उपलब्ध हो जाते हैं वैसे ही हम बॉडी को भी समझते हैं और और उसकी उतनी केयर नहीं करते जितनी आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति को उसके शरीर का ध्यान रखना चाहिए। कहा गया है कि पहला_सुख_निरोगी_काया और काया के निरोगी होने के लिए हमें उसका ध्यान रखना होगा। मनुष्य की बॉडी_डस्टबिन_नहीं है कि उसमें किसी भी तरह के कचरे को डाल दिया जाए। आप जो भी खाते हैं या पीते हैं उसका ध्यान रखें और विचार करें कि वे चीजें आपकी बॉडी के लिए सेहतमंद है या नहीं। अच्छे खाने के साथ योग, वाॅकिंग, कसरत भी अच्छी सेहत के लिए जरूरी है। इसी प्रकार व्यक्ति को अपने विचारों को भी अच्छा बनाना चाहिए। अच्छी किताबें, अच्छी संगत व अच्छे माहौल में रहकर अच्छे विचार विकसित करें। सादर Raghuveer Prasad Meena

Tuesday 21 July 2020

पाँचना डैम की नहरों में पानी खुलवाने हेतु चलाए जा रहे अभियान में जनजागृति के मुद्दे।

rpmwu369 dt. 21.07.2020

हर पाँचना चौपाल व मीटिंग शपथ के पश्चात निम्न नारों के साथ सम्पन्न करें -

1. कब होगा किसान का उद्धार,
जब खुले पाँचना का द्वार।
2. कब मिलेगा युवा को रोजगार,
जब खुले पाँचना का द्वार।
3. कब रूकेगा पलायन,
जब खुले पाँचना का द्वार।
4. कब होंगे डेरी उधोग,
जब खुले पाँचना का द्वार।
5. कब लगेगी नशे पर रोक,
जब खुले पाँचना का द्वार।
6. कब हो़गे कर्जे से मुक्त,
जब खुले पाँचना का द्वार।
7. कब होंगे शिक्षा में आगे,
जब खुले पाँचना का द्वार।
8. कब होंगे बच्चे पहवान,
जब खुले पाँचना का द्वार।
9. कब बढ़ेगा भूजल स्तर,
जब खुले पाँचना का द्वार।
10. कब मिलेगी फ्लोराइड से मुक्ति,
जब खुले पाँचना का द्वार।
11. कब होंगे शादी और ब्याह,
जब खुले पाँचना का द्वार।
12. कितने दिन से बंद है पानी,
14 वर्षों से, नहर है प्यासी।
13. अब तक कितना लाॅस हो चुका,
डूब गये 1400 करोड़।
14. कितने गांवों की है बात,
47 के बिगड़े हाल।
15. कितने लोग है परेशान,
सवा लाख से ज्यादा मान।
16. कितनी भूमि प्यासी है,
40 हजार उदासी है।
17. फिर भी पानी, नहीं खुल पाया,
संघठित नहीं हुए, हम लोग।
18. हम अपना अधिकार मांगते,
नहीं किसी से भीख मांगते।
19. 14 वर्षों से चल रहा है अत्याचार,
अब की बार खुलवायेंगे द्वार।
20. अब हमने यह ठाना है,
सबने मिलकर ठाना है,
नहरों में पानी लाना है।
21. पांचना का पानी लाएंगे,
खेतो की हरियाली लौटायेंगे।
22. संगठन में शक्ति है,
पानी लाना हमारी भक्ति है।
23. ना भटकेंगे, ना भडकेंगे,
बिना थके, बिना रूके ,
आगे बढ़ते जाना है।
24. 14 वर्षों की दादागीरी को,
गाँधीगीरी से मिटाना है,
सोते जिम्मेदारों को जगाना है।
25. जय हिन्द की सौगन्ध खानी है,
नहरों में लाना पानी है।

यदि किसी पाँचना मित्र के मन में कोई बेहतर नारे हो या इन्हें और बेहतर किया जा सके तो अवश्य सुझाव दे।

Sunday 19 July 2020

प्रोत्साहन व भरोसा

rpmwu368 dt.22.07.2020

प्रोत्साहन व भरोसा बहुत महत्वपूर्ण होते है। कई लोग दूसरों को अनजाने में हतोत्साहित करते है, जबकि ऐसा करने को अवोइड़ करना चाहिए। वीडिओ हेतु नीचे लिंक क्लिक करें। 

https://youtu.be/-kp0vFYrzdQ

रेल व रोड व्हीकलस्


rpmwu367 dt.21.07.2020

#रेल_व_रोड व्हीकलस् में ट्रेक्टिव इफर्टस् में लगने वाली ऊर्जा की मात्रा को समझने का रोचक वीडियो। एक घोड़ा रोड पर इतने व्यक्तियों को नहीं खींच सकता है जबकि रेल पर कम ऊर्जा की जरूरत रहती है।

एक और बात समझी जा सकती है कि व्हीकल को शुरू करते वक्त ज्यादा ट्रेक्टिव इफर्ट की जरूरत होती है। इसलिए शुरू में घोड़ावान स्वयं धक्का लगाता है।

रोड ट्रांसपोर्ट की तुलना में रेल ट्रांसपोर्ट 6 गुना फ्यूल इफिसियेंट होता है। अर्थात्  एक 10 टन क्षमता का ट्रक जितना डीजल खपत करता है उतने डीजल में रेलवे के इंजन से 60 टन का ट्रांसपोर्टेशन होता है। अतः सरकार को चाहिए कि रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ साथ रेलवे के विकास पर भी ज्यादा धन इन्वेस्ट करें। वीडिओ हेतु नीचे लिंक क्लिक करें। 


सादर
Raghuveer Prasad Meena

पैट्रोमेक्स को सिर पर ढ़ोने वाले दूसरों को तो उजाला करते है परन्तु स्वयं अंधेरे में ही रहते है।


rpmwu366 dt. 19.07.2020

शादियों में आप सभी ने यह देखा होगा कि जो लोग पेट्रोमैक्स (गैस) को सिर पर रखकर ढ़ोते हैं वे दूसरों के लिए तो अच्छा उजाला कर देते हैं परंतु स्वयं अंधेरे में ही रहते हैं। यह बात आम वोटर के लिए भी है कि वे  नेताओं के लिए तो उजाला कर देते हैं परंतु स्वयं अधिकांशतः अंधेरे में ही रहते हैं। 

वोटरस् को इस बात को समझने की जरूरत है कि वे सिर पर पेट्रोमैक्स ढोकर केवल दूसरों को ही तो उजाला नहीं कर रहे हैं? क्या उनके द्वारा दिए जाने वाले सपोर्ट से उनके स्वयं का जीवन भी बेहतर हो रहा है अथवा नहीं? क्या नेता आमआदमी के हितों के काम भी करते है या नहीं? 

इसी कड़ी में पाँचना डैम से 1990-91 से 2005-06 के बीच 13 वर्षों तक सिंचाई करने वाली नहरों में 14 वर्षों से पानी नहीं आने से 47 गांवों की 40000 बीघा भूमि के असिंचित रहने से क्षेत्र के किसानों को लगभग ₹1400 करोड़ नुकसान हो चुका है। राजनेताओं ने 14 वर्षों से बंद पाँचना डैम की नहरों में पानी खुलवाने के लिए कोई खास पहल नहीं की। कमांड एरिया के वोटरस् भी 14 वर्षों से राजनेताओं की जिंदगी में तो उजाला कर रहे है लेकिन स्वयं पानी की किल्लत रूपी अंधकार में जी रहे है। विचार करें कि स्वयं के हितों की अनदेखी कर कमांड एरिया के वोटरस् सिर पर पैट्रोमेक्स रखकर नेताओं को कब तक उजाला करते रहेंगे? 

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 

विकास के काम करें या कुर्सी सम्भाले : ऐसा वातावरण देश व नागरिकों के लिए सही नहीं है।


rpmwu365 dt.19.07.2020

आजकल राज्य सरकारों की अस्थिरता की स्थिति बहुत अधिक हो गई है। सरकार बनने के बाद उन्हें पलट दिया जाता है या पलटने की कोशिशें जारी रहती है। ऐसे माहौल में सरकार के मुख्यमंत्री व मंत्री स्वयं की कुर्सी को संभालने में ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं और वे विकास व जन कल्याण के कार्य नहीं कर पाते है। 

जब सिस्टम है कि डेमोक्रेसी में बहुमत लाने वाली पार्टी 5 वर्ष तक सरकार में रहेगी तो ऐसे सिस्टम का सम्मान होना चाहिए और बेवजह सरकार को पलटने के लिए प्रयास करने एक तरह से डेमोक्रेसी का मजाक बन रहा है। वोटर किसी नेताओं को जब चुनाव में वोट देता है तो वह पार्टी व व्यक्ति विशेष के ऊपर ध्यान देकर ही उसे वोट देता है। चुनी हुई सरकार को पटलना वोटर की भावना के विपरीत है। अतः ऐसा करना किसी तरह से भी न्याय संगत नहीं है।  

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना

रोजमर्रा की जीवनशैली में ए᠎̮म्‌पथ़ि (Empathy, हमदर्दी/सहानुभूति/दूसरों की स्थिति को समझना) से स्वयं व दूसरों के जीवन को आसानी से सुलभ व सुगम बनाया जा सकता है।


rpmwu364 dt 19..07.2020

वीडियो को देखने से यह बात पता चलती है कि रोजमर्रा की जीवनशैली में दूसरों के प्रति ए᠎̮म्‌पथ़ि (Empathy, हमदर्दी/सहानुभूति/दूसरों की स्थिति को समझना) से स्वयं का जीवन दीर्धायु होता है। दूसरों के प्रति सहानुभूति से व्यक्ति अपने जीवन को बहुत आसानी से अच्छा व संतुष्ट बना सकता है।

जीवन में रोजमर्रा की चीजों में इंटरेक्शन में होने वाले हर व्यक्ति से उसके हाल-चाल पूछ लिए जाए और उसकी यथासंभव मदद कर दी जाए तो उसको तो अच्छा लगेगा ही साथ में आपको भी बहुत सुकून मिलेगा और संतुष्टि होगी। यह करना बहुत ही आसान है और इसे बिल्कुल किया जा सकता है। आवश्यकता है कि हम जिसके भी साथ इंटरेक्ट करें चाहे वह हमारा जानने वाला हो अथवा अंजाना, उसके साथ अच्छे से व्यवहार करें, उसके प्रति ए᠎̮म्‌पथ़ि दिखाएं तो जरूर ही आपका स्वयं एवं दूसरों का जीवन आसानी से बेहतर हो जाएगा। 

सादर।
रघुवीर प्रसाद मीना 



देश/राज्य/समाज/समुदाय के पिछड़ेपन के पीछे उनके नागरिकों का एटिट्यूड बहुत हद तक जिम्मेदार होता है।



rpmwu363 dt. 19.07.2020

दोनों वीडियोज् को ध्यान पूर्वक देखें तो पता चलेगा कि हमारे देश के लोगों और जापान के लोगों के काम करने के तरीके में कितना अंतर है। हमारे देश का एक आदमी बैगेज को अन लोड करते समय बेहुदे तरीके से उन्हें फेंक रहा है जिससे वे डैमेज हो सकते है, दूसरे लोग उसे ऐसा करने से रोक भी नहीं रहे है। साथ में इसी काम को जब जापान के लोग कर रहे हैं तो वे कितने सलीके से सभी इन्वोल्व होकर काम कर रहे हैं। यह केवल एक उदाहरण मात्र है। 

यदि गहराई से सोचा जाए तो हमारे देश में यह एक खास समस्या है कि व्यक्ति लापरवाही पूर्ण कार्य करता है और दूसरे लोग उसे देखते रहते हैं कोई टोकता तक नहीं। आवश्यकता है कि यदि देश,राज्य, समाज या समुदाय को आगे बढ़ाना है तो गलत कार्य नहीं किया जाए। कार्य को सही ढंग से किया जाए और जो व्यक्ति गलत कर रहा है उसे टोंका जाए। नागरिकों के एटीट्यूड का देश,राज्य, समाज या समुदाय की उन्नति में बहुत रोले है। 

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 

Wednesday 15 July 2020

विश्व युवा कौशल दिवस


rpmwu362 dated 15.07.2020


विकसित और विकासशील देशों के लिए युवा बेरोजगारी आज की दुनिया में अर्थव्यवस्था और समाज के सामने सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक है। विश्व स्तर पर, पांच में से एक (20 %) युवा एनईईटी (NEET - Not in Employment, Education or Training) अर्थात नॉट इन एम्प्लॉयमेंट (रोजगार), एजुकेशन (शिक्षा) या ट्रेनिंग (प्रशिक्षण) है।  युवा NEET में से चार में से तीन महिलाएं हैं। 1997 और 2017 के बीच जहां युवाओं की आबादी 139 मिलियन बढ़ी, वहीं युवा श्रम शक्ति 58.7 मिलियन कम हो गई। 2016 में NEET के रूप में 259 मिलियन युवाओं को वर्गीकृत किया गया था, यह संख्या 2019 में अनुमानित 267 मिलियन थी और 2021 में लगभग 273 मिलियन तक बढ़ने का अनुमान है।


2014 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा डिज़ाइन किया गया, विश्व युवा कौशल दिवस युवाओं, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (TVET - Technical and Vocational Education and Training) संस्थानों और सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के हितधारकों के लिए एक अवसर है कि वे युवाओं को रोज़गार, सभ्य काम और उद्यमिता हेतु कौशल (Skill) प्रदान करने के महत्व को पहचाने और सेलिब्रेट करें।


हमारे देश की जो सबसे बड़ी समस्याएं है उसमें से लोगों में स्किल की कमी एक प्रमुख समस्या है। कार्य करने के प्रत्येक क्षेत्र में अच्छी स्किल वाले लोगों की भारी कमी होने के कारण भारत में बनने वाले उत्पादों की गुणवत्ता उतनी बेहतर नहीं होती जितनी की विदेशों के उत्पादों की होती है।

देश में स्किल की कमी व्यक्तिगत न होकर एक सामुहिक व सामाजिक समस्या है। क्योंकि चिरकाल से देश में जो लोग हाथ से कार्य करते थे उनको समाज में नीचा दर्जा मिला और जो लोग हाथ से कार्य नहीं करते थे, केवल बातें करते थे, पूजा करते थे, लड़ाई कर सकते थे, मैनेज करते थे और फाइनेंस अरेंज करते थे उन्हें समाजिक तौर पर ऊपर रखा गया और उन्हें ज्यादा महत्व दिया गया। जिसके कारण कालांतर में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गई जो हाथ से काम नहीं करके, बातें या भाषण देने में माहिर थे या चीजों को मैनेज करते थे। आज भी यदि देखें तो देश में लगभग 80% धन सम्पदा उन लोगों के पास है जो स्वयं कार्य नहीं करते हैं उनमें कोई स्किल नहीं है।


देश को यदि उन्नति की ओर ले जाना है तो हम में से प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि जातिवाद को समाप्त करें और किसी को भी जाति के आधार पर छोटा बड़ा नहीं समझा जाए। हमारे देश में वास्तव में यह समस्या रही है कि जिन जातियों के लोग कार्य करते हैं उन्हें छोटा समझा जाता रहा है, जिसके कारण देश में काम व काम करने वालों के महत्व को नहीं समझा गया। काम करने वाले लोगों को अच्छे भाव से नहीं देखने के कारण आज देश में अच्छी स्किल के लोग कम हो गए हैं और हमारे प्रधानमंत्री महोदय को भी स्किल इंडिया प्रोग्राम चलाने की आवश्यकता लगी।

सोचने और विचार करने वाले कितने भी अच्छे लोग हो, उनकी क्रियान्विति करने वाले यदि अच्छी गुणवत्ता के नहीं हो तो सोचा हुआ कार्य संतोषजनक रूप से सम्पादित नहीं हो सकता है। देश की उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि हम हर कार्य करने वाले व्यक्ति को महत्व दें और जो लोग कार्य नहीं करते हैं उन्हें जरूरत से ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाए।

जो लोग पढ़े-लिखे हैं एवं आर्थिक रूप से समृद्ध हैं, उन्हें चाहिए कि वे गाँवों में उधोग विकसित करेें एवं गाँवों व शहरों के बीच एक कड़ी का काम करते हुए गाँवों में बनने वाले उत्पादों को शहरों में मुहैया करायें ताकि गाँव के लोगों को वहीं पर उचित दर पर रोजगार मिल सके।

नेताओं व उच्च सरकारी अधिकारियों को चाहिए कि वे अपने व्यक्तिगत सम्बंधों तक का उपयोग करते हुए गाँव के विकास हेतु आधारभूत सुविधायें उपलब्ध करवाने में यथासम्भव योगदान दें। सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी भी गाँव में लोगों को सही सलाह दें एवं जितना सम्भव हो सके लोगों को व्यक्तिगत एवं सामूहिक परेशानियों से निजात दिलाने में मदद करें।


देश की अपेक्षित उन्नति नहीं होने का एक मुख्य कारण देश के उत्पादों व सेवाओं की गुणवत्ता में कमी है। यदि हम वास्तव में देश की त्वरित तरक्की चाहते हैं तो हमें हमारे उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना होगा और वह तभी संभव है जब काम करने वाले लोगों की स्किल उच्च स्तर की हो।

हमें अच्छी स्किल वाले लोगों का सम्मान करना होगा, उन्हें महत्व देना होगा, लोगों के मन में उनके प्रति आदर जागृत करना होगा। जैसे हम खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलों के विभिन्न प्रकार के कंपटीशन कराते हैं उसी प्रकार यदि स्किल से संबंधित कंपटीशन करवाएं जाएं तो स्किल डेवलपमेंट में मील का पत्थर साबित हो सकते है और देश में बनने वाले उत्पादों की गुणवत्ता में उत्तरोत्तर सुधार होगा। देश के जल्दी विकसित होने व लोगों को रोजगार मिलने में यह ठोस कदम साबित हो सकता है।

समाज व सरकार दोनों को अपने अपने स्तर पर स्किल से सम्बन्धित कंपटीशन करवा कर, अच्छी स्किल वाले लोगों को गौरवान्वित करना चाहिए ताकि और लोग भी उनसे प्रभावित होकर उनके अनुयायी बन सके और अच्छी स्किल होने में गर्व महसूस कर सके। 

रघुवीर प्रसाद मीना




Friday 10 July 2020

हिन्दी में मीना के साथ मीणा व अंग्रेजी में Mina के साथ Meena संविधान के अनुच्छेद 342 (1) के तहत जारी सूची में जुड़ सकते है परन्तु राजनीतिक इच्छाशक्ति व एकजुटता चाहिए...अन्यथा बिना छेड़छाड़ किये वर्तमान प्रावधानों के अंतर्गत समझदारी से उन्नति की राह पर चलते रहे...


rpmwu361 dt.10.07.2020

 राजस्थान राज्य में हिंदी में "मीना" (अंग्रेजी में "Mina") अनुसूचित जनजाति की सूची में क्रम संख्या 9 पर अंकित है और ये ही शब्द राज्य की जनगणना में उपयोग में लिए गये है। पंचायत से लेकर विघानसभा व लोकसभा की सीटों व सरकारी नौकरियों में इन्हीं शब्दों से आरक्षण का प्रावधान है। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार हिंदी में "मीणा" व अंग्रेजी में "Meena" शब्दों वाली कोई भी जाति या समुदाय राजस्थान में निवास नहीं करती है, राजस्थान राज्य में उनकी जनसंख्या शून्य है। 
                     
नाम के साथ उल्लेखित मीना/मीणा (Mina/Meena) शब्दों के विषय में अनेकों बार कम समझदार व अप्रशिक्षित सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा संशय किया जाता है की "मीना" तो अनुसूचित जनजाति है परंतु "मीणा" अनुसूचित जनजाति नहीं है। उनको यह समझ नहीं है कि समुदाय का सरनेम से कोई लेना-देना नहीं है। दोनों अलग अलग चीजें है। स्वतंत्र भारत में कोई व्यक्ति अपना सरनेम कुछ भी लगा सकने के लिए स्वतंत्र है। जाति प्रमाणपत्र कोई भी व्यक्ति स्वयं नहीं बनाता है, सरकारी अधिकारी ही जारी करते है। यदि प्रमाणपत्र में गलती है तो सरकारी अधिकारियों की गलती है ना कि प्रमाणपत्र धारक की। 

हम सभी को स्पष्ट होना चाहिए कि वास्तव में हिंदी में "मीणा" व अंग्रेजी में "Meena" शब्द अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल है। परंतु बोलचाल की भाषा में राजस्थान में "न" को "ण" बोलने के कारण मीना को मीणा उच्चारित किया जाता है और यह सभी जगह प्रचलित है। कई लोगों का सरकारी रिकॉर्ड में सरनेम 'मीना' होता है लेकिन जब आदेश जारी होता है तो उन्हें 'मीणा' लिख दिया जाता है। यह सामान्य सी बात है। परंतु जहां तक जाति प्रमाणपत्रों में स्पेलिंग अंकित करने की बात है तो वहां हिन्दी में "मीना" व अंग्रेजी में "Mina" ही लिखा जाना होगा। 

रही बात सरनेम की, तो सरनेम में व्यक्ति कुछ भी लगा सकता है। वह अपने गोत्र का नाम, गांव का नाम, देश भक्ति को इंगित करने वाले शब्द, कुमार, प्रसाद, सिंह पिता का नाम या कुछ भी नहीं लिखने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र है। अतः सरनेम के आधार पर व्यक्ति की जाति अथवा समुदाय निर्धारित नहीं किये जा सकते है। जाति समुदाय निर्धारित करने की एक प्रक्रिया है और उस प्रक्रिया के अंतर्गत ही प्रमाण पत्र जारी किए जाते है। परंतु अधिकारियों के ज्ञान की कमी के कारण वे कभी कभार प्रमाणपत्रों में बोलचाल की भाषा के शब्द लिख देते है। अतः प्रमाणपत्रों में समुदाय के काॅलम में सही स्पेलिंग है या नहीं इसकी अवश्य जाँच कर लेनी चाहिए। 

नये प्रमाणपत्रों में ऐसी गलती को समाप्त करने के लिए अभी तो शायद समाधान हो चुका है। ई_मित्र के माध्यम से बनने वाले जाति प्रमाणपत्रों में गलत स्पेलिंग आने का सवाल ही नहीं है क्योंकि कंप्यूटर में जो फीड किया हुआ है वह "मीना" "Mina" ही किया हुआ होगा। फिर भी मीना मीणा के भ्रम से कई लोग युवाओं को जानबूझकर परेशान करते रहते है। उनकी परेशानियों के दीर्घकालिक समाधान के लिए संविधान की सूची में मीना के साथ हिंदी में मीणा अंग्रेजी में Mina के साथ Meena शब्द जोड़े जा सकते है। संलग्न दस्तावेज में आप देख सकते है कि वर्ष 2001 से 2011 के बीच 194 प्रकरणों में समुदायों के नाम के साथ समानार्थी शब्द व सब ग्रुप इत्यादि जोड़े गये है। यह डैटा मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स की वेबसाइट पर उपलब्ध है, इसका अवलोकन कर सकते है - 

परंतु संविधान की सूची में परिवर्तन करवाने के लिए राजनीतिक समझ, इच्छाशक्ति व एकजुटता की आवश्यकता है। यदि हमारे समाज के नेता मन में ठान ले तो यह बिल्कुल सम्भव हो सकता है। परंतु नेताओं में आपसी तालमेल की कमी है और उनकी इगो आगे आ जाती है। पाँचना डैम से नहरों में पानी खुलवाने के जनहितैषी अभियान तक में मदद की अपेक्षा एक वर्तमान नेता संस्था के रजिस्ट्रेशन तक में बाघा कर रहा हैं तो संविधान सूची से जुड़े इस बड़े कार्य में उनसे समझदारी व सकारात्मक भूमिका निभाने की आशा करना कुछ ज्यादा ही है। फिर भी यदि राजनीतिक नेता लीड ले तो हम सभी को उनका साथ देना चाहिए। 

जब तक ऐसा नहीं हो पाता है तब तक वर्तमान प्रावधानों के अंतर्गत उन्नति हेतु विस्तृत जानकारी के साथ मैंने एक ब्लॉग लिखा है, कृपया उसका निम्न लिंक पर अवलोकन करें और उसके अनुसार समझदारी दिखाते हुए जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करें।

http://rpmeenapdz.blogspot.com/2016/09/blog-post_8.html?m=1

 
स्वयं समझे और दूसरे भाईयों-बहनों को समझाने में मदद करें। 

धन्यवाद
सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 
मो. 8209258619 




Tuesday 30 June 2020

30 जून : हूल दिवस

rpmwu359 dt. 30.06.2020

30_जून : हूल_क्रान्ति_दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जून को मनाया जाता है। भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन् 1857 में मानी जाती है, किन्तु इसके पहले ही वर्तमान झारखंड राज्य के संथाल परगना में '#संथाल_हूल' और 'संथाल विद्रोह' के द्वारा अंग्रेज़ों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। सिद्धू तथा कान्हू दो भाइयों के नेतृत्व में 30 जून, 1855 ई. को वर्तमान साहेबगंज ज़िले के भगनाडीह गांव से प्रारंभ हुए इस विद्रोह के मौके पर सिद्धू ने घोषणा की थी-

#करो_या_मरो, #अंग्रेज़ों_हमारी_माटी_छोड़ो


इसके अलावा देश के आदिवासियों ने स्वतंत्रता संग्राम और देश की उन्नति में अहम् भूमिका निभाई है। परंतु ना तो आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और ना ही आदिवासी राजनेताओं और ना ही आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ताओं को देश में वह सम्मान मिला है जिसके वे वास्तव में हकदार है।

आवश्यकता है सभी समझदार लोगों को इस बात पर विचार करके क्रियान्विति करनी चाहिए कि आदिवासियों के द्वारा देश के लिए किए गए बलिदान व योगदान को उपयुक्त महत्व दिया जाए। आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों, राजनेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के बारे में सरकार स्कूलों के नियमित पाठ्यक्रम में पढ़ाएं एवं सरकारी भवनों, स्थलों, सड़कों, रेलगाड़ियों इत्यादि का नाम आदिवासी समुदाय की महान विभूतियों के नाम रखें जाएं।

ऐसा करने से आदिवासी युवा, उनके स्वतंत्र सेनानियों, राजनेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं पर गर्व करेंगे और वे उनसे प्रेरणा लेकर देश की उन्नति में और अधिक योगदान देने के लिए तत्पर रहेंगे।

सादर
Raghuveer Prasad Meena

Monday 29 June 2020

पाँचना डैम कमांड एरिया विकास परिषद की ओर से पाँचना डैम की नहरों में पानी खुलवाने के लिए चलाये जा रहे अभियान का उद्घोष।

           rpmwu358 dt. 29.06.2020
             ‼️पांचना अभियान उद्घोष‼️

हो चुकी है देर, अब और परीक्षा नहीं लेनी चाहिए ...

हो चुकी है देर, अब और परीक्षा नहीं लेनी चाहिए... 
पाँचना डैम की नहरों में पानी खुलना ही चाहिए ...

13 वर्षो से 47 गाँवों की, 40000 बीघा भूमि असिंचित रहने से 1300 करोड़ का हो चुका नुकसान,
कर्ज के बोझ से दब गया सवा लाख परिजन और किसान....

बच्चों को पढ़ाने का माँ बाप नहीं उठा पा रहे खर्चा, सपने चूर हो रहे है,
और माँ की आँखों में आँसू देखकर भी जिम्मेदार सो रहे है.... 

आज जिनके मन में चोर है, उनका छुपकर विरोध करना दिखने लगा,
पर बात है कि ऐसे जाहिलों का सबको पता चलने लगा... 

हर सड़क पर, हर गली में, हर डगर में, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए यह बात चलनी चाहिए ...
पाँचना डैम की नहरों में पानी खुलना ही चाहिए.... 

सिर्फ हंगामा खड़ा करना पाँचना मित्रों का मकसद नहीं,
संकल्पित कोशिश है कि पाँचना डैम की नहरों में पानी आना ही चाहिए ...

मेरे सीने में और तेरे सीने में भी, आग जलनी चाहिए ...
पाँचना डैम की नहरों में पानी खुलना ही चाहिए... 

सादर
Raghuveer Prasad Meena

Friday 19 June 2020

संवेदनशीलता का पाठ - यदि व्यक्ति में घमंड नहीं है तो वह किसी से भी शिक्षा ग्रहण कर सकता है। जीवन में संवेदनशील बने एवं दूसरों की भावना को समझकर मुद्दों को समाधान के दृष्टिकोण से देखना चाहिए।

rpmwu357 dt. 19.06.2020

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त स्व. श्री एन शेषन बहुत ही प्रभावशाली एवं कर्तव्यनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी थे। एक बार वे उत्तर प्रदेश की यात्रा पर गए। उनके साथ उनकी पत्नी भी थी। रास्ते में एक बाग के पास वे लोग रुके। बाग के पेड़ पर बया पक्षियों के घोसले थे। उनकी पत्नी ने कहा दो घोसले मंगवा दीजिए, मैं इन्हें घर की सज्जा के लिए ले चलूंगी। उन्होंने साथ चल रहे पुलिस वालों से घोसला लाने के लिए कहा।

पुलिस वाले ने वहीं पास में गाय चरा रहे एक बालक से पेड़ पर चढ़कर घोसला लाने के बदले दस रुपये देने की बात कही, लेकिन वह लड़का घोसला तोड़ कर लाने के लिए तैयार नहीं हुआ। टी एन शेषन जी ने उसे दस की जगह पचास रुपए देने की बात कही, फिर भी वह लड़का तैयार नहीं हुआ। उसने शेषन साहब से कहा कि साहब जी! घोसले में चिड़िया के बच्चे हैं शाम को जब वह भोजन लेकर आएगी तब अपने बच्चों को न देख कर बहुत दुखी होगी, इसलिए आप चाहे जितना पैसा दें मैं घोसला नहीं तोड़ूंगा।

इस घटना के बाद टी.एन. शेषन को आजीवन यह ग्लानि रही कि जो एक चरवाहा बालक सोच सका और उसके अन्दर जैसी संवेदनशीलता थी, इतने पढ़े-लिखे और आईएएस होने के बाद भी वे वह बात क्यों नहीं सोच सके? उनके अन्दर वह संवेदना क्यों नहीं उत्पन्न हुई? शिक्षित कौन हुआ ? मैं या वो बालक ?

उन्होंने कहा उस छोटे बालक के सामने मेरा पद और मेरा आईएएस होना गायब हो गया। मैं उसके सामने एक सरसों के बीज के समान हो गया। शिक्षा, पद और सामाजिक स्थिति मानवता के मापदण्ड नहीं हैं।

प्रकृति को जानना ही ज्ञान है। बहुत सी सूचनाओं के संग्रह को ज्ञान नहीं कहा जा सकता है। जीवन तभी आनंददायक होता है जब आपकी शिक्षा से ज्ञान, संवेदना और बुद्धिमत्ता प्रकट हो।

इसी क्रम में हम सभी को दूसरों की परेशानियां, या उन्हें दुखी या कुपित करने वाले मुद्दों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। चीजों को दूसरे व्यक्ति के लिए समाधान के दृष्टिकोण से देखें। सोचें कि यदि कोई कार्य आपने बिना विलंब किये जल्दी से कर दिया तो उसे कितना आत्म संतोष होगा और वह जीवन में कितना प्रसन्न होगा।  सभी को चाहिए कि अपनी अपनी ड्यूटी के कार्य बिना विलंब किए हुए तत्परता से संवेदनशीलता के साथ किए जाएं।

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 

Tuesday 16 June 2020

अनावश्यक प्रतिक्रिया करने से बचना सीखें। Learn not to react disproportionately.

rpmwu356 dated 16.06.2020
लोगों के भड़काने व भटकाने से अपने लक्ष्य प्राप्त करने के अभियान से ध्यान नहीं हटाएं। दूसरों के उकसावे पर रिएक्शन देते समय ध्यान रहे कि हम सब अनावश्यक प्रपंच में तो नहीं पड़ रहे है? लम्बा चलना है अतः #हाई_बीम को ऑन रखकर काम करें, छोटी मोटी चीजों को नजरअंदाज करें। निम्नलिखित कहानी से आसानी से बात समझी जा सकती है - 

एक गधा पेड़ से बंधा था। एक बदमाश आया और उसे खोल गया। गधा स्वतंत्र होकर खेतों की ओर भाग निकला और खड़ी फसल को नुकसान करने लगा। किसान की पत्नी ने यह देखा तो गुस्से में जोर से मारने पर गधे की टांग टूट गई। 

गधे की टूटी टांग देखकर गधे के मालिक को बहुत गुस्सा आया और उसने किसान की पत्नी को गाली-गलौज की व पीट डाला । 

पत्नी की पिटाई की बात सुनकर किसान को इतना गुस्से में आ गया कि उसने गधे के मालिक को पीटा और उसका सिर फोड़ दिया।

गधे के मालिक की पत्नी ने जब पति की भयंकर पिटाई की खबर सुनी तो गुस्से में उसके बेटों से कहा कि किसान का घर जला दो।

बेटे शाम को गए और मां के आदेश को पूरा कर आए। उन्होंने मान लिया कि किसान भी घर के साथ जल गया होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसान वापस आया और उसने गधे के मालिक की पत्नी और बेटों, तीनों की जमकर पिटाई कर दी।

इसके बाद उसे पछतावा हुआ और उसने स्वयं से पूछा कि यह सब नहीं होना चाहिए था। ऐसा क्यों हुआ?

अंदर से उत्तर मिला कि, 'दूसरे ने कुछ नहीं किया। दूसरे ने तो सिर्फ गधा खोला था या फिर अपने आप खुल गया हो, लेकिन तुम सभी ने बिना सोचे समझे जरूरत से ज्यादा #रिऐक्ट व #ओवर_रिऐक्ट किया और अपने अंदर के अनकंट्रोलड् विकारों को बाहर आने दिया। इसलिए अगली बार जब भी किसी को जवाब देने, प्रतिक्रिया देने, किसी से बदला लेने से पहले एक लम्हे के लिए रुकना और नतीजे के बारे में सोचना जरूर।'

!! ध्यान रहे कि उपरोक्तानुसार कई बार दूसरे लोग जानबूझकर हमारे बीच सिर्फ उकसाने व भड़काने का एक छोट सा मुद्दा पेश करते है और बाकी विनाश हम खुद ही कर लेते हैं !!

सादर
Raghuveer Prasad Meena

Wednesday 27 May 2020

तैरना जरूर सीखें व बच्चों को सिखायें।

rpmwu355 dt. 27.05.2020

तैरना आना जीवन बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। वर्ष 1998 से 2000 के बीच जब मेरी रतलाम में पोस्टिंग थी तो उस समय हमारे एक स्टाफ के दो बच्चे एक साथ तालाब में डूब गए। उसके बाद मैंने ऐसी ही घटना एक स्टाफ के बच्चे के साथ गांधीधाम में भी देखी। आए दिन आप सभी भी अखबारों में इस प्रकार की खबर पढ़ते होंगे कि डूबने से मृत्यु हो गई। 

अभी हाल में टोडाभीम के भोपुर गांव के पास तीन युवाओं जिनकी उम्र 20-21 वर्ष की थी पानी में डूबने से अकाल मृत्यु हो गई। इस प्रकार की घटनाएं बहुत ही दुखद एवं मन को ठेस पहुंचाने वाली होती है। 

यदि  कोई तैरना जानता है तो इस प्रकार की घटनाओं के घटित होने  में काफी कमी आ सकती  है। अतः सभी को सलाह है कि आवश्यक रूप से स्वयं तैरना सीखें और बच्चों को तैरना सिखायेंतैरना आना जीवन जीने की महत्वपूर्ण स्किल है।

रघुवीर प्रसाद मीना 

Monday 25 May 2020

शिक्षा_ज्ञान का महत्त्व...

rpmwu354 dt. 25.05.2020
भारत रत्न डॉक्टर बाबा साहब #भीमराव_अंबेडकर के सबसे महत्वपूर्ण और प्रचलित स्लोगन है "#शिक्षित_बनो #संगठित_रहो #संघर्ष_करो"; #शिक्षा_शेरनी_का_दूध_है। डिक्शनरी में बहुत सारे शब्द थे परंतु बाबा साहब जैसे महान व्यक्ति ने शिक्षा को ही सबसे अधिक महत्व दिया। इसी प्रकार महात्मा #ज्योतिबा_फुले व उनकी धर्मपत्नी माता #सावित्रीबाई_फुले ने भी लोगों को शिक्षा के महत्व को समझाना, उनके जीवन का उद्देश्य बनाया।

भारत के साथ विश्व के इतिहास को देखने से पता चलता है कि #आमजन को अत्याचारी व्यवस्था व रीति-रिवाजों एवं अंधविश्वासों से ऊबारने में जिन भी महान लोगों ने मदद की है उन सब का #हथियार_शिक्षा ही रही। अगर वे शिक्षित नहीं होते तो कभी भी आमजन की मदद नहीं हो पाती और आज भी लोग अस्पृश्यता, रंगभेद, दासप्रथा, अंधविश्वास, सतीप्रथा जैसे क्रूर रीति-रिवाजों या तो राजशाही अथवा कॉलोनाइजेशन के अधीन ही प्रताड़ित होते रहते हैं।

हमारे देश के लोकप्रिय अभिनेता श्री #अमिताभ_बच्चन ने भी बड़ी जोरदार तरीके से समझाया कि व्यक्ति को रोटी कपड़ा मकान के इंतजाम के पश्चात जिस चीज पर ध्यान देना चाहिए वह है #शिक्षा अर्थात #ज्ञान अर्जित करना।

स्वयं शिक्षित बने, ज्ञान अर्जित करें। और दूसरों को शिक्षित होने में मदद करें। यदि शिक्षित होने में हम दूसरों की मदद करेंगे तो इससे बड़ी नैतिकता व धर्म का दूसरा कोई कार्य नहीं हो सकता है। अतः जहां भी शिक्षा में दूसरों की मदद करने का मौका मिले तो उस पर विशेष ध्यान देना चाहिए, खासकर यदि बालिकाओं की शिक्षा के लिए कोई संस्था जैसे #ट्राईबल_हेल्पिंग_हैंड (THHS), #सोच_बदलो_गांव_बदलो_टीम (SBGBT) व अन्य सहयोग कर रही है तो उनको अवश्य ही आर्थिक व अन्य हर प्रकार की मदद करें। #Help_others_in_education

सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
मो. 8209258619