Saturday 19 March 2022

सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों की सीधी आर्थिक सहायता, बेवजह रिसोर्सेज की बर्बादी वाले कार्यो से बेहतर है।

rpmwu446 dt. 19.03.2022
#मूलभूतप्रश्न क्या जरूरतमंद लोगों द्वारा सरकार को दी जाने वाली सीधी आर्थिक सहायता (गरीब किसानों की कर्जमाफी, आर्थिक रूप से कमजोर पढ़ने वाले बच्चों को स्कॉलरशिप, आम नागरिकों के लिए निशुल्क मेडिकल जांचे, ईलाज, दवाईयां, कम बिजली खर्च करने वालो को फ्री बिजली, राशन फ्री इत्यादि), उन कामों से अच्छी नहीं है जिनकी आवश्यकता नहीं होने के बावजूद उनमें व्यक्तिगत लाभों तथा रिश्वतखोरी के लिए रिसोर्सेज (स्टील, सीमेंट, बिजली, बिल्डिंग मैटेरियल इत्यादि) की बेवजह बर्बादी कराई जाती है ?

अनेकों ऐसे काम होते है जिनकी उतने बड़े स्केल पर आवश्यकता नहीं होती है परन्तु वे करवाये जाते है। करवाने के कारण व्यक्तिगत हित, किसी को खुश करना या काम में मिलने वाला कमिशन हो सकते है। यहां तक भी होता है कि लोग कमिशन मिलने की उम्मीद में सेफ्टी व खुबसूरती इत्यादि के नाम पर डिजाइन ही ऐसा करते है जिसमें जरूरत से ज्यादा सामान लगे। अच्छी बची हुई लाईफ की चीजों को तोड़कर बेवजह रिप्लेस कर देते है। 

अनेकों लेवल पर रिश्वतखोरी के कारण कई कामों की गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि उनकी यूजफुल लाईफ बहुत कम मिल पाती है। कई बार तो बनते बनते ही क्षतिग्रस्त हो जाते है।

जहां सोफ्टवेयर या उच्च तकनीक के उत्पाद हो उनमें लूट की कोई सीमा ही नहीं रहती है।

सरकारी बैंकों से अनेकों लाख करोड़ों के ऋण लेकर भागने या  बैंकृप्ट होने वाले लोगों की तो बात ही अलग है।

सरकार द्वारा खर्च किये जाना वाला हर रूपया या तो टैक्स या सरकारी उपक्रमों की आमदनी या लोन से लिया हुआ होता है। देश की सुरक्षा, एकता व अखण्डता को बरकरार रखना, भ्रष्टाचार को कम करना, तकनीकी को बढ़ावा देने, देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ सरकार की बैसिक जिम्मेदारी नागरिकों को योग्य व उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाना है। जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर है उनकी सीधी सहायता करना एक अच्छा कदम है।

आपके क्या विचार है?

सादर
रघुवीर प्रसाद मीना 

Tuesday 8 March 2022

International Women's Day 8th March

rpmwu445 dt. 8th March 2022

Success Mantra for a Woman

A successful woman was asked to share her secret of success. She smiled and said "I started succeeding when I started leaving small fights with small fighters. I stopped fighting those who gossiped about me..I stopped fighting for attention...I stopped fighting to meet public expectations of me...I stopped fighting for my rights with stupid people..I left such fights for those who have nothing else to fight...And I started fighting for my vision, my dreams, my ideas and my destiny. The day I gave up on small fights is the day I started becoming successful.
Some fights are not worth your time.
Choose what you fight for wisely.

Happy women’s day💐💐

Sunday 6 March 2022

We are not Vishvguru (विश्वगुरु), need to understand our reality and act accordingly to improve our position.

This writeup is received on whatsapp however felt sharing with all dear friends. 

Veteran industrialist and Ex President of the Confederation of Indian Industry Mr Naushad Forbes’s recent book is so insightful. Amongst many things  in this book,  I feel like sharing below -

 Forbes is critique of our government’s belief we are ‘VISHWAGURU’. He believes this is the wrong attitude for a country like India. “If we think we are the best why bother to learn from anyone else? … What we do not need is the rhetoric and hubris of tall claims, which keeps us from learning.”

In fact, it’s acceptance of the gap between us and the developed countries that will propel progress. Citing Japan, South Korea and Taiwan as examples, he writes: “The will to develop came out of a sense of backwardness, a sense that one had to catch up.”
So, what is the remedy or antidote Forbes offers? “We must constantly remind ourselves that we are among the world’s poorest one-third of countries, of our abysmal record in child nutrition and stunting which has got worse since 2014, of the fact that Bangladesh overtook us in per capita GDP in 2020 (and) that China is five times richer than we are.”

Perhaps India’s proud politicians might disagree but I doubt its people will. The poor know they’re poor, the uneducated know they need to learn and what frightens the ill is the fact they can’t afford treatment. This is reality for the majority, no matter how hard we avert our eyes. We’re at the ‘shishya’ (student) stage of development and there’s an awful lot still to learn.

Taxpayers करदाताओं को सम्मान मिलना चाहिए।

           rpmwu444 dt 06.03.2022
भारत सरकार के बजट अनुमान 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार कुल खर्च 39.45 हेतु 19.35 लाख करोड़
 रुपये (लगभग 50%) विभिन्न टैक्सों से प्राप्ति अनुमानित है। इसके अलावा कुल टैक्स प्राप्ति 27.58 लाख करोड़ (केंद्र सरकार के बजट का 70%) में से लगभग 8.17 लाख करोड़ रुपये राज्य सरकारों की हिस्सेदारी में चले जायेंगे। राज्य सरकारों के उनके टैक्स, रजिस्ट्रेशन चार्जज व रेवेन्यू जनरेट करने के अलग तरीके इत्यादि भी है। 

आखिरकार विभिन्न प्रकार से लिए जा रहे टैक्स का भार टैक्सपेयर्स पर ही पड़ता है। अगर इनडायरेक्ट टैक्स को देखें तो देश का हर नागरिक जरूरत की चीजें खरीदता है और उन पर एक्साइज ड्यूटी या जीएसटी या कस्टम्स इत्यादि के रूप में टैक्स भुगतान करता है। जो लोग सरकार या अच्छे निजी कंपनियों में जॉब कर रहे है या अच्छा व्यवसाय कर रहे है वे इनडायरेक्ट टैक्स के साथ-साथ इनकम टैक्स भी अदा करते है। जो नागरिक इनकम टैक्स की हायर रेंज में आते है उनकी लगभग 50% से ज्यादा आमदनी विभिन्न प्रकार के इनडायरेक्ट टैक्सेस व इनकम टैक्स के रूप में व्यय हो जाती है। 

वर्ष 2018-19 के आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में 135 करोड़ की आबादी में से केवल 1.46 करोड़ (1.08% मात्र) ने 5 लाख रुपये से ज्यादा इनकम दर्शायी और इनकम टैक्स का भुगतान किया। 

पुराने राजा महाराजाओं व बादशाहों के जमानों में टैक्स की अधिकतम सीमा चौथ यानी 25% होती थी जोकि जैसे-जैसे मानव सभ्यता विकसित होती जा रही है, सरकारों को विकास के कार्य करवाने होते है, वैसे वैसे ही इनकम टैक्स की स्लैब व इनडाइरेक्ट टैक्स की राशि बढ़ती जा रही है। 

देश के विकास के लिए टैक्स में भागीदारी करना एक अच्छी बात है। आवश्यकता है कि टैक्स की राशि को खर्च करने वाली अथॉरिटिज् को यह समझना चाहिए कि टैक्स का पैसा नागरिकों का पैसा है और वे उसे मितव्ययिता व समझदारी से खर्च करे, पैसे को बर्बाद ना होने दे।

साथ में यह भी आवश्यकता है कि जो भी नागरिक टैक्स का भुगतान कर रहे है उनका सम्मान व रिकॉग्निशन हो। ताकि अधिक से अधिक लोग टैक्स देने के बारे में सोचने लगे। टैक्स देने वाले नागरिकों के लिए सरकार को विशेष सम्मान करना चाहिए। सबसे साधारण चीज हो सकती है कि जो लोग टैक्स का भुगतान करते है उनके लिए टोल टैक्स फ्री हो जाए, 60 वर्ष की आयु के पश्चात मेडिकल फ्री, बस, रेल व एयर टिकटों में रियायत कर दी जाये। सरकारी कार्यालयों में उन्हें सम्मान मिले। ऐसा होने से टैक्स देने वाले नागरिक के मन में एक अच्छी भावना उत्पन्न होगी और वे खुशी से ज्यादा टैक्स देंगे तथा दूसरे भी प्रेरित होंगे। 

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना