Monday 24 February 2020

DAP : विदेशी आक्रांताओ से पराजय का प्रमुख कारण रहा है।

rpmwu310
23.02.2020

DAP : विदेशी आक्रांताओ से पराजय का प्रमुख कारण रहा है। 

इतिहास को समझने व विश्लेषण से पता चलता है कि हमारे देश में विदेशी आक्रांताओ की जीत लिए धार्मिक अंधविश्वास का प्रदूषण (DAP) बहुत भयंकर रूप से जिम्मेदार रहा है। इस प्रकार परोक्ष रूप से वे लोग हमारे देश की पराजय के लिए जिम्मेदार है जिन्होंने DAP को उनके स्वयं के स्वार्थ के लिए गढ़ा व फैलाया।

जब जब विदेशी आक्रांताओ ने भारत में आक्रमण किया तब हमारे देश में लड़ने वालो की संख्या सीमित ही रही क्योंकि DAP के अनुसार केवल क्षत्रियों (कुल जनसंख्या का लगभग 5 से 10%) को ही लड़ने का अधिकार था। जो बड़ी जनसंख्या थी वह लड़ने के बारे में विचार ही नहीं करती थी क्योंकि उन्हें युद्ध से कोई लेना-देना ही नहीं था, उनके लिए तो हथियारों के हाथ लगाना पाप था। वे DAP के कारण केवल तमाशबीनों की भीड़ की तरह ही बनकर रह गये थे।

देश में विदेशी मूल के मुस्लिम व अंग्रेज शासकों के राज के लिए प्रमुख रूप से DAP व उसको गढ़ने वाले लोग ही जिम्मेदार हैं। DAP ने बहुत बड़ी जनसंख्या की लड़ाई कर सकने की योग्यता को ही विकसित नहीं होने दिया। उनके मन में हीनता का बीज बो दिया गया। एकलव्य की भांति युद्ध कौशल सीख लेने, अंगूठे तक कटवा डाले गये। ऐसे में बड़ी जनसंख्या ने युद्ध से दूर रहना बेहतर समझा।

DAP ने धर्म की आड़ में बहुत बड़ी जनसंख्या को हथियारों व शिक्षा से दूर रहना सीखा दिया।

इस बात को समझने के बाद अब देश की बड़ी जनसंख्या को शिक्षा व युद्धकला से दूर नहीं रहना चाहिए। DAP के विभिन्न पहलुओं से अपने आप को दूर रखे व दूसरों को भी दूर रहने हेतु प्रेरित करे ।

रघुवीर प्रसाद मीना 

Saturday 22 February 2020

#मेरा_बाबा_देश_चलाता_है। यह कोई गर्व की बात नहीं होनी चाहिए।

rpmwu307
22.02.2020

#मेरा_बाबा_देश_चलाता_है। यह कोई गर्व की बात नहीं होनी चाहिए। 

हमारे देश में सफाई कर्मचारियों की पहले भी बहुत बुरी दुर्दशा थी और आज भी जारी है। उन्हें न्यूनतम वेतन भुगतान भी नहीं किया जाता है। और वे समाज में निम्नतम दर्जे के व्यक्ति माने जाते हैं। इस वीडियो को देखकर लगता है कि वे कितना भयावह कार्य करते है जिसे एक साधारण नागरिक के लिए करना लगभग असंभव है।

सफाई कर्मियों की इस दुर्दशा के लिए सफाई कर्मी स्वयं, समाज के दूसरे लोग व सरकार सभी उनकी हदों में जिम्मेदार है।

#स्वयं_सफाई_कर्मी : उन्हें स्वयं को इस कार्य को छोड़ देना चाहिए और दूसरे बहुत से वैकल्पिक कार्य हो सकते हैं जिनमें कौशल विकसित करके उन्हें किया जाये। ऐसा करने से सफाई कर्मियों की संख्या में कमी आएगी और जितने सफाई कर्मी रहेंगे उन्हें अच्छा खासा भुगतान मिलना शुरू हो जाएगा और धीरे-धीरे यदि सभी लोग इस कार्य को छोड़ देंगे तो समाज में सफाई के मंहगी हो जाने के कारण अनुशासन आ जायेगा और लोग गंदगी फैलाना कम कर देंगे। और फिर किसी जाति विशेष के लोग इस कार्य के लिए नहीं रह जाएंगे, सफाई का कार्य सभी को करना पड़ेगा अथवा कार्य मशीनों द्वारा किया जाएगा।

#समाज : गंदगी फैलाने वक्त हर व्यक्ति को यह सोचने की आवश्यकता है कि इस गंदगी को साफ करने वाला व्यक्ति कोई मेरी तरह ही इंसान है। जब हम फल खाते हैं, खाना खाते हैं या कुछ और कार्य करते हैं तो जो उत्पन्न गंदगी है उसको हम स्वयं ही हाथ नहीं लगाना चाहते हैं। ऐसे में यह सोचने की जरूरत है उस गंदगी को दूसरा व्यक्ति हाथ लगाते समय क्या सोचता होगा? इसके बारे में यदि गंदगी फैलाते वक्त विचार कर लिया जाए तो वास्तव में हर व्यक्ति गंदगी सीमित रूप से ही फैलायेगा। सभी को चाहिए कि विभिन्न प्रकार की गंदगी को डिस्पोज करते वक्त उन्हें सलीके से अलग अलग करें।

#सरकार : को चाहिए कि इंजीनियरस् के माध्यम से नालियों का डिजाइन इस प्रकार का करवाएं कि उनकी सफाई मशीनों द्वारा आसानी से की जा सके। किसी भी ड्रेन में व्यक्ति को उतरने की आवश्यकता ही नहीं होनी चाहिए। जिन उत्पादों से नालियां जाम होती है उनके उत्पादन व बिक्री पर रोक लगा दी जानी चाहिए। माॅडर्न मशीनों व तकनीक का प्रयोग किया जाये।

हम सभी को हर व्यक्ति की डिग्निटी का आदर करना चाहिए।

रघुवीर प्रसाद मीना

#Cigarrete & #DAP

rpmwu305
21.02.2020

#Cigarrete & #DAP

सिगरेट व धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (DAP) में समानता है कि नुकसान करने का पता होने के बावजूद भी लोग दोनों का प्रयोग करते हैं। सिगरेट के पैकेट पर बड़ा बड़ा लिखा होने के बावजूद भी लोग सिगरेट पीते हैं। इसिप्रकार DAP की विभिन्न गतिविधियों में जहां एक ओर DAP में लिप्त लोगों को अर्थिक व समय का नुकसान होता है वहीं पूजा अर्चना यज्ञ इत्यादि करके बेवकूफ बनाने वाले लोगों को लाभ होता है। एक महत्वपूर्ण विचारणीय पहलू यह भी है कि DAP से लाभान्वित अधिकतर लोग DAP की गतिविधि करने वाले लोगों के विरुद्ध ही होते हैं। वे उनके विरूद्ध बनने वाली हर नीति की सफलता के लिए जोर लगाते रहते हैं। 
अत: DAP से स्वयं को दूर रखे व दूसरों को भी दूर रहने हेतु प्रेरित करे ।

रघुवीर प्रसाद मीना 


Friday 7 February 2020

महाभारत की द्रौपदी से सीख - दूसरों की इंसस्ट नहीं करनी चाहिए।

rpmwu303
07.02.2020

महाभारत की द्रौपदी से सीख - दूसरों की इंसस्ट नहीं करनी चाहिए। 

18 दिन के युद्ध ने, 
द्रोपदी की उम्र को 
80 वर्ष जैसा कर दिया था...

शारीरिक रूप से भी 
और मानसिक रूप से भी

शहर में चारों तरफ़
विधवाओं का बाहुल्य था.. 

पुरुष इक्का-दुक्का ही दिखाई पड़ता था 

अनाथ बच्चे घूमते दिखाई पड़ते थे और उन सबकी वह महारानी
द्रौपदी हस्तिनापुर के महल में
निश्चेष्ट बैठी हुई शून्य को निहार रही थी । 

तभी, *श्रीकृष्ण*  कक्ष में दाखिल होते हैं

द्रौपदी कृष्ण को देखते ही 
दौड़कर उनसे लिपट जाती है ... 
कृष्ण उसके सिर को सहलाते रहते हैं और रोने देते हैं 

थोड़ी देर में, उसे खुद से अलग करके
समीप के पलंग पर बैठा देते हैं । 

*द्रोपदी* : यह क्या हो गया सखा ??

ऐसा तो मैंने नहीं सोचा था ।

*कृष्ण* : नियति बहुत क्रूर होती है पांचाली..
वह हमारे सोचने के अनुरूप नहीं चलती !

वह हमारे कर्मों को 
परिणामों में बदल देती है..

तुम प्रतिशोध लेना चाहती थी और, तुम सफल हुई, द्रौपदी ! 

तुम्हारा प्रतिशोध पूरा हुआ... सिर्फ दुर्योधन और दुशासन ही नहीं, 
सारे कौरव समाप्त हो गए 

तुम्हें तो प्रसन्न होना चाहिए ! 

*द्रोपदी*: सखा, 
तुम मेरे घावों को सहलाने आए हो या उन पर नमक छिड़कने के लिए ?

*कृष्ण* : नहीं द्रौपदी, 
मैं तो तुम्हें वास्तविकता से अवगत कराने के लिए आया हूँ
हमारे कर्मों के परिणाम को
हम, दूर तक नहीं देख पाते हैं और जब वे समक्ष होते हैं..
तो, हमारे हाथ में कुछ नहीं रहता। 

*द्रोपदी* : तो क्या, 
इस युद्ध के लिए पूर्ण रूप से मैं ही उत्तरदायी हूँ कृष्ण ? 

*कृष्ण* : नहीं, द्रौपदी 
तुम स्वयं को इतना महत्वपूर्ण मत समझो...
लेकिन,
तुम अपने कर्मों में थोड़ी सी दूरदर्शिता रखती तो, स्वयं इतना कष्ट कभी नहीं पाती।

*द्रोपदी* : मैं क्या कर सकती थी कृष्ण ?

*तुम बहुत कुछ कर सकती थी*

*कृष्ण*:- जब तुम्हारा स्वयंवर हुआ... 
तब तुम कर्ण को अपमानित नहीं करती और उसे प्रतियोगिता में भाग लेने का एक अवसर देती 
तो, शायद परिणाम 
कुछ और होते ! 

इसके बाद जब कुंती ने तुम्हें पाँच पतियों की पत्नी बनने का आदेश दिया...
तब तुम उसे स्वीकार नहीं करती तो भी, परिणाम कुछ और होते ।
और
उसके बाद 
तुमने अपने महल में दुर्योधन को अपमानित किया...
कि अंधों के पुत्र अंधे होते हैं।

वह नहीं कहती तो, तुम्हारा चीर हरण नहीं होता...

तब भी शायद, परिस्थितियाँ कुछ और होती । 

हमारे  *शब्द* भी 
हमारे *कर्म* होते हैं द्रोपदी...
और, हमें
अपने हर शब्द को बोलने से पहले तोलना बहुत ज़रूरी होता है...
अन्यथा, 
उसके *दुष्परिणाम* सिर्फ़ स्वयं को ही नहीं... अपने पूरे परिवेश को दुखी करते रहते हैं ।

संसार में केवल मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है...
 जिसका 
"ज़हर" 
उसके 
"दाँतों" में नहीं, 
"शब्दों " में है...

इसलिए शब्दों का प्रयोग सोच समझकर करें। 

ऐसे शब्द का प्रयोग कीजिये जिससे, .
किसी की भावना को ठेस ना पहुँचे।

Thursday 6 February 2020

DAP में लिप्त लोग करते है ज्यादा एब (Earn and Burn)।

rpmwu302
05.02.2020

DAP में लिप्त लोग करते है ज्यादा एब (Earn and Burn)।

जो लोग विभिन्न प्रकार के गलत तरीकों यथा भ्रष्टाचार, रिश्वत, धोखा, मिलावट, लूट, चोरी, हरामखोरी, अनैतिक कार्य, गरीब के शोषण या उसको मूर्ख इत्यादि बनाकर धन अर्जित करते है वे ही धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषणों (DAP) में ज्यादा लिप्त रहते हैं। उनकी सोच होती है कि DAP की चीजों पर पैसे खर्च करने से उन्हें गलत कार्यों के लिए जो पाप लगे हैं उनसे मुक्ति मिल जायगी।

ऐसे लोगों की सोच Earn and Burn (Eab, एब) करने की होती है।  ऐसे लोग किसी भी प्रकार के कुकृत्यों से धन अर्न करके गलत कृत्यों की वजह से लगने वाले पाप से मुक्ति पाने के लिए उसे DAP के माध्यमों अर्थात कथा, यात्रा, परिक्रमा, यज्ञ, मंदिरों में दान इत्यादि पर धन को बर्न करते हैं।

अच्छा तो यह होगा कि व्यक्ति अपने चरित्र व आचरण को अच्छा रखे। गलत कार्य नहीं करें। समाजहित के कार्यों को पूर्ण ईमानदारी व निष्ठा और जो लोग कमजोर, गरीब, लाचार, कम पढ़े लिखे है उनके कल्याण की सोच के साथ करें।

रघुवीर प्रसाद मीना