Sunday 15 March 2020

2 अप्रैल के आन्दोलन के पश्चात बने माहौल व समाज के नेताओं के निजि स्वार्थ से एस.सी./एस.टी. को राजनैतिक नुकसान।

rpmwu127
14.04.2018

एससीएसटी एक्ट को कमजोर करने के माननिय उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरोध में दिनांक 2 अप्रैल को किये गये देश व्यापी आंदोलन के पश्चात एससीएसटी समुदाय के अधिकांश लोगों द्वारा एक पार्टी विशेष के पक्ष में वोट देने के मानस का खुलेआम खुलासा करने से लगता है वह पार्टी घमंडी हो गई है।
समाचार पत्रों से पता चल रहा है कि उस पार्टी के शीर्ष नेताओं ने तय किया है कि अनारक्षित सीटों पर एससीएसटी के व्यक्तियों को टिकिट नहीं दिया जायेगा। आरक्षण का प्रावधान न्यूनतम प्रतिनिधित्व (minimum representation) सुनिश्चित करना है जबकि लोग उसे अधिकतम सीमा (maximum limit) में तब्दील करने में लगे है। ऐसा केवल इस बात का ध्योतक है कि वह पार्टी यह समझ बैठी है कि एससीएसटी के लोगो के पास उन्हें वोट देने के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं है या शीर्ष नेतृत्व को एससीएसटी के ज्यादा जीते हुए कैन्डीडैट्स से कोई डर है।
एससीएसटी वर्ग को हल्के में लेने के पीछे एक और बड़ा कारण है कि समाज के छोटे या नये नेता अपने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करके पार्टी के शीर्ष नेताओं से सीधा सम्बन्ध बनाने की कोशिश करते रहते है एवं वे भरोसा दिला रहे है कि वोट तो आपको ही मिलेंगे।
उक्त स्थिति एससीएसटी वर्ग के लिए अच्छी नहीं है। आवश्यकता है कि हम सभी गम्भीरता से इस बिषय पर ध्यान दे। अपने वरिष्ठ नेताओं को सम्मान दे और उनकी सलाह के आधार पर रणनीति बनाये ताकि उनका सम्मान बढे़ व समाज का अहित नहीं हो।
कृपया आप सभी भी इस बिषय पर प्रकाश डालें।

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