Wednesday 27 May 2020

तैरना जरूर सीखें व बच्चों को सिखायें।

rpmwu355 dt. 27.05.2020

तैरना आना जीवन बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। वर्ष 1998 से 2000 के बीच जब मेरी रतलाम में पोस्टिंग थी तो उस समय हमारे एक स्टाफ के दो बच्चे एक साथ तालाब में डूब गए। उसके बाद मैंने ऐसी ही घटना एक स्टाफ के बच्चे के साथ गांधीधाम में भी देखी। आए दिन आप सभी भी अखबारों में इस प्रकार की खबर पढ़ते होंगे कि डूबने से मृत्यु हो गई। 

अभी हाल में टोडाभीम के भोपुर गांव के पास तीन युवाओं जिनकी उम्र 20-21 वर्ष की थी पानी में डूबने से अकाल मृत्यु हो गई। इस प्रकार की घटनाएं बहुत ही दुखद एवं मन को ठेस पहुंचाने वाली होती है। 

यदि  कोई तैरना जानता है तो इस प्रकार की घटनाओं के घटित होने  में काफी कमी आ सकती  है। अतः सभी को सलाह है कि आवश्यक रूप से स्वयं तैरना सीखें और बच्चों को तैरना सिखायेंतैरना आना जीवन जीने की महत्वपूर्ण स्किल है।

रघुवीर प्रसाद मीना 

Monday 25 May 2020

शिक्षा_ज्ञान का महत्त्व...

rpmwu354 dt. 25.05.2020
भारत रत्न डॉक्टर बाबा साहब #भीमराव_अंबेडकर के सबसे महत्वपूर्ण और प्रचलित स्लोगन है "#शिक्षित_बनो #संगठित_रहो #संघर्ष_करो"; #शिक्षा_शेरनी_का_दूध_है। डिक्शनरी में बहुत सारे शब्द थे परंतु बाबा साहब जैसे महान व्यक्ति ने शिक्षा को ही सबसे अधिक महत्व दिया। इसी प्रकार महात्मा #ज्योतिबा_फुले व उनकी धर्मपत्नी माता #सावित्रीबाई_फुले ने भी लोगों को शिक्षा के महत्व को समझाना, उनके जीवन का उद्देश्य बनाया।

भारत के साथ विश्व के इतिहास को देखने से पता चलता है कि #आमजन को अत्याचारी व्यवस्था व रीति-रिवाजों एवं अंधविश्वासों से ऊबारने में जिन भी महान लोगों ने मदद की है उन सब का #हथियार_शिक्षा ही रही। अगर वे शिक्षित नहीं होते तो कभी भी आमजन की मदद नहीं हो पाती और आज भी लोग अस्पृश्यता, रंगभेद, दासप्रथा, अंधविश्वास, सतीप्रथा जैसे क्रूर रीति-रिवाजों या तो राजशाही अथवा कॉलोनाइजेशन के अधीन ही प्रताड़ित होते रहते हैं।

हमारे देश के लोकप्रिय अभिनेता श्री #अमिताभ_बच्चन ने भी बड़ी जोरदार तरीके से समझाया कि व्यक्ति को रोटी कपड़ा मकान के इंतजाम के पश्चात जिस चीज पर ध्यान देना चाहिए वह है #शिक्षा अर्थात #ज्ञान अर्जित करना।

स्वयं शिक्षित बने, ज्ञान अर्जित करें। और दूसरों को शिक्षित होने में मदद करें। यदि शिक्षित होने में हम दूसरों की मदद करेंगे तो इससे बड़ी नैतिकता व धर्म का दूसरा कोई कार्य नहीं हो सकता है। अतः जहां भी शिक्षा में दूसरों की मदद करने का मौका मिले तो उस पर विशेष ध्यान देना चाहिए, खासकर यदि बालिकाओं की शिक्षा के लिए कोई संस्था जैसे #ट्राईबल_हेल्पिंग_हैंड (THHS), #सोच_बदलो_गांव_बदलो_टीम (SBGBT) व अन्य सहयोग कर रही है तो उनको अवश्य ही आर्थिक व अन्य हर प्रकार की मदद करें। #Help_others_in_education

सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
मो. 8209258619

Monday 18 May 2020

COVID-19 : Population & GDP of India. Great challenges ahead, all must support government and its machinery and also Uniform_Civil_Code.

rpmwu353 dt.18.05.2020

The magnitude of managing Covid-19 in India is as mammoth task as managing it in the entire Europe, USA, Brazil and Argentina. The population figures of different countries are as under in Crores -

USA - 33.1  Russia -14.6  Germany - 8.5   Turkey - 8.4    UK - 6.8   France - 6.5  
Italy - 6.1  Spain - 4.7 Poland - 3.8   Romania - 1.9  Netherlands - 1.7 Greece - 1.7  Belgium - 1.2 Czech Republic - 1.1 Portugal - 1.1 Sweden - 1  Hungary - 1  Switzerland - 0.9  Bulgaria - 0.7 Denmark - 0.6 Total of these nations - 105.3 Crores.

The rest of the 25 small European countries combined (there are 44 countries in the European Continent) is 6 Cr, so the population of the entire Europe and USA is 105.3 + 6 = 111.3 Crores. Adding the populations of Brazil (21.2 Crores) and Argentina (4.45 Crores) to above makes it 111.3 + 25.65 = 136.95 Crores only. 

lndia's present population is about 138 Crores and moreover the level of financial and physical health, education and understanding of a large population is abysmally low here in our country which further complicates the situation. Figures of population of India from 1955 to 2020 are as below :
Year
1955
1960
1965
1970
1975
1980
1985
1990
1995
Crores
41
45
50
56
62
70
78
87
96










Year
2000
2005
2010
2015
2016
2017
2018
2019
2020
Crores
106
115
123
131
132
134
135
137
138
One now can reasonably understand the scale of preparedness, works and finances required to handle Covid-19 in India. We all need to support the government and its machinery in the fight against this pandemic.

Further I analysed data of GDP of top 20 countries, India stands 5th in the list but figures of GDP per Capita are excruciatingly painful as we are at the bottom most. In the long run, we must take appropriate action like implementation of #Uniform_Civil_Code for all the religions, communities, races etc. and not to allow anyone to produce more than 2 children in normal circumstances and rather encourage for one only to contain the population of our nation for improving the lives of all the citizens.




Well being of the nation must supersede all other considerations like religion, caste, community, race etc. SUPPORT IMPLEMENTATION OF UNIFORM CIVIL CODE.

Raghuveer Prasad Meena 

Thursday 14 May 2020

मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है जहां मनुष्य मनुष्य का आदर व सम्मान करें।

rpmwu352 dt. 14.05.2020

हिन्दू_मुस्लिम_व_क्रिश्चियन तीनों धर्मों को मानने वाले अनुयायियों ने मानवता को शर्मसार करने वाले कृत किये हैं। अत: इन परम्परागत धर्मों की मान्यताओं को जरूरत से ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए। मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है जहां मनुष्य मनुष्य का आदर व सम्मान करें। 


सर्व विदित है की हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल से #जाति_के_नाम_पर बड़े-बड़े योद्धाओं तक के साथ #भेदभाव हुआ। #महाभारत में जाति के आधार पर #कर्ण एवं #एकलव्य के साथ जो अपमान व अन्याय हुआ, उससे सभी भलीभांति परिचित हैं। उसके बाद के काल में #अस्पृश्यता की वजह से मनुष्य ने दूसरे मनुष्यों के साथ इतने ज्यादा अत्याचार किए जहां मनुष्य को जानवर से भी ज्यादा खराब तरह से ट्रीट किया गया। मंदिरों व गांवों में समुदाय विशेष की लड़कियों के साथ ऐसे जुल्म ढाए जाते थे जिन्हें लिखना तक उचित नहीं है। कई जाति समुदाय के लोगों को #शिक्षा ग्रहण करने की #अनुमति_नहीं थी, उनके लिए #पढ़ाई_करना_पाप था। यह केवल इसलिए किया गया कि यदि उन समुदायों व जातियों के लोग पढ़ लिख जाएंगे तो वे अधिकारों की मांग करेंगे और जो अत्याचारी लोग थे उनके लिए काम करने वाले लोगों की कमी हो जायेगी। 

#मुस्लिम_धर्म को मानने वालों को देखें तो इसमें इतिहास #हिंसा#अत्याचार से भरा पड़ा है। भारत में जितने भी मुस्लिम आक्रमण हुए अथवा जब उनके लोग बादशाह या सुल्तान बने तो अधिकांश ने हिंदू जनसंख्या को #बलपूर्वक_मुसलमान बनायाअफ्रीका के #गैर_मुस्लिम_काले_लोगों को #दास बनाकर विभिन्न तरह से मानवता को शर्मसार किया। आज भी कट्टर मुस्लिम, हिंदुओं एवं दुसरे धर्म के लोगों को #काफिर मानते हैं। उनका वश चले तो पृथ्वी को काफिरों से मुक्त कर दें। 

क्रिश्चियनिटी को मानने वालों ने तो हिन्दू व मुस्लिम दोनों से बढ़कर काले लोगों को दास बनाकर जानवरों की तरह बेचा व जानवरों से भी खराब व्यवहार किया। संपूर्ण संसार में क्रिश्चियनिटी को मानने वाले यूरोपियनस् ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं अफ़्रीका के #इंडिजेनस_लोगों के साथ जितना #अत्याचार किया वह शायद ही किसी दूसरे धर्म को मानने वाले लोगों ने किया होगा। अफ्रीका के #काले_लोगों को तो जहाजों में अमानवीय कंडीशन में  ट्रांसपोर्ट करके  ब्राजील और अमेरिका ले जाया गया और उन्हें  #भयंकर_यातना से भरे जीवन जीने के लिए मजबूर किया जाता रहा।

उक्तानुसार यदि देखें तो हिंदू, मुस्लिम एवं क्रिश्चियनिटी मानने वाले सभी लोगों ने #दूसरे_लोगों को #गंभीर_यातनाएं दी एवं #अमानवीय_अत्याचार किये। फिर कैसे कह सकते हैं कि धर्म व्यक्ति को मानवता सिखाता है? #धार्मिक_पाखंड की वजह से ही समाज के निचले तबकों का शोषण हुआ है जबकि वास्तविक धर्म की राह पर चलकर तो उनका कल्याण होना चाहिये था।

#DAP अर्थात् धार्मिक अंधविश्वास के प्रदुषण पर भगवान गौतम बुद्ध का प्रहार काफी असरदार रहा है। उन्होंने ऊंच-नीच व अस्पृश्यता का खुले में विरोध करके मनुष्य को मनुष्य पर किये जाने वाले अमानवीय अपराध करने से रोका और सही राह दिखाई। भारत सहित कई देशों के लोगों ने उनके द्वारा बताये गये मानवता के सम्मान के रास्ते को अपनाया और मानव सभ्यता के इतिहास में एक सुखद अध्याय जोड़ा।

अब स्वतंत्र देश में सभी को पढ़ने लिखने की आजादी है। एतिहासिक घटनाओं व धार्मिक क्रिया कलापों को समझने का प्रयास करें और स्वविवेक से निर्णय ले कि कौनसा रास्ता सही है?

कृपया इस विषय पर मनन करके अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

रघुवीर प्रसाद मीना

पांचना डैम से नहर में पानी खोलने की समस्या ट्रैफिक जाम की तरह हो गई है। जब नेता वोट मांगने के वक्त के अलावा सार्थक प्रयास नहीं कर रहे है तो जनता को समाधान करवाने हेतु संगठित प्रयत्न करने ही पड़ेंगे।


                                                                                                                                                                    

rpmwu172 dt. 17.12.2018 एवं समय समय पर अपडेटेड। 

पाँचना बाँध का निर्माण करौली शहर 12 किलोमीटर दूर पाँच नदियों 1. बरखेड़ा 2. भद्रावती 3. मॉची 4. भैसावट 5. अटाकी के संगम से बनी गम्भीर नदी पर हिण्डौन-करौली मार्ग पर गुडला के पास किया गया है। इसका निर्माण वर्ष 1977 से लेकर 2004 के मध्य विभिन्न चरणों में लगभग 125 करोड़ रूपये की लागत से संपन्न हुआ। महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि जब नहर की प्लानिंग हुई थी तब करौली सवाईमाधोपुर डिस्ट्रिक्ट का ही हिस्सा था क्योंकि करौली 1997 में राजस्थान का 32 वां जिला बना था। इस बाँध की भराव क्षमता 2100 मिलियन क्यूबिक फीट (5947 करोड़ लीटर) , 240 डैड व 1860 लाइव स्टोरेज है अर्थात् इस बाँध से 1860 एमसीएफटी (5267 करोड़ लीटर) पानी सिंचाई हेतु उपलब्ध हो सकता है। 

पाँचना बाँध का कुल कमाण्ड क्षेत्र 9985 हैक्टेयर (39478 बीघा), 35 गांवों में है जोकि दो जिलों सवाई माधोपुर व करौली में विभाजित है। करौली जिले के 18 गाँवों की 4895.93 हैक्टेयर व सवाई माधोपुर के 17 गाँवों की 5089.03 हैक्टेयर भूमि कमाण्ड क्षेत्र में आती है। इसकेे अलावा 12 और गाँँवों की भूमि भी सिंचित होती है। इस प्रकार कुल 47 गाँवों की भूमि सिंचित होती है।
                              
एक बीघा खेत का क्षेत्रफल 165 फीट x 165 फीट = 27225 वर्गफीट होता है। एक बार की सिंचाई हेतु भूमि को लगभग 4 इंच अर्थात् 4/12 =1/3 फीट पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार एक बीघा खेत की सिंचाई के लिए 27225 x 1/3 = 9075 घन फीट पानी की आवश्यकता रहती है। पाँचना बाँध की सिंचाई क्षमता के अनुसार इस बाँध से 204959 बीघा भूमि को एक बार या कमाण्ड क्षेत्र की भूमि को 5 बार भराया जा सकता है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस डैम की नहरों में वर्ष 1991-91 से 2005-06 के बीच, 13 सालों तक पानी छोड़ा गया। परन्तु अब वर्ष 2006 अर्थात 14 वर्षो से बेवजह उदासीनता के कारण नहरों में पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। जिससे क्षेत्र के सभी समाजो की लगभग 1. 25 लाख से भी ज्यादा जनसँख्या भयंकर तरह से परेशान व कुपित है। इसी प्रकार गुड़ला लिफ्ट परियोजना के प्रोजेक्ट में भयंकर देरी होने से वहां के किसान भी दुखी है।
सूचना के अधिकार के तहत् मेरे द्वारा माँगी गई सूचना के अनुसार वर्ष 2004 से 2006 तक 9985 हैक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई परन्तु वर्ष 2006 के उपरान्त बाँध में पानी की अवाक होने के बावजूद भी बिना ठोस कारणों के नहर में पानी नहीं छोड़ा गया। पाँचना डैम कमांड एरिया विकास परिषद  की माँग या अन्य किसी कारण से 13 वर्षो के पश्चात् दिनांक 10 जून 2020 को दिन में 1 बजे के आसपास नहर में पानी खोला गया परन्तु स्थानीय लोगों के विरोध के कारण उसे दिनांक 11 जून 2020 को सुबह ही बंद कर दिया गया। 

नहरों में पानी नहीं छोड़ने के कारण कमाण्ड क्षेत्र के गाँवों के किसानों को निम्नलिखित  हानियां हो रही है -

1. सिंचित व असिंचित फसल के उत्पादन की मात्रा में अन्तर के कारण किसानों को प्रति वर्ष लगभग 100 करोड़ रूपये से ज्यादा की आर्थिक हानि होती हैं। नहर में सिंचाई हेतु पिछले 14 वर्षो से पानी नहीं आने के कारण कमांड एरिया के किसानों को अब तक रु. 1400 करोड़ व गुड़ला लिफ्ट परियोजना के किसानों को प्रोजेक्ट में भयंकर देरी होने से रु. 160 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चूका है।


2. जिन थोड़े बहुत किसानों के पास भूजल की उपलब्धता है, सिंचाई हेतु पानी उपयोग करने के लिए उन्हें बिजली व डीजल संचालित उपकरणों का प्रयोग करना पड़ता है जिससे कृषि उत्पादन की लागत बहुत अधिक बढ़ जाती है। 
3. भूमि क्रय-विक्रय के समय रजिस्ट्री के चार्ज तथा भेज कमाण्ड एरिया होने के कारण बढ़ी हुई दर से लगते  है।

4. ट्यूबेल व पम्पिंगसेट के माध्यम से भू-जल के अधिक दोहन की वजह से भू-जल का स्तर बहुत नीचे चला गया है जिससे पीने के पानी तक की समस्या हो जाती है। बोरवेल से फ़्लोराइडयुक्त खारे पानी के कारण ज़मीन की उर्वरकता ख़राब हो रही है। कुछ गांवों में तो बाहर से मिट्टी लानी पड़ती है।     

5.पानी की कमी के कारण चारा नहीं होने से पशुपालन का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

6. पानी की किल्लत से खेती नहीं होने के कारण कम भूमि वाले कृषको को रोजगार के लिए क्षेत्र से शहरों की ओर  पलायन करना पड़ रहा है

7. रोजगार नहीं होने से युवा विभिन्न प्रकार की असामाजिक गतिविधियों एवं स्मैक जैसे ख़तरनाक नशे के शिकार हो रहें है 

8. पांचना डैम के लगातार भरे रहने से भराव क्षेत्र में हमेशा पानी रहता है जिसके कारण वहां पहले गर्मियों के दिनों में माली जो सब्जी करते थे उनका रोजगार छीन गया हैं और आसपास के लोगों के ताजा सब्जियां भी नहीं मिलती है 

9. आमदनी नहीं होने से क्षेत्र के किसान कर्जदार बन रहें हैं बच्चों को शिक्षा दिलाने तक में गंभीर समस्याएं आ रहीं है

10. क्षेत्र की जनता की आर्थिक स्थिति ख़राब होने से व्यवसाय करने वाले लोगों व मजदूरों और सभी की हालत भी ख़राब हो रही है

11. नहर में पानी नहीं खोलने से सरकार की छबि भी खराब हो रही हैसम्पूर्ण व्यवस्था के प्रति नागरिकों के मन में ख़राब भाव आता है


आस पास के लोगों की मांग के अनुसार 13 गांवों की लगभग 8000 बीघा ज़मीन की सिंचाई हेतु 200 एम.सी.एफ़.टी. पानी देने के लिए 13.21 करोड़ रूपये की लागत से लिफ्ट योजना बनाने हेतु 2010-11 से निर्माण कार्य अत्यंत धीमी गति से चल ही रहा है। कार्य लगभग सम्पूर्ण हो चूका हैं।  फिर भी कंमांड एरिया के गॉंवों हेतु नहर में पानी नहीं खोला जाना, सरकार व् राजनेताओं की किसानों के दुःख के प्रति उदासीनता दर्शाता है एवम यह भी लगता है कि सरकार असामाजिक तत्वों का साथ दे रही है। 

14 वर्षों में गरीब किसानों को 1400 करोड़ का जो नुकसान हुआ है वह 1400 करोड़ के भ्रष्टाचार से भी ख़राब है फिर भी जिम्मेदार लोग सो रहे है। इन 14 वर्षों में बिना नहरों में पानी खोले, पाँचना डैम से सम्बन्धित अधिकारियों  व कर्मचारियों को लगातार सैलरी व भत्ते दिए जा रहे है। विरोध का केवल नाम है, 14 वर्षों में किसी के भी विरुद्ध कोई कार्रवाई तक नहीं हुई है। सभी जिम्मेदार लोग असंवेदशीलता व निकम्मेपन का परिचय दे रहे है, जो कि शर्मनाक है।

आवश्यकता है कि सरकार, सभी पार्टियो के राजनेता व समझदार समाज सेवी कंमांड एरिया के गॉंवों के किसानों की पीड़ा को समझे एवम पांचना बांध की नहर में पानी खुलवायें । व्यक्तिगत तौर पर हम सभी राजस्थान संपर्क पोर्टल व ट्विटर पर नहर में पानी खुलवाने के लिए सरकार से अनुरोध/शिकायत करें  एवम अपने अपने जानकर नेताओ से भी कुछ करने हेतु निवेदन करें ताकि एक जनजागृति पैदा करने में हम हमारा रोल तो अदा कर सके।

पांचना डैम के कमांड एरिया की नहर में पानी खुलवाने हेतु सामाजिक कार्यकर्ताओं को एक मंच पर लाकर योजनाबद्ध मुहिम चलाने के लिए एक गूगल फॉर्म डिज़ाइन किया गया है। कमांड एरिया के गांवों व दूसरे सभी इच्छुक सामजिक कार्यकर्त्ता कृपया अपनी जानकारी इस फॉर्म में उपलब्ध करवाएं एवं ट्विटर अकाउंट बनायें ताकि रणनीति के मुताबिक क्षेत्र के लोगों की आवाज़ उठाई जा सके अधिक जानकारी व सुझावों के लिए श्री रघुवीर प्रसाद मीना, मो. 8209258619, ग्राम - पीलोदा से संपर्क कर सकते है।


जानकारी भरने के लिए गूगल फॉर्म की लिंक हेतु इस लाईन को क्लिक करें। https://bit.ly/369auoz


आवश्यकता महसूस होने पर पांचना डैम कमांड एरिया विकास परिषद का गठन किया जायेगा जिसके निम्नलिखित उदेश्य होंगे -




दिनांक 19.05.2020 पांचना डैम की नहरों में पानी खोलने के सम्बन्ध में फेसबुक लाइव कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। देखने के लिए कृपया नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें एवं आपके सुझाव अवश्य दें।


इस मुहिम में जुड़ने हेतु गूगल फॉर्म की लिंक नीचे दी हुई है -



इच्छुक सामाजिक कार्यकर्ता इस गूगल फॉर्म में जानकारी भर सकते हैं और इसे दूसरों को जानकारी भरने के लिए शैयर भी कर सकते हैं। साथ में जिनके पास व्हाट्सप्प वाला मोबाइल नहीं है उनकी जानकारी भरने में मदद करें।

 

अभी तक पांचना डैम से नहर में पानी खुलवाने के लिए चलाई जाने वाली मुहिम हेतु जिन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जानकारी भरी है, उनकी समरी निम्न लिंक पर देखी जा सकती है।


https://bit.ly/2yZ3myZ


फेसबुक पर #पांचना_डैम_कमांड_एरिया_विकास_परिषद के नाम से एक #पब्लिक_ग्रुप, पांचना डैम के कमांड एरिया की नहरों में पानी खुलवाने हेतु सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक मंच बनाने के उद्देश्य से बनाया गया है। इस ग्रुप के माध्यम से आपसी विचार विमर्श एवं सूचनाएँ सुलभता से सम्प्रेषित हो सकेगी।  सभी इच्छुक सामाजिक कार्यकर्ता एवं भाई बहन कृपया इस ग्रुप का हिस्सा बने और साथ में अपना ट्विटर अकाउंट भी बनायें ताकि रणनीति के मुताबिक क्षेत्र के लोगों के दुःख को समझाने और उसके समाधान के लिए आवाज़ उठाई जा सके। अधिक जानकारी व सुझावों के लिए श्री रघुवीर प्रसाद मीना, मो. 8209258619, ग्राम - पीलोदा से संपर्क कर सकते है। #फेसबुक पर #पांचना_डैम_कमांड_एरिया_विकास_परिषद से जुड़ने के लिए निम्न लिंक को क्लिक करके ग्रुप को ज्वाइन करे।  

 https://bit.ly/2ThOX7W 


ट्विटर अकाउंट को अधिक से अधिक संख्यां में फॉलो करें एवं इस सम्बन्ध में किये गए ट्वीट्स को सम्बन्धितों  के साथ इस अकाउंट पर भी भेजें।

https://twitter.com/pdcavp 


इस विषय में सरकार व  विभिन्न अधिकारियों को लिखे गए पत्रों की जानकारी निम्न लिंक पर देख सकते है -

Letter to Hon'ble CM dated 29.05.2020                                 Letter to Hon'ble CM dated 03.06.2020 
Letter to Hon'ble CM dt. 13.06.2020                                      Letter to Hon'ble CM dt. 22.06.2020   
Letter to Hon'ble CM dated 16.08.2020                                Letter to Hon'ble CM on 13.09.2020


किसान व  जनहित के इस अभियान से सम्बंधित विभिन्न जानकारी भरे वीडियो निम्न लिंक्स पर देखें जा सकते है -

https://youtu.be/tRbcp2aGHlE                 https://youtu.be/gOPe6xjZ6Bg

https://youtu.be/_RDFUaoOl_U               https://youtu.be/0ClMiWn08u4

https://youtu.be/O5PbrvMpxEs               https://youtu.be/ePNIhDfhlgI

https://youtu.be/HfHDsLSBv7Q              https://youtu.be/rHq1G-3TcZQ

https://youtu.be/_O1wkFzQL_Y             https://bit.ly/2YEngrH

https://bit.ly/31LQFUe                             https://bit.ly/2ZGRs5U

https://bit.ly/3e3Tbax                               https://bit.ly/2YXykBt



अभियान के विभिन्न पोस्टर्स, फोटो व  वीडियो निम्न लिंक्स पर देखें जा सकते है -

पोस्टर्स https://www.facebook.com/media/Posters


न्यूज़    https://www.facebook.com/media/set/?set=oa.1109936612735614&type=3


फोटो https://www.facebook.com/groups/pdcavp/media/photos


वीडियो https://www.facebook.com/groups/media/videos



कृपया जनहित में किसानों की आवाज़ बने और उनको न्याय दिलाने की मुहिम का हिस्सा बने।


 धन्यवाद।

रघुवीर प्रसाद मीना

ग्राम - पीलोदा

Mob. 8209258619



Tuesday 12 May 2020

आत्महत्या (Suicide) कोई समाधान नहीं, बल्कि परेशानियों की जननी है।

rpmwu351 dt. 12.05.2020

अभी 2 दिन पूर्व फिर से रेलवे के एक ट्रैक मेंटेनर ने अपना जीवन त्याग दिया। भूतकाल में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है जिसमें रेलवे के ग्रुप डी स्टाफ द्वारा आत्महत्या कर ली जाती है। दूसरे लोग भी ऐसा करते है। आत्महत्या के पीछे अधिकतर व्यक्तिगत जीवन की समस्याएं रहती है एवं कभी कभार ऑफिस की प्रताड़ना भी उसका कारण बन सकती है। परंतु जो भी लोग आत्महत्या करते हैं उनके बारे में विचार करने से लगता है कि आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि जिन परेशानियों से व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है वे या तो और ज्यादा खराब हो जाएंगी अथवा उसकी आत्महत्या करने से उस व्यक्ति को कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा जिसकी प्रताड़ना से उसने आत्महत्या की है। 

मन में आत्महत्या की सोच आने वाले हर व्यक्ति को निम्न पर विचार करना चाहिए - 

1. माँ-बाप ने किन सपनों के साथ उसको जन्म दिया एवं उनकी परिस्थितियों में यथासंभव अच्छे से अच्छा पालन पोषण किया? 

2. माँ-बाप को उसका आत्महत्या करना कैसा लगेगा? वे कितने दुखी और परेशान होंगे? 

3. यदि व्यक्ति शादीशुदा है तो उसकी पत्नी/पति पर क्या गुजरेगी? यदि पुरुष है तो विचार करें कि जिसके भरोसे उसकी पत्नी अपने घर को छोड़कर आई है, क्या आत्महत्या करना उसको अकेले छोड़कर रण से भागने जैसी कायरता नहीं है? पत्नी के मन में आत्महत्या के विचार आये तो सोचना चाहिए कि उसके पति का क्या हाल होगा? 

4. यदि व्यक्ति के बच्चे हैं तो उनके जीवन के बारे में विचार करें एवं सोचे कि बच्चों के इस दुनिया में आने में मेरा भी एक अहम रोल रहा है तो उन्हें ऐसे छोड़कर ऐसे दुनिया से चला जाऊं? क्या ऐसा करना जिम्मेदारियों से भागना नहीं है? 

5. अपने भाईबहन, दोस्तों, शिक्षकों व जानकार शुभचिंतकों के बारे में भी सोचे कि मेरे इस कृत्य से वे कितने दुखी व अपसेट होंगे? 

6. एक सवाल स्वयं से करें कि आत्मा के साथ मेरा जो शरीर है यदि इसको वैज्ञानिक तरीकों से बनाया जाये तो यह कितने रूपये में बन पायेगा ? स्वयं का मूल्य पहचाने व स्वयं का आदर करें। 

7.  गहराई से विचार करें कि इस दुनिया में  कितने लोगों की मेरे से ज्यादा खराब परिस्थितियां है? 

एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जो भी व्यक्ति रेलवे अथवा सरकार के किसी विभाग में कार्य कर रहा है उसे प्राइवेट या डेली वेजेस पर कार्य करने वाले लोगों की तुलना में 3 से 5 गुना अधिक वेतन मिलता है और विभिन्न प्रकार के भत्ते व सुविधाएं भी देय होती है। सरकारी नौकरी करने वाला हर छोटे से छोटा कर्मी भारत की 80% जनसंख्या से अच्छी आर्थिक स्थिति में होने के बावजूद यदि आत्महत्या करता है तो उसका कोई औचित्य नहीं है। 


यदि कोई व्यक्ति जरूरत से अधिक परेशान करता है तो ऐसे लोगों की सिस्टम में शिकायत की जा सकती है। आज के दिन शिकायत करना बहुत ही आसान है, ट्विटर अथवा व्हाट्सएप इत्यादि के माध्यम से मिनटों में बिना पैसे खर्च किए हुए शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। परंतु हर व्यक्ति को यह सोचना चाहिए कि इस दुनिया में सहअस्तित्व जरूरी है, लोगों के साथ रहना सीखें, एक दूसरे के विचारों, भावनाओं व जिम्मेदारियों की कद्र करें। 

व्यक्ति : स्वयं अपने आप का सम्मान करें और गंभीर परेशानीयां होने पर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, निजि शुभचिंतकों तथा सामाजिक कार्यकर्तााओं से शेयर करके समाधान निकालें। यदि नौकरी करने में बहुत अधिक परेशानी हो रही है तो ऐसी स्थिति में नौकरी को छोड़कर दूसरा कोई काम कर लेना आत्महत्या करने से कई गुना बेहतर विकल्प है। यदि गंभीर प्रयासों केे बावजूद वैवाहिक जीवन साथ नहीं चल सकता है तो समझदारी से अलग अलग रहा जा सकता है। 

समाज किसी व्यक्ति पर ऐसा दबाव नहीं बनाना चाहिए जिससे कि वह आत्महत्या करने को मजबूर हो जाए। जैसे कहा जाता है कि वीणा के तार उतने ही खींचो कि वे टूट नहीं जाए, ऐसे ही किसी व्यक्ति से जो अपेक्षाएं है उन्हें उतना ही रखो कि व्यक्ति उन अपेक्षाओं को पूूरा करने के बोझ के तले आकर अपना जीवन ही नहीं त्याग दें। 

सरकार : आत्महत्या के भाव आने वाले लोगों के लिए अलग से काउंसलिंग इत्यादि की कॉन्फिडेंसियल व्यवस्था होनी चाहिए। आईटी के इस युग में उनके द्वारा दिए गए फीडबैक को सकारात्मक तरीके से उनके कल्याण के लिए उपयोग में लें। कई बार लोगों की जेन्यून परेशानी होती है उनका त्वरित निराकरण करने के उपाय सुझाये जाये ताकि आत्महत्या करने के भाव आने वाला व्यक्ति देश का अच्छा नागरिक बनकर प्रसन्नता से जीवन यापन कर सकें।

विचार करें और बहादुरी का परिचय देकर गर्व से उपयोगी जीवन जीये। 


रघुवीर प्रसाद मीना