Saturday 18 December 2021

बच्चे बोलते समय बातें व विचारों को फिल्टर नहीं करते है। परन्तु बड़े होने पर हम फिल्टर करना सीख जाते है और कई लोगों की सोफ्टवेयर के फिल्टर में ज्यादा अवांछनीय अवयवों के जमा हो जाने से वे परेशान हो जाते है। अत: बैलेंस करें।

rpmwu442 dt 18.12.2021

आज ट्रेन में यात्रा के दौरान मेरे कूपे में 2 यात्री अलग-अलग समय पर आये, जिनके साथ छोटे बच्चे थे। एक महत्वपूर्ण बात देखी कि बच्चों के मन में जो भी आ रहा था वे बेझिझक बोल रहे थे। तभी मेरे मन में विचार आया कि देखो जब व्यक्ति बच्चा होता है तो वह बिना कुछ सोचे समझे जो मन में आ रहा है उसे आसानी से बोलता है अपनी बात या विचारों को व्यक्त करते समय किसी प्रकार का फिल्टर नहीं लगाता। उसे जैसी भी भाषा में बात करना आता है धड़ल्ले से करता है और प्रसन्न रहता है। परंतु व्यक्ति जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है वह विचार व्यक्त करते समय अनेक प्रकार के फिल्टर लगाने के कारण बातों को बहुत ही नपे तुले तरीके से बोलता है और फिर भी उसे डर लगता है कि दूसरों को खराब तो नहीं लग जाएगा। 

जब भी हम किसी भी फिल्टर का उपयोग करते हैं एक वह कुछ अवयवों को रोक लेता है और कुछ पास होने देता है। यही बात हमारे विचारों की सॉफ्टवेयर पर भी लागू होती है। जब हम विचार करके बातों को कहने से रोक लेते है तो उनके कई सारे पहलू हमारे मस्तिष्क के फिल्टर में जमा हो जाते है। कई बार व्यक्ति कुंठा से ग्रसित हो जाता है। दूसरों को खुश करने की मंशा में वह खुद दुखी हो जाता है।  आवश्यकता से अधिक फिल्टर करने से हमारी खुद की सॉफ्टवेयर के फिल्टर में अवांछनीय अवयवों की मात्रा ज्यादा हो जाने से मानसिक तनाव व अशांति हो सकती है। अतः आवश्यकता है कि हमको चीजें कितनी फिल्टर करनी चाहिए उसका बैलेंस करें।

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना

परेशानियां व्यक्ति की सोच का हीट ट्रीटमेंट करती है और नुकसान होने को एमबीए की फीस समझने से व्यक्ति खराब समय में भी प्रसन्न रह सकता है।

rpmwu441 dt. 18.12.2021

परेशानियां व्यक्ति की सोच का हीट ट्रीटमेंट करती है और वह पहले से बेहतर बन जाता है। वास्तविक मददगार, जो बहुत कम होते है व अधिकांश लोग जिनकी आप बेवजह परवाह करते रहते है, का पता चल जाता है। नुकसान को एमबीए करने की फीस समझ लेना चाहिए और गलतियों से सबक लेकर उन्हें दौहराया नहीं जाये।

सादर
रघुवीर प्रसाद मीना

Tuesday 14 December 2021

फूल के पेड़ों से सीखें - थोड़ा बहुत ही अनुकूलित वातावरण मिलने पर तुरंत सुंदरता बिखेकर कर मन मोहने लग जाते है।

rpmwu440 dt. 14.12.2021 

हम सभी ने देखा है की फूल के पेड़ को जैसे ही थोड़ा बहुत अनुकूल वातावरण मिलता है वे तुरंत उगकर फूल देने लग जाते है। चाहे उगने की जगह कोई उबड़ खाबड़ खेत हो, नाली हो, बिल्डिंग हो, टूटा गमला हो अथवा अच्छे खेत व गमले हो। मौका मिलत ही अच्छाईयां बिखरने लग जाते है। 

इसी से हमें सीख लेनी चाहिए कि जब भी थोड़ा बहुत अनुकूल वातावरण मिले तो हमें तुरंत अच्छे कार्य करने में समय व ऊर्जा लगानी चाहिए ताकि योग्यता व इˈफ़िश्‌न्‌सि का सभी को लाभ मिल सके।

सादर
रघुवीर प्रसाद मीना

Friday 3 December 2021

संसाधन के एफिशियेंट उपयोग के लिए ईंधन (फ्यूल) की मात्रा को बैलेंस करना आवश्यक है। रिन्यूएबल एनर्जी का ज्यादा उपयोग हो न कि पेट्रोलियम ईंधन का।

rpmwu439 dt. 03.12.2021

यातायात के हर संसाधन जैसे रोकेट, एरोप्लेन, ट्रेन, ट्रक, बस, कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर, स्कूटी इत्यादि को चलने के लिए उनमें ईंधन अर्थात फ्यूल का होना बहुत आवश्यक है। संसाधनों में ईंधन की मात्रा एक निर्धारित स्तर की तय की जाती है ताकि यातायात के साधन का एफिशियेंट उपयोग हो सके। यदि ईंधन का टेंक बहुत बड़ा बना दिया जाए तो संसाधन ज्यादा देर तक तो चल सकेगा परंतु उसमें उपयोगी स्थान को कम करना पड़ेगा। यह बात बहुत ही विचारणीय व शिक्षाप्रद है। 

जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में भी यह एकदम सटीक उतरती है। व्यक्ति का जीवन सार्थक व अर्थपुर्ण होना चाहिए। यदि वह खाने, पीने, सोने, सजने, संभरने इत्यादि में जरूरत से ज्यादा समय गंवा दे तो क्या होगा? 

विभिन्न राजनीतिक पार्टियां रिन्यूएबल एनर्जी के तौर पर विकास, समानता, अधिकार व वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ाने के अलावा त्वरित परिणाम देने वाले पेट्रोलियम ईंधनों की भांति धर्म, जाति, समुदाय, सम्प्रदाय, रेस, धन, शराब, डर इत्यादि का भी चुनावों के दौरान प्रयोग करती है। पेट्रोलियम ईंधनों का यदि ज्यादा उपयोग किया जाएगा तो वे तात्कालिक परिणाम तो दे देंगे परन्तु दीर्घावधि में नागरिकों की सोच में प्रदुषण के कारण देश को नुकसान ही होगा।

उपरोक्त के मद्देनजर हर समझदार नागरिक को चाहिए कि वह समझे कि कौन पेट्रोलियम ईंधनों का सोच को प्रदुषित करने के लिए सबसे ज्यादा प्रयोग कर रहा है? उनसे सावधान रहे। इसी में मानवता की भलाई है। 

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना