rpmwu135
10.09.2018
दिनांक 13 अप्रैल 2018 को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के जन्म महोत्सव की पूर्व संध्या पर हुए एक कार्यक्रम के दौरान नारा लगाया गया कि "जो दलितों की बात करेगा वो दलितों पर राज करेगा"।
इस बात पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति कमीशन के अध्यक्ष एवं आगरा से लोकसभा सांसद श्री रामशंकर कठेरिया बड़ी गंभीरता से आपत्ति जताई और कहा कि हम कब तक राज करवाते रहेंगे? क्या कभी हम भी राज करने की सोचेगें?
मुझे लगता है श्री कठेरिया की यह सोच बहुत दूरगामी है और आजादी के 71 साल बाद यदि अभी भी अनुसूचित जाति जनजाति के लोग राज करने की नहीं सोचेंगे तो और कितना समय चाहिए हम लोगों को इस प्रकार की विचारधारा डेवलप करने में?
राज करना समाज की उन्नति का एक अहम कारक है। राज के होते हुए राज करने वाले समस्त सरकारी संसाधनों का उपयोग अपने लोगों के कल्याण की नीति हेतु कर सकते हैं। अन्यथा कल्याण उन लोगों का होता रहेगा जो राज करते हैं और दमन करते आए है।
अतः यह आवश्यक है कि हम सभी बहुत सोच समझकर विचार करे और अपने नेताओं को राज करने के लेवल पर पहुंचाने का हर संभव प्रयास करें। कृपया अपने अपने विचार भी व्यक्त करें।
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