Sunday 30 December 2018

पिछली चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं देकर आगे की कार्य योजना पर सोचो।

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30.12.2018

पिछली चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं देकर आगे की कार्य योजना पर सोचो।
पूर्व सांसद, दौसा एवं देवली उनियारा से वर्तमान विधायक श्री हरीश चन्द्र मीना जी से एक दिन वार्तालाप के दौरान किसी ने कहा कि उस जगह से वोट कब मिले थे तो उन्होंने कहा कि पीछे की चीजों को ज्यादा मत ध्यान दो, आगे की सोचो।
इतनी बड़ी सोच ही होनी चाहिये हर समझदार नेता की। जब भी कोई नेता चुनाव जीत जाता है तो वह उसकी कांस्टीट्यूएंसी के हर व्यक्ति का नेता हो जाता है चाहे किसी ने वोट दिया हो अथवा नहीं। ऐसा सोचना ही असली प्रजातंत्र का द्योतक है।
सामान्यतः लोगों के पास बात करने के टॉपिक नहीं होते हैं तो वे दूसरों की बुराई करके बात प्रारंभ करते हैं या उस नेता के स्वभाव के अनुसार उसको को खुश करने के लिए बेवजह दूसरों की बुराई करते हैं।
जब दूसरे व्यक्ति खासकर नेताओं से बात करें तो इस पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए कि अनावश्यक रूप से दूसरों की बुराई तो नहीं कर रहे हैं। पिछली चीजों पर ध्यान देने से जीवन में ज्यादा लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता है जो चीज पूर्ण हो चुकी है उस पर कम ध्यान दिया जाए और जो आगे आने वाली चीजों के बारे में यदि योजनाबद्ध तरीके से विचार विमर्श व कार्य किया जाए तो ज्यादा हित होगा।
One should look forward...
रघुवीर प्रसाद मीना

Tuesday 25 December 2018

हाई बीम Vs लो बीम - दीर्घगामी परिणामों के लिए छोटीमोटी चीजों को नजरअंदाज करना होगा।

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24.12.2018

हाई बीम Vs लो बीम
दूरगामी परिणामों के लिए छोटीमोटी चीजों को नजरअंदाज करना होगा।
सभी को भलीभांति ज्ञात है कि यदि व्हीकल को तेज गति से चलाना है तो लाईट हाई बीम पर रखनी होगी और यदि धीरे चलना है तो लाईट को लो बीम रखते हैं। आखिर ऐसा क्यों किया जाता है? हाईवे पर लाइट को हाई बीम पर रखने से दूर तक की चीजें स्पष्ट दिखाई देती है और लो बीम पर नजदीक की ज्यादा चीजें दिखाई देती है।
यही सिद्धांत जीवन की सफलता में भी अहम रोल अदा करता है। यदि आपको दूरगामी सफलता के परिणाम देखने हैं तो छोटी मोटी चीजों को नजर अंदाज करना होगा और यदि आप छोटे-मोटे वाद-विवादों में फंस गये तो वे झाड़ की तरह आपसे लिपट जाएंगे जिनको हटाने में आपकी बहुत सारी एनर्जी व समय समाप्त हो सकता है।
यदि कोई व्यक्ति लोंगटर्म की सफलता चाहता है तो उसे हाईवे पर हाई बीम की भांति बड़े विचार रखने होंगे और अपनी सोच को बड़ा करना होगा तथा छोटे-मोटे वाद विवादों इत्यादि से दूर रहना होगा।
रघुवीर प्रसाद मीना

Sunday 23 December 2018

अरावली विचार मंच एवं प्रतापनगर में बनाया जा रहा बालिका छात्रावास।

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23.12.2018

आज दिनांक 23 दिसंबर 2018 को अरावली विचार मंच, जोकि आदिवासी अधिकारियों की पंजीकृत संस्था है, के सदस्यों के परिवारजनों का एक गेट टुगेदर प्रताप नगर जयपुर में बनाए जा रहे बालिका छात्रावास के प्रांगण में रखा गया। कार्यक्रम के दौरान श्री महाबीर सिंह मीना, डिप्टी डायरेक्टर, कस्टमस् एवं जीएसटी ने 1 लाख एवं श्री बीएल मीना, उपमुख्य इंजीनियर ने 51 हजार रुपये के चैक प्रदान किये। श्री सूंडाराम मीना, आरएसएस, ने भी 1 लाख रुपये की सहयोग राशी देने की घोषणा की।
इस प्रकार अरावली विचार मंच के सदस्यों, रेल कर्मियों व अन्य जानकार महानुभावों की ओर से अब तक इस हॉस्टल के निर्माण हेतु ₹50 लाख से भी अधिक राशि का योगदान किया जा चुका है।
मैं अरावली विचार मंच के सदस्यों, रेल कर्मियों एवं अन्य महानुभाव जिन्होंने इस हॉस्टल निर्माण में सहयोग राशि दी है उन सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं एवं आशा करता हूं कि भविष्य में भी समाज उत्थान के विभिन्न कार्यक्रमों एवं पहलों में इसी प्रकार सहयोग प्रदान करते रहेंगे।
यह हॉस्टल श्री मीना सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थान, कोटा के तत्वाधान में बनाया जा रहा है। हॉस्टल का संचालन जनवरी या फरवरी 2019 से प्रारंभ होने जा रहा है। इस हॉस्टल में तीन मंजिलें है, प्रत्येक मंजिल पर 25 कमरे हैं इस प्रकार कुल 75 कमरे हैं जिनमें 150 बालिकाएँ रह सकेंगी।
इस हॉस्टल के संचालन हेतु एक अच्छी बॉर्डन, एक सहायक वार्डन व महिला सिक्योरिटी व अन्य सहयोग करने वाले कर्मियों की आवश्यकता है। यदि किसी की नजर में उक्त ड्यूटीज् हेतु अच्छा कार्य कर सकने वाली महिलाएं है तो उन्हें सूचित करें, वे हॉस्टल में कार्य करने हेतु श्री हरिनारायण मीना जी 94 14 042013 या श्री आर डी मीना जी 94141 80289 से संपर्क कर सकते हैं।
रघुवीर प्रसाद मीना
महासचिव अरावली विचार।

Friday 21 December 2018

ब्राॅड Vs नैरो (Broad Vs Narrow) सोच का जीवन पर प्रभाव।

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20.12.2018

ब्राॅड Vs नैरो (Broad Vs Narrow) सोच का जीवन पर प्रभाव।

सभी ने सुना होगा की रेलवे की पटरियों के विभिन्न गेज यथा ब्रॉडगेज, स्टैन्डर्डगेज, मीटरगेज और नैरोगेज इत्यादि होते है। ब्रॉड गेज पर गाड़ियां नैरोगेज की तुलना में तेज गति से चलती हैं। जीवन में भी इसी प्रकार यदि व्यक्ति की सोच ब्रॉड (व्यापक) है तो वह ज्यादा सफल होगा और यदि उसकी सोच नैरो (संकुचित) है तो वह कम सफल होगा। इसलिए व्यक्ति को जीवन में ब्रॉड दृश्टिकोण रखने की आवश्यकता है।
राजनीतिक जीवन में भी यदि किसी राजनेता पर समाज विशेष का स्टैंप लग जाता है तो वह ज्यादा उन्नति नहीं कर सकता है। और ना ही अपने स्वयं के समाज का चाहेनुसार भला कर सकता है क्योंकि वह सामान्यतः ऐसी पोजीशन पर पहुंच ही नहीं पाता है जहां से किसी का भी बहुत अधिक भला कर सके। आज तक जितने भी लोग राजनीति में सफल हुए हैं वे सब व्यापक दृष्टिकोण वाले ही है। अतः राजनीति में सफल होने के लिए सभी को साथ लेकर चलना होगा एवं सभी के विकास व कल्याण की कामना का ध्येय रखना पड़ेगा।
यदि हमारे समाज को वास्तव में राजनीति, बिजनेस या अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो हमें दूसरे लोगों को साथ लेकर व्यापक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना ही होगा। अन्यथा संकुचित सोच के साथ आगे बढ़ना संभव नहीं है। यह बात समाज के साथ व्यक्तिगत जीवन मैं भी उतनी ही खरी है। अत: सफलता के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाएं और सभी को साथ लेकर चले।
रघुवीर प्रसाद मीना

Wednesday 19 December 2018

180 डिग्री बदलाव। अब बच्चों के कहने से बाबा वोट देता है। युवा जिम्मेदारी को समझे।

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19.12.2018

हम सभी ने अपने जीवन में देखा है कि पहले घर के बड़े बुजुर्ग जो बोलते थे, बच्चे वैसा ही करता थे। परंतु सोशल मीडिया व आईटी के जमाने में अब चीजें एकदम बदल गई है। बच्चे घरवालों को फोटो या वीडियो के प्रूफ के साथ चीजें दिखा कर बड़ों की सोच बदल देते हैं।
पुराने जमाने में घर का बड़ा व्यक्ति जो कहता था लोग उसी को वोट देते थे अब घर की नई बहू या बेटा या बेटी बड़ों की सोच को प्रभावित कर बदल देते हैं और बड़े वही करते हैं जो कि युवा सलाह देते हैं।
इस बदले जमाने में सोशल मीडिया और युवाओं का बहुत महत्व हो गया है। इस महत्व को समझते हुए युवाओं की जिम्मेदारी बनती है कि वे चीजों को भलीभांति समझ कर ही ठोस ओपिनियन बनाएं और घर के बड़े बुजुर्गों तथा दूसरों के साथ तर्क पूर्ण रूप से उसे शेयर करें ताकि अच्छे लोगों को आगे बढ़ाने में उनकी सोच अहम् रोल अदा कर सके।
रघुवीर प्रसाद मीना

भेंस खरीदते समय दुध के अलावा अन्य गुणों को देखने वाले खरीददारों का क्या होगा?

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19.12.2018

भेंस खरीदते समय दुध के अलावा अन्य गुणों को देखने वाले खरीददारों का क्या होगा?
लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनावों के दौरान ऐसे नेताओं को चुना जाना चाहिए जो विकास करवाएं एवं जिनकी नियत देश व प्रदेश को आगे बढ़ाने की हो और समग्रता के उत्थान की भावना रखते हो ना कि एक दूसरे को जाति और धर्म के आधार पर लड़ाने की। कई नेता द्वेषता फैलाकर व लोगों की भावनाओं को भड़काकर चुनाव जीतने का  गुप्त लक्ष्य रखते हैं, परन्तु वोटरस् उनकी इस चाल को नहीं पहचान पाते है।
साधारण वोटरस् नेताओं को धर्म, जाति एवं भाषण देने की शैली मात्र से प्रभावित होकर वोट देने का निर्णय ले लेते है। जबकि देखना चाहिये कि उसकी सोच व विचार कैसे हैं? उसे कितना ज्ञान है? वह विकास कार्य करवाने में कितना सक्षम है?
जो लोग नेताओं में विकास के कार्य करवाने की क्षमता और सही नीति व नियत को नहीं देख पाते हैं वे लगभग ऐसा ही करते हैं जैसे भैंस खरीदते समय कुछ कम समझदार लोग भैंस के दूध पर ध्यान नहीं देकर उसके सींग, पूँछ की लम्बाई, पूँछ में बाल व उसके रंग इत्यादि पर ज्यादा ध्यान देते है।
वोटरस् को चाहिए कि जब भी नेता चुने तो देखें कि उसकी योग्यता क्या है? उसकी नियत कैसी है? क्या वह वास्तव में विकास कार्य करवा सकता है? क्या वह सामाजिक समन्वय में सुधार करवा सकता है? क्या वह साधारण जन की उन्नति हेतु समर्पित है? जो नेता सामाजिक सद्भावना को जाति, धर्म व क्षेत्र इत्यादि के नाम पर खराब करवाते है उनका तिरस्कार किया जाना चाहिए।
रघुवीर प्रसाद मीना

मनुस्मृति हिन्दू धर्म में कलंक है, इसे मिटाया जाये।

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18.12.2018

मनु द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत आजकल सतीप्रथा जैसी क्रूर कुरीति की भांति नजर आते हैं, जिसमें अधिकतर महिलाओं को पति की मृत्यु उपरांत सामाजिक बहिष्कार के डर से या जबरदस्ती पति के साथ चिता में जिंदा जला दिया जाता था। वह जलने के डर से भागने की कोशिश करती थी तो उसे डण्डो से पीट कर बेहोश कर दिया जाता था और वह जल जाती थी।
मनुस्मृति में महिलाओं व शूद्रों को केवल उपयोग की वस्तुओं की तरह माना गया। उनके अधिकारों से उन्हें वंचित रखने हेतु तरह तरह के ढकोसलेपूर्ण व दकियानूसी बातें लिखी गई। ऐसा लगता है कि मनुस्मृति अन्य वर्णों खासकर ब्राह्मणों के कल्याण एवं अधिकारों के लिए स्वार्थपरता से लिखी गई किताब है।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने 1927 में इस किताब की होली जलाकर समाज को संदेश दिया कि इसमें प्रतिपादित सिद्धांत सामाज के किसी भी व्यक्ति को मान्य नहीं होने चाहिये। यदि कोई व्यक्ति मनुस्मृति के सिद्धांतों को आज भी मानने की कोशिश करता है तो ऐसे हर व्यक्ति का खुले में विरोध करने की आवश्यकता है। मैं तो कहूंगा कि सरकार को इस ग्रंथ कही जाने वाली किताब की बिक्री पर बैन लगा देना चाहिए और जहां भी मनु की प्रतिमाएं लगी है उन्हें उखाड़ फेंकने की जरूरत है ताकि समाज में सामंजस्य व सम्मान की स्थापना हो और ऊंच-नीच का भेद समाप्त हो सके।
कुछ लोग बेवजह आज के ब्राह्मणों से इस मनुस्मृति को लेकर दुर्भावना रखते हैं जबकि इसे लिखने में उनकी कोई गलती नहीं है। अतः ऐसा नहीं करना चाहिए। परन्तु जो भी व्यक्ति चाहे वह ब्राह्मण हो या कोई और, यदि वह मनुस्मृति में प्रतिपादित सिद्धांतों की वकालत करें तो पहले उसे लाॅजिकली समझाएं और यदि नहीं समझे तो उसका बहिष्कार करें।
रघुवीर प्रसाद मीना

Monday 17 December 2018

जीवन को सार्थक बनाने के लिए स्वामी विवेकानंद के महत्वपूर्ण विचार ।

(12 जनवरी 1863 से 4 जुलाई 1902)
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16.12.2018

स्वामी विवेकानंद विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु थे। उनका जीवन काल केवल 39 वर्ष रहा परन्तु उन्होंने मानवता को जबरदस्त सकारात्मक दिशा दी। 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म महासभा हुई थी, जिसमें स्वामी विवेकानंद जी ने भाषण दिया। इस भाषण के बाद उन्हें काफी ख्याति मिली थी। उन्होंने रामकृष्ण परमहंस मिशन की शुरुआत की थी। स्वामी विवेकानंद के कुछ ऐसे विचार, जिनका ध्यान रखने पर आप सफलता हासिल कर सकते हैं.....

1. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का आप पर विश्वास उठ जाता है।

2. हम वो हैं, जो हमें हमारी सोच ने बनाया है। इसलिए इस बात का धयान रखें कि आप क्या सोचते हैं। जैसा आप सोचते हैं वैसे बन जाते हैं।

3. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

4. सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।

5. जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर चल रहे हैं।

6. हम जितना ज्यादा बाहर जाए और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें वास करेंगे।

7. भला हम भगवान को खोजने कहां जा सकते हैं, अगर उसे अपने हृदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते।

8. आपको अंदर से बाहर की ओर विकसित होना है। कोई तुम्हें पढ़ा नहीं सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता. तुम्हारी आत्मा के आलावा कोई और गुरु नहीं है

9. पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।

10. किसी भी चीज से मत डरो। तुम अद्भुत काम करोगे। यह निर्भयता ही है जो पलभर में परम आनंद लाती है।

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 

Sunday 16 December 2018

देश का किसान रील वाले कोडक कैमरा पर चिपका हुआ है, उसे iphoto पर जाने की जरूरत है।

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16.12.2018

देश का किसान रील वाले कोडक कैमरा पर चिपका हुआ है, उसे iphoto पर जाने की जरूरत है।
हम सभी जानते हैं कि पहले रील वाला कोडक कैमरा बहुत अधिक पॉपुलर होता था। उसका बिजनेस करने वाला व्यक्ति आर्थिक रूप से समृद्ध रहता था। परंतु समय के साथ साथ तकनीकी में बदलाव आया और आज iphoto के सामने रील वाले कैमरे लगभग लुप्त हो गए हैं। अब यदि कोई दुकानदार रील वाले कैमरे को बेचने की कोशिश करें तो ऐसे दुकानदारों का क्या होगा? ऐसे दुकानदारों की आर्थिक दशा वास्तव में खराब होती चली जाएगी। ऐसा ही हाल किसान का हो रहा है, किसान साधारण खेती में गेहूं, चना, बाजरा, व सरसों इत्यादि की फसल से ऊपर नहीं उठ पा रहा है जबकि इन फसल को करने में बहुत अधिक लागत आती है और बाजार में उचित दर पर नहीं मिल पाती है।
श्री पिंटू पहाड़ी जैसे तकनीकी रूप से योग्य कृषी वैज्ञानिक व समाज सेवी आए दिन लोगों को कैश क्रोप, सब्जियां व फल के बागान इत्यादि लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। आवश्यकता है किसान को साधारण खेती से अलग हटकर नई तकनीकी की खेती बाड़ी या बागान इत्यादि शुरू किये जाए ताकि उनकी आर्थिक दशा मजबूत हो सके। जो लोग गांव में रहते हैं और कृषि करते हैं उन्हें चाहिए कि वे अपने अपने गांव में नई तकनीक से खेती करने के उदाहरण प्रस्तुत करें ताकि और लोग उन्हें देखकर iphoto की तर्ज पर कम लागत में उन्नत खेती की शुरुआत कर सके व अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार कर सके।
reel वाला kodak camera - - - - - > iphoto
साधारण खेती छोड़कर - - - - - > नई तकनीक से कैश क्रोप व बागान।
सोच बदल कर नई सोच को क्रियान्वित करें।
रघुवीर प्रसाद मीना

Theory of only 5 handshakes away!

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15.12.2018

Theory of only 5 handshakes away!
दुनिया का हर व्यक्ति बड़े से बड़े दूसरे व्यक्ति से केवल 5 हाथ की दूरी पर है। उदाहरण के तौर पर यदि गांव के साधारण व्यक्ति के नजरिए से देखें तो वह सरपंच को जानता है, सरपंच एमएलए को जानता है, एमएलए एमपी को जानता है, एमपी देश के प्रधानमंत्री को जानता है और हमारे देश के प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जानते है।
गांव का साधारण व्यक्तिसरपंचएमएलएएमपीप्रधानमंत्रीअमेरिका के राष्ट्रपति।
इस प्रकार गांव के साधारण आदमी से डोनाल्ड ट्रंप केवल पांच हाथ दूर है। हम सभी को यह समझना चाहिए कि यदि आप किसी व्यक्ति से कार्य करना चाहते हैं तो पहले देखो कि किसके माध्यम से उस तक पहुंचा जा सकता है, कौन अच्छा माध्यम है जिसके द्वारा अपनी बात पहुंच सकती है?
इस कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण वह प्रथम व्यक्ति है जिससे आपके सीधे संबंध है। सीधे संबंध बहुत प्रगाढ़ होने चाहिए, यदि आप समर्पित व निष्ठावान है और दूसरों के काम आते हैं तो दूसरा व्यक्ति भी आपके जरूर काम आयेगा।
रघुवीर प्रसाद मीना

जयपाल सिंह मुण्डा - जाने व याद करें व प्रेरणा ले।

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15.12.2018

श्रीमान जयपाल सिंह मुंडा 
(3 जनवरी 1903 – 20 मार्च 1970)

श्री जयपाल सिंह मुंडा देश के आदिवासियों और झारखंड में हुए विभिन्न आदिवासी आंदोलनों के एक सर्वोच्च नेता थे।  जयपाल सिंह मुंडा पढ़ने में बहुत इंटेलिजेंट थे, वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने वाले प्रथम आदिवासी थे। 1928 में हॉकी के विश्व कप जिसमें भारत विजेता हुआ की टीम के कप्तान थे।

वे एक जाने माने व्यक्तिव, पत्रकार, लेखक, संपादक, शिक्षाविद् और 1925 में ‘ऑक्सफोर्ड ब्लू’ का खिताब पाने वाले हॉकी के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि श्री जयपाल सिंह मुंडा कंस्टीट्यूएंट असेंबली के सदस्य थे, जिन्होंने संविधान के निर्माण के समय आदिवासियों के हित के संबंध में जरूरी पक्ष रखें और आदिवासियों को संविधान में जो अधिकार मिले हुए हैं उसमें श्री जयपाल सिंह मुंडा का बेहद बड़ा व जोरदार योगदान रहा है।

20 मार्च, पुण्यतिथि के अवसर पर श्रीमान जयपाल सिंह मुंडा को शत शत नमन और हम सभी विनिश्चय करें कि अपने अपने क्षेत्र में जोरदार उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करें । 

#जोहार 

Saturday 15 December 2018

प्रताप नगर, जयपुर में बनाये जा रहे बालिका छात्रावास की शुरुआत।

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15.12.2018

प्रताप नगर, जयपुर में बनाए जा रहे बालिका छात्रावास के प्रेरणा स्रोत व छात्रावास की शुरुआत ।
प्रताप नगर, जयपुर में बनाया जा रहे है बालिका छात्रावास के प्रेरणा स्रोत श्री लक्ष्मण मीना जी, एमएलए-बस्सी का छात्रावास की परिसर  रेलवे के कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ स्वागत किया गया। श्री लक्ष्मण जी ने चर्चा के दौरान बताया कि इस बालिका छात्रावास का संचालन जनवरी 2019 से प्रारंभ करने हेतु योजना बनाई जा रही है।
श्री लक्ष्मण जी बस्सी विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 42764 मतों से एमएलए का चुनाव जीते हैं। उन्हें सभी समाजों की ओर से अच्छे वोट मिले हैं। उनके अच्छे व्यवहार व सेवाभाव के कारण बस्सी के सभी समाजों के मतदाताओं ने अंजू धानका के स्थान पर श्री लक्ष्मण जी को भारी मतों से चुनाव जिताया है।
श्री लक्ष्मण जी वास्तव में एक समर्पित समाजसेवी है जिन्होंने कोटा में प्रथम बालिका छात्रावास, फिर दौसा में बच्चों के छात्रावास और अब प्रताप नगर, जयपुर में तीसरा छात्रावास (बालिका) बनवाने में समाज को बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
हम श्री लक्ष्मण मीना जी जैसे समाजसेवक एवं योग्य राजनेता के उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं करते हैं।
आदिवासी रेल परिवार।

Tuesday 11 December 2018

किसानों की व्यथा।

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10.12.2018

किसान व अंतिम उपभोक्ता एक नज़र में -
मरता मैं भी हूँ और मरते तुम भी हो।
मैं सस्ता बेच के मरता हूं और
तुम महंगा खरीद के मरते हो।
केवल मिडिलमेन ही मार रहा हम दोनों को।
सरकार जो रक्षक है वह बनी हुई है तमाशबीन।
संलग्न लेख में किसानों की दशा को जोरदार तरीके से बताया गया है। किसानों का उत्पाद बहुत ही कम दाम पर बिकता है और खरीद करने वाले अंतिम उपभोक्ता बहुत ऊंचे दाम पर चीजों को खरीदते हैं। मिडिलमेन जो कि किसानों व अंतिम उपभोक्ताओं की तुलना में बहुत ही कम संख्या हैं, वे बहुत अधिक मार्जिन की बचत करते हैं। जो कि किसान व उपभोक्ता दोनों को ही मारता हैं। उदाहरणार्थ यदि किसान टमाटर ₹2 किलो बेचता है तो उपभोक्ता के पास वह ₹20 किलो तक पहुंचता है। सरकार को चाहिए कि वह इस भयावह मार्जिन को कम करने का उपाय करें ताकि किसान को फसल बेचने से ₹10 मिले और उपभोक्ता को सामग्री ₹12 में मिले। दोनों को ही ₹8 का लाभ मिल सके।
किसान व उपभोक्ताओं की वेदना को कम करने के निम्न उपाय हो सकते हैं -
1. आवश्यकता है उपभोक्ता व किसान का अधिक से अधिक डायरेक्ट कनेक्शन हो व मिडिलमेन का रोल कम हो जाए।
2. फसल सीजन के हिसाब से पैदा होती है। जब पैदा होती है तो एक साथ भारी वोल्यूम में पैदा होती है जिसका एक साथ कन्जम्पशन (उपभोग) होना संभव नहीं है। अतः स्टोरेज के संसाधनों का विकास करना होगा।
3.  प्रोसेसिंग यूनिटस् फसल के पैदा होने की जगह के आसपास लगाई जाएँ ताकि किसान उनके उत्पाद को उचित दर पर सीधा प्रोसेसिंग यूनिटस् में भेज सकें और तैयार की गई वस्तु भी कम लागत में तैयार हो जाये और उपभोक्ताओं को भी सही दाम पर मिल सके।
4. फसल हेतु उर्वरक व कीटनाशक दवाइयां सही दाम एवं समय पर उपलब्ध हो और उनकी ब्लैक मार्केटिंग नहीं हो।
5. फसल पैदा करने के लिए जो पानी चाहिये उसकी उपलब्धता आसानी से होनी चाहिए। उसके लिए फॉर्म पोन्डस् या पानी बचाने की तकनीकी संसाधन किसान को कम दाम पर मुहैया कराये जाएं।
6. बिजली या डीजल की दरें न्यूनतम होनी चाहिए।
7. किसानों को भी चाहिए कि वे उनकी स्किल को डेवलप करें और नई तकनीकी का उपयोग कर कृषि कार्य करें ताकि कम लागत में अधिक पैदावार हो सके।
8.  सरकार को भी चाहिए कि जो लोग अच्छा पैदा कर रहे हैं उन्हें सम्मान व पहचान दें ताकि दूसरे किसान प्रोत्साहित हो सके।
9. सरकार को उन संस्थाओं एवं सिस्टम्स को प्रोत्साहित करना चाहिए जिनमें मिडल में का मार्जिन कम रहता है और किसानों फसल का सही दाम मिले व अंतिम उपभोक्ताओं को भी सही दाम पर चीजें मिले।
10. श्री पिंटू पहाड़ी व अन्य समझदार व्यक्ति इस विषय पर अक्सर लगातार लोगों को अवगत कराते रहते हैं, उनकी जानकारी का लाभ उठाएं। उनसे सीख कर एफिशिएंट तरीके से खेती करें।
रघुवीर प्रसाद मीना

Friday 7 December 2018

वोट - वोटिंग मशीन के बटन मैं दबे अनेकों प्रश्नों का उत्तर है।

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06.12.2018

आज चुनाव में मतदान बहुत सोच समझकर करने की जरूरत है। पहले के दिनों में विधानसभा क्षेत्रों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पोस्टिंग सरकार करती थी, नेता केवल खराब कर्मियों को हटवाने के लिए कार्रवाई करते थे। परंतु आजकल देखा जा रहा है कि एसडीएम, तहसीलदार, डीएसपी, थानेदार, अस्पतालों में डॉक्टर, स्कूलों में प्रिंसिपल, पटवारी व अन्य अधिकारी और कर्मचारियों की पोस्टिंग एमएलए के कहने से होती है। अत:आज अच्छे एमएलए का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
विगत दिनों में गंगापुर सिटी में 2 अप्रैल को बेकसूर छात्रों के साथ पुलिस द्वारा जो अत्याचार किया गया उसका एकमात्र कारण एमएलए द्वारा दिये गये अनावश्यक निर्देश व पोस्ट करवाये गए पुलिस के अधिकारी व कर्मचारियों ने स्वयं को सरकार के कर्मचारी नहीं मानकर उस एमएलए के कर्मचारी मानना था।
हर समझदार मतदाता को चाहिए कि वे चुनाव में वोट देते समय उस बटन के नीचे समाहित अनेकों प्रश्नों के उत्तर को समझते हुए अच्छे व योग्य उम्मीदवार को वोट दे

Monday 3 December 2018

कार्य को निष्पादित करे (deliver) & make things happen।

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02.12.2018

एक बार दीवार पर तीन बिल्लियां बैठी हुई थी, उनमें से दो ने निर्णय लिया कि कूद जाएं। अब कितनी बिल्लियां बची? साधारणतया लोग कहेंगे कि "एक" परंतु 1 घंटे या कई दिनों बाद देखा गया कि वहां तीनों ही बिल्लियां बैठी हुई थी। क्योंकि दो बिल्लियों ने केवल निर्णय ही लिया था, लिए गये निर्णय का क्रियान्वयन नहीं किया।
यह कहानी जीवन के हर पहलू पर लागू होती है। निर्णय लेना एक बात है परंतु उसे क्रियान्वित करना बहुत ही जरूरी है। अर्थात कार्य को कर दिया जाए "make things happen" यथा delivery बहुत जरूरी है।
प्रतिदिन हम लोग अपने घर पर सुबह देख सकते है कि मां या पत्नी नाश्ता तैयार करके दे देती है। मसलन उन्होंने आटा, चावल, बेसन या ब्रेड इत्यादि ली और उसको प्रोसेस करके एंड रिजल्ट नाश्ते या खाने के रूप में तैयार कर देती हैं। कुल मिलाकर सुबह श्याम यदि घर पर महिलाओं के रोल को देखें तो उसमें कार्य निष्पादन के बहुत सारे पहलू जुड़े रहते हैं। इसी प्रकार हर व्यक्ति सुबह उठकर स्नान कर लेता है तो उसने एक कार्य निष्पादित कर लिया। यदि एक्सरसाइज कर ली तो एक और मुख्य कार्य निष्पादित कर लिया।
दिन भर में देखने की आवश्यकता है कि व्यक्ति वास्तव में क्या कार्य निष्पादित करता है? कार्यालय में डिसीजन लेना, फाइलों को निपटाना भी कार्य निष्पादन करना है। हर व्यक्ति को दिन समाप्त होने पर अपने आपको इवेलुएट करना चाहिए कि उसने उस दिन क्या कार्य निष्पादित किया है? यदि उसे लगे कि वह एफिशिएंट तरीके से कार्य निष्पादित नहीं कर पा रहा है तो उसे कार्य करने के तरीके बदलाव करने की जरूरत है।
कार्य निष्पादन करना जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। यदि कोई व्यक्ति केवल बातें करें एवं सोचता रहे तो उसका उतना महत्व नहीं है जितना कि कार्य निष्पादन करने का। जब तक हम कार्य निष्पादन नहीं करेंगे तब तक कोई ठोस कार्य संपन्न नहीं होगा। हमें प्रतिदिन देखना चाहिए कि हम कितने अच्छी तरीके से कार्यों को निष्पादित कर रहे हैं या कार्यशैली को और सुधारने की जरूरत है
"Make Things Happen"
रघुवीर प्रसाद मीना

Sunday 2 December 2018

यदि मजबूत लोकतांत्रिक ढांचा चाहिए तो चुनाव में नहीं ले किसी भी नेता से कोई अहसान ।

rpmwu160
02.12.2018

राजस्थान में विधानसभा के चुनाव 7 दिसंबर को होने वाले हैं। लोकतंत्र में चुनाव में मत देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। इस दौरान छोटी सोच रखने वाले मतदाता, उनके मत की वैल्यू समझे बिना नेताओं से विभिन्न प्रकार की लालच (फेवर/एहसान) जैसे गाड़ी का किराया, कुछ पैसे, शराब या कपड़े इत्यादि लेकर अपने मत की कीमत पर कलंक लगा लेते हैं। जिस नेता ने ऐसी लालच से वोट लिए हैं वह उन मतदाताओं की अगले 5 साल बिल्कुल परवाह नहीं करता है क्योंकि उसने इन वोटों को खरीदा है ना कि लोगों ने उसके ऊपर किसी प्रकार का कोई एहसान किया है।
यदि हम वास्तव में चाहते हैं कि अच्छे नेता चुने जाये तो हमें चाहिए कि चुनाव के समय नेताओं से किसी प्रकार का फेवर या एहसान नहीं ले, बल्कि मत देकर आप अच्छा नेता और सरकार चुन कर लोकतंत्र की मदद करें। ऐसा करने से नेता हमेशा हमेशा के लिए आप का कृतज्ञ रहेगा और जैसा वोटर चाहेंगे वह उसी प्रकार का कार्य करेगा। यदि कोई व्यक्ति लालच लेकर वोट दे रहा है तो उसको उस नेता से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
इस संदर्भ में एक बड़ा जोरदार उदाहरण मैंने अभी हाल में पढ़ा है। एक व्यक्ति के पास एक नेता गया और उसने उसे ₹1000 का नोट दिया और कहा कि आप मुझे वोट देना। उस समझदार व्यक्ति ने कहा कि भाई ₹1000 का मैं क्या करूंगा कि आप एक काम करो मेरे लिए एक गधा खरीद कर दे दो। जब वह नेता गधा खरीदने के लिए बाजार में गया तो पता लगा कि ₹20000 तक में भी गधा नहीं आ रहा है, तो उसने सोचा कि अगर ऐसे मैं गधा देता रहूंगा तो यह बहुत ही मंहगा पड़ेगा। तो वह नेता उस व्यक्ति के पास पुन: गया, उसने कहा कि गधे तो बहुत महंगे हैं ₹20000 से कम नहीं मिल रहे है तो उस व्यक्ति ने कहा तो मैं क्या तुमको गधे से भी बेवकूफ नजर आ रहा हूं? जो आप मेरे बोट को हजार रुपे में खरीदना चाहते हो ।
इस छोटी सी कहानी के माध्यम से हम सब को यह समझना चाहिए कि हमारा वोट बहुत ही महत्वपूर्ण है। सच्चे लोकतंत्र के लिए उसे किसी भी कीमत पर छोटी -मोटी लालच या फेवर इत्यादि के लिए नहीं बेचे और चुनाव के समय नेताओं से किसी भी प्रकार का फेवर  या एहसान नहीं ले। बल्कि यदि आप करने के लिए सक्षम है तो उन पर एहसान करें ताकि 5 साल तक वे अच्छे मन लगाकर स्वच्छ लोकतंत्र में काम कर सके।
यदि मतदाता भ्रष्ट तरीके अपनाकर वोट देता है तो मान लेना चाहिए कि उसने भ्रष्टाचार का पेड़ लगा दिया है जिसमें भ्रष्टाचार के ही फल आने वाले हैं। और यदि उसने नेकी से मत दिया हैं तो उसने नेकी का पेड़ लगाया हैं जिसमें नेकी के ही फल आने वाले है। हमें समझ लेना चाहिए कि देश, समाज और व्यक्ति स्वयं के विकास और उन्नति के लिए उसे क्या करना है?
रघुवीर प्रसाद मीना