rpmwu157
21.11.2018
आज लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी समाज के मजबूत होने का आईना उसके मजबूत नेता है। यदि समाज के नेता कमजोर है तो राजनीतिक तौर पर माना जाएगा कि समाज में एकता और समझ की कमी है और वह समाज विशेष मजबूत नहीं है। समाज की कमजोरी व नेताओं की आपसी फूट के कारण, किसी समाज की जनसंख्या बहुत अधिक होने के उपरांत भी राजनीति में आवश्यक नहीं की उसके नेताओं को उपयुक्त प्रतिनिधित्व मिले। ऐसा भी हो सकता है कि जानबूझकर बड़ी पार्टियां ऐसे नेताओं को टिकट दे जो योग्य नहीं है और वे उनके सामाज के हक के लिए प्रतिनिधि चुने जाने के पश्चात कोई ठोस कार्य नहीं करें।
अभी विधानसभा के चुनाव राजस्थान में होने वाले हैं और हमें बहुत सोच समझ कर ऐसे योग्य नेताओं को चुनना होगा जो हमारे समाज या हमारे जैसे समाजों के हितों का ध्यान रखें, उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं बनवाएं और उनका क्रियान्वयन करवाये।
हमारे समाज में दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में बड़े नेता है। दोनों नेताओं को नुकसान इसलिए हुआ कि लोगों ने उन्हें मुख्यमंत्री का दावेदार माना। दोनों पार्टियों ने अपने अपने तरीके से हमारे बड़े नेताओं को नुकसान पहुंचाया। समाज की जिम्मेदारी बनती है कि अपने नेताओं खासकर बड़े नेताओं को समर्थन दे, उन्हें और बड़ा बनाएं। जैसे पेड़ फल तभी देता है जब उसकी फल देने लायक उम्र हो जाती है, बचपन से ही कोई पेड़ फल नहीं दे सकता। अतः वरिष्ठ नेताओं को लगातार समर्थन देना अत्यंत आवश्यक है। जैसे जैसे नेता बड़े होते हैं वैसे वैसे ही उनका कद राजनीति में बढ़ता जाता है और वे राजनीतिक पार्टियों में अपना वर्चस्व बनाते हैं और उसी से उन्हें ऊंचे पद मिलते हैं। कुछ राजनीतिक पार्टियों जानबूझकर यह कोशिश होती है कि बड़े नेताओं को टिकट नहीं दें और अन्य नेताओं को टिकट देकर समाज को खुश कर दिया जाएँ परंतु वास्तव में गहराई से देखते हैं तो पता चलता है कि ऐसी पार्टियां उस समाज को बहुत ऊपर उठते हुए देखना नहीं चाहती हैं।
हमारे एक बडे नेता ने जब नई पार्टी बनाई और दूसरे समाज के लोगों को टिकट दिया तो दूसरे समाज के लोगों ने उनके समाज के उम्मीदवारों को यह कहकर वोट नहीं दिया कि वे तो मीनाओं के गोद चले गए। दूसरी ओर हमारे समाज के लोगों के वोट इस नई पार्टी व दूसरे बडे़ नेता की पार्टी में बँट गये और दोनों को ही भारी नुकसान हुआ। अभी तक भी दोनों नेताओं को फूट का दंश झेलना पड़ रहा है।
समाज के बुद्धिमान और जागरूक नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे समाज के अधिक से अधिक योग्य नेताओं को विधानसभा में चुनकर भिजवाए। जहां फूट है, आपस में एकता नहीं हो पा रही है कोशिश करें कि उन सब में योग्य और लोकप्रिय उम्मीदवार अंतिम रूप से खड़ा रहे और उसे एक साथ जोरदार समर्थन देकर विजयी बनाएं। दूसरे हमारे जैसे जो समाज है उन लोगों से भी निवेदन करें कि वे हमारे योग्य कैंडिडेट्स को वोट दें और विजयी बनाएं।
रघुवीर प्रसाद मीना
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