Friday 21 June 2019

बिजनेस Vs नौकरी

rpmwu239
20.06.2019

#बिजनेस_Vs_नौकरी
संलग्न फोटो में दो शख्सियतों ने वास्तव में #बिजनेस एवं #नौकरी के #अंतर को समझाने के लिए बड़ी साधारण भाषा में जबरदस्त बात कही है। देश के #प्रधानमंत्री भी #स्टार्टअपस् की संख्या बढ़ाना चाहते हैं, #सरकार द्वारा विभिन्न तरह से #प्रोत्साहित करने की कोशिश की जा रही है।
मेरे अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने कैरियर में मूलरूप से निम्न 4 चीजें प्राप्त करता है -
1. धन
2. पोस्ट (पद)
3. अनुभव
4. संपर्क (कॉन्टैक्टस्)
नौकरी करने वाले व्यक्ति अपनी अगली पीढ़ी को #धन तो ट्रांसफर कर सकते है परंतु #पोस्ट ट्रांसफर नहीं कर सकते है और उनकी अगली पीढ़ी को उन व्यक्तियों के #अनुभव#कांटेक्टस् की बहुत ही नगण्य प्रतिशत ही काम आ पाती है। दूसरी ओर यदि बिजनेस के बारे में देखा जाए तो ये चारों चीजें अगली पीढ़ी को ट्रांसफर हो जाती हैं और बिजनेस को बढ़ाने में वास्तव में काम आती है। बिजनेस करने वालों के बच्चे 21 साल उम्र में सीएमडी  या डायरेक्टर बन जाते हैं जबकि नौकरी करने वाले ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकते करने है। नौकरी करने वालों के बच्चे  यदि दूसरे प्रोफेशन में चले गए तो पहली पीढ़ी के लोगों के कॉन्टेक्ट्स व अनुभव शायद ही काम आते हैं जबकि बिजनेस में ये दोनों चीजें बहुत अधिक काम आती है।
संक्षिप्त में कहा जाता है #बिजनेस में हर पीढ़ी के #प्रयत्न  #जुड़ते जाते हैं जबकी #नौकरी करने में हर पीढ़ी को उनके प्रयत्नों की नए सिरे से #पुनरावृति करनी पड़ती है। इसीलिए जो लोग  या समाज  बिजनेस करते हैं  वे बहुत ऊंचाइयों पर पहुंच चुके हैं और जो नौकरी कर रहे हैं  वे इतनी ऊंचाइयों पर नहीं पहुंच पाए हैं और ना ही कभी पहुंच पाएंगे।
जो लोग #बिजनेस करते हैं वे दूसरे लोगों को भी #रोजगार_मुहैया कराते हैं इसलिए बिजनेस करना नौकरी करने की अपेक्षा देश हित में भी बड़ा कार्य है।
अत: नई पीढ़ी को चाहिए कि अधिक से अधिक #स्टार्टअपस् की शुरुआत करके #बिजनेस #प्रारंभ किए जाएं।
रघुवीर प्रसाद मीना 

Wednesday 19 June 2019

शिक्षा की महाप्रणेता आदिवासी वीर कालीबाई!

rpmwu238
18.06.2019

19 जून/बलिदान-दिवस
भील बालिका कालीबाई का बलिदान
15 अगस्त 1947 से पूर्व भारत में अंग्रेजों का शासन था। उनकी शह पर अनेक राजे-रजवाड़े भी अपने क्षेत्र की जनता का दमन करते रहते थे। फिर भी स्वाधीनता की ललक सब ओर विद्यमान थी, जो समय-समय पर प्रकट भी होती रहती थी।
राजस्थान की एक रियासत डूंगरपुर के महारावल चाहते थे कि उनके राज्य में शिक्षा का प्रसार न हो। क्योंकि शिक्षित होकर व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाता था लेकिन अनेक शिक्षक अपनी जान पर खेलकर विद्यालय चलाते थे। ऐसे ही एक अध्यापक थे सेंगाभाई, जो रास्तापाल गांव में पाठशाला चला रहे थे।
इस सारे क्षेत्र में महाराणा प्रताप के वीर अनुयायी भील बसते थे। विद्यालय के लिए नानाभाई खांट ने अपना भवन दिया था। इससे महारावल नाराज रहते थे। उन्होंने कई बार अपने सैनिक भेजकर नानाभाई और सेंगाभाई को विद्यालय बन्द करने के लिए कहा परन्तु स्वतंत्रता और शिक्षा के प्रेमी ये दोनों महापुरुष अपने विचारों पर दृढ़ रहे।
यह घटना 19 जून, 1947 की है। डूंगरपुर का एक पुलिस अधिकारी कुछ जवानों के साथ रास्तापाल आ पहुंचा। उसने अंतिम बार नानाभाई और सेंगाभाई को चेतावनी दी। जब वे नहीं माने तो उसने बेंत और बंदूक की बट से उनकी पिटाई शुरू कर दी। दोनों मार खाते रहे परन्तु विद्यालय बंद करने पर राजी नहीं हुए। नानाभाई का वृद्ध शरीर इतनी मार नहीं सह सका और उन्होंने अपने प्राण त्याग दिये। इतने पर भी पुलिस अधिकारी का क्रोध शांत नहीं हुआ। उसने सेंगाभाई को अपने ट्रक के पीछे रस्सी से बांध दिया।
उस समय वहां गांव के भी अनेक लोग उपस्थित थे परन्तु डर की वजह से किसी का भी बोलने का साहस नहीं हो रहा था। उसी समय एक 12 वर्षीय भील बालिका कालीबाई वहां आ पहुंची। वह साहसी बालिका उसी विद्यालय में पढ़ती थी। इस समय वह जंगल से अपने पशुओं के लिए घास काट कर ला रही थी। उसके हाथ में तेज धार वाला हंसिया चमक रहा था। उसने जब नानाभाई और सेंगाभाई को इस दशा में देखा, तो वह रुक गयी।
उसने पुलिस अधिकारी से पूछा कि इन दोनों को किस कारण पकड़ा गया है। पुलिस अधिकारी पहले तो चुप रहा, पर जब कालीबाई ने बार-बार पूछा, तो उसने बता दिया कि महारावल के आदेश के विरुद्ध विद्यालय चलाने के कारण उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। कालीबाई ने कहा कि विद्यालय चलाना अपराध नहीं है। गोविन्द गुरुजी के आह्नान पर हर गांव में विद्यालय खोले जा रहे हैं। वे कहते हैं कि शिक्षा ही हमारे विकास की कुंजी है।
पुलिस अधिकारी ने उसे इस प्रकार बोलते देख वह बौखला गया। उसने कहा कि विद्यालय चलाने वाले को गोली मार दी जाएगी। कालीबाई ने कहा,तो सबसे पहले मुझे गोली मारो। इस वार्तालाप से गांव वाले भी उत्साहित होकर महारावल के विरुद्ध नारे लगाने लगे। इस पर पुलिस अधिकारी ने ट्रक चलाने का आदेश दिया। रस्सी से बंधे सेंगाभाई कराहते हुए घिसटने लगे। यह देखकर कालीबाई आवेश में आ गयी। उसने हंसिये के एक ही वार से रस्सी काट दी।
पुलिस अधिकारी के क्रोध का ठिकाना न रहा। उसने अपनी पिस्तौल निकाली और कालीबाई पर गोली चला दी। इस पर गांव वालों ने पथराव शुरू कर दिया, जिससे डरकर पुलिस वाले भाग गये। इस प्रकार कालीबाई के बलिदान से सेंगाभाई के प्राण बच गये। इसके बाद पुलिस वालों का उस क्षेत्र में आने का साहस नहीं हुआ। कुछ ही दिन बाद देश स्वतंत्र हो गया। आज डूंगरपुर और सम्पूर्ण राजस्थान में शिक्षा की जो ज्योति जल रही है। उसमें कालीबाई और नानाभाई जैसे बलिदानियों का योगदान अविस्मरणीय है।
हमें आदिवासियों को शिक्षत करने के लिए आदिवासी बालिका कालीबाई व नानाभाई, सेंगाभाई व गोविन्द गुरु जैसे महान विभूतियों को याद करना चाहिए एवं उनके बलिदान का सम्मान करना चाहिए।
रघुवीर प्रसाद मीना

Monday 17 June 2019

वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करे।

rpmwu236
16.06.2019

जो लोग समझदार है एवं स्वयं की सफलता पर ध्यान देते  है, वे सोचते है कि -
अच्छी पढ़ाई करके पहले ज्ञान प्राप्त किया जाये व उसके बाद स्वरोजगार या बिजनेस कैसे प्रारम्भ करे।
MBA करके विदेश कैसे जाये या देश में हाई पैकेज वाला प्राईवेट जॉब कैसे हासिल करे।
IAS/IES/PCS सेवाओं में कैसे जाएं।
शिक्षा के क्षेत्र में जाएं और NET/PhD करके काॅलेज टीचिंग में कैसे जाएं।
बैकिंग,रेलवे,मेडिकल, टेक्निकल, ईजीनियरिग  में कैसे जाएं। PSU में कैसे जाएं इत्यादि इत्यादि।
चुनाव में वोट अवश्य डालेंगे व वोट को कभी भी नहीं बेचेंगे।
दूसरी ओर जो लोग #धार्मिक_अंधविश्वास_के_प्रदूषण (DAP) के ज्यादा शिकार है वे सोचते है कि -
पदयात्रा, कथा, मंदिर में जाने से जीवन में सफलता मिलेगी। मेहनत में कम विश्वास करते हैं।
धार्मिक बहस में लम्बा समय नष्ट कर सकते हैं।
देवी देवता का पंडाल कहाँ सजाएं।
होली जलाने की लकड़ी कहाँ से लायें।
DJ कहाँ से मंगाएँ।
पूजा के लिए कौन व्यक्ति श्रेष्ठ है।
रामायण पाठ कब करायेंगे।
दशहरे पर रावण के पुतले की ऊंचाई कितनी होगी व कहाँ जलायेंगे।
पटाखे कहाँ से लायेंगे।
मंदिर कहां बनाये व उसके लिए चंदा कैसे इकट्ठा करे।
भंडारा कब व कहां करेंगे।
वोट देने से क्या होने वाला है।
आवश्यकता है कि सोच में #वैज्ञानिक_दृष्टिकोण_विकसित किया जाये व स्वयं के साथ-साथ देश की उन्नति में भी हिस्सेदार बने।
रघुवीर प्रसाद मीना

Sunday 9 June 2019

नेताओं के समर्थन हेतु सोशल मीडिया पर अभद्र टिका टिप्पणी नहीं करे।

rpmwu233
08.06.2019

नेताओं के समर्थन हेतु सोशल मीडिया पर अभद्र टिका टिप्पणी नहीं करे।

पिछले कुछ दिनों से देखने में आ रहा है की नेताओं के समर्थक एक दूसरे से अथवा अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के बारे में बहुत ही अभद्र टिका टिप्पणी या कॉमेंट कर देते हैं। ऐसा करना किसी भी तरह से सही नहीं है।
नेताओं के विचारों में आपस में इतना अंतर नहीं रहता जितना की समर्थकों या कार्यकर्ताओं में आपस में होता है। नेता कभी भी बिना समर्थकों को बताये आपस में मिल सकते है व अलग भी हो सकते है। अतः सभी से निवेदन है अपनी मर्यादा में रहते हुए ही सोशल मीडिया पर टिप्पणी करें।
यदि कोई व्यक्ति अभद्र टिप्पणी करता है तो उससे उस व्यक्ति के चरित्र एवं चाल चलन के स्तर का काफी पता चल जाता है कि वह व्यक्ति किस प्रकार की बातें कर सकता है। अतः दूसरे का नहीं तो स्वयं की इमेज का ध्यान रखते हुए सोशल मीडिया पर एक दूसरे के प्रति अभद्र टिप्पणी करने से बचें और दूसरों के स्वाभिमान को भी ठेस नहीं पहुंचाये।
रघुवीर प्रसाद मीना

माननीय प्रधानमंत्री जी व मीडिया से अनुरोध।

rpmwu232
08.06.2019

माननीय प्रधानमंत्री जी व मीडिया से अनुरोध।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी जहां भी जाते हैं साधारणतया वहां मंदिरों में दर्शन करते हैं और उनके दर्शन करने से संबंधित समस्त गतिविधियों को मीडिया जोर शोर से टीवी पर दिखाता है। ऐसा करने से देश के युवाओं के मन में धार्मिक अंधविश्वास को बढ़ावा मिल रहा है जो कि देश की उन्नति क लिए किसी भी तरह से सही नहीं है।
माननीय प्रधानमंत्री जी को चाहिए कि जब भी व बहार जाये तो विज्ञान व तकनीकी से संबंधित संस्थाओं, फैक्टरीज्, कारखानों, उपक्रमों, प्रोजेक्टस् व अन्य चीजों की अवश्य विजिट करें एवं उसके बारे में मीडिया बढ़ चढ़कर दिखाएं। ऐसा करने से युवाओं की सोच में वैज्ञानिक दृष्टिकोण बढ़ेगा जिससे कि देश की प्रगति में मदद मिलेगी।
माननीय प्रधानमंत्री जी एवं मीडिया से अनुरोध है कि धार्मिक दर्शन इत्यादि के कार्यक्रमों को निजी रखें और वैज्ञानिक व तकनीकी ज्ञान इत्यादि की विजिटस् की जानकारी को बढ़ावा दे।
रघुवीर प्रसाद मीना

Sunday 2 June 2019

#पुलिस द्वारा #आदिवासी की #निर्मम #हत्या।

rpmwu231
02.06.2019

#पुलिस द्वारा #आदिवासी की #निर्मम #हत्या
एक आदिवासी को न्याय दिलाने हेतु टोंक जिला के #नगरफोर्ट में श्री #हरीश #मीना जी, एमएलए दिनांक 01.06.19 से #आमरण #अनशन पर बैठे हैं। आज मैं स्वयं, श्री विक्रम बरदाला जी व श्री भरतलाल मीना जी अनशन स्थल पर गये एवं एमएलए सहाब, इंचार्ज डाॅक्टर व जनता से विस्तार चर्चा करके वस्तुस्थिति से अवगत हुए जो कि निम्न प्रकार है -
दिनांक 29 मई 2019 को लगभग सुबह 6:30 बजे पुलिस एक व्यक्ति को एम्बुलेंस में लेकर नगरफोर्ट पीएचसी पहूंची। डॉ के बताया कि पुलिस के व्यक्ति ने कहा कि वह एसएचओ उनियारा है एवं जिस व्यक्ति को लेकर आये हैं वह ट्रेक्टर ट्राली के पलटने से चोटग्रस्त है अत: उसे टोंक रेफर कर दिया जाये। डॉ ने रेफर करने हेतु मरीज की जांच करने हेतु कहा परन्तु पुलिस वालों ने कोशिश की कि बिना जांच ही रेफर कर दिया जाये। परन्तु डॉ ने बिना जांच रेफर करने से मना कर दिया और फिर जब जांच की तो पता चला कि वह व्यक्ति पहले से सिर में गंभीर चोट के कारण मृत था। पुलिस का ऐसा रवैया इंगित करता है कि लाये गये व्यक्ति की मौत दुर्घटना से न होकर पुलिस द्वारा की गई थी।
आम जनता के मुताबिक मृत व्यक्ति का नाम श्री भजन लाल मीना है व उसकी पुलिस द्वारा निर्मम हत्या की गई है। वह बजरी की ट्रॉली खाली करके ला रहा था, पुलिस ने पीछा किया, जब वह डर के कारण नहीं रूका तो पुलिसकर्मियों ने उसके सिर पर चलते ट्रेक्टर पर लकड़ी के फन्टे से वार किया और बेहोश होने के बाद नीचे उतारकर और बेरहमी से पिटाई की जिससे उसकी घटना स्थल पर ही मौत हो गई। यह घटना गांव की औरतों ने देखी, जब पुलिस को देखने वालों का पता चला तो उन्होंने तुरन्त डैडबाॅडी को उनकी गाड़ी में डालकर वहां से रवाना हो गए।
पुलिसकर्मियों ने एक आदिवासी की बेवजह निर्मम हत्या की और साक्ष्य मिटाने के प्रयास किये। उन पर सरकार द्वारा एक्शन नहीं करने के कारण स्थानीय विधायक श्री हरीश मीना जी को आमरण अनशन पर बैठना पड़ रहा है।
कृपया आप सभी सत्य को बड़े से बड़े स्तर पर पहुंचाये व आदिवासी भाई को #न्याय दिलाने में अपनी अपनी #भूमिका निभाये।
रघुवीर प्रसाद मीना