rpmwu183
06.01.2019
आज आदिवासियों की निम्नलिखित मांगे प्रमुख रूप से होने चाहिए।
1. आदिवासियों के लिए केंद्र सरकार में 7.5% की जगह 8.61% आरक्षण दिया जाए और राजस्थान में 12% के स्थान पर 13.5% आरक्षण दिया जाए, ये दोनों आंकड़े वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर है।
2. देश व राज्यों की राजधानी वाले प्रत्येक शहर में आदिवासियों के लिए सांस्कृतिक केंद्र बनाए जाएं जिसमें ऑडिटोरियम, गेस्ट हाउस, सांस्कृतिक धरोहरों को प्रदर्शित करन के लिए गैलरी, खेलकूद के लिए ग्राउंड इत्यादि होने चाहिए। यह सब सरकार भूमि निर्धारित करके सरकारी फंड से बनवाये जायें।
3. इंडियन जुडिशल सर्विस का गठन हो ताकि उच्च न्यायिक सेवा में आरक्षण का लाभ मिल सके।
4. केन्द्र व राज्य सरकारों में 'की पोस्टस्' को अलग से आईडेंटिफाई किया जाए और उन पर आरक्षण के मुताबिक एस सी एस टी के लोगों का प्रतिनिधित्व हो।
5. राज्यसभा में आरक्षण हो क्योंकि अब एससीएसटी के बहुत सक्षम लोग हैं जो राज्यसभा में जाने के लिए योग्य है।
6. महाविद्यालयों में जितनी रिक्तियां है उन्हें एडहोक बेसिस पर नहीं भरके नियमित रूप से भरें और उनको भरे जाने में आरक्षण का प्रावधान हो।
7. राष्ट्रीय बिल्डिंग्स्, धरोहरों व रोड़ो के नाम आदिवासी नेताओं व समाजसेवीेओं के नाम रखे जायें।
8. पांचना डैम से नहरों में पानी छोड़ा जाए और आदिवासी क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था विकसित की जाएं। ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट को स्वीकृत कर क्रियान्वित करवायें।
9. आदिवासियों को बिजनेस मैं जाने हेतु विशेष कार्य योजना बनाई जाए और सरकार की ओर से प्रोत्साहन व पैकेज मिले।
10. अनुसूचित जनजाति हेतु केंद्र व राज्य सरकारों की ओर से खर्च किए जाने वाले फंड्स का समुचित उपयोग हो और एक स्वतंत्र बॉडी बना कर किए जा रहे खर्चो की निगरानी व उन से होने वाले लाभ का ऑडिट किया जाए।
इनके अलावा आप सभी सोचे और इस लिस्ट को आगे बढ़ाएं तथा जब भी समझदार लोग आपस में बात करें तो इन मांगो के बारे में विचार विमर्श करें और अपने अपने जानकार राजनेताओं, समाजसेवीेओं व अधिकारियों से इनके बारे में चर्चा कर इन्हें फलीभूत करवाएं।
रघुवीर प्रसाद मीना
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