Saturday 23 March 2019

जागरूक मतदाता व सही उम्मीदवार का सलेक्शन।

rpmwu209
23.03.2019

#जागरूक #मतदाता व #सही #उम्मीदवार का सलेक्शन ।
अक्सर चुनावों के बाद #मतदाता #ठगा सा #महसूस करते हैं और शिकायत करते रहते हैं कि पार्टियां अच्छे लोगों को टिकट नहीं देती है। वोटर्स को जो भी पार्टियों के उम्मीदवार होते है उन्हें वोट करना पड़ता है अन्यथा नोटा पर वोट देते हैं जिससे कोई लाभ नहीं।
मैं सभी मतदाताओं को बताना चाहता हूं कि वे अपने आप की #ताकत को समझें और टि्वटर, फेसबुक, व्हाट्सएप, ईमेल व इंस्टाग्राम इत्यादि के इस युग में भली-भांति राजनीतिक पार्टियों को अच्छे व #योग्य #उम्मीदवार के #सलेक्शन करने में मदद कर सकते हैं। मतदाताओं को चाहिए कि वे वास्तव में राजनीतिक पार्टियों को अच्छे व योग्य उम्मीदवार चुनने में मदद करें और उन्हें समय पर सही #फीडबैक दें। राजनीतिक पार्टियां स्वयं भी चाहती है कि अच्छे व योग्य उम्मीदवार उनके कैंडिडेट बने परंतु समुचित फीडबैक के अभाव में उन्हें पुराने नेताओं या उनके परिवारजनों को ही उम्मीदवार बनाना पड़ता है। जिससे बाद में मतदाता दुखी रहते हैं और पार्टियों को अच्छा उम्मीदवार नहीं मिल पाता है और जो भी कैंडिडेट उपलब्ध है उन्हें ही वोट करना पड़ता है।
मतदाताओं को चाहिए कि #प्रथम #चरण में वे जिसे भी चुनाव हेतु #उपयुक्त #कैंडिडेट समझें उनके #सलेक्शन के बारे में समय पर टि्वटर, फेसबुक, व्हाट्सएप या ईमेल के माध्यम से पार्टियों के प्रमुख नेताओं को फीडबैक दें तथा #द्वितीय #चरण में जब वोटिंग हो तो आवश्यक रूप से वोट डालें यदि आ नहीं सकते हैं तो पोस्टल बैलट के माध्यम से वोटिंग करें परंतु यह प्रण ले लें कि #वोट #अवश्य ही #करना है।
रघुवीर प्रसाद मीना

One Golden Rule in Life मदद या काम के लिए जरूर कहें।

rpmwu203
23.03.2019

One #golden #rule in life मदद या काम के लिए जरूर कहें। 
आप जो मदद या कार्य चाहते है वह सम्बंधित व्यक्ति से अवश्य कहे।
#प्रथम #स्थिति - आपके कहने के मुताबिक कार्य संपन्न हो जाए तो आप जो चाह रहे हैं वह कार्य हो जाएगा।
#द्वितीय #स्थिति यदि जिस व्यक्ति से आपने अनुरोध किया है और वह आपके बताये कार्य में रूचि नहीं ले तो जिस व्यक्ति से आपने काम के लिए कहा है उसके ऊपर आपका एक स्कोर बढ़ जाता है कि आपने सहायता मांगी और उसने ध्यान नहीं दिया। जीवन में आवश्यकता पड़ने पर आप भी उसकी मदद या कार्य नहीं करने के लिए निसंकोच याद दिलाकर कह सकते है। ऐसा करने में नैतिक तौर पर आपको खराब नहीं लगेगा।
अतः जब भी किसी से मदद या कार्य की आवश्यकता हो जो बेहिचक कहना चाहिए। दोनों ही स्थिति में लाभ है, कार्य संपन्न हो जाए तो चाह गया कार्य हो गया और कार्य संपन्न नहीं हो तो आप याद रखें कि व्यक्ति आपके कार्य को करने में मदद नहीं करता है।
परंतु समझदारी से यह भी देखना होगा कि कई कार्य किसी व्यक्ति के चाहने के बावजूद भी नहीं होते हैं। तो ऐसी परिस्थितियों में बुरा मानने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हर कार्य तो स्वयंं वििष्णु भगवान भी नहीं कर सकता है। अतः बहुत ही बुद्धिमान इसे यह देखने की आवश्यकता है कि जिस व्यक्ति से आप ने किसी सहायता या मदद की अपेक्षा रखी है उसकी भावना कैसी है? क्या वह कार्य करने के लिए वास्तव में तत्पर है अथवा वह कार्य करने में जानबूझकर रुचि नहीं ले रहा है। अगर व्यक्ति रुचि ले रहा है और कार्य नहीं है तो उसका बिल्कुल भी बुरा नहीं मानना चाहिए। 
रघुवीर प्रसाद मीना

Thursday 21 March 2019

देशहित की सोच रखने वाले जागरूक नागरिकों, दोस्तों व भाईयों और बहनों की महत्ति #ज़िम्मेदारी।

#देशहित की सोच रखने वाले जागरूक नागरिकों, दोस्तों व भाईयों और बहनों की महत्ति #ज़िम्मेदारी।

#विचारणीय #प्रश्न: राजनीति में #नये #नेता क्यों नहीं आ पाते है?

इसका मुख्य कारण है कि विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में पहले से #इस्टैबलिश्ड अधिकांश #नेता नये लोगों की योग्यता, उनकी समाज सेवा की भावना, अच्छे चरित्र व ईमानदारी की तुलना में स्वयं व स्वयं के परिवारजनों को ही राजनीति में आगे बढ़ाने में बहुत अधिक विश्वास रखते हैं। उनके लिए समाज व समाजहित गौण हो जाते है।

इसे आसानी से समझने के लिए लगभग ऐसा माना जा सकता है जैसे कि कुछ लोग किसी बड़े #ओटड़ा (raised platform) पर चढ़े हुए है जिस पर सीढ़ी नहीं है और नये लोग नीचे खड़े हैं और उनसे अनुरोध कर रहे हो कि भाई हाथ बढ़ाना मैं भी ऊपर आना चाहता हूं। पहले से चढ़े लोगों में से नये व्यक्ति को ऊपर खींचने के लिए कोई #हाथ #नहीं #बढ़ाता है। और यदि कोई बढ़ाने की कोशिश भी करे तो उनमें से दूसरे लोग उसे रोकने का हर सम्भव प्रयास करते है।

ऐसी स्थिति में उस ओटड़े पर चढ़ने के लिए क्या किया जाए?

#तीन #तरीके हैं

#प्रथम - आमजनता जो यह देख रही है वह ओटड़े पर पहले से चढ़े लोगों को जोर से पुकारे व उनसे कहे ताकि उन्हें नये लोगों की मदद करने हेतु सोचना ही पड़े।

#द्वितीय - जो लोग नीचे खड़े नये व्यक्ति के दोस्त या खैरख्वाह या समाज हित की रखते हैं वे मिलकर उस नये व्यक्ति को उपर उठाने में एकजुटता दिखायें व आपसी सहयोग से उसे कंधों पर लेकर ओटड़े पर चढ़ा दें।

#तृतीय - नीचे खड़ा व्यक्ति स्वयं या उसके दोस्त या समाजहित सोचने वाले लोग कोई क्रेन या अन्य मशीन की मदद ले जो उसे ऊपर उठाने में सहायक हो सके।

मुझे तो लगता है कि तीनों तरीके यदि एक साथ अपनाएं जाए तो जो व्यक्ति नीचे खड़ा है उसे ऊपर उठाने में वांछित सफलता मिल सकती है। समाज में यदि नई लीडरशिप विकसित करनी हैं तो समाजहित सोचने वाले लोग, आमजनता व दोस्त जो जागरूक हैं वे ही ज्यादा मदद कर सकते हैं वनस्पति उनके जो ऑलरेडी राजनीति में अपना स्थान बना चुके हैं।

सभी भाई-बहनों, दोस्तों व जागरूक नागरिकों की जिम्मेदारी है कि जो भी संभव हो सके नए अच्छे, ऊर्जावान, समाज सेवा के विचार रखने वाले, ईमानदार एवं पार्टी के साथ साथ समाज के प्रति वफादारी रखने वाले लोगों को राजनीति में आगे बढ़ाएं ताकि वर्तमान भंयकर परिस्थितियों में समाजहित के मुद्दों की सही पैरवी हो सके। जब दोस्त और आम जागरूक नागरिकों के सपोर्ट से व्यक्ति आगे बढ़ता है तो उस पर भी एहसान होता है और वह वास्तव में हमेशा अच्छे कार्य करने की कोशिश करेगा।

रघुवीर प्रसाद मीना

Wednesday 20 March 2019

होली के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

rpmwu213
23.03.2019

होली के अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएं। रंगों का यह पर्व हमें जीवन में उल्लास और उमंग के साथ जाति-पांति, ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी के भेद को दूर कर समाज में समरसता को बढ़ावा देने का संदेश देता है।
आज के दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि मन से कटुता, भेदभाव और संकीर्णता का दहन कर सद्विचारों के माध्यम से समाज में आपसी भाईचारा बनाये रखें जिससे हर घर-आंगन में खुशी एवं उल्लास का वास हो सके।
#HappyHoli!
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना

Saturday 16 March 2019

जयपुर जंक्शन पर जल संरक्षण हेतु हुए उत्कृष्ट कार्य के लिए अवार्ड।

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23.03.2019

जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन को जल संरक्षण हेतु Indian Green Building Council (IGBC) जो कि Confederation of Indian Industries (CII) द्वारा वर्ष 2001 में बनाई गई एक सम्मानित संस्था है की ओर से रेलवे स्टेशनों की श्रेणी में राजस्थान के मुख्य सचिव श्री डीबी गुप्ता व IGBC के पदाधिकारियों द्वारा प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। जल संरक्षण हेतु जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन पर 1 लाख लीटर से अधिक क्षमता का रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम व अण्डरग्राउण्ड टैंक बनाया गया है साथ में नलों में ऐसे टैप लगाये है जिनसे पानी की बचत होती है। गाड़ियों की धुलाई हेतु पानी की रीसाइक्लिंग हेतु 5 लाख लीटर प्रतिदिन का एक वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है और गणपति नगर रेलवे कॉलोनी मैं 4 लाख लीटर प्रतिदिन का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट इंस्टॉल किया गया है जिसके पानी को खेल के ग्राउंडस् व अन्य जगह रीसाइक्लिंग करके उपयोग में लिया जा रहा है।
जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन को पिछले 1 वर्ष में सम्पूर्ण देश में सफाई के मापदंडों के अनुसार किए गए सर्वे में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है। इसी स्टेशन पर एनर्जी एफिशिएंट फिटिंग व सोलर प्लांटस् लगाने पर ऊर्जा संरक्षण हेतु अवार्ड मिला है। सबसे महत्वपूर्ण, IGBC की ओर से प्लेटिनम ग्रीन रेटिंग मिली है जोकि संपूर्ण भारतीय रेलवे केवल जयपुर व सिकंदराबाद रेलवे स्टेशनों को ही प्राप्त हुई है।
आने वाले कुछ ही दिनों में जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन के लिए ISO 14001 एवं 5S भी प्राप्त कर लिए जाएंगे।
हमरा प्रयास है जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन को भारतीय रेल में अग्रणी रेलवे स्टेशन बनाया जाएं।
आपके सुझाव हमारे लिए अति महत्वपूर्ण रहेंगे।
रघुवीर प्रसाद मीना
अपर मंडल रेल प्रबंधक (ओपरेशनस्)

Friday 15 March 2019

जाति आधारित आरक्षण पर विचार।

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23.03.2019

आरक्षण का प्रावधान समाज में समानता को लाने हेतु किया गया है। कई लोग कहते हैं कि आरक्षण जाति के आधार पर नहीं होना चाहिए और मुझे लगता है कि यदि मैं भी उनकी जाति में पैदा हुआ होता और उस तरह के वातावरण में पलता तो यही प्रश्न कर सकता था। अतः उनके इन प्रश्नों का  बुरा नहीं मानना चाहिए।
गहराई से सोचने से पता चलता है कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी हम जातियों को तो समाप्त नहीं करना चाहते हैं परंतु जातियों के आधार पर दिए गए आरक्षण को समाप्त करना चाहते हैं। ऐसा दौहरा मापदंड नहीं हो सकता है।
मेरे अनुसार इस विषय का एक बड़ा अच्छा टेस्ट मैं आपको समझाता हूं कि आप अपनी आंखें बंद करें और भगवान से प्रार्थना करें कि अगले जन्म में मैं किसी दलित जाति में पैदा हो जांऊ। यदि इस प्रश्न का उत्तर सकारात्मक मिले तो आप वास्तव में जातियों में विश्वास नहीं कर रहे हैं और यदि इसका उत्तर नकारात्मक मिले तो आप जातियों में विश्वास करते हैं। और आपका कोई नैतिक अधिकार नहीं बनता कि आप जातियों के आधार पर दिए गए आरक्षण को प्रश्न करें।
पहले हमें जातियों को समाप्त करना होगा और उसके पश्चात जाति आधारित आरक्षण को समाप्त करने की बात लॉजिकल लगेगी। साथ ही अधिकतर लोग दूसरी जातियों में अपनी बहन बेटियों की शादी भी नहीं करना चाहते हैं, खासकर जिन जातियों को समाज में नीचा समझा जाता है उनके साथ तो बिल्कुल ही नहीं। जब तक ऐसा होता रहेगा तब तक हमें जाति आधारित आरक्षण के विरोध में बात करने का कोई हक नहीं है।
कन्हैया कुमार द्वारा इस विषय पर दिये गये जबाब को आप निम्न लिंक पर देख सकते हैं और कृपया इस विषय में अपने विचार भी व्यक्त करें ताकि समाज में जाति आधारित आरक्षण के संबंध में चल रही दुर्भावना कम हो सके।
https://youtu.be/csHfg6urwP4
रघुवीर प्रसाद मीना

Tuesday 12 March 2019

आने वाले वर्षों में भारतवर्ष का मायना ही बदल सकता है । लोकसभा चुनाव 2019 में सोच समझकर निर्णय ले।

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23.03.2019

आने वाले वर्षों में भारतवर्ष की परिकल्पना ही बदल सकती है। आज जो देश सेक्युलर है, सभी धर्म व जाति के लोगों के लिए समग्रता के विकास हेतु बना है। वह आने वाले समय यदि मंदिर, गाय, कुंभ, धार्मिक उन्माद की बात करने वालों की चली तो हो सकता है जैसे शहरों, स्टेशनों व गाड़ियों के नाम बदले गये हैं वैसे संविधान भी बदल दिया जाए और देश में रहने वाले विभिन्न जाति, धर्म और समुदाय के लोगों में इतनी दूरियां बढ़ जाए कि नागरिकों में अापस में भय व लडाई की स्थिति बनी रहे।
Idea of India की लड़ाई शुरू हो चुकी है।
एक ग्रुप देश में धर्म निरपेक्षता, सभी की समानता, सभी के अधिकार, सभी के सम्मान, सभी के उत्थान, सभी की भलाई की बात करता हैं।
दूसरा ग्रुप, कुछ लोगों के अधिकार, एक धर्म, धार्मिक अंधविश्वास को बढ़ावा देने व कमजोर वर्ग के हितों पर आये दिन कुठाराघात (, एससीएसटी एक्ट को कमजोर करने का प्रयास, 13 पाॅइन्ट रोस्टर या वन भूमि से बेदखली इत्यादि) कर रहा है।
यदि आने वाले चुनावों में हमने बहुत समझदारी से कार्य नहीं किया तो हम पाएंगे कि हमारे हितों के विरुद्ध कार्य करने वाले लोगों को हम मजबूत कर देगें। अतः बहुत सोच समझकर निर्णय ले और निर्भिक होकर निडरता से सही लोगों को मतदान करें।
रघुवीर प्रसाद मीना

Monday 11 March 2019

वोटर्स का रोल एवं लोक सभा चुनाव

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23.03.2019

लोक सभा के चुनाव घोषित हो चुके है, 7 चरणों में होगें। परन्तु हर समझदार वोटर के लिए यह चुनाव दो पार्ट में है।
प्रथम पार्ट - पार्टियों द्वारा सही उम्मीदवार के सलेक्शन में रोल।
द्वितीय पार्ट - अच्छे व योग्य उम्मीदवार को वोट डालना।
जब तक सोशल मीडिया नहीं था तब तक प्रथम पार्ट जिसमें पार्टी कैंडिडेट्स को चुनती है उसमें वोटर्स का सीधे तौर पर बहुत सीमित रोल था या लगभग नगण्य हुआ करता था। परंतु सोशल मीडिया के आने के साथ और वोटर्स के एजुकेशन के स्तर के बढ़ने के बाद उनका प्रथम पार्ट अर्थात उम्मीदवारों के सलेक्शन में बहुत ज्यादा महत्व हो गया है।
यह सही समय है जब सामाज के प्रति लगाव रखने वाले व्यक्तियों व संगठनों को आगे आना चाहिए और सही उम्मीदवारों के चयन में अहम् रोल निभाने का प्रयत्न करना चाहिए।
निवेदन है कि ऐसे कैंडिडेट्स को टिकिट दिलाने हेतु प्रमोट करें व आगे बढाये जो समाज के मुद्दों को व्यक्तिगत मुद्दों से आगे रखते हैं, जो सामाजिक मुद्दों पर बोलने की समझ, सक्षमता तथा साहस रखते हैं। केवल राजनितिक परिवारवाद या धन के कारण कैंडिडेट का चयन नहीं हो। अन्यथा किसी नेता की पत्नी या बेटे या पैसे के बल पर लिया गया टिकिट 5 और साल हमारे हितों की अनदेखी करते रहेगें। और हम देखने व कोसने के शिवाय कुछ भी नहीं कर पायेंगे। साथ में सोशल मिडिया की सार्थकता पर प्रश्न लगेगा।
अतः निवेदन है कि इस बिषय को अवश्य ही गंभीरता से लेकर तत्परता से अविलम्ब निम्नलिखित कार्यवाही करें।
1. ट्वीटर के माध्यम से पार्टियों के बडे़ नेताओं को अच्छे उम्मीदवार हेतु अवगत करायें।
2. फेसबुक पर अच्छे उम्मीदवार को प्रमोट करें।
3. अपने क्षेत्र के एमएलए, अन्य नेताओं, समाजसेवियों व प्रभावशाली व्यक्तियों से अच्छे उम्मीदवार को टिकिट दिलाने में मदद हेतु कहें।
प्रथम पार्ट में उपयोगी रोल अदा करके जब द्वितीय पार्ट के तहत वोट डालेगें तब हम सभी को बहुत संतुष्टता मिलेगी।
रघुवीर प्रसाद मीना

Saturday 9 March 2019

राजनीति के बारे में मेरे विचार।

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23.03.2019

1. देश के संचालन और कमजोर वर्ग के हितों के लिए राजनीति अति महत्वपूर्ण होती है। सामाजिक आयोजनों में राजनीति पर अवश्य चर्चा करें।
2. सभी समाजों व धर्म के लोगो को साथ लेकर देश में समग्रता से विकास व उन्नति होनी चाहिए। संविधान की भावना का आदर होना चाहिए।
3. चुनाव के समय जो प्रत्याशी पैसा देकर टिकिट प्राप्त करे तो समझो कि उसने भ्रष्टाचार का पेड़ लगा दिया है, जिसमें हमेशा भ्रष्टाचार के फल ही आयेगें। अत: ऐसे प्रत्याशियों को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
4. सपोर्टरस् को मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए। बेवजह आपस में द्वैसता नहीं करें।
5. निडर होकर सही कैंडिडेट को टिकिट दिलाने की प्रक्रिया में सहायता व सहयोग करें।
6. निर्भीकता से मतदान करें। औरों को भी मतदान करने हेतु प्रेरित करें।
7. चुनाव के दौरान कैंडिडेट का कम से कम खर्चा करवाया जाये ताकि वोटर्स के प्रति कैंडिडेट के मन में एक सम्मान का भाव जागृत हो सके और वह ईमानदारी के साथ सांसद/विधायक का रोल निभा सके। जितना सम्भव हो उसकी आर्थिक रूप से अन्यथा मदद करनी चाहिए।
8. चुनाव में दूसरे कैंडिडेट्स पर व्यक्तिगत टिप्पणी की वजाय नितिगत मुद्दों पर ज्यादा चर्चा करनी चाहिए।
9. चुनाव के दौरान व बाद में भी दूसरों को ऐसी सलाह देनी चाहिए जो आप स्वयं के बच्चों को देते हैं।
10. चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि सम्पूर्ण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है न कि केवल वोट देने वालों का। फिर भी चुनाव के समय सहयोग करने वालों को ज्यादा महत्व मिलना चाहिए।
11. चुनाव के बाद जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे निर्भीकता से क्षेत्र व सामाजिक मुद्दों को उठायें, विकास कार्य करवाये, जनता में भाईचारे को बढ़ाये। पार्टी के साथ साथ वोटर्स की भावना के लिए भी वफादार रहे।
रघुवीर प्रसाद मीना

Friday 8 March 2019

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, 8 मार्च

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08.03.2019

1913 से लगातार 8 मार्च को विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है, 1975  में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इसे मान्यता दी गई। इस दिन को मनाने की आवश्यकता इसलिए पड़ी कि महिलाओं के साथ भेदभाव होता रहा और उन्हें पुरुष की अपेक्षा कम अधिकार के साथ आंका गया जिसके कारण पुरुष और महिला की बराबरी नहीं हो पाई। जबकि वास्तव में यदि देखा जाए तो मानव के विकास में पुरुष की अपेक्षा महिला अधिक कार्य करती है और ज्यादा परेशानियों भी उठाती है। यहां तक कि धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण के कारण महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया गया।
इस अवसर पर महिलाओं को सुदृढ़ करने हेतु और महिला शक्ति को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, यह एक अच्छी बात है। महिलाओं को मजबूत करने हेतु व्यक्ति स्वयं के स्तर पर व समाज और सरकार सामाजिक स्तर पर बहुत सारे कदम उठा सकते हैं। एक अहम् बात यह है कि व्यक्ति स्वयं, महिलाओं का सम्मान करें और उन्हें बराबरी का हक देने और दिलाने का प्रयत्न करें। कार्यालयों व समाज के विभिन्न पहलुओं पर महिलाओं की उन्नति और उन्हें अधिकार दिलाने हेतु दृढ़ संकल्पित रहना चाहिए।
पुराने समय में शूद्रों की भांति महिलाओं को पढ़ने का भी अधिकार नहीं था जिसके कारण महिलाएं आगे नहीं बढ़ पाई। लेकिन जब महिलाओं को पढ़ाया गया तो वे बहुत ही उत्कृष्ट कार्य कर पाई। बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने में अहम भूमिका निभाई है और उन्होंने हिंदू कोड बिल के जरिए महिलाओं को मजबूत करने की मुहिम छेड़ी थी।
आज के दिन हमें लड़के और लड़की में अंतर नहीं करना चाहिए और जहां भी मौका लगे लड़कियों को पढ़ाने में और उन्हें आगे बढाने में अग्रसर रहने की जरूरत है। हमारी दादी, नानी, माँ, काकी, बुआ, बहिन, पत्नी, बेटी, भतिजी,भानजी सभी महिलाएं ही है जिनका हमें सम्मान करना चाहिए।
रघुवीर प्रसाद मीना

Thursday 7 March 2019

हमें सभी समाजों के प्रभावशाली लोगों में आदिवासियों व कमजोर वर्ग के प्रति सकारात्मक सोच जागृत करने की जरूरत है।

rpmwu202
10.03.2019

सामान्यतः आरक्षित या कमजोर वर्ग के दो से अधिक लोग जब मिलते हैं या समाज की मीटिंगस् में इकट्ठे होते हैं  तो स्वयं के समुदाय की उन्नति के बारे में तो बातें करते हैं। यह एक अच्छी बात है। इसके अलावा आवश्यकता है कि हम सब उन्नति की बातों के साथ साथ जो दूसरे लोग हैं, हम से आगे हैं, उनके प्रभावशाली लोगों के मन में आदिवासियों या आरक्षित वर्ग के लोगों के प्रति ऐसी भावना विकसित करें जिससे वे लोग कमजोर वर्ग के लोगों के हितों की बात करते समय मानवता के विकास के बारे में सोचें और एक अच्छे मनुष्य होने के परिचय देने का एहसास करें।
वास्तव में यदि देखा जाए तो जब संविधान का निर्माण हो रहा था उस समय महात्मा गांधी ने बहुत ही बड़ी समझदारी का परिचय दिया और कांग्रेस के बड़े नेताओं को इस बात के लिए राजी किया था कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्मात्री समिति में शामिल किया जाये। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा के लिए संविधान में जितने प्रावधान बनाए गए हैं वह नहीं बन पाते।
हमें इस दिशा में सोचना ही होगा कि कैसे आरक्षित या कमजोर वर्ग के लोग उन्नति करें और धीरे-धीरे देश की मेनस्ट्रीम में आये और उसके साथ इंटीग्रेट हो तथा स्वमं के विकास के साथ साथ देश की उन्नति में महत्वपूर्ण रोल अदा करें।
किसी भी हाल में समाजों को आपस में पृथक करने की फिलॉस्फी देश के लिए बेहतर नहीं हो सकती है। हम सभी मिलकर उन्नति करें और अग्रणी लोगों के मन में कमजोर वर्ग की उन्नति में मदद करने की विचारधारा को विकसित करें ताकि देश समग्र रूप से विकसित हो सके।
हमें किसी भी हाल में धर्म, जाति या समुदाय इत्यादि के आधार पर नागरिकों को पृथक नहीं करना चाहिए। हर संभव कोशिश करें कि हम लोगों को आपस में जोड़े और देश में एक ऐसा वातावरण बनाये जहां हर नागरिक का सम्मान हो और वह प्रसंता से दूसरों की मदद करें और समग्रता से उन्नति की राह पर अग्रसर हो।
रघुवीर प्रसाद मीना

Wednesday 6 March 2019

13 पाॅइन्ट रोस्टर पर एससीएसटी की मांगें क्या होनी चाहिए?

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05.03.2019

13 पाॅइन्ट रोस्टर पर एससीएसटी की मांगें क्या होनी चाहिए? 

13 पाॅइन्ट रोस्टर मुद्दे पर युवाओं का सड़कों पर लड़ना सीधा दर्शा रहा है कि हमारी लीडरशिप विफल हो रही है। यहां तक कि नेता इस विषय पर खुलकर बोल भी नहीं रहे हैं जबकि यह विषय बहुत ही घातक है खासकर अनुसूचित जनजाति के लिए। यदि कोई नेता इस विषय पर नहीं बोलता है तो मान लीजिए वह वोटों की खातिर अपने समुदाय से ज्यादा दूसरों की ज्यादा परवाह कर रहा है।
यदि नेता नहीं बोल रहे हैं तो हम सभी को इस विषय पर ज्यादा जोर से बोलना होगा। मेरे मत के अनुसार इस विषय पर निम्नलिखित मांगे होने चाहिए -
1. 14 पदों तक के कैडर हेतु नये 13 पाॅइन्ट रोस्टर के स्थान पर पुराने 14 पाॅइन्ट रोस्टर को लागु करें जिसमें एसटी के लिये 8 वां और एससी के लिए 4 व 12 वें स्थान निर्धारित थे जबकि नये 13 पाॅइन्ट रोस्टर में प्रथम नियुक्ति के लिए एसटी हेतु कोई स्थान निर्धारित नहीं है और एससी के लिए 2 की जगह केवल 1, सातवां स्थान ही निर्धारित है।
2. 14 से अधिक पदों हेतु पुराने 200 पॉइंट रोस्टर को लागू करें जिसमें एससी क्रम संख्या 4 व एसटी क्रम संख्या 8 से प्रारम्भ हो जाती है। जबकि नये 200 पाॅइन्ट रोस्टर में एससी 7 वें व एसटी 14 वें स्थान से प्रारम्भ होते है।
3. यूनिवर्सिटी/कॉलेज को यूनिट माना जाए ना कि विभाग और उसमें भी प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर को।
4. युनिवर्सिटी/कॉलेजों व अन्य विभागों में जो एससीएसटी का जो बैकलॉग है उन्हें एकमुश्त अलग से भरा जाये।
रघुवीर प्रसाद मीना