Saturday 22 September 2018

देश की ब्यूरोक्रेसी का रोल।

rpmwu139
22.09.2018

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्री इमरान खान ने वरिष्ठ ब्यूरोक्रेसी को देश को आगे बढ़ाने मैं उनके के रोल, करप्शन को समाप्त करने तथा ब्यूरोक्रेसी को निडर होकर कार्य करने के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से सम्बोधित किया।
सुनने लायक विडियो है। हमारे देश में भी बहुत सारी समान तरह की समस्याएं हैं जिन्हें दूर करने में ब्यूरोक्रेसी प्रभावशाली तरीके से अपना रोल अदा करके देश के गरीब व लाचार लोगों को उनका हक दिला सकती है।
शूरूआत के लिए हर सरकारी अधिकारी व कर्मचारी को चाहिये कि वे ठेके पर कार्य करने वाले मजदूरों/कर्मियों को सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन का भुगतान करवाये और उनके होने वाले एक्सप्लोईटेशन को समाप्त करे। वेतन का भुगतान बैंक के माध्यम से करवाएं और ईपीएफ ईएसआई का डिडक्शन कार्य दिनों के अनुसार हुआ है अथवा नहीं यह देखें और उन्हें उनके खातों में जमा करवाएं। हर कर्मी को उनके ईपीएफ ईएसआई के नंबर पता हो, इसमें मदद करें। कई बार देखा गया है कि ठेकेदार कर्मियों के क्रेडिट/डेबिट कार्ड ले लेते हैं या ब्लैंक चेक भी ले लेते हैं और ठेके के अनुसार न्यूनतम वेतन दर के अनुसार बैंक में भुगतान तो कर देते हैं परंतु पैसे को पुनः विड्रा कर लेते हैं। ऐसे ठेकेदारों से बचने के लिए ठेके के कर्मियों को लगातार उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करें, उनके न्यूनतम वेतन, ईपीएफ, ईएसआई के प्रावधानों से अवगत कराएं। और उन्हें निडर होकर अपनी बात बताने के लिए प्रोत्साहित करें। गलत काम करने वाले ठेकेदारों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई करे और करवाये।
यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी किसी व्यक्ति की नौकरी लगाने में या उससे पदोन्नत करने में या उसके स्थानांतरण करने में रिश्वत लेता है तो मान लीजिए कि उस अधिकारी या कर्मचारी ने भ्रष्टाचार का पेड़ लगा दिया है जिसमें भ्रष्टाचार के ही फल आने वाले हैं। भ्रष्ट तरीके से नौकरी, पदोन्नति या स्थानांतरण पाने वाले लोग आवश्यक रूप से भ्रष्ट ही होंगे और जो उन्होंने रिश्वत दी है उसके बदले वे कई गुना गलत तरीके से कमाना चाहेंगे। अतः जो लोग ऐसे पदों पर बैठे हैं जो कि लोगों को नियुक्त करते हैं, पदोन्नति करते हैं या स्थानांतरण करते हैं उनको चाहिए कि वे किसी भी हाल में इन कार्यों में भ्रष्टाचार को नहीं अपनाएं अन्यथा उन्हें मन में यह स्पष्ट तौर पर समझ लेना चाहिए कि उन्होंने भ्रष्टाचार का पेड़ लगाया है और ऐसे पेड़ को लगाने से जो पाप के फल लगेंगे उससे देश व समाज जिसका वह स्वयं भी हिस्सा है को दूष्परिणाम भोगने पड़ेंगे।
यदि ब्यूरोक्रेसी ईमानदार रवैया से कार्य करें तो देश को आगे बढ़ाने से कोई नहीं रोक सकता। आगे बढ़ने की गति बहुत तेज हो सकती है। और देश के हर नागरिक खासकर गरीब व पिछड़े लोगों का बहुत अधिक भला हो सकता है, उनकी आने वाली पीढ़ियां शिक्षित होकर देश के लिए असेट बन सकती है और देश की उन्नति में अहम भूमिका निभा सकती है।
रघुवीर प्रसाद मीना

Sunday 16 September 2018

श्रमिक शिक्षा एवं हिन्दी दिवस समारोह, 16 सितम्बर - 2018

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16.09.2018

दिनांक 16 सितंबर 2018 को श्रमिक दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया एवं जाना कि केंद्र व राज्य सरकारों के मिनिमम वेजेज में काफी अंतर है जबकि ऐसा अंतर होना नहीं चाहिए। संलग्न मिनिमम वेजेज का अवलोकन करें तो देखें कि कृषि में राजस्थान में कार्य करने वाले लोगों के मिनिमम वेज इंडस्ट्री में कार्य करने वाले लोगों की तुलना में कम है और यदि केंद्र के मिनिमम वेजेस की तुलना में देखें तो वे बहुत ही कम है। सरकार को चाहिए कि केंद्र व राज्यों की मिनिमम वेजेज की दर मैं अंतर को कम से कम या समाप्त किया जाए।
श्रमिक को दो विषयों पर शिक्षित करने की जरूरत है #प्रथम कि वे अच्छी गुणवत्ता का कार्य करें और कार्य करने के दौरान वे अपने स्किल को बढ़ाते हुए मजदूर से मिस्त्री बनने के बारे में भी सोचे। जो आदमी मजदूर है वह तय करे कि कुछ दिनों में वह मिस्त्री बन जाएँ ताकि उसे अधिक वेतन मिल सके और वह बच्चों को अच्छी तरह से पढा लिखा सके।

#दूसरी ओर मिनिमम वेजेस की दर भी श्रमिकों को अवगत करवाये।
कई लोग श्रमिकों को मिनिमम वेजेज भी नहीं देते हैं। हमने रेलवे में यह निश्चय कर दिया है कि ठेकेदार लेबर को पेमेंट बैंक के माध्यम से करेगा और किसी भी कीमत पर मिनिमम वेजेज से कम भुगतान नहीं करेगा।

कुछ प्रकरण मौखिक रूप से सामने में आते हैं कि ठेकेदार श्रमिकों के क्रेडिट या डेबिट कार्ड अपने पास रख लेते हैं और उनको भुगतान तो मिनिमम वेजेज के अनुसार करते हैं परंतु उनके कार्ड के माध्यम से राशि बैक से निकाल लेते हैं। ऐसे प्रकरण यदि किसी की नजर में आए तो आवश्यक रूप से सम्बन्धित विभाग एवं पुलिस को अवगत करवाये।

हमारे जागरूक व सजग रहने से श्रमिकों को उनका हक मिल सकता है अतः कृपया अवश्य ही श्रमिक हित सोचते हुए कार्यवाही करे।

रघुवीर प्रसाद मीना

Wednesday 12 September 2018

मिशन सत्यनिष्ठा!

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12.09.2018

आज दिनांक 12 सितंबर 2018 को जयपुर मंडल के अरावली सभागार में मिशन सत्य निष्ठा के तहत एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह मिशन  रेलमंत्री श्री पीयूष गोयल एवं रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री अश्विनी लोहानी की पहल पर विभिन्न जोनल रेलवेज में आयोजित किया जा रहा है। इस मिशन का मुख्य मकसद यह है कि अधिकारी व कर्मचारियों के मन में ईमानदारी पूर्वक देश सेवा की भावना को जागृत किया जाए।
आज इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में रेलवे बोर्ड के मेंबर स्टाफ श्री एस. एन. अग्रवाल, उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री टी.पी.सिंह, सेवानिवृत्त केबिनेट सैकेट्री व झारखंड के पूर्व राज्यपाल श्री प्रभात कुमार सहित कई गणमान्य हस्तियों ने उनके विचार व्यक्त किये। मुख्यालय तथा उपरे के चारों मंडलों में विडियो काॅनफ्रेन्स के माध्यम से कार्यक्रम का लाईव प्रसारण किया गया। कुल लगभग 400+ लोगो ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के दौरान श्री प्रभात कुमार ने रेल मंत्री द्वारा सत्यनिष्ठा परखने हेतु अपने आप से किए जाने वाले निम्न प्रश्नों के बारे में विस्तार से बताया-
1. क्या आम आदमी की अवधारणा में भारतीय रेल एक नैतिक ऑर्गनाइजेशन है?
2. यदि आप रुपए पैसों के मामले में सत्यनिष्ठ है तो क्या आप समय के मामले में सत्यनिष्ठ है अथवा नहीं?
3. क्या आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार कार्य करते हैं अथवा नहीं?
4. क्या आप आपकी नियत कार्य के अलावा और अधिक कार्य करते हैं?
5. क्या कभी आपकी नजर में आपके संगठन में कोई अनैतिक कार्य हुआ हो और आप चुप रहे हो?
6. क्या आप आपके कार्य में गर्व महसूस करते हैं? क्या आप भारतीय रेल के सदस्य होने में गर्व महसूस करते हैं?
इनके अलावा श्री प्रभात सहाय और तीन प्रश्न अपने आप से पूछने हेतु बताया-
7. क्या कभी आपने अपने सहयोगी के कार्य का श्रेय अपने नाम लिया?
8. क्या कभी आपने अपनी गलतियों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराया?
9. क्या स्थानांतरण के लिए कभी आपने समझौता किया?
मुझे लगता है कि यदि व्यक्ति उक्त प्रश्नों के उत्तर ढूंढे तो उसे स्वयं यह पता लग जाएगा कि वह कितना सत्यनिष्ठ है।
कार्यक्रम के दौरान किसी ने बड़ा अच्छा कहा कि यदि आप कार्यालय की गतिविधियां अपने परिवार व बच्चों से शेयर कर सकते हैं तो मान लीजिए कि आपके सभी कार्य एथिकल है।
प्रत्येक व्यक्ति को सत्य निष्ठा के साथ उसके संगठन में कार्य करना चाहिए, यह ही पूजा है।
रघुवीर प्रसाद मीना

Monday 10 September 2018

दूर से व्यक्ति की पहचान का आसान तरीका।

rpmwu134
09.09.2018

दूर से व्यक्ति की पहचान का आसान तरीका।
मुझे लगता है कि व्यक्ति दूसरे समान प्रवृत्ति के व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करता है और काफी दीर्घकाल के लिए यदि उनमें आपस में बन रही है तो यह समझा जा सकता है कि उन दोनों व्यक्तियों की प्रवृत्ति व विचारधारा आपस में मेल खाती है।
इस थ्योरी को यदि आगे बढ़ाएं तो देखेंगे कि कोई बड़ा नेता या व्यक्ति जिसको हम बहुत नजदीकी से नहीं जानते है, उसके आचरण एवं विचारधारा को पहचानने के लिए हैं उन सभी लोगों को बारे में सोचें जिनको काफी नजदीक से जानते हैं और वे उस नेता अथवा व्यक्ति के काफी नजदीक हैं और उनसे लंबे समय से जुड़े हुए हैं।
यदि अच्छे लोग किसी व्यक्ति के साथ लंबे समय से जुड़े हैं तो आप यह पक्का मानिए कि उस व्यक्ति की विचारधारा अच्छी होगी। और यदि खराब प्रवृत्ति एवं आचरण के लोग किसी व्यक्ति के साथ लंबे समय से जुड़े हैं तो पक्का मान लीजिए कि उस व्यक्ति का आचरण व प्रवृत्ति खराब ही होगी।
आप जिन व्यक्तियों को जानते हैं एवं नजदीक से पहचाते है उनकी प्रवृत्ति के आधार पर उनसे लम्बी अवधि से जुडे़ दूर के नेता या व्यक्ति के आचरण का अंदाजा लग सकते है।
यदि कोई व्यक्ति क्रिमिनल्स या गलत करने वालों की मदद करता है तो आप समझ सकते हैं कि उसकी मेंटलिटी कैसी होगी और यदि कोई दूसरा व्यक्ति क्रिमिनल्स को हतोत्साहित करता है और गलत का साथ नहीं देता तो आप समझ सकते हैं कि कौन बेहतर प्रवृत्ति का व्यक्ति है और कौन बेहतर नहीं।
रघुवीर प्रसाद मीना

Tuesday 4 September 2018

DAP से स्वयं को मुक्त रखें व दूसरों को दूर रहने हेतु प्रेरित करें।

rpmwu131
03.09.2018

यदि उन्नति करनी है तो हमारे देश के नागरिकों को सही शिक्षा व उसके प्रसार के माध्यम से समझदारी बढ़ानी होगी व DAP (धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण) से मुक्त होना ही होगा।
राजनेता धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण व पाखंड का विरोध जानते हुए भी वोट बिगड़ जाने के डर से नहीं करते है। अत: सभी समझदार नागरिकों की यह जिम्मेदारी है कि वे स्वच्छ भारत मिशन जो कि बाहरी साफ-सफाई के लिए अति महत्वपूर्ण समझा जा रहा है की तर्ज या उससे ज्यादा प्रभावी ढ़ग से अभियान चलाकर लोगों के मन व दिमाग से DAP को बहार निकाले। आम आदमी के मन व मस्तिष्क से भगवान रूपी आडम्बर के डर व भ्रम को दूर करना होगा।
यहाँ यह भी समझ लेना आवश्यक है कि जो लोग मंदिरों में पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान, कथा-भागवत, पदयात्रा इत्यादि की वकालत करते है वे केवल या तो व्यक्तिगत स्वार्थ या नासमझी के कारण ही ऐसा करते है।
मुझे लगता है कि भगवान नामक शक्ति मात्र एक सोच है वह वास्तव में अस्तित्व में नहीं है। क्योंकि यदि वह अस्तित्व में होती तो सदियों से भगवान की पूजा करने व उसकी अवधारणा को प्रसारित करने वालों (उसके सेक्रेट्रीज़) तथा उसको मानने वालों द्वारा अछूतों के साथ व वर्ण/रंग के आधार पर एक मानव द्वारा दूसरे मानव के साथ अन्याय व घोर अपमान नहीं होने देता। और यदि भगवान का अस्तित्व है भी तो वह बिलकुल निष्प्रभावी (ineffective) है जैसे कोई अधिकारी निष्प्रभावी तरीके से पोस्ट पर बैठा हुआ हो और उसका स्टाफ घनघोर भ्रष्टाचार व लूटपाट तथा दमन में खुलेआम लिप्त हो और उसको समझ ही नहीं आये कि क्या गलत हो रहा है। यह में इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि भगवान को तो भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं माना जा सकता है।
अत: आवश्यकता है कि हम साईन्टिफिक टेंपर डेवलप करे और स्वयं DAP से मुक्त हो और दूसरों को भी उससे दूर रहने हेतु प्रेरित करें।
रघुवीर प्रसाद मीना