Monday 9 July 2018

हार्ड वर्क से धनवान नहीं बन सकते है। समझदारी पूर्ण स्मार्ट वर्क करने की जरूरत है।

rpmwu129
09.07.2018

CBSE की इतिहास की पुस्तक में लिखा था कि "Real producer of wealth remains lowest group in society". यह बात एकदम सत्य प्रतित होती है। एक दिन मालगोदाम में सीमेंट के बैग खाली करने वाले मजदूरों को देखा, दूसरे दिन धूप में रेल की पररियों के अनुरक्षण में कार्यरत ठेकेदार के कर्मियों को देखा, गटर साफ करने वालों को तो सभी ने देखा होगा, क्या ये लोग धनवान बन सकते है? क्या इनकी मेहनत में कोई कमी रहती है? इसी तरह किसान एवं खेती से जुड़े मजदूरों के कड़े परिश्रम के पश्चात उनकी दयनीय स्थिति क्या बयाँ करती है?
सभी ने पढ़ा होगा कि किये जाने वाले कार्यो को तीन भागों में विभाजित किया गया है। प्रथम - प्राईमरी कार्य जैसे कृषि, पशुपालन इत्यादि, द्वितीय - सैकण्डरी कार्य जैसे फैक्टरी में उत्पादन (प्रोडक्शन) इत्यादि तथा तृतीय - टर्सरी कार्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सेवा, सोफ्टवेयर डवलपमेंट इत्यादि। हमेशा से ही प्राईमरी कार्य करने वालों की अपेक्षा सैकण्डरी एवं सैकण्डरी की अपेक्षा टर्सरी कार्यो में कम मेहनत व अघिक मुनाफा रहा है। फिर भी हमारे देश की अधिकतम जनसंख्या प्राईमरी कार्यो में ही लगी हुई है।
यदि आज के धनाढ्य लोगों पर नजर डाले तो पता चलता है कि या तो वह साफ्टवेयर डेवलपमेंट अथवा आई. टी. प्रोडक्ट या मार्केटिंग या निवेश इत्यादि टर्सरी गतिविधियों से ताल्लुक रखते हैं। परन्तु सभी में खासियत यह है कि वे अपने अपने क्षेत्र में अग्रणी है एवं उन्होंने विशेष इनोवेशन किया है।
प्रोफिट मार्जिन के एंगल से यदि चीजों को देखे तो पता चलता है कि प्राईमरी में सबसे कम एवं टर्सरी में सबसे अधिक होता है।
फिर क्यों नहीं लोग प्राईमरी की बजाय सैकण्डरी व टर्सरी कार्यों में जाते है? यह एक विचारणीय बिषय है।
यदि आर्थिक रूप से मजबूत बनना है तो हमें न केवल सैकण्डरी व टर्सरी कार्यो की ओर जाना होगा बल्कि उनमें पारंगतता हासिल करनी होगी। हमें इनोवेशन करने होगें, बुद्धि के प्रयोग से उत्पादों की गुणवत्ता को अति उत्तम बनाकर ब्राँड डेवलप करनी होगी। समाज को बिजनेस करने वालों व नौकरी की बजाय स्वमं के व्वसाय करने वालों को सम्मान व प्रोत्साहन देना होगा।
रघुवीर प्रसाद मीना।