Sunday 22 March 2020

ब्राह्मण कौन?

rpmwu304
07.02.2020

ब्राह्मण कौन? 

मेरे विचार से बहुत पुराने दिनों में जब ब्राह्मणों का बहुत आदर सत्कार होता था तो शायद ब्राह्मण की निम्न परिभाषा होती होगी -

व्यक्ति जो स्वयं शिक्षा अर्जित कर दूसरों को शिक्षित करें, स्वयं धनार्जन नहीं करें, भिक्षा माँगकर व मिले हुए दान से खाये और उच्च आदर्शों के साथ जीवन जिये। ऐसे कर्म व आचरण करने वाला किसी भी समाज का व्यक्ति ब्राह्मण बन सकता होगा। 

कालान्तर में ब्राह्मणों ने उनके कर्म व आचरण तो स्वयं के स्वार्थ के लिए परिवर्तित कर लिए
परन्तु आदर सत्कार व लाभ मिलने की आकांक्षा पुराने जमाने की तरह ही रखी। 

क्या आज पुराने जमाने के ब्राह्मण कहीं दिखाई देते हैं? 

महाभारत के समय से ही द्रोणाचार्य जैसे ब्राह्मणों ने आदिवासी (एकलव्य) व ओबीसी (कर्ण, जिसे सूतपुत्र समझा जाता था) के सामान्य लोग ही नहीं अपितु प्रतिभाओं का नुकसान करना और उन्हें नीचा दिखाना शुरू कर दिया था। आज सभी नहीं परन्तु अधिकांश ब्राह्मण कमजोर वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए संविधान प्रदत्त आरक्षण का पूरजोर विरोध करते हैं। वे चाहते हैं कि जन्म के आधार पर प्रतिपादित की गई वर्ण व्यवस्था कायम रहे और उनके बच्चों को नालायक होने के बावजूद भी सम्मान व दान दक्षिणा मिलती रहे। 

ब्राह्मणों को सम्मान व सत्कार मिलने के पिछे धार्मिक आडम्बर व आस्था का अतिमहत्वपूर्ण रोल है। 

अत: आवश्यकता है कि हम धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (DAP) से बाहर निकले व दूर रहें और दूसरों को भी दूर रहने हेतु प्रेरित करे।

आपके क्या विचार हैं, कृपया लाॅजिक के साथ अवगत करवायें।

रघुवीर प्रसाद मीना 

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