Sunday 27 May 2018

जाति कल्याण सकारात्मकता है जबकि जातिवाद नकारात्मकता का ध्योतक है।

rpmwu128
27.05.2018

जाति कल्याण सकारात्मकता है जबकि जातिवाद नकारात्मकता का ध्योतक है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे देश की जनसंख्याॅ विभिन्न जातियों व जनजातियों में वर्गीकृत है। सरकार ने देश के आजाद होने से पूर्व 1931 में प्रथम जाति के आधार पर जनगणना करवाई थी। सरकार नें कुछ दिनो पूर्व भी इसी तरह की जनगणना करवाई थी परन्तु उसका रिजल्ट पब्लिकली आउट नहीं किया।
कई बार बात उठती है कि जाति की बात करना ही जातिवाद है। बहुत से लोग जाति का नाम लेने मात्र से ही डरते है। जाति के लोगो का न्यायपूर्ण कार्य करने में भी उन्हें डर लगता है। जाति के लोगो के साथ यदि गलत भी हो रहा हो तो वे अन्य लोगो के जातिवाद की मोहर लगाने मात्र के नाम से चुप रहते है।
पहले समझते है कि जाति के मायने क्या है? मूलतः जाति में लोग शादी ब्याह व अन्य रिश्तेदारियाँ करते है। जाति गौत्रों से मिलकर बनी है। तीन गौत्रों को छोडकर अन्य में व्यक्ति शादी करता है। गंभीर सहायता की आवश्यकता के समय व्यक्ति के परिवारजन, मित्र व रिश्तेदार (जो कि अधिकांश उसकी जाति के ही होते है) काम आते है। अत: व्यक्तिविशेष की भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह भी उसके काम आने वाले लोगों के वक्त पडे़ काम आये। झिझके नहीं।
अब सोचो कि जब हम हमारी सैलेरी परिवार के लोगो को देते है तो क्या लोग परिवारवाद की मोहर लगाते है? नहीं ऐसा नहीं है। इसी प्रकार यदि हम हमारी जाति के लोगों को आगे बढ़ाने में सकारात्मक मदद करते है तो इसमें गलत क्या है? देश विभिन्न जातियों से बना है अतः जाति के लोगों की समझाईस करके उन्हें सही राह पर चलना सिखाना देश को आगे बढ़ाना ही है। यदि हरेक जाति में ऐसे लोग हो जाये तो देश के लिए अच्छा ही है।
मेरे मतानुसार जाति को बडा़ परिवार मानते हुए एक दूसरे को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होना समझदारी है। लोगो को नेक सलाह दे। जो लोग ज्याद पैसे वाले हैं वे कम पैसे वाले की मदद करे, जो ज्यादा बुद्धिमान है कम ज्ञान वालों को सही दिशा दे, जो ज्यादा ताकतवर है वे कमजोर के रक्षक बने, जो लोग बडे़ पदो पर आसीन है वे छोटे कर्मियों की सहायता करे, उनका शोषण नहीं होने दे।
दुसरी जाति के लोगो के प्रति भी अच्छी सोच रखे, उन्हें दोस्त समझे, अनावश्यक निरर्थक गाली गलौच नहीं करें। उनकी न्यायपूर्ण उन्नति से खुश हो न कि दुखी। दूसरी जाति के प्रति दुर्भावना रखना जातिवाद है जबकि अपनी जाति की उन्नति हेतु सकारात्मक योगदान जाति कल्याण व देश हित है।
कृपया आप भी आपके बिचारो से अवगत करवाये।
रघुवीर प्रसाद मीना