Wednesday 25 September 2019

धर्म व मूर्तिपूजा - मनुष्य के मष्तिष्क के नियंत्रण का टूल।

rpmwu267
24.09.2019

ताकतवर जानवरों पर नियंत्रण करने के लिए उनके विभिन्न नाजुक अंगों को छति पहुंचाई जाती है उदाहरणार्थ बैल को पहले बादी किया जाता है फिर नाक में नाथ डाली जाती है और फिर सम्पूर्ण जीवनभर उसे उसकी नाथ के माध्यम से छोटा बच्चा ही नियंत्रित कर लेता है। इसी प्रकार हाथी जैसे विशालकाय जानवर को धातु के अंकुश से उसके सिर या कान या सूंड में चोट पहुंचाकर नियंत्रित किया जाता है। घोड़े व ऊंट को भी उनके नाजुग अंगों को दर्द पहुंचाकर ही नियंत्रित किया जाता है।

मनुष्य को नियंत्रित करने के लिए उसके मष्तिष्क में धर्म के माध्यम से भगवान व भाग्य का डर बिठाया गया है। ऐसी धार्मिक व्यवस्था से मुठ्ठी भर लोगों को लाभ है जबकि अधिकांश को नुकसान व सामाजिक तौर पर उन्हें नीचा दिखाने और डिमोर्लाइज किये रखने का साधन है।

आपके क्या विचार हैं, कृपया साझा करें।

रघुवीर प्रसाद मीना

Tuesday 24 September 2019

धार्मिक_अंधविश्वास_के_प्रदूषण पर जोरदार तर्कपूर्ण प्रश्न।

rpmwu266
23.09.2019

#DAP  धार्मिक_अंधविश्वास_के_प्रदूषण पर जोरदार तर्कपूर्ण प्रश्न। 

#धार्मिक_अंधविश्वास_के_प्रदूषण (DAP) व #भगवान के #अस्तित्व पर पर कई जोरदार #तर्कपूर्ण #प्रश्न।  पिछले दिनों में मैं दो बार हम्पी गया और वहां जाने के बाद लगा कि #भगवान वास्तव में #नहीं है। यह केवल दूसरे लोगों के मष्तिष्क को आसानी से नियंत्रित करने के लिये  #परिकल्पना है। अन्यथा वहां के राजाओं ने भगवान का जितना #महिमामंडन किया था वह शायद ही कहीं और किया गया हो, उसके बावजूद भी मुसलमान नवाबों व शासकों ने वहां पर भगवान की लगभग हर #मूर्ति को #खंडित कर दिया और पूरे #साम्राज्य को #लूट लिया तथा भारी #जानमाल का #नुकसान किया गया एवं शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का अंत हो गया। इसी प्रकार की घटनाएं #सोमनाथ मंदिर व अनेकों अन्य स्थानों पर घटित हुई परन्तु भगवान ने उनको मानने वालों की #कोई_मदद_नहीं की।

यदि वहां के राजाओं को समझ सही होती या समझदार लोगों द्वारा यह ज्ञान दिया जाता है कि भगवान के महिमामंडन के ऊपर जितना ध्यान दे रहे हैं उससे अधिक ध्यान #मिलिट्री_के_प्रशिक्षण व #विज्ञान और जनता के #विकास पर देते तो वह ज्यादा #जनहितकारी साबित होता।
धर्म की ज्यादा बात करने से केवल कुछ ही लोगों को लाभ हुआ है और ऐसा होता भी रहेगा। पब्लिक का बड़े स्तर पर धार्मिक बातों से कोई लाभ नहीं होने वाला है। ज्यादा #धार्मिक_कट्टरता #पिछड़ेपन व #आतंकवाद को बढ़ावा देती है।

अत: हमें #जय_जवान, #जय_किसान, #जय_विज्ञान व #जय_अनुसंधान के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए और धार्मिक क्रियाकलापों को जरूरत से ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए।

मुझे पता है कि इस प्रकार पोस्टस् मेरे कई मित्रों को अच्छी नहीं लगती है परन्तु फिर भी देशहित व उनको सोचने और विचार करने के लिए ये जरूरी है।

रघुवीर प्रसाद मीना