Sunday 30 December 2018

पिछली चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं देकर आगे की कार्य योजना पर सोचो।

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30.12.2018

पिछली चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं देकर आगे की कार्य योजना पर सोचो।
पूर्व सांसद, दौसा एवं देवली उनियारा से वर्तमान विधायक श्री हरीश चन्द्र मीना जी से एक दिन वार्तालाप के दौरान किसी ने कहा कि उस जगह से वोट कब मिले थे तो उन्होंने कहा कि पीछे की चीजों को ज्यादा मत ध्यान दो, आगे की सोचो।
इतनी बड़ी सोच ही होनी चाहिये हर समझदार नेता की। जब भी कोई नेता चुनाव जीत जाता है तो वह उसकी कांस्टीट्यूएंसी के हर व्यक्ति का नेता हो जाता है चाहे किसी ने वोट दिया हो अथवा नहीं। ऐसा सोचना ही असली प्रजातंत्र का द्योतक है।
सामान्यतः लोगों के पास बात करने के टॉपिक नहीं होते हैं तो वे दूसरों की बुराई करके बात प्रारंभ करते हैं या उस नेता के स्वभाव के अनुसार उसको को खुश करने के लिए बेवजह दूसरों की बुराई करते हैं।
जब दूसरे व्यक्ति खासकर नेताओं से बात करें तो इस पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए कि अनावश्यक रूप से दूसरों की बुराई तो नहीं कर रहे हैं। पिछली चीजों पर ध्यान देने से जीवन में ज्यादा लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता है जो चीज पूर्ण हो चुकी है उस पर कम ध्यान दिया जाए और जो आगे आने वाली चीजों के बारे में यदि योजनाबद्ध तरीके से विचार विमर्श व कार्य किया जाए तो ज्यादा हित होगा।
One should look forward...
रघुवीर प्रसाद मीना

Tuesday 25 December 2018

हाई बीम Vs लो बीम - दीर्घगामी परिणामों के लिए छोटीमोटी चीजों को नजरअंदाज करना होगा।

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24.12.2018

हाई बीम Vs लो बीम
दूरगामी परिणामों के लिए छोटीमोटी चीजों को नजरअंदाज करना होगा।
सभी को भलीभांति ज्ञात है कि यदि व्हीकल को तेज गति से चलाना है तो लाईट हाई बीम पर रखनी होगी और यदि धीरे चलना है तो लाईट को लो बीम रखते हैं। आखिर ऐसा क्यों किया जाता है? हाईवे पर लाइट को हाई बीम पर रखने से दूर तक की चीजें स्पष्ट दिखाई देती है और लो बीम पर नजदीक की ज्यादा चीजें दिखाई देती है।
यही सिद्धांत जीवन की सफलता में भी अहम रोल अदा करता है। यदि आपको दूरगामी सफलता के परिणाम देखने हैं तो छोटी मोटी चीजों को नजर अंदाज करना होगा और यदि आप छोटे-मोटे वाद-विवादों में फंस गये तो वे झाड़ की तरह आपसे लिपट जाएंगे जिनको हटाने में आपकी बहुत सारी एनर्जी व समय समाप्त हो सकता है।
यदि कोई व्यक्ति लोंगटर्म की सफलता चाहता है तो उसे हाईवे पर हाई बीम की भांति बड़े विचार रखने होंगे और अपनी सोच को बड़ा करना होगा तथा छोटे-मोटे वाद विवादों इत्यादि से दूर रहना होगा।
रघुवीर प्रसाद मीना

Sunday 23 December 2018

अरावली विचार मंच एवं प्रतापनगर में बनाया जा रहा बालिका छात्रावास।

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23.12.2018

आज दिनांक 23 दिसंबर 2018 को अरावली विचार मंच, जोकि आदिवासी अधिकारियों की पंजीकृत संस्था है, के सदस्यों के परिवारजनों का एक गेट टुगेदर प्रताप नगर जयपुर में बनाए जा रहे बालिका छात्रावास के प्रांगण में रखा गया। कार्यक्रम के दौरान श्री महाबीर सिंह मीना, डिप्टी डायरेक्टर, कस्टमस् एवं जीएसटी ने 1 लाख एवं श्री बीएल मीना, उपमुख्य इंजीनियर ने 51 हजार रुपये के चैक प्रदान किये। श्री सूंडाराम मीना, आरएसएस, ने भी 1 लाख रुपये की सहयोग राशी देने की घोषणा की।
इस प्रकार अरावली विचार मंच के सदस्यों, रेल कर्मियों व अन्य जानकार महानुभावों की ओर से अब तक इस हॉस्टल के निर्माण हेतु ₹50 लाख से भी अधिक राशि का योगदान किया जा चुका है।
मैं अरावली विचार मंच के सदस्यों, रेल कर्मियों एवं अन्य महानुभाव जिन्होंने इस हॉस्टल निर्माण में सहयोग राशि दी है उन सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं एवं आशा करता हूं कि भविष्य में भी समाज उत्थान के विभिन्न कार्यक्रमों एवं पहलों में इसी प्रकार सहयोग प्रदान करते रहेंगे।
यह हॉस्टल श्री मीना सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थान, कोटा के तत्वाधान में बनाया जा रहा है। हॉस्टल का संचालन जनवरी या फरवरी 2019 से प्रारंभ होने जा रहा है। इस हॉस्टल में तीन मंजिलें है, प्रत्येक मंजिल पर 25 कमरे हैं इस प्रकार कुल 75 कमरे हैं जिनमें 150 बालिकाएँ रह सकेंगी।
इस हॉस्टल के संचालन हेतु एक अच्छी बॉर्डन, एक सहायक वार्डन व महिला सिक्योरिटी व अन्य सहयोग करने वाले कर्मियों की आवश्यकता है। यदि किसी की नजर में उक्त ड्यूटीज् हेतु अच्छा कार्य कर सकने वाली महिलाएं है तो उन्हें सूचित करें, वे हॉस्टल में कार्य करने हेतु श्री हरिनारायण मीना जी 94 14 042013 या श्री आर डी मीना जी 94141 80289 से संपर्क कर सकते हैं।
रघुवीर प्रसाद मीना
महासचिव अरावली विचार।

Friday 21 December 2018

ब्राॅड Vs नैरो (Broad Vs Narrow) सोच का जीवन पर प्रभाव।

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20.12.2018

ब्राॅड Vs नैरो (Broad Vs Narrow) सोच का जीवन पर प्रभाव।

सभी ने सुना होगा की रेलवे की पटरियों के विभिन्न गेज यथा ब्रॉडगेज, स्टैन्डर्डगेज, मीटरगेज और नैरोगेज इत्यादि होते है। ब्रॉड गेज पर गाड़ियां नैरोगेज की तुलना में तेज गति से चलती हैं। जीवन में भी इसी प्रकार यदि व्यक्ति की सोच ब्रॉड (व्यापक) है तो वह ज्यादा सफल होगा और यदि उसकी सोच नैरो (संकुचित) है तो वह कम सफल होगा। इसलिए व्यक्ति को जीवन में ब्रॉड दृश्टिकोण रखने की आवश्यकता है।
राजनीतिक जीवन में भी यदि किसी राजनेता पर समाज विशेष का स्टैंप लग जाता है तो वह ज्यादा उन्नति नहीं कर सकता है। और ना ही अपने स्वयं के समाज का चाहेनुसार भला कर सकता है क्योंकि वह सामान्यतः ऐसी पोजीशन पर पहुंच ही नहीं पाता है जहां से किसी का भी बहुत अधिक भला कर सके। आज तक जितने भी लोग राजनीति में सफल हुए हैं वे सब व्यापक दृष्टिकोण वाले ही है। अतः राजनीति में सफल होने के लिए सभी को साथ लेकर चलना होगा एवं सभी के विकास व कल्याण की कामना का ध्येय रखना पड़ेगा।
यदि हमारे समाज को वास्तव में राजनीति, बिजनेस या अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो हमें दूसरे लोगों को साथ लेकर व्यापक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना ही होगा। अन्यथा संकुचित सोच के साथ आगे बढ़ना संभव नहीं है। यह बात समाज के साथ व्यक्तिगत जीवन मैं भी उतनी ही खरी है। अत: सफलता के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाएं और सभी को साथ लेकर चले।
रघुवीर प्रसाद मीना

Wednesday 19 December 2018

180 डिग्री बदलाव। अब बच्चों के कहने से बाबा वोट देता है। युवा जिम्मेदारी को समझे।

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19.12.2018

हम सभी ने अपने जीवन में देखा है कि पहले घर के बड़े बुजुर्ग जो बोलते थे, बच्चे वैसा ही करता थे। परंतु सोशल मीडिया व आईटी के जमाने में अब चीजें एकदम बदल गई है। बच्चे घरवालों को फोटो या वीडियो के प्रूफ के साथ चीजें दिखा कर बड़ों की सोच बदल देते हैं।
पुराने जमाने में घर का बड़ा व्यक्ति जो कहता था लोग उसी को वोट देते थे अब घर की नई बहू या बेटा या बेटी बड़ों की सोच को प्रभावित कर बदल देते हैं और बड़े वही करते हैं जो कि युवा सलाह देते हैं।
इस बदले जमाने में सोशल मीडिया और युवाओं का बहुत महत्व हो गया है। इस महत्व को समझते हुए युवाओं की जिम्मेदारी बनती है कि वे चीजों को भलीभांति समझ कर ही ठोस ओपिनियन बनाएं और घर के बड़े बुजुर्गों तथा दूसरों के साथ तर्क पूर्ण रूप से उसे शेयर करें ताकि अच्छे लोगों को आगे बढ़ाने में उनकी सोच अहम् रोल अदा कर सके।
रघुवीर प्रसाद मीना

भेंस खरीदते समय दुध के अलावा अन्य गुणों को देखने वाले खरीददारों का क्या होगा?

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19.12.2018

भेंस खरीदते समय दुध के अलावा अन्य गुणों को देखने वाले खरीददारों का क्या होगा?
लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनावों के दौरान ऐसे नेताओं को चुना जाना चाहिए जो विकास करवाएं एवं जिनकी नियत देश व प्रदेश को आगे बढ़ाने की हो और समग्रता के उत्थान की भावना रखते हो ना कि एक दूसरे को जाति और धर्म के आधार पर लड़ाने की। कई नेता द्वेषता फैलाकर व लोगों की भावनाओं को भड़काकर चुनाव जीतने का  गुप्त लक्ष्य रखते हैं, परन्तु वोटरस् उनकी इस चाल को नहीं पहचान पाते है।
साधारण वोटरस् नेताओं को धर्म, जाति एवं भाषण देने की शैली मात्र से प्रभावित होकर वोट देने का निर्णय ले लेते है। जबकि देखना चाहिये कि उसकी सोच व विचार कैसे हैं? उसे कितना ज्ञान है? वह विकास कार्य करवाने में कितना सक्षम है?
जो लोग नेताओं में विकास के कार्य करवाने की क्षमता और सही नीति व नियत को नहीं देख पाते हैं वे लगभग ऐसा ही करते हैं जैसे भैंस खरीदते समय कुछ कम समझदार लोग भैंस के दूध पर ध्यान नहीं देकर उसके सींग, पूँछ की लम्बाई, पूँछ में बाल व उसके रंग इत्यादि पर ज्यादा ध्यान देते है।
वोटरस् को चाहिए कि जब भी नेता चुने तो देखें कि उसकी योग्यता क्या है? उसकी नियत कैसी है? क्या वह वास्तव में विकास कार्य करवा सकता है? क्या वह सामाजिक समन्वय में सुधार करवा सकता है? क्या वह साधारण जन की उन्नति हेतु समर्पित है? जो नेता सामाजिक सद्भावना को जाति, धर्म व क्षेत्र इत्यादि के नाम पर खराब करवाते है उनका तिरस्कार किया जाना चाहिए।
रघुवीर प्रसाद मीना

मनुस्मृति हिन्दू धर्म में कलंक है, इसे मिटाया जाये।

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18.12.2018

मनु द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत आजकल सतीप्रथा जैसी क्रूर कुरीति की भांति नजर आते हैं, जिसमें अधिकतर महिलाओं को पति की मृत्यु उपरांत सामाजिक बहिष्कार के डर से या जबरदस्ती पति के साथ चिता में जिंदा जला दिया जाता था। वह जलने के डर से भागने की कोशिश करती थी तो उसे डण्डो से पीट कर बेहोश कर दिया जाता था और वह जल जाती थी।
मनुस्मृति में महिलाओं व शूद्रों को केवल उपयोग की वस्तुओं की तरह माना गया। उनके अधिकारों से उन्हें वंचित रखने हेतु तरह तरह के ढकोसलेपूर्ण व दकियानूसी बातें लिखी गई। ऐसा लगता है कि मनुस्मृति अन्य वर्णों खासकर ब्राह्मणों के कल्याण एवं अधिकारों के लिए स्वार्थपरता से लिखी गई किताब है।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने 1927 में इस किताब की होली जलाकर समाज को संदेश दिया कि इसमें प्रतिपादित सिद्धांत सामाज के किसी भी व्यक्ति को मान्य नहीं होने चाहिये। यदि कोई व्यक्ति मनुस्मृति के सिद्धांतों को आज भी मानने की कोशिश करता है तो ऐसे हर व्यक्ति का खुले में विरोध करने की आवश्यकता है। मैं तो कहूंगा कि सरकार को इस ग्रंथ कही जाने वाली किताब की बिक्री पर बैन लगा देना चाहिए और जहां भी मनु की प्रतिमाएं लगी है उन्हें उखाड़ फेंकने की जरूरत है ताकि समाज में सामंजस्य व सम्मान की स्थापना हो और ऊंच-नीच का भेद समाप्त हो सके।
कुछ लोग बेवजह आज के ब्राह्मणों से इस मनुस्मृति को लेकर दुर्भावना रखते हैं जबकि इसे लिखने में उनकी कोई गलती नहीं है। अतः ऐसा नहीं करना चाहिए। परन्तु जो भी व्यक्ति चाहे वह ब्राह्मण हो या कोई और, यदि वह मनुस्मृति में प्रतिपादित सिद्धांतों की वकालत करें तो पहले उसे लाॅजिकली समझाएं और यदि नहीं समझे तो उसका बहिष्कार करें।
रघुवीर प्रसाद मीना

Monday 17 December 2018

जीवन को सार्थक बनाने के लिए स्वामी विवेकानंद के महत्वपूर्ण विचार ।

(12 जनवरी 1863 से 4 जुलाई 1902)
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16.12.2018

स्वामी विवेकानंद विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु थे। उनका जीवन काल केवल 39 वर्ष रहा परन्तु उन्होंने मानवता को जबरदस्त सकारात्मक दिशा दी। 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म महासभा हुई थी, जिसमें स्वामी विवेकानंद जी ने भाषण दिया। इस भाषण के बाद उन्हें काफी ख्याति मिली थी। उन्होंने रामकृष्ण परमहंस मिशन की शुरुआत की थी। स्वामी विवेकानंद के कुछ ऐसे विचार, जिनका ध्यान रखने पर आप सफलता हासिल कर सकते हैं.....

1. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का आप पर विश्वास उठ जाता है।

2. हम वो हैं, जो हमें हमारी सोच ने बनाया है। इसलिए इस बात का धयान रखें कि आप क्या सोचते हैं। जैसा आप सोचते हैं वैसे बन जाते हैं।

3. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

4. सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।

5. जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर चल रहे हैं।

6. हम जितना ज्यादा बाहर जाए और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें वास करेंगे।

7. भला हम भगवान को खोजने कहां जा सकते हैं, अगर उसे अपने हृदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते।

8. आपको अंदर से बाहर की ओर विकसित होना है। कोई तुम्हें पढ़ा नहीं सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता. तुम्हारी आत्मा के आलावा कोई और गुरु नहीं है

9. पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।

10. किसी भी चीज से मत डरो। तुम अद्भुत काम करोगे। यह निर्भयता ही है जो पलभर में परम आनंद लाती है।

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 

Sunday 16 December 2018

देश का किसान रील वाले कोडक कैमरा पर चिपका हुआ है, उसे iphoto पर जाने की जरूरत है।

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16.12.2018

देश का किसान रील वाले कोडक कैमरा पर चिपका हुआ है, उसे iphoto पर जाने की जरूरत है।
हम सभी जानते हैं कि पहले रील वाला कोडक कैमरा बहुत अधिक पॉपुलर होता था। उसका बिजनेस करने वाला व्यक्ति आर्थिक रूप से समृद्ध रहता था। परंतु समय के साथ साथ तकनीकी में बदलाव आया और आज iphoto के सामने रील वाले कैमरे लगभग लुप्त हो गए हैं। अब यदि कोई दुकानदार रील वाले कैमरे को बेचने की कोशिश करें तो ऐसे दुकानदारों का क्या होगा? ऐसे दुकानदारों की आर्थिक दशा वास्तव में खराब होती चली जाएगी। ऐसा ही हाल किसान का हो रहा है, किसान साधारण खेती में गेहूं, चना, बाजरा, व सरसों इत्यादि की फसल से ऊपर नहीं उठ पा रहा है जबकि इन फसल को करने में बहुत अधिक लागत आती है और बाजार में उचित दर पर नहीं मिल पाती है।
श्री पिंटू पहाड़ी जैसे तकनीकी रूप से योग्य कृषी वैज्ञानिक व समाज सेवी आए दिन लोगों को कैश क्रोप, सब्जियां व फल के बागान इत्यादि लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। आवश्यकता है किसान को साधारण खेती से अलग हटकर नई तकनीकी की खेती बाड़ी या बागान इत्यादि शुरू किये जाए ताकि उनकी आर्थिक दशा मजबूत हो सके। जो लोग गांव में रहते हैं और कृषि करते हैं उन्हें चाहिए कि वे अपने अपने गांव में नई तकनीक से खेती करने के उदाहरण प्रस्तुत करें ताकि और लोग उन्हें देखकर iphoto की तर्ज पर कम लागत में उन्नत खेती की शुरुआत कर सके व अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार कर सके।
reel वाला kodak camera - - - - - > iphoto
साधारण खेती छोड़कर - - - - - > नई तकनीक से कैश क्रोप व बागान।
सोच बदल कर नई सोच को क्रियान्वित करें।
रघुवीर प्रसाद मीना

Theory of only 5 handshakes away!

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15.12.2018

Theory of only 5 handshakes away!
दुनिया का हर व्यक्ति बड़े से बड़े दूसरे व्यक्ति से केवल 5 हाथ की दूरी पर है। उदाहरण के तौर पर यदि गांव के साधारण व्यक्ति के नजरिए से देखें तो वह सरपंच को जानता है, सरपंच एमएलए को जानता है, एमएलए एमपी को जानता है, एमपी देश के प्रधानमंत्री को जानता है और हमारे देश के प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जानते है।
गांव का साधारण व्यक्तिसरपंचएमएलएएमपीप्रधानमंत्रीअमेरिका के राष्ट्रपति।
इस प्रकार गांव के साधारण आदमी से डोनाल्ड ट्रंप केवल पांच हाथ दूर है। हम सभी को यह समझना चाहिए कि यदि आप किसी व्यक्ति से कार्य करना चाहते हैं तो पहले देखो कि किसके माध्यम से उस तक पहुंचा जा सकता है, कौन अच्छा माध्यम है जिसके द्वारा अपनी बात पहुंच सकती है?
इस कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण वह प्रथम व्यक्ति है जिससे आपके सीधे संबंध है। सीधे संबंध बहुत प्रगाढ़ होने चाहिए, यदि आप समर्पित व निष्ठावान है और दूसरों के काम आते हैं तो दूसरा व्यक्ति भी आपके जरूर काम आयेगा।
रघुवीर प्रसाद मीना

जयपाल सिंह मुण्डा - जाने व याद करें व प्रेरणा ले।

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15.12.2018

श्रीमान जयपाल सिंह मुंडा 
(3 जनवरी 1903 – 20 मार्च 1970)

श्री जयपाल सिंह मुंडा देश के आदिवासियों और झारखंड में हुए विभिन्न आदिवासी आंदोलनों के एक सर्वोच्च नेता थे।  जयपाल सिंह मुंडा पढ़ने में बहुत इंटेलिजेंट थे, वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने वाले प्रथम आदिवासी थे। 1928 में हॉकी के विश्व कप जिसमें भारत विजेता हुआ की टीम के कप्तान थे।

वे एक जाने माने व्यक्तिव, पत्रकार, लेखक, संपादक, शिक्षाविद् और 1925 में ‘ऑक्सफोर्ड ब्लू’ का खिताब पाने वाले हॉकी के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि श्री जयपाल सिंह मुंडा कंस्टीट्यूएंट असेंबली के सदस्य थे, जिन्होंने संविधान के निर्माण के समय आदिवासियों के हित के संबंध में जरूरी पक्ष रखें और आदिवासियों को संविधान में जो अधिकार मिले हुए हैं उसमें श्री जयपाल सिंह मुंडा का बेहद बड़ा व जोरदार योगदान रहा है।

20 मार्च, पुण्यतिथि के अवसर पर श्रीमान जयपाल सिंह मुंडा को शत शत नमन और हम सभी विनिश्चय करें कि अपने अपने क्षेत्र में जोरदार उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करें । 

#जोहार 

Saturday 15 December 2018

प्रताप नगर, जयपुर में बनाये जा रहे बालिका छात्रावास की शुरुआत।

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15.12.2018

प्रताप नगर, जयपुर में बनाए जा रहे बालिका छात्रावास के प्रेरणा स्रोत व छात्रावास की शुरुआत ।
प्रताप नगर, जयपुर में बनाया जा रहे है बालिका छात्रावास के प्रेरणा स्रोत श्री लक्ष्मण मीना जी, एमएलए-बस्सी का छात्रावास की परिसर  रेलवे के कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ स्वागत किया गया। श्री लक्ष्मण जी ने चर्चा के दौरान बताया कि इस बालिका छात्रावास का संचालन जनवरी 2019 से प्रारंभ करने हेतु योजना बनाई जा रही है।
श्री लक्ष्मण जी बस्सी विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 42764 मतों से एमएलए का चुनाव जीते हैं। उन्हें सभी समाजों की ओर से अच्छे वोट मिले हैं। उनके अच्छे व्यवहार व सेवाभाव के कारण बस्सी के सभी समाजों के मतदाताओं ने अंजू धानका के स्थान पर श्री लक्ष्मण जी को भारी मतों से चुनाव जिताया है।
श्री लक्ष्मण जी वास्तव में एक समर्पित समाजसेवी है जिन्होंने कोटा में प्रथम बालिका छात्रावास, फिर दौसा में बच्चों के छात्रावास और अब प्रताप नगर, जयपुर में तीसरा छात्रावास (बालिका) बनवाने में समाज को बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
हम श्री लक्ष्मण मीना जी जैसे समाजसेवक एवं योग्य राजनेता के उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं करते हैं।
आदिवासी रेल परिवार।

Tuesday 11 December 2018

किसानों की व्यथा।

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10.12.2018

किसान व अंतिम उपभोक्ता एक नज़र में -
मरता मैं भी हूँ और मरते तुम भी हो।
मैं सस्ता बेच के मरता हूं और
तुम महंगा खरीद के मरते हो।
केवल मिडिलमेन ही मार रहा हम दोनों को।
सरकार जो रक्षक है वह बनी हुई है तमाशबीन।
संलग्न लेख में किसानों की दशा को जोरदार तरीके से बताया गया है। किसानों का उत्पाद बहुत ही कम दाम पर बिकता है और खरीद करने वाले अंतिम उपभोक्ता बहुत ऊंचे दाम पर चीजों को खरीदते हैं। मिडिलमेन जो कि किसानों व अंतिम उपभोक्ताओं की तुलना में बहुत ही कम संख्या हैं, वे बहुत अधिक मार्जिन की बचत करते हैं। जो कि किसान व उपभोक्ता दोनों को ही मारता हैं। उदाहरणार्थ यदि किसान टमाटर ₹2 किलो बेचता है तो उपभोक्ता के पास वह ₹20 किलो तक पहुंचता है। सरकार को चाहिए कि वह इस भयावह मार्जिन को कम करने का उपाय करें ताकि किसान को फसल बेचने से ₹10 मिले और उपभोक्ता को सामग्री ₹12 में मिले। दोनों को ही ₹8 का लाभ मिल सके।
किसान व उपभोक्ताओं की वेदना को कम करने के निम्न उपाय हो सकते हैं -
1. आवश्यकता है उपभोक्ता व किसान का अधिक से अधिक डायरेक्ट कनेक्शन हो व मिडिलमेन का रोल कम हो जाए।
2. फसल सीजन के हिसाब से पैदा होती है। जब पैदा होती है तो एक साथ भारी वोल्यूम में पैदा होती है जिसका एक साथ कन्जम्पशन (उपभोग) होना संभव नहीं है। अतः स्टोरेज के संसाधनों का विकास करना होगा।
3.  प्रोसेसिंग यूनिटस् फसल के पैदा होने की जगह के आसपास लगाई जाएँ ताकि किसान उनके उत्पाद को उचित दर पर सीधा प्रोसेसिंग यूनिटस् में भेज सकें और तैयार की गई वस्तु भी कम लागत में तैयार हो जाये और उपभोक्ताओं को भी सही दाम पर मिल सके।
4. फसल हेतु उर्वरक व कीटनाशक दवाइयां सही दाम एवं समय पर उपलब्ध हो और उनकी ब्लैक मार्केटिंग नहीं हो।
5. फसल पैदा करने के लिए जो पानी चाहिये उसकी उपलब्धता आसानी से होनी चाहिए। उसके लिए फॉर्म पोन्डस् या पानी बचाने की तकनीकी संसाधन किसान को कम दाम पर मुहैया कराये जाएं।
6. बिजली या डीजल की दरें न्यूनतम होनी चाहिए।
7. किसानों को भी चाहिए कि वे उनकी स्किल को डेवलप करें और नई तकनीकी का उपयोग कर कृषि कार्य करें ताकि कम लागत में अधिक पैदावार हो सके।
8.  सरकार को भी चाहिए कि जो लोग अच्छा पैदा कर रहे हैं उन्हें सम्मान व पहचान दें ताकि दूसरे किसान प्रोत्साहित हो सके।
9. सरकार को उन संस्थाओं एवं सिस्टम्स को प्रोत्साहित करना चाहिए जिनमें मिडल में का मार्जिन कम रहता है और किसानों फसल का सही दाम मिले व अंतिम उपभोक्ताओं को भी सही दाम पर चीजें मिले।
10. श्री पिंटू पहाड़ी व अन्य समझदार व्यक्ति इस विषय पर अक्सर लगातार लोगों को अवगत कराते रहते हैं, उनकी जानकारी का लाभ उठाएं। उनसे सीख कर एफिशिएंट तरीके से खेती करें।
रघुवीर प्रसाद मीना

Friday 7 December 2018

वोट - वोटिंग मशीन के बटन मैं दबे अनेकों प्रश्नों का उत्तर है।

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06.12.2018

आज चुनाव में मतदान बहुत सोच समझकर करने की जरूरत है। पहले के दिनों में विधानसभा क्षेत्रों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पोस्टिंग सरकार करती थी, नेता केवल खराब कर्मियों को हटवाने के लिए कार्रवाई करते थे। परंतु आजकल देखा जा रहा है कि एसडीएम, तहसीलदार, डीएसपी, थानेदार, अस्पतालों में डॉक्टर, स्कूलों में प्रिंसिपल, पटवारी व अन्य अधिकारी और कर्मचारियों की पोस्टिंग एमएलए के कहने से होती है। अत:आज अच्छे एमएलए का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
विगत दिनों में गंगापुर सिटी में 2 अप्रैल को बेकसूर छात्रों के साथ पुलिस द्वारा जो अत्याचार किया गया उसका एकमात्र कारण एमएलए द्वारा दिये गये अनावश्यक निर्देश व पोस्ट करवाये गए पुलिस के अधिकारी व कर्मचारियों ने स्वयं को सरकार के कर्मचारी नहीं मानकर उस एमएलए के कर्मचारी मानना था।
हर समझदार मतदाता को चाहिए कि वे चुनाव में वोट देते समय उस बटन के नीचे समाहित अनेकों प्रश्नों के उत्तर को समझते हुए अच्छे व योग्य उम्मीदवार को वोट दे

Monday 3 December 2018

कार्य को निष्पादित करे (deliver) & make things happen।

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02.12.2018

एक बार दीवार पर तीन बिल्लियां बैठी हुई थी, उनमें से दो ने निर्णय लिया कि कूद जाएं। अब कितनी बिल्लियां बची? साधारणतया लोग कहेंगे कि "एक" परंतु 1 घंटे या कई दिनों बाद देखा गया कि वहां तीनों ही बिल्लियां बैठी हुई थी। क्योंकि दो बिल्लियों ने केवल निर्णय ही लिया था, लिए गये निर्णय का क्रियान्वयन नहीं किया।
यह कहानी जीवन के हर पहलू पर लागू होती है। निर्णय लेना एक बात है परंतु उसे क्रियान्वित करना बहुत ही जरूरी है। अर्थात कार्य को कर दिया जाए "make things happen" यथा delivery बहुत जरूरी है।
प्रतिदिन हम लोग अपने घर पर सुबह देख सकते है कि मां या पत्नी नाश्ता तैयार करके दे देती है। मसलन उन्होंने आटा, चावल, बेसन या ब्रेड इत्यादि ली और उसको प्रोसेस करके एंड रिजल्ट नाश्ते या खाने के रूप में तैयार कर देती हैं। कुल मिलाकर सुबह श्याम यदि घर पर महिलाओं के रोल को देखें तो उसमें कार्य निष्पादन के बहुत सारे पहलू जुड़े रहते हैं। इसी प्रकार हर व्यक्ति सुबह उठकर स्नान कर लेता है तो उसने एक कार्य निष्पादित कर लिया। यदि एक्सरसाइज कर ली तो एक और मुख्य कार्य निष्पादित कर लिया।
दिन भर में देखने की आवश्यकता है कि व्यक्ति वास्तव में क्या कार्य निष्पादित करता है? कार्यालय में डिसीजन लेना, फाइलों को निपटाना भी कार्य निष्पादन करना है। हर व्यक्ति को दिन समाप्त होने पर अपने आपको इवेलुएट करना चाहिए कि उसने उस दिन क्या कार्य निष्पादित किया है? यदि उसे लगे कि वह एफिशिएंट तरीके से कार्य निष्पादित नहीं कर पा रहा है तो उसे कार्य करने के तरीके बदलाव करने की जरूरत है।
कार्य निष्पादन करना जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। यदि कोई व्यक्ति केवल बातें करें एवं सोचता रहे तो उसका उतना महत्व नहीं है जितना कि कार्य निष्पादन करने का। जब तक हम कार्य निष्पादन नहीं करेंगे तब तक कोई ठोस कार्य संपन्न नहीं होगा। हमें प्रतिदिन देखना चाहिए कि हम कितने अच्छी तरीके से कार्यों को निष्पादित कर रहे हैं या कार्यशैली को और सुधारने की जरूरत है
"Make Things Happen"
रघुवीर प्रसाद मीना

Sunday 2 December 2018

यदि मजबूत लोकतांत्रिक ढांचा चाहिए तो चुनाव में नहीं ले किसी भी नेता से कोई अहसान ।

rpmwu160
02.12.2018

राजस्थान में विधानसभा के चुनाव 7 दिसंबर को होने वाले हैं। लोकतंत्र में चुनाव में मत देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। इस दौरान छोटी सोच रखने वाले मतदाता, उनके मत की वैल्यू समझे बिना नेताओं से विभिन्न प्रकार की लालच (फेवर/एहसान) जैसे गाड़ी का किराया, कुछ पैसे, शराब या कपड़े इत्यादि लेकर अपने मत की कीमत पर कलंक लगा लेते हैं। जिस नेता ने ऐसी लालच से वोट लिए हैं वह उन मतदाताओं की अगले 5 साल बिल्कुल परवाह नहीं करता है क्योंकि उसने इन वोटों को खरीदा है ना कि लोगों ने उसके ऊपर किसी प्रकार का कोई एहसान किया है।
यदि हम वास्तव में चाहते हैं कि अच्छे नेता चुने जाये तो हमें चाहिए कि चुनाव के समय नेताओं से किसी प्रकार का फेवर या एहसान नहीं ले, बल्कि मत देकर आप अच्छा नेता और सरकार चुन कर लोकतंत्र की मदद करें। ऐसा करने से नेता हमेशा हमेशा के लिए आप का कृतज्ञ रहेगा और जैसा वोटर चाहेंगे वह उसी प्रकार का कार्य करेगा। यदि कोई व्यक्ति लालच लेकर वोट दे रहा है तो उसको उस नेता से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
इस संदर्भ में एक बड़ा जोरदार उदाहरण मैंने अभी हाल में पढ़ा है। एक व्यक्ति के पास एक नेता गया और उसने उसे ₹1000 का नोट दिया और कहा कि आप मुझे वोट देना। उस समझदार व्यक्ति ने कहा कि भाई ₹1000 का मैं क्या करूंगा कि आप एक काम करो मेरे लिए एक गधा खरीद कर दे दो। जब वह नेता गधा खरीदने के लिए बाजार में गया तो पता लगा कि ₹20000 तक में भी गधा नहीं आ रहा है, तो उसने सोचा कि अगर ऐसे मैं गधा देता रहूंगा तो यह बहुत ही मंहगा पड़ेगा। तो वह नेता उस व्यक्ति के पास पुन: गया, उसने कहा कि गधे तो बहुत महंगे हैं ₹20000 से कम नहीं मिल रहे है तो उस व्यक्ति ने कहा तो मैं क्या तुमको गधे से भी बेवकूफ नजर आ रहा हूं? जो आप मेरे बोट को हजार रुपे में खरीदना चाहते हो ।
इस छोटी सी कहानी के माध्यम से हम सब को यह समझना चाहिए कि हमारा वोट बहुत ही महत्वपूर्ण है। सच्चे लोकतंत्र के लिए उसे किसी भी कीमत पर छोटी -मोटी लालच या फेवर इत्यादि के लिए नहीं बेचे और चुनाव के समय नेताओं से किसी भी प्रकार का फेवर  या एहसान नहीं ले। बल्कि यदि आप करने के लिए सक्षम है तो उन पर एहसान करें ताकि 5 साल तक वे अच्छे मन लगाकर स्वच्छ लोकतंत्र में काम कर सके।
यदि मतदाता भ्रष्ट तरीके अपनाकर वोट देता है तो मान लेना चाहिए कि उसने भ्रष्टाचार का पेड़ लगा दिया है जिसमें भ्रष्टाचार के ही फल आने वाले हैं। और यदि उसने नेकी से मत दिया हैं तो उसने नेकी का पेड़ लगाया हैं जिसमें नेकी के ही फल आने वाले है। हमें समझ लेना चाहिए कि देश, समाज और व्यक्ति स्वयं के विकास और उन्नति के लिए उसे क्या करना है?
रघुवीर प्रसाद मीना

Thursday 29 November 2018

स्किल बढ़ाने के लिए स्किल का खेलों की तरह कंपटीशन किया जाना चाहिए।

rpmwu159
29.11.2018

हमारे देश की जो सबसे बड़ी समस्याएं है उसमें से लोगों में स्किल की कमी एक प्रमुख समस्या है। कार्य करने के प्रत्येक क्षेत्र में अच्छी स्किल वाले लोगों की भारी कमी होने के कारण भारत में बनने वाले उत्पादों की गुणवत्ता उतनी बेहतर नहीं होती जितनी की विदेशों के उत्पादों की होती है।
देश में स्किल की कमी व्यक्तिगत न होकर एक सामुहिक व सामाजिक समस्या है। क्योंकि चिरकाल से देश में जो लोग हाथ से कार्य करते थे उनको समाज में नीचा दर्जा मिला और जो लोग हाथ से कार्य नहीं करते थे, केवल बातें करते थे, पूजा करते थे, लड़ाई कर सकते थे, मैनेज करते थे और फाइनेंस अरेंज करते थे उन्हें समाजिक तौर पर ऊपर रखा गया और उन्हें ज्यादा महत्व दिया गया। जिसके कारण कालांतर में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गई जो हाथ से काम नहीं करके, बातें या भाषण देने में माहिर थे या चीजों को मैनेज करते थे। आज भी यदि देखें तो देश में लगभग 80% धन सम्पदा उन लोगों के पास है जो स्वयं कार्य नहीं करते हैं उनमें कोई स्किल नहीं है।
देश की अपेक्षित उन्नति नहीं होने का एक मुख्य कारण देश के उत्पादों व सेवाओं की गुणवत्ता में कमी है। यदि हम वास्तव में देश की त्वरित तरक्की चाहते हैं तो हमें हमारे  उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना होगा और वह तभी संभव है जब काम करने वाले लोगों की स्किल उच्च स्तर की हो।
हमें अच्छी स्किल वाले लोगों का सम्मान करना होगा, उन्हें महत्व देना होगा, लोगों के मन में उनके प्रति आदर जागृत करना होगा। जैसे हम खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलों के विभिन्न प्रकार के कंपटीशन कराते हैं उसी प्रकार यदि स्किल से संबंधित कंपटीशन करवाएं जाएं तो स्किल डेवलपमेंट में मील का पत्थर साबित हो सकते है और देश में बनने वाले उत्पादों की गुणवत्ता में उत्तरोत्तर सुधार होगा। देश के जल्दी विकसित होने व लोगों को रोजगार मिलने में यह ठोस कदम साबित हो सकता है।
समाज व सरकार दोनों को अपने अपने स्तर पर स्किल से सम्बन्धित कंपटीशन करवा कर, अच्छी स्किल वाले लोगों को गौरवान्वित करना चाहिए ताकि और लोग भी उनसे प्रभावित होकर उनके अनुयायी बन सके और अच्छी स्किल होने में गर्व महसूस कर सके।
रघुवीर प्रसाद मीना

जनता की नासमझी और नेताओं की चाल।

rpmwu158
29.11.2018

जनता की कमजोर समझ को नेताओं ने अच्छी तरह पहचान रखा है और विभिन्न प्रकार की बहकावे वाली बातें करके जनता को मूर्ख बनाते रहते हैं। हिंदू मुस्लिम, गाय, मंदिर, हरा भगवा रंग, जाति, धर्म, वर्ण व आरक्षण इत्यादि इत्यादि पर लोगों का ध्यान भटकाया जाता है। जबकि विधालयों में शिक्षा हेतु अच्छी सुविधा ना होना, शिक्षा की फीस का बढ़ना,  किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाना, उर्वरकों की आपूर्ति में ब्लैक मेलिंग होना, पीने योग्य पानी की उपलब्धता नहीं होना,  दूरदराज के क्षेत्रों में अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होना,  गरीबों के पास बचत करने के तरीकों का नहीं होना, बेरोजगारी, स्वास्थ्य की सुविधाओं में कमी, महँगाई, भ्रष्टाचार इत्यादि जो वास्तविक मुद्दे हैं, जिनके हल से देश की गरीब जनता का भला होने वाला है, उन पर बिल्कुल या बहुत ही न्यूनतम ध्यान दिया जाता है।
इस बात को एक उदाहरण के माध्यम से बड़ी आसानी से समझा जा सकता है। गांव में जब चोर एक ग्रुप में जानवरों की चोरी करते हैं तो वे सबसे पहले उस जानवर के गले में बंधी हुई घंटी को खोलते हैं और उनमें से एक व्यक्ति उस घंटी को एक दिशा में गांव वालों को दिग्भ्रमित करने के लिए ले जाता है। और दूसरे लोग जानवरों को दूसरी दिशा में ले जाते हैं। घंटी की आवाज सुनकर गांव वालों को लगता है कि जानवर घंटी की आवाज आने वाली दिशा में जा रहा है परंतु वास्तव में जानवर किसी दूसरी दिशा में जा रहा होता है। गांव के लोग झूठी घंटी की आवाज से दिग्भ्रमित हो जाते हैं और वे घंटी की दिशा में चेज करते हैं। बाद में उन्हें पता लगता है कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है और उनके जानवरों की चोरी हो हो गई है
इसी बात को यदि हम गहराई से देखें तो पता चलता है कि मंदिर, मस्जिद, हरा-भगवा, अतीत की बातें, धर्म, दिखावा, जातिपांती, क्षेत्र इत्यादि लोगों को भावनाओं के माध्यम से घंटी से जोड़ना है। जबकि मूलभूत मुद्दे जैसे गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, पीने योग्य पानी, फसल का मूल्य, उर्वरक की समय व सही दर पर सप्लाई, महंगाई इत्यादि की ओर उनके ध्यान को जाने ही नहीं दिया जाता है। जनता को बहुत सोच समझ कर तय करना चाहिए कि घंटी पर ध्यान भटकाएँ या मुद्दों पर ध्यान दें।
वोट करते समय महत्वपूर्ण मुद्दों को ध्यान में रखें और समझदारी से योग्य व अच्छे उम्मीदवार को वोट दें ताकि देश का विकास हो सके और झूठी घंटी बजाने वालों से देश को बचाया जा सके।
रघुवीर प्रसाद मीना

Wednesday 21 November 2018

जो लोग अधिकारियों से सहायता चाहते है, उन्हें सलाह।

rpmwu156
20.11.2018

जो लोग #अधिकारियों_से_सहायता चाहते है, उन्हें #सलाह।
1. सोमवार को अवोईड़ (avoid) करें क्योंकि अधिकारी मिटिंगस् में व्यस्त रहते है।
2. आॅफिस के खुलते ही नहीं जाये क्योंकि सुबह सुबह अधिकारी कार्य की प्लानिंग करते है। सामान्यतः 12:00 से 1:30 बजे या 3:00 से 5:00 बजे का समय उपयुक्त हो सकता है।
3. बार बार लगातार फोन नहीं करें, क्योंकि व्यक्ति विशेष कार्य में व्यस्त हो सकता है। अच्छा रहेगा अपने परिचय के साथ मैसेज करें।
4. बेहतर होगा अधिकारियों से कार्यालय के काम के सम्बन्ध में कार्यालय के समय में ही बात करें। ऐसा करने से आपके कार्य पर तुरंत कार्यवाही का प्रारंभ होना संभव है।
5. जब भी मिलने जाये तो सम्बंधित अधिकारी का नाम व कार्यालय का फोन नंबर व मोबाइल नंबर अवश्य रखें।
6. संबंधित मुख्य मुख्य दस्तावेजों को ही वाट्सऐप पर भेजें। अनावश्यक दस्तावेजों को बल्क में नहीं भेजें।
7. यदि कोई अधिकारी आपकी बात सुन रहा हो तो अनावश्यक दूसरों का रिफरेंस नहीं दे।
8. अधिकारियों से मदद मांगने से पूर्व पहले नीचे स्तर पर जानकार स्टाफ या पर्यवेक्षकों से अवश्य मदद लेने की कोशिश करे।
9. फोन पर या कार्यालय में अनावश्यक वार्ता/ऑफ़र जैसे मिठाई , खर्चा पानी, पैसे के लेन देन की बात नही करें। इन बातों को सुनकर ईमानदार प्रवृत्ति के अधिकारियों का मन खराब होता है।
10. जिसको सम्पूर्ण मामले की जानकारी हो यदि वही व्यक्ति बात करें तो बेहतर होगा।
रघुवीर प्रसाद मीना

Tuesday 13 November 2018

समझदारी के साथ चुनाव में योग्य नेता चुने।

rpmwu154
12.11.2018

राजनीतिक पार्टियां उनकी विभिन्न मजबूरियों एवं सोची समझी चाल के कारण ऐसे लोगों को टिकट दे देती है जो कि किसी भी तरह से नेता बनने के योग्य नहीं है। न तो वे कोई पॉलिसी फॉर्मूलेशन में सहायक हो सकते हैं और ना ही उनके इंप्लीमेंटेशन में। ऐसे लोग 5 वर्ष के लिए विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र का नाम मात्र का प्रतिनिधित्व करते हैं एवं उस क्षेत्र विशेष का कोई विकास नहीं करवाते हैं और न हीं करवा सकते हैं।
हो सकता है कोई व्यक्ति आप की जाति, धर्म, समुदाय का हो या आपका जानकार हो या आपका रिश्तेदार हो हो सकता है वह आपका चाचा, बाबा, भतीजा, मामा या फिर बुहा, बहन, भतीजी, दादी इत्यादि लगते हो तो उनका पूरा आदर व सम्मान करें परंतु यदि वह योग्य नेता नहीं है तो उसे नहीं चुनना चाहिए।
केन्द्र व राज्य सरकार के बजट के आंकड़ों के अनुसार हर व्यक्ति के हिस्से में 5 वर्षो लगभग ₹5 लाख की भागीदारी आती है अत: वोट का उपयोग महत्वपूर्ण मानते हुए पूर्ण समझदारी व बुद्धिमत्ता से करने की जरूरत है।
संविधान बनाते समय यदि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के स्थान पर किसी जानकार या रिश्तेदार अयोग्य व्यक्ति को कन्टिट्यूयेन्ट असेम्बली का सदस्य बना दिया जाता तो वह संविधान बनते समय केवल तमाशबीन ही बना रहता और बने हुए दस्तावेज पर दस्तखत कर देता। उसमें कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा के लिए जो प्रावधान बनाए गए हैं वे कभी नहीं होते। हमें सोचना होगा कि हम क्या चाहते हैं अच्छे नेता या केवल जानकार, रिश्तेदार, बहन, बुआ, भतीजी, दादी, नानी, काका, बाबा, दादा, नाना इत्यादि।
रिश्तेदारी निभाना एक सामाजिक दायित्व है और अच्छे नेता का चुनाव करना एक गंभीर बुद्धिमता का द्योतक है। यदि हम स्वयं और देश व समाज की वास्तव में भलाई चाहते हैं तो हमें अच्छे नेताओं को चुनना होगा ना कि जानकार या रिश्तेदार या जाति या धर्म या समुदाय के आधार पर अयोग्य व्यक्तियों को।
यह भी देखा गया है कि कई नेता हर बार अपने क्षेत्रों को बदल लेते हैं। इसके पीछे मुख्य कारण यह होता है कि उन्होंने पिछले कार्यकाल में उनके क्षेत्र में कोई विशेष विकास कार्य नहीं करवाया होता है जिसके कारण वहां के वोटर उससे नाराज रहते हैं और वह हर चुनाव में नए-नए क्षेत्रों में जाकर अपने भाग्य को  अजमते रहते हैं। कई बार यह भी दिखाई देता है कि बाहरी व्यक्ति क्षेत्र विशेष में जाकर चुनाव जीतने के बाद वहां की गतिविधियों में बहुत कम रुचि लेते हैं और वह क्षेत्र अपने आप ही पिछड़ा रह जाता है।
उपरोक्त सभी के मद्देनजर विचारणीय बिंदु है कि अपने वोट के महत्व को पहचाने और योग्य नेता चुने ना कि अयोग्य व्यक्ति।
रघुवीर प्रसाद मीना

Monday 12 November 2018

धर्म या अधर्म के लिए कौन है जिम्मेदार? व्यक्ति क्या करें?

rpmwu153
12.11.2018

हमेशा कहा जाता रहा है कि धर्म से जनमानस की भलाई होती और अधर्म से विनाश। जबकि वास्तव में अगर बहुत सरसरी तौर पर भी देखा जाएँ तो पता चलता हैं कि क्रिश्चियन धर्म में काले लोगों पर गोरे लोगों ने बहुत अधिक अत्याचार किया था। महात्मा गांधी जैसे व्यक्ति को ट्रेन के डिब्बे से सामान के साथ बाहर फेंक दिया गया, केवल और केवल रंगभेद के कारण। इसी प्रकार हिंदू धर्म मानने वाले लोगों ने दूसरे हिंदू धर्म मानने वाले अछूतों के साथ बहुत ज्यादा अत्याचार किया जिससे सभी भली-भांति परिचित है। यहां तक की अछूतों को पढ़ने, ज्ञान की बातें सुनने व बोलने इत्यादि इत्यादि पर प्रतिबंध था। मुस्लिम धर्म में भी यदि देखें तो दूसरे धर्म के लोगों का कोई सम्मान नहीं है। वे तो कहते हैं  कि या तो व्यक्ति मुस्लिम हो अन्यथा वह काफिर है, वे चाहते हैं कि सभी लोग मुस्लिम बन जाएँ। इसी प्रकार अन्य धर्मों में भी धर्म के नाम पर अधर्म की नीति चलती आ रही है। निम्न प्रश्नों का उत्तर ढूंढने की जरूरत है-
धर्म के नाम पर मनुष्य का मनुष्य द्वारा शोषण एवं मूर्ख बनाना कैसा धर्म है? यह अधर्म क्यों नहीं है? उस धर्म विशेष के लोग इस प्रकार अधर्म गतिविधियों को क्यों नहीं रोकते हैं? क्यों नहीं गलत करने वालों को दंडित किया जाता है? जो चीजें पहले धर्म के नाम पर सही ठहराई जाती थी वे अब धीरे धीरे क्यों खराब सिद्ध होने लगी है? सदियों तक जो गलत चीज सही मानकर चल रही थी उसके लिए कौन जिम्मेदार था? और जो जिम्मेदार थे उन लोगों को क्या सजा मिल रही है?  भूतकाल में जो हो चुका है उसको यदि भूल भी जाए तो वर्तमान में धर्म के नाम पर छुआछूत, भेदभाव, दमनकारी गतिविधियों के लिए क्यों नहीं रोक लगाई जा रही है? क्यों नहीं कड़े कानून के माध्यम से इस प्रकार के दमनकारी लोगों पर अंकुश लगाया जा रहा है?
अभी भी कुछ कुटिल लोग जो अपने आप को ज्यादा समझदार होने की बातें करते हैं वे, जिनका भूतकाल में शोषण हो चुका है और अब ऊपर उठ रहे हैं, को पचा नहीं पा रहे हैं। और आये दिन विभिन्न प्रकार के प्रपंच रचने में लगे रहते है। ऐसे लोगों को आईडेंटिफाई करने की आवश्यकता है और उनसे सजग रहकर दूरी बनाने एवं उनके बहकावे में नहीं आने की जरूरत है। उचित मौके पर उनको स्पष्ट जबाव देने की भी जरूरत है। कोई भी ऐसी गतिविधि नहीं की जानी चाहिए जिससे शोषण करने वाले लोगों को लाभ हो।
अत: आवश्यकता है कि धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (DAP) से व्यक्ति अपने आप को दूर रखें और दूसरों को भी दूर रहने की सलाह दें, साथ ही धर्म के नाम पर चल रही लूट को रोके।  हर व्यक्ति को उसके जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की जरूरत है साथ ही उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य को पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी के साथ संपादित करें, यही सबसे बड़ा धर्म है।

Wednesday 7 November 2018

सेवानिवृत्त लोगों को पुन: नौकरी देना बेरोजगार युवाओं के साथ न्याय नहीं है।

rpmwu151
07.11.2018

पिछले कुछ दिनों में सरकार में सेवानिवृत्त लोगों को पुनः जॉब देना एक ट्रेंड सा बन गया है। सेवानिवृत्त व्यक्ति को उसके सेवाकाल में प्राप्त सैलेरी से की गई बचत के साथ साथ पेंशन भी मिलती और वह सामान्यतः उसकी सभी जिम्मेदारियां से मुक्त रहता है जिसकी वजह से उसे आर्थिक रूप से और धन की उतनी आवश्यकता नहीं होती जितनी की एक बेरोजगार युवा को होती है। साथ ही साथ सेवानिवृत्त व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता भी कम हो जाती है। वे उतने स्फूर्तिमान व एफिशिएंट नहीं हो सकते जितने की नए युवा।
सेवानिवृत्त व्यक्तियों को पुनः रोजगार देना और युवाओं को नये रोजगार से वंचित रखना किसी प्रकार से समझदारी नहीं लगती है। आर्थिक पैमाने पर भी यदि देखें तो जब व्यक्ति नया भर्ती होता है तो उसकी पे स्केल इत्यादि काफी कम रहती है जिसके कारण उनको दिए जाने वाले वेतन न्यूनतम स्तर का ही रहता है। वैसे भी सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराएं।
परंतु आजकल देखा जा रहा है कि सरकार में पदों की रिक्तियों को समय पर नहीं भरा जाता है  और या तो अधिकतर कार्य संविदा पर करवाए जा रहे हैं और या सेवानिवृत्त लोगों को पुनः रखा जा रहा है। ऐसा करने से युवा वर्ग रोजगार से वंचित हो रहा है। दूसरी ओर अधिकतर सेवानिवृत्त व्यक्ति पद को तो आॅक्यूपाई कर लेते हैं परंतु वांछित गुणवत्ता का कार्य नहीं कर पाते है।
इस पहलू को सभी प्राधिकारियों को गहराई से समझने की आवश्यकता है कि किस प्रकार सेवानिवृत्त व्यक्तियों को दिए जाने वाले पुन: रोजगार को रोका जाए और उनके स्थान पर नए युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जाये।
कृपया इस विषय पर अपने अपने विचार व्यक्त करें।

Tuesday 6 November 2018

जयपुर मंडल का रिनोवेटेड कंट्रोल ऑफिस।

rpmwu150
06.11.2018

जयपुर मंडल का रिनोवेटेड कंट्रोल ऑफिस।
जयपुर मंडल के कंट्रोल ऑफिस को अभी हाल में पूर्ण रूप से रिनोवेट किया गया है, जिसमें निम्नलिखित कार्य मुख्य रूप से किए गए -
1. संपूर्ण ऑफिस की फॉलस् सीलिंग की हाईट जोकि एक पुरानी अनुपयोगी एयर डक्ट के कारण बहुत कम थी उसको हटाकर, हाईट बढ़ाई गई। बड़ी हुई हाइट में ग्लास पार्टीशन लगाया गया, जिसके कारण गैलरी जिसमें साधारणत: अंधेरा रहता था उसमें बगल के कमरों से लाईट आने के कारण अपने आप प्रकाशमान हो गई।
2. संपूर्ण ऑफिस में टाइल्स बहुत पुरानी हो चुकी थी एवं उनका कलर भी डल था, उन्हें ब्राईट शेड़ की बडी़ विट्रीफाईड़ टाईलों से बदलवाया गया। टाईलस् के नीचे फ्लोर में विधुत व टेलिफ़ोन/इंटरनेट के वायरस् व केबलस् प्लानिंग से डाले गये।
3. कंट्रोल ऑफिस में वायरस् एवं केबलस् भलीभांति नहीं लगे हुए थे, एक जगह से दूसरी जगह फाॅलस् सीलिंग के ऊपर से जाने के कारण उनका लोड़ उस पर आ रहा था। इन्हें अच्छे तरीके से केबल ट्रे में डाला गया। कौन सा वायर या केवल किधर जा रही है, अासानी से मालूम किया जा सकता है। साथ ही इनका लोड फॉलस्  सीलिंग पर नहीं आएगा।
4. कंट्रोल ऑफिस का फर्नीचर अलग अलग तरह का और काफी पुराना था उसके स्थान पर कस्टमाईजड़ मॉड्यूलर फर्नीचर बनवाया गया और साथ ही में सभी स्टाॅफ को अच्छी मूवेबल कुर्सियां उपलब्ध करवाई गई।
5. कई स्थानों पर  दीवारें थी उन्हें हटाकर  ग्लास पार्टीशन बनवाए गए जिसके कारण  कार्य करने  का एक जोरदार माहौल तैयार हो गया है।
6. मुख्य दरवाजों पर एक्सेस कंट्रोल सिस्टम लगाया गया है  जिससे केवल अधिकृत व्यक्ति ही कंट्रोल में फिंगर प्रिंट्स  के माध्यम  से प्रवेश कर सकते हैं।
जो लोग रेलवे के कंट्रोल से परिचित है वे समझ सकते हैं कि एक वर्किंग रेलवे कंट्रोल में इतना कार्य करवाना कितना मुश्किल है, परंतु हमारे अधिकारियों और स्टाॅफ सभी ने मिलकर इस चैलेंज को स्वीकारा और कंट्रोल के रिनोवेशन के कार्य को सम्पूर्ण करने में पूर्ण सहयोग दिया।
जयपुर मंडल की मंडल रेल प्रबंधक श्रीमती सौम्या माथुर की पहल एवं अपर मंडल रेल प्रबंधक/इंफ्रा श्री आर एस मीना, वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक श्री केके मीना, वरिष्ठ मंडल सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर श्री आरके गुडेश्वर, वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर श्री आरके शर्मा, वरिष्ठ मंडल इंजीनियर एस्टेट श्री डीएल गर्ग, वरिष्ठ मंडल सामग्री प्रबंधक श्री राजकुमार, वरिष्ठ मंडल फाइनेंस मैनेजर श्रीमती अभिलाषा झां मिश्र,, मंडल सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर श्री नरेंद्र सेहरा, सहायक मंडल परिचालन प्रबंधक श्री दिलीप सिंह, सहायक अभियंता श्री के के शर्मा, सहायक विधुत इंजीनियर एमएल गुप्ता व उनके डिपार्टमेंट के अधिकारियों और पर्यवेक्षकों का बहुत योगदान रहा है। कंट्रोल में कार्यरत पर्यवेक्षक श्री मदन सिंह चौहान, श्री हनुमान सिंह, अखिल गुप्ता, महेश शर्मा व एसके शर्मा की भी महत्वपूर्ण भागीदारी रही है। इनके साथ साथ जितने भी लोग कंट्रोल में कार्यरत हैं उन्होंने करीब 2 माह कार्य चलने के दौरान धूल मिट्टी भरे वातावरण में कार्य किया और परेशानी का सामना उठाया। सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद।
रघुवीर प्रसाद मीना
अपर मंडल रेल प्रबंधक (आॅपरेशंस)
जयपुर मंड़ल, उत्तर पश्चिम रेलवे।

Sunday 4 November 2018

स्वमं पर ध्यान नहीं देकर दूसरे को सुधारने में ऊर्जा नष्ट करना हमारे देश की एक गंभीर समस्या है।

rpmwu149
04.11.2018

देश में हिंदुओं के धर्मगुरुओं व नेताओं को मुसलमानों के रीति रिवाजों जैसे तीन तलाक को ठीक करना बहुत जरूरी लग रहा है जबकि हिंदू धर्म स्वयं में जो अंधविश्वास है, दलितों के लिए छूआछूत व अपमान है एवं अन्य कई ऐसे रीति रिवाज जिनसे हिंदू धर्म शर्मसार होता है उन्हें दूर करने के लिए उनके पास समय नहीं है। इसी प्रकार जिन लोगों को आरक्षण नहीं मिला हुआ है उनको आरक्षण के अंतर्गत जो जातियां या जनजातियां उन्नति कर रही है उनकी ज्यादा चिंता है।
मैं इस बात में विश्वास रखता हूं कि व्यक्ति सोच समझकर व दृढ़ निश्चय से स्वयं को तो बदल सकता है परन्तु दूसरे को केवल उसके आचरण एवं चाल चलन से प्रभावित ही कर सकता है। दूसरे को बदलना उसके वश में है। यह बात समाज के परिपेक्ष में भी  लागू होती है। यदि कोई व्यक्ति या समाज वास्तव में सुधार हेतु बदलाव चाहता है तो उसे समय में बदलाव करना चाहिए, दूसरा व्यक्ति या समाज देखकर अच्छे गुणधर्म व आचरण को अपना लेगा।
परंतु देखा जा रहा है कि व्यक्ति स्वयं बीमार है परंतु दवाई दूसरे को देने की कोशिश करता है जब तक ऐसा होता रहेगा तो बीमार व्यक्ति स्वस्थ नहीं हो पायेगा। अतः यदि वास्तव में सुधार करना ही है तो पहले शुरुआत स्वयं से करें, दूसरे लोग स्वत: देखकर खुद ही उनमें बदलाव कर लेंगे। ऐसा करने से ही व्यक्ति स्वयं, समाज व देश की भलाई संभव है।
सुधार की हर कड़ी के लिए पहले स्वयं से शुरू करें , दूसरे अपने आप ही अच्छाई के लिए देखकर उनमें बदलाव कर लेगें।
रघुवीर प्रसाद मीना

Saturday 3 November 2018

राम मंदिर पर अचानक मिडिया अटेंशन व बेवजह बहस।

rpmwu148
03.11.2018

राम मंदिर पर जोरदार बहस व मिडिया अटेंशन आजकल पुन: प्रारंभ हो गया है। देश के साधारण नागरिक को राम मंदिर बनने या नहीं बनने से बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ता है। परंतु जो लोग राजनीतिज्ञ है उनमें से कुछ मंदिर निर्माण की बात का फायदा उठाना चाहते हैं और अयोध्या में मंदिर निर्माण की बात को राजनीति से प्रेरित कर लोगों में हिंदुत्व के नाम पर यूनिटी बनाना चाहते हैं ताकि चुनाव में उनको लाभ हो सके।
मंदिर निर्माण पर इतना ज्यादा मीडिया का समय व महत्व तथा लोगों का ध्यान न्यायोचित नहीं है। यदि देश के नागरिक मंदिर की बात को छोड़ कर सम्पूर्ण देश के महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे अशिक्षा, गरीबों की दशा, पीने के पानी की समस्या, चलने योग्य सड़को का अभाव, बिजली की आपूर्ति, सिंचाई व्यवस्था, किसानों का ऋण, मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं मिलना, रू. का अवमूल्यन, डीजल/पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतें, बेरोजगारी, अंधविश्वास, जातिवाद व धर्म के दंश इत्यादि इत्यादि बेसिक चीजों पर ध्यान दें तो देश के लोगों की दशा में बहुत जल्दी अधिक सुधार हो सकता है।
हिन्दूओं के लिए राम मंदिर बनवाने के पीछे पागल होना धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (DAP) का असर है। वास्तव में जो हिन्दू धर्म के प्रति समर्पित है उन्हें चाहिए कि DAP को कम करवायें, देश में  धार्मिक आधार पर जो कट्टरता पनपती जा रही है उसे कम करवाएं और धर्म के नाम पर दलितों को लगातार तंग किए जाने के प्रकरण को रुकवाएं।
मुसलमानों के नेताओं व धर्म गुरुओं की सोच में समझदारी की कमी झलकती है, वे अनावश्यक मंदिर निर्माण के स्थान को तूल दे रहे है। जब देश की मेजॉरिटी जो कि हिंदू है और यह मानती है कि उनके भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में उस विशेष स्थान पर हुआ था तो मुसलमानों को मंदिर बनाने देने में किसी प्रकार की आपत्ति नहीं करनी चाहिए। यदि उस स्थान पर मस्जिद रही भी है तो सबको पता है कि देश में 1000 ईसवीं के बाद ही मस्जिदें बनी है जबकि भगवान राम का जन्म मस्जिदें बनने से बहुत कहीं पहले का है। मुसलमानों को समझदारी दिखाते हुए खुशी से उस स्थान को  राम मंदिर  बनाने के लिए  छोड़ देना चाहिए और  मस्जिद दूसरे स्थान पर  बनाई जा सकती है। यदि मुसलमान ऐसा करते हैं तो उनके लोगों के हित के लिए यह बहुत  बड़ी बात होगी। मुसलमानों को उनके लोगों के पिछड़ेपन, अशिक्षा, गरीबी  व अंधविश्वास को दूर करने की ओर बहुत ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्हें अपने लोगों का ध्यान इन चीजों पर आकर्षित करवाना चाहिए ना कि मंदिर और मस्जिद की लड़ाई में।
रघुवीर प्रसाद मीना

Friday 2 November 2018

DAP का दुष्परिणाम।

rpmwu147
02.11.2018

वीडियो में देखें कि किस प्रकार धर्म के नाम पर दलितों का अभी भी बहिष्कार किया जा रहा है, एक दलित दूल्हा व उसकी माँ को हनुमानजी के मंदिर पर चढ़ने के लिए पब्लिकली मारापीटा व बेइज्जत किया। दूसरी तरफ लोग बोलते हैं की जातिगत आधार पर आरक्षण व अन्य लाभ नहीं होने चाहिए। जब जाति देख कर यदि किसी व्यक्ति का अपमान किया जाता है तो उस समय यह बात क्यों नहीं समझ में आती है?
यदि देश को आगे बढ़ाना है तो पहले जाति के आधार पर होने वाले डिस्क्रिमिनेशन को समाप्त करना होगा। साथ ही में दलितों को भी धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण से दूर रहने की जरूरत है। ये लोग अनावश्यक रूप से धार्मिक गतिविधियों में बहुत ज्यादा लिप्त रहते हैं, इनके पीछे रहने का यह भी एक मुख्य कारण है।
यदि कोई व्यक्ति जातिगत भेदभाव को जानने हेतु लिटमस टेस्ट करना चाहे तो उसे शांत भाव में आंखें बंद करके अपने आप से निम्न प्रश्न का उत्तर पूछना चाहिये -
"क्या वह अगले जन्म में किसी दलित के घर जन्म लेना चाहेगा?"
जब तक इस प्रश्न का उत्तर नकारात्मक आता रहेगा तो लोगों को कोई हक नहीं है कि वह जाति के आधार पर दिए जाने वाले प्रोत्साहनों की भर्त्सना करें।
आवश्यकता है कि सभी लोग खासकर दलित धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण में विश्वास कम करें व जाति के आधार पर यदि कोई किसी को परेशान या तंग करें तो सरकार को उसके विरूद्ध उदाहरण पेश करने लायक कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

Sunday 28 October 2018

मंदिरों में दान करना छोड़े।

rpmwu145
28.10.2018

मंदिरों में दान करने की बजाय गरीब व असहाय की मदद कहीं अधिक समझदारी की सोच है। छात्रावास बनाने व शिक्षा में आर्थिक सहयोग देना कहीं बेहतर है। मंदिरों में दान देने का 99% प्रतिशत मतलब यह है व्यक्ति यह दिखा रहा है कि उसने कोई गलत कार्य या पाप किया है एवं उन गलत कामों या पाप से मुक्ति हेतु मंदिर में फीस जमा करवा रहा है।
क्या मंदिर पाप से मुक्ति दिलाने के केन्द्र है? यदि ऐसा है तो क्या दान करने वाले लोग अप्रत्यक्ष रूप से समाज को यह नहीं दिखा रहे है कि मंदिर का देव (भगवान) पापियों की सहायता करता है? उन लोगों को गलत कामों या पापों से मुक्ति दिलाने वाला है। यदि ऐसा है तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
आवश्यकता है कि हम यह समझे कि दिये जा रहे दान से किसे लाभ होने वाला है? असली दान तो #नेकीकरदरियामेंडाल की फिलॅास्फी के अनुसरण में है। यदि धन को परोपकार हेतु दान में देना ही चाहते है तो गरीब व असहाय की मदद करें व छात्रावास बनाने एवं शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक सहयोग दे।
मेरे मतानुसार व्यक्ति यदि उसकी विभिन्न ड्यूटीज् को भलीभांति निष्पादित करता है तो उससे बड़ी अन्य कोई पूजा नहीं है। यदि कोई दान ही करना चाहता है तो ड्यूटी पर अतिरिक्त समय देकर समय का दान कर सकता है।
रघुवीर प्रसाद मीना

Friday 26 October 2018

देश में धन का असमान बंटवारा ।


rpmwu144
25.10.2018

देश में धन के असमान बंटवारा के बारे में सभी लोग बात करते हैं, सर्वे के आंकड़े चौकाने वाले है। समरी निम्न प्रकार है -
  1 प्रतिशत अमीर लोगों के पास 51.1% दौलत।
10 प्रतिशत अमीर लोगों के पास 77.4% दौलत।
60 प्रतिशत गरीब लोगों के पास महज 4.7% संपत्ति। ये लोग मजदूर व किसान है।
195 में देशों में से 128 वें स्थान पर है भारत प्रति व्यक्ति औसत संपत्ति के मामले में।
उक्त आंकड़े क्या इंगित करते हैं? ये आंकड़े सीधे सीधे दर्शाते है कि प्रत्यक्ष मेहनत करने वाले लोगों की अपेक्षा चीजों को मैनेज करने वाले लोगों के पास बहुत अधिक धन सम्पदा है। मेहनत करने वाले लोग गरीब ही है, जो मजदूर है उनको मेहनताना बहुत कम दिया जाता है एवं किसानो़ को लागत की तुलना में फसल की उचित दर नहीं मिलती है या लोगों के पास न तो मजदूरी और न ही खेती के अवसर है। यहाँ तक कि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन या न्यूनतम सपोर्ट प्राईस में से भी मैनेज करने वाले समृद्ध विचौलिए एक बड़ा हिस्सा रख लेते है। जब लोग निजि कार्य करवाते हैं तो काम करने वालों को कम से कम भुगतान करते हैं। किसान की फसल खरीदते समय विभिन्न वाहनों से उसको ठगा जाता है। कमजोर के साथ यह अन्यायपूर्ण रवैया सदियों से चला आ रहा है।
गरीब को पहले राजा महाराजा व उनके सिपासालान लुटते थे, बेगारी (बिना भुगतान के काम) करवाते थे व फसल में से भारी हिस्सा टैक्स के रूप में ले लेते थे। अब ठेकेदार या पढे़लिखे लोग इन्हें मुर्ख बना रहे है। सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन नहीं होने से सरकार भी अभी तक गरीब की स्थिति में समुचित सुधार नहीं कर पाई है।
सरकार को चाहिये कि न्यूनतम मजदूरी एवं न्यूनतम सपोर्ट प्राईस की चोरी करने वाले लोगों पर कडा़ अंकुश लगाये, ऐसे कृत्य को बहुत कठोरता से डील करें। दूरदराज के क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करें ताकि प्रोसेस के दौरान वहां के स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके व बाद में रोजगार की अपाॅर्चुनिटी बढ़ सके।
हम सभी व्यक्तिगत तौर पर अपनी अपनी कैपेसिटी में हर सम्भव प्रयास करें कि गरीब लोगों के साथ न्याय हो, उन्हें उनका हक मिले। यदि गरीब लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा तो उनकी भावी पीढ़ी देश की अच्छी नागरिक बनेंगी।
अमीर लोगों को भी चाहिये कि वे प्रोफिट मार्जिन को कम रखे व मेहनत करने वाले लोगों को उनका हक देवे।
रघुवीर प्रसाद मीना

Saturday 20 October 2018

अमृतसर में घटित हुए दर्दनाक हादसे के लिये DAP व लोगों की स्वयं की लापरवाही तथा आयोजक जिम्मेदार है।

rpmwu142
20.10.2018

दिनांक 19.10.2018 को पंजाब के अमृतसर में एक बहुत ही दर्दनाक हादसा हुआ जिसमें 61 लोग रेलगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई। ये लोग रेलवे ट्रैक पर अनाधिकृत रूप से दशहरे के अवसर पर रावण दहन देखने एकत्रित हुए थे। इन्होंने इस बात की परवाह नहीं की कि रेललाइन पर रेलगाड़ी आ सकती है। जिस समय हादसा हुआ था उस समय अंधेरा हो चुका था, ये लोग रावण दहन देखते रहे और तेज रफ्तार की रेलगाड़ी से रौंदे गये।
यह हादसा बहुत ही दर्दनाक एवं खेदजनक है। इस हादसे के लिए आयोजनकर्ता एवं ये लोग स्वयं जिम्मेदार है। आयोजनकर्ताओं को रेलवे ट्रैक के इतने नजदीक कार्यक्रम नहीं रखना चाहिए था एवं इन लोगों को भी रेल ट्रैक पर इकठ्ठा नहीं होना चाहिये था।
मरने वालों में अधिकतर उन लोगों की संख्या थी जो कम पढ़े लिखे व कमजोर वर्ग के थे। ऐसा केवल इन लोगों की धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (DAP) में आस्था के कारण हुआ। जब भी DAP की घटनाओंं में भीड़ की भगदड़ से लोग मरते हैं तो वे गरीब व पिछड़े लोग ही अधिकतर होते हैं। जरूरत है लोगो को DAP से दूर रहने हेतु जागरूक करने की।
रेल्वे एक्ट 1989 की धारा 147 के अनुसार रेल सम्पत्ति पर ट्रेस पासिंग करना दण्डनीय अपराध है। रेलवे ट्रैक पर जाना या पार करना भी इसी श्रेणी में आते हैं। जयपुर में खासकर गांधीनगर से जगतपुरा व अन्य कई स्थानों पर भी लोग रेल ट्रैक पर अनाधिकृत रूप से जाते है, कई बार आती हुई ट्रेन के सामने सेल्फी लेते है। लगभग हर दिन कहीं न कहीं एकाध हादसा होता है, फिर भी लोग नहीं समझ रहे है।
हम सभी को स्वयं को समझने व दूसरों को DAP से दूर रहने व रेल ट्रैक पर ट्रेसपासिंग नहीं करने के लिए समझाने की जरूरत है।

Sunday 7 October 2018

DAP (धार्मिक अंधविश्वास का प्रदूषण) ने किया है देश का सबसे ज्यादा नुकसान।

rpmwu141
06.10.2018

यदि देश को विकसित बनाना है और नागरिकों की उन्नति चाहते हैं तो हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना पड़ेगा और धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण से स्वयं को दूर रखना होगा एवं जो लोग कम समझदार है उन्हें भी दूर रहने के लिए बेझिझक सलाह देनी होगी। कृपया निम्नलिखित का अवलोकन करें और समझे कि हमें क्या करना चाहिए?
यदि मंत्र,तंत्र,यज्ञ,पूजा, प्रसाद,अगरबत्तियाँ लगाने,परिक्रमा देने,कथा-भागवत सुनने इत्यादि से काम चल जाता तो देश की गरीबी, अशिक्षा, ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर का खस्ताहाल, तेल के बढे़ दाम, डाॅलर की तुलना में रू. की वैल्यू में भारी गिरावट, हर स्तर का भ्रष्टाचार, बैंक से पैसे लेकर भागने, क्राईम, रेप, बार्डर पर तनाव, कश्मीर आदि समस्याएं क्यों नहीं इनसे ठीक की जा रही है?
बच्चे को काला टिका लगाने से उसका संरक्षण होता तो भारत मे बाल मृत्यु दर शून्य क्यों नहीं है?
गाड़ी मे निंबू मिर्च बांधने से सुरक्षा मिलती तो भारत मे दुर्घटना मृत्यु दर शून्य क्यों नहीं है?
पुजा करने से व्यापार, उद्योग धंधो मे बरकत आती तो देश के सभी लोग धनाढ्य क्यों नहीं बन गये?
बडे़-बडे़ बाबाओं के पास जाने से दुखों का निवारण हो सकता है तो सभी बाबाओ के भक्त सुखी क्यों नहीं है?
कुंडली मिलाने से अगर सभी पती-पत्नी का मन जुड़ गये होते तो सभी अरेंज-मैरिज सुखद क्यों नहीं है?
यज्ञ करने से कोई टीम जीत जाती तो भारत विश्व में किसी भी खेल में नहीं हारता!
 #मुहूर्त : जब जन्म व मृत्यु का कोई मुहूर्त नहीं है तो और कार्यक्रमों के मुहूर्त का क्या महत्व है?
मुझे तो लगता है कि हमारे देश में यदि किसी चीज ने सबसे अधिक नुकसान किया है तो वह धार्मिक अंधविश्वास का प्रदूषण (DAP) है। DAP की वजह से एक बहुत बड़ी जनसंख्या को डेमोरलाईज कर दिया गया और वे लोग भी इसके जाल में गहरे फंस गये। लोग मेहनत व वैज्ञानिक रास्ते की बजाय पूजा पाठ, परिक्रमा, प्रसाद इत्यादि के माध्यम से समस्याओं के हल खोजने लग गये।
DAP के कारण जो लोग काम करते थे उनकी वैल्यू कम आॅकी जाने लगी एवं जो लोग काम नहीं करते थे और केवल निर्देश या थ्योरीटिकल ज्ञान देते रहे उनकी वैल्यू व काम करने वालों की वैल्यू में बहुत अधिक अंतर कर दिया गया। इसी का कारण है कि देश में स्किल कम होती गई। वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं अपनाने से आज डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत में जो गिरावट आई है उसका मुख्य कारण भी यह है कि हमें बहुत सारी तकनीकी चीजें खासकर हथियार व आई. टी. के उपकरण बाहर से आयातित करने पड़ रहे हैं और रुपए का अवमूल्यन हो रहा है और दिनोंदिन हम विदेशी चीजों के ऊपर बहुत अधिक निर्भर हो रहे हैं।
हमें तुरंत प्रभाव से चाहिए कि धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (DAP) से मुक्त हो और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाये व देश में काम करने वालों की वैल्यू करें ताकि अधिक से अधिक चीजें हमारे देश में ही बन सके और विदेश से होने वाले आयात में कमी हो और रुपए की वैल्यू में बढ़ोतरी हो।
रघुवीर प्रसाद मीना
                        

Saturday 22 September 2018

देश की ब्यूरोक्रेसी का रोल।

rpmwu139
22.09.2018

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्री इमरान खान ने वरिष्ठ ब्यूरोक्रेसी को देश को आगे बढ़ाने मैं उनके के रोल, करप्शन को समाप्त करने तथा ब्यूरोक्रेसी को निडर होकर कार्य करने के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से सम्बोधित किया।
सुनने लायक विडियो है। हमारे देश में भी बहुत सारी समान तरह की समस्याएं हैं जिन्हें दूर करने में ब्यूरोक्रेसी प्रभावशाली तरीके से अपना रोल अदा करके देश के गरीब व लाचार लोगों को उनका हक दिला सकती है।
शूरूआत के लिए हर सरकारी अधिकारी व कर्मचारी को चाहिये कि वे ठेके पर कार्य करने वाले मजदूरों/कर्मियों को सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन का भुगतान करवाये और उनके होने वाले एक्सप्लोईटेशन को समाप्त करे। वेतन का भुगतान बैंक के माध्यम से करवाएं और ईपीएफ ईएसआई का डिडक्शन कार्य दिनों के अनुसार हुआ है अथवा नहीं यह देखें और उन्हें उनके खातों में जमा करवाएं। हर कर्मी को उनके ईपीएफ ईएसआई के नंबर पता हो, इसमें मदद करें। कई बार देखा गया है कि ठेकेदार कर्मियों के क्रेडिट/डेबिट कार्ड ले लेते हैं या ब्लैंक चेक भी ले लेते हैं और ठेके के अनुसार न्यूनतम वेतन दर के अनुसार बैंक में भुगतान तो कर देते हैं परंतु पैसे को पुनः विड्रा कर लेते हैं। ऐसे ठेकेदारों से बचने के लिए ठेके के कर्मियों को लगातार उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करें, उनके न्यूनतम वेतन, ईपीएफ, ईएसआई के प्रावधानों से अवगत कराएं। और उन्हें निडर होकर अपनी बात बताने के लिए प्रोत्साहित करें। गलत काम करने वाले ठेकेदारों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई करे और करवाये।
यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी किसी व्यक्ति की नौकरी लगाने में या उससे पदोन्नत करने में या उसके स्थानांतरण करने में रिश्वत लेता है तो मान लीजिए कि उस अधिकारी या कर्मचारी ने भ्रष्टाचार का पेड़ लगा दिया है जिसमें भ्रष्टाचार के ही फल आने वाले हैं। भ्रष्ट तरीके से नौकरी, पदोन्नति या स्थानांतरण पाने वाले लोग आवश्यक रूप से भ्रष्ट ही होंगे और जो उन्होंने रिश्वत दी है उसके बदले वे कई गुना गलत तरीके से कमाना चाहेंगे। अतः जो लोग ऐसे पदों पर बैठे हैं जो कि लोगों को नियुक्त करते हैं, पदोन्नति करते हैं या स्थानांतरण करते हैं उनको चाहिए कि वे किसी भी हाल में इन कार्यों में भ्रष्टाचार को नहीं अपनाएं अन्यथा उन्हें मन में यह स्पष्ट तौर पर समझ लेना चाहिए कि उन्होंने भ्रष्टाचार का पेड़ लगाया है और ऐसे पेड़ को लगाने से जो पाप के फल लगेंगे उससे देश व समाज जिसका वह स्वयं भी हिस्सा है को दूष्परिणाम भोगने पड़ेंगे।
यदि ब्यूरोक्रेसी ईमानदार रवैया से कार्य करें तो देश को आगे बढ़ाने से कोई नहीं रोक सकता। आगे बढ़ने की गति बहुत तेज हो सकती है। और देश के हर नागरिक खासकर गरीब व पिछड़े लोगों का बहुत अधिक भला हो सकता है, उनकी आने वाली पीढ़ियां शिक्षित होकर देश के लिए असेट बन सकती है और देश की उन्नति में अहम भूमिका निभा सकती है।
रघुवीर प्रसाद मीना

Sunday 16 September 2018

श्रमिक शिक्षा एवं हिन्दी दिवस समारोह, 16 सितम्बर - 2018

rpmwu138
16.09.2018

दिनांक 16 सितंबर 2018 को श्रमिक दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया एवं जाना कि केंद्र व राज्य सरकारों के मिनिमम वेजेज में काफी अंतर है जबकि ऐसा अंतर होना नहीं चाहिए। संलग्न मिनिमम वेजेज का अवलोकन करें तो देखें कि कृषि में राजस्थान में कार्य करने वाले लोगों के मिनिमम वेज इंडस्ट्री में कार्य करने वाले लोगों की तुलना में कम है और यदि केंद्र के मिनिमम वेजेस की तुलना में देखें तो वे बहुत ही कम है। सरकार को चाहिए कि केंद्र व राज्यों की मिनिमम वेजेज की दर मैं अंतर को कम से कम या समाप्त किया जाए।
श्रमिक को दो विषयों पर शिक्षित करने की जरूरत है #प्रथम कि वे अच्छी गुणवत्ता का कार्य करें और कार्य करने के दौरान वे अपने स्किल को बढ़ाते हुए मजदूर से मिस्त्री बनने के बारे में भी सोचे। जो आदमी मजदूर है वह तय करे कि कुछ दिनों में वह मिस्त्री बन जाएँ ताकि उसे अधिक वेतन मिल सके और वह बच्चों को अच्छी तरह से पढा लिखा सके।

#दूसरी ओर मिनिमम वेजेस की दर भी श्रमिकों को अवगत करवाये।
कई लोग श्रमिकों को मिनिमम वेजेज भी नहीं देते हैं। हमने रेलवे में यह निश्चय कर दिया है कि ठेकेदार लेबर को पेमेंट बैंक के माध्यम से करेगा और किसी भी कीमत पर मिनिमम वेजेज से कम भुगतान नहीं करेगा।

कुछ प्रकरण मौखिक रूप से सामने में आते हैं कि ठेकेदार श्रमिकों के क्रेडिट या डेबिट कार्ड अपने पास रख लेते हैं और उनको भुगतान तो मिनिमम वेजेज के अनुसार करते हैं परंतु उनके कार्ड के माध्यम से राशि बैक से निकाल लेते हैं। ऐसे प्रकरण यदि किसी की नजर में आए तो आवश्यक रूप से सम्बन्धित विभाग एवं पुलिस को अवगत करवाये।

हमारे जागरूक व सजग रहने से श्रमिकों को उनका हक मिल सकता है अतः कृपया अवश्य ही श्रमिक हित सोचते हुए कार्यवाही करे।

रघुवीर प्रसाद मीना

Wednesday 12 September 2018

मिशन सत्यनिष्ठा!

rpmwu136
12.09.2018

आज दिनांक 12 सितंबर 2018 को जयपुर मंडल के अरावली सभागार में मिशन सत्य निष्ठा के तहत एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह मिशन  रेलमंत्री श्री पीयूष गोयल एवं रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री अश्विनी लोहानी की पहल पर विभिन्न जोनल रेलवेज में आयोजित किया जा रहा है। इस मिशन का मुख्य मकसद यह है कि अधिकारी व कर्मचारियों के मन में ईमानदारी पूर्वक देश सेवा की भावना को जागृत किया जाए।
आज इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में रेलवे बोर्ड के मेंबर स्टाफ श्री एस. एन. अग्रवाल, उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री टी.पी.सिंह, सेवानिवृत्त केबिनेट सैकेट्री व झारखंड के पूर्व राज्यपाल श्री प्रभात कुमार सहित कई गणमान्य हस्तियों ने उनके विचार व्यक्त किये। मुख्यालय तथा उपरे के चारों मंडलों में विडियो काॅनफ्रेन्स के माध्यम से कार्यक्रम का लाईव प्रसारण किया गया। कुल लगभग 400+ लोगो ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के दौरान श्री प्रभात कुमार ने रेल मंत्री द्वारा सत्यनिष्ठा परखने हेतु अपने आप से किए जाने वाले निम्न प्रश्नों के बारे में विस्तार से बताया-
1. क्या आम आदमी की अवधारणा में भारतीय रेल एक नैतिक ऑर्गनाइजेशन है?
2. यदि आप रुपए पैसों के मामले में सत्यनिष्ठ है तो क्या आप समय के मामले में सत्यनिष्ठ है अथवा नहीं?
3. क्या आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार कार्य करते हैं अथवा नहीं?
4. क्या आप आपकी नियत कार्य के अलावा और अधिक कार्य करते हैं?
5. क्या कभी आपकी नजर में आपके संगठन में कोई अनैतिक कार्य हुआ हो और आप चुप रहे हो?
6. क्या आप आपके कार्य में गर्व महसूस करते हैं? क्या आप भारतीय रेल के सदस्य होने में गर्व महसूस करते हैं?
इनके अलावा श्री प्रभात सहाय और तीन प्रश्न अपने आप से पूछने हेतु बताया-
7. क्या कभी आपने अपने सहयोगी के कार्य का श्रेय अपने नाम लिया?
8. क्या कभी आपने अपनी गलतियों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराया?
9. क्या स्थानांतरण के लिए कभी आपने समझौता किया?
मुझे लगता है कि यदि व्यक्ति उक्त प्रश्नों के उत्तर ढूंढे तो उसे स्वयं यह पता लग जाएगा कि वह कितना सत्यनिष्ठ है।
कार्यक्रम के दौरान किसी ने बड़ा अच्छा कहा कि यदि आप कार्यालय की गतिविधियां अपने परिवार व बच्चों से शेयर कर सकते हैं तो मान लीजिए कि आपके सभी कार्य एथिकल है।
प्रत्येक व्यक्ति को सत्य निष्ठा के साथ उसके संगठन में कार्य करना चाहिए, यह ही पूजा है।
रघुवीर प्रसाद मीना

Monday 10 September 2018

दूर से व्यक्ति की पहचान का आसान तरीका।

rpmwu134
09.09.2018

दूर से व्यक्ति की पहचान का आसान तरीका।
मुझे लगता है कि व्यक्ति दूसरे समान प्रवृत्ति के व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करता है और काफी दीर्घकाल के लिए यदि उनमें आपस में बन रही है तो यह समझा जा सकता है कि उन दोनों व्यक्तियों की प्रवृत्ति व विचारधारा आपस में मेल खाती है।
इस थ्योरी को यदि आगे बढ़ाएं तो देखेंगे कि कोई बड़ा नेता या व्यक्ति जिसको हम बहुत नजदीकी से नहीं जानते है, उसके आचरण एवं विचारधारा को पहचानने के लिए हैं उन सभी लोगों को बारे में सोचें जिनको काफी नजदीक से जानते हैं और वे उस नेता अथवा व्यक्ति के काफी नजदीक हैं और उनसे लंबे समय से जुड़े हुए हैं।
यदि अच्छे लोग किसी व्यक्ति के साथ लंबे समय से जुड़े हैं तो आप यह पक्का मानिए कि उस व्यक्ति की विचारधारा अच्छी होगी। और यदि खराब प्रवृत्ति एवं आचरण के लोग किसी व्यक्ति के साथ लंबे समय से जुड़े हैं तो पक्का मान लीजिए कि उस व्यक्ति का आचरण व प्रवृत्ति खराब ही होगी।
आप जिन व्यक्तियों को जानते हैं एवं नजदीक से पहचाते है उनकी प्रवृत्ति के आधार पर उनसे लम्बी अवधि से जुडे़ दूर के नेता या व्यक्ति के आचरण का अंदाजा लग सकते है।
यदि कोई व्यक्ति क्रिमिनल्स या गलत करने वालों की मदद करता है तो आप समझ सकते हैं कि उसकी मेंटलिटी कैसी होगी और यदि कोई दूसरा व्यक्ति क्रिमिनल्स को हतोत्साहित करता है और गलत का साथ नहीं देता तो आप समझ सकते हैं कि कौन बेहतर प्रवृत्ति का व्यक्ति है और कौन बेहतर नहीं।
रघुवीर प्रसाद मीना

Tuesday 4 September 2018

DAP से स्वयं को मुक्त रखें व दूसरों को दूर रहने हेतु प्रेरित करें।

rpmwu131
03.09.2018

यदि उन्नति करनी है तो हमारे देश के नागरिकों को सही शिक्षा व उसके प्रसार के माध्यम से समझदारी बढ़ानी होगी व DAP (धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण) से मुक्त होना ही होगा।
राजनेता धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण व पाखंड का विरोध जानते हुए भी वोट बिगड़ जाने के डर से नहीं करते है। अत: सभी समझदार नागरिकों की यह जिम्मेदारी है कि वे स्वच्छ भारत मिशन जो कि बाहरी साफ-सफाई के लिए अति महत्वपूर्ण समझा जा रहा है की तर्ज या उससे ज्यादा प्रभावी ढ़ग से अभियान चलाकर लोगों के मन व दिमाग से DAP को बहार निकाले। आम आदमी के मन व मस्तिष्क से भगवान रूपी आडम्बर के डर व भ्रम को दूर करना होगा।
यहाँ यह भी समझ लेना आवश्यक है कि जो लोग मंदिरों में पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान, कथा-भागवत, पदयात्रा इत्यादि की वकालत करते है वे केवल या तो व्यक्तिगत स्वार्थ या नासमझी के कारण ही ऐसा करते है।
मुझे लगता है कि भगवान नामक शक्ति मात्र एक सोच है वह वास्तव में अस्तित्व में नहीं है। क्योंकि यदि वह अस्तित्व में होती तो सदियों से भगवान की पूजा करने व उसकी अवधारणा को प्रसारित करने वालों (उसके सेक्रेट्रीज़) तथा उसको मानने वालों द्वारा अछूतों के साथ व वर्ण/रंग के आधार पर एक मानव द्वारा दूसरे मानव के साथ अन्याय व घोर अपमान नहीं होने देता। और यदि भगवान का अस्तित्व है भी तो वह बिलकुल निष्प्रभावी (ineffective) है जैसे कोई अधिकारी निष्प्रभावी तरीके से पोस्ट पर बैठा हुआ हो और उसका स्टाफ घनघोर भ्रष्टाचार व लूटपाट तथा दमन में खुलेआम लिप्त हो और उसको समझ ही नहीं आये कि क्या गलत हो रहा है। यह में इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि भगवान को तो भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं माना जा सकता है।
अत: आवश्यकता है कि हम साईन्टिफिक टेंपर डेवलप करे और स्वयं DAP से मुक्त हो और दूसरों को भी उससे दूर रहने हेतु प्रेरित करें।
रघुवीर प्रसाद मीना

Sunday 26 August 2018

रक्षाबंधन के अवसर पर प्रण ले कि हम महिलाओं के प्रति और अधिक संवेदनशील व जिम्मेदार बने।

rpmwu130
26.08.2018

रक्षाबंधन के पावन अवसर पर आप सभी को मेरी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई।
आओ इस अवसर पर प्रण की हम बहिनों की रक्षा के साथ साथ सभी महिलाओं के प्रति और अधिक संवेदनशीलता बने एवं जीवन के हर पहलू में सोच समझकर प्रयत्न करे कि उनकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचे। यदि कोई व्यक्ति या संस्था लड़कियों या महिलाओं के साथ दूराचार करते हो तो उनके विरूद्ध कानूनी कार्रवाई करवाई जाये।
स्वयं समझे और लोगो को समझाये कि गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग परीक्षण नहीं करवायें। लड़कियों को लड़को की भाँति ही बिना भेदभाव के पाले, पोषे व शिक्षा प्रदान करवाये।
महिलाओं के शरीर की संरचना पुरुष के शरीर की तुलना में बहुत ही पेचीदा होती है। उनके शरीर में एक प्रकार से मानव जीवन की उत्पत्ति हेतु सम्पूर्ण फैक्ट्री है। प्रतिमाह बहुत सारे ब्लड लॅास के साथ उनका मूड़ भी उन दिनों अच्छा नहीं रहता है। गर्भ धारण से बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया बहुत ही जिम्मेदारीपूर्ण है। बच्चों के पालन पोषण की अघिकतर जिम्मेदारी महिलाएं ही उठाती है।
हम में से किसी का भी इस दुनिया में अस्तित्व बिना माँ के सम्भव नहीं हो सकता था। बहनों का भी हमारे जीवन में अमूल्य योगदान रहता है। पत्नि के बिना हर व्यक्ति अधूरा है। बेटियाँ जिन्दगी को जीवंत व दूसरी महिलाओं के प्रति हमारे व्यवहार को संयमित व करूणामय बनाती है।
आओ हम पुन: प्रण ले कि जीवन में हर महिला के प्रति और अधिक संवेदनशील व जिम्मेदार बने।
रघुवीर प्रसाद मीना

Monday 9 July 2018

हार्ड वर्क से धनवान नहीं बन सकते है। समझदारी पूर्ण स्मार्ट वर्क करने की जरूरत है।

rpmwu129
09.07.2018

CBSE की इतिहास की पुस्तक में लिखा था कि "Real producer of wealth remains lowest group in society". यह बात एकदम सत्य प्रतित होती है। एक दिन मालगोदाम में सीमेंट के बैग खाली करने वाले मजदूरों को देखा, दूसरे दिन धूप में रेल की पररियों के अनुरक्षण में कार्यरत ठेकेदार के कर्मियों को देखा, गटर साफ करने वालों को तो सभी ने देखा होगा, क्या ये लोग धनवान बन सकते है? क्या इनकी मेहनत में कोई कमी रहती है? इसी तरह किसान एवं खेती से जुड़े मजदूरों के कड़े परिश्रम के पश्चात उनकी दयनीय स्थिति क्या बयाँ करती है?
सभी ने पढ़ा होगा कि किये जाने वाले कार्यो को तीन भागों में विभाजित किया गया है। प्रथम - प्राईमरी कार्य जैसे कृषि, पशुपालन इत्यादि, द्वितीय - सैकण्डरी कार्य जैसे फैक्टरी में उत्पादन (प्रोडक्शन) इत्यादि तथा तृतीय - टर्सरी कार्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सेवा, सोफ्टवेयर डवलपमेंट इत्यादि। हमेशा से ही प्राईमरी कार्य करने वालों की अपेक्षा सैकण्डरी एवं सैकण्डरी की अपेक्षा टर्सरी कार्यो में कम मेहनत व अघिक मुनाफा रहा है। फिर भी हमारे देश की अधिकतम जनसंख्या प्राईमरी कार्यो में ही लगी हुई है।
यदि आज के धनाढ्य लोगों पर नजर डाले तो पता चलता है कि या तो वह साफ्टवेयर डेवलपमेंट अथवा आई. टी. प्रोडक्ट या मार्केटिंग या निवेश इत्यादि टर्सरी गतिविधियों से ताल्लुक रखते हैं। परन्तु सभी में खासियत यह है कि वे अपने अपने क्षेत्र में अग्रणी है एवं उन्होंने विशेष इनोवेशन किया है।
प्रोफिट मार्जिन के एंगल से यदि चीजों को देखे तो पता चलता है कि प्राईमरी में सबसे कम एवं टर्सरी में सबसे अधिक होता है।
फिर क्यों नहीं लोग प्राईमरी की बजाय सैकण्डरी व टर्सरी कार्यों में जाते है? यह एक विचारणीय बिषय है।
यदि आर्थिक रूप से मजबूत बनना है तो हमें न केवल सैकण्डरी व टर्सरी कार्यो की ओर जाना होगा बल्कि उनमें पारंगतता हासिल करनी होगी। हमें इनोवेशन करने होगें, बुद्धि के प्रयोग से उत्पादों की गुणवत्ता को अति उत्तम बनाकर ब्राँड डेवलप करनी होगी। समाज को बिजनेस करने वालों व नौकरी की बजाय स्वमं के व्वसाय करने वालों को सम्मान व प्रोत्साहन देना होगा।
रघुवीर प्रसाद मीना।

Sunday 27 May 2018

जाति कल्याण सकारात्मकता है जबकि जातिवाद नकारात्मकता का ध्योतक है।

rpmwu128
27.05.2018

जाति कल्याण सकारात्मकता है जबकि जातिवाद नकारात्मकता का ध्योतक है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे देश की जनसंख्याॅ विभिन्न जातियों व जनजातियों में वर्गीकृत है। सरकार ने देश के आजाद होने से पूर्व 1931 में प्रथम जाति के आधार पर जनगणना करवाई थी। सरकार नें कुछ दिनो पूर्व भी इसी तरह की जनगणना करवाई थी परन्तु उसका रिजल्ट पब्लिकली आउट नहीं किया।
कई बार बात उठती है कि जाति की बात करना ही जातिवाद है। बहुत से लोग जाति का नाम लेने मात्र से ही डरते है। जाति के लोगो का न्यायपूर्ण कार्य करने में भी उन्हें डर लगता है। जाति के लोगो के साथ यदि गलत भी हो रहा हो तो वे अन्य लोगो के जातिवाद की मोहर लगाने मात्र के नाम से चुप रहते है।
पहले समझते है कि जाति के मायने क्या है? मूलतः जाति में लोग शादी ब्याह व अन्य रिश्तेदारियाँ करते है। जाति गौत्रों से मिलकर बनी है। तीन गौत्रों को छोडकर अन्य में व्यक्ति शादी करता है। गंभीर सहायता की आवश्यकता के समय व्यक्ति के परिवारजन, मित्र व रिश्तेदार (जो कि अधिकांश उसकी जाति के ही होते है) काम आते है। अत: व्यक्तिविशेष की भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह भी उसके काम आने वाले लोगों के वक्त पडे़ काम आये। झिझके नहीं।
अब सोचो कि जब हम हमारी सैलेरी परिवार के लोगो को देते है तो क्या लोग परिवारवाद की मोहर लगाते है? नहीं ऐसा नहीं है। इसी प्रकार यदि हम हमारी जाति के लोगों को आगे बढ़ाने में सकारात्मक मदद करते है तो इसमें गलत क्या है? देश विभिन्न जातियों से बना है अतः जाति के लोगों की समझाईस करके उन्हें सही राह पर चलना सिखाना देश को आगे बढ़ाना ही है। यदि हरेक जाति में ऐसे लोग हो जाये तो देश के लिए अच्छा ही है।
मेरे मतानुसार जाति को बडा़ परिवार मानते हुए एक दूसरे को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होना समझदारी है। लोगो को नेक सलाह दे। जो लोग ज्याद पैसे वाले हैं वे कम पैसे वाले की मदद करे, जो ज्यादा बुद्धिमान है कम ज्ञान वालों को सही दिशा दे, जो ज्यादा ताकतवर है वे कमजोर के रक्षक बने, जो लोग बडे़ पदो पर आसीन है वे छोटे कर्मियों की सहायता करे, उनका शोषण नहीं होने दे।
दुसरी जाति के लोगो के प्रति भी अच्छी सोच रखे, उन्हें दोस्त समझे, अनावश्यक निरर्थक गाली गलौच नहीं करें। उनकी न्यायपूर्ण उन्नति से खुश हो न कि दुखी। दूसरी जाति के प्रति दुर्भावना रखना जातिवाद है जबकि अपनी जाति की उन्नति हेतु सकारात्मक योगदान जाति कल्याण व देश हित है।
कृपया आप भी आपके बिचारो से अवगत करवाये।
रघुवीर प्रसाद मीना

Saturday 14 April 2018

भारत रत्न बाबा सहाब डाॅ भीमराव अम्बेडकर के जीवन से सीखने योग्य महत्वपूर्ण बातें।

rpmwu126
14.04.2018

14 अप्रैल 2020 : भारतीय संविधान के निर्माता, अछूूतों और गरीबों के मसीहा, महििलाओं के उत्थानकर्ता, देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाले, बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर (14 अप्रैल 1891 से 6 दिसम्बर 1956) की जयंती पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। बाबासाहब का जीवनकाल तो सामान्य मनुष्य की भांति 65 वर्ष का ही था परंतु उन्होंने अछूतों, गरीब, कमजोर, असहाय, महििलाओं और अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए 65 x 100 = 6500 वर्षों में हो सकने वाले कार्यो से भी कहीं अधिक कार्य किये।
भारत रत्न बाबा सहाब डाॅ भीमराव अम्बेडकर के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर ऐसे महापुरुष को सत् सत् नमन व उनके जीवन से सीखने योग्य महत्वपूर्ण बातें
1. उद्देश्य के प्रति समर्पण : जीवन में बड़ा उद्देश्य तय करें एवं विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने के लिए कठोर परिश्रम व लगन के साथ मुख्य तय उद्देश्य पर टिके रहने की आवश्यकता है। परेशानियों के आने पर उद्देश्य से नहीं भटकना चाहिए।
2. लीडरशिप : संविधान बनाते समय यदि कन्स्टिट्यूेन्ट असेम्बली में वे लीडर का रोल नहीं लेते तो जो वे चाहते थे वह संविधान में प्रविष्ट नहीं हो पाता। अत: जब भी टीम में काम करने का मौका मिले तो अग्रणी रोल रखने की जरूरत है।
3. स्पेशियलाईजेशन : अपने क्षेत्र में मेहनत व परिश्रम करके दक्षता हासिल करें ताकि दूसरे लोग उस क्षेत्र विशेष में आपका आदर करें।
4. निडरता : साईमन कमिशन के वक्त उनको देश द्रोही तक करार दे दिया गया व पूना पैक्ट से पूर्व जब गाँधी जी भूख हड़ताल पर थे तब लोगों ने उन्हें जान से मारने तक की धमकी दी थी। परन्तु वे कमजोर वर्ग के हित में उनकी माँगो पर अडिग रहे।
5. निस्वार्थता : पढाई के पश्चात बाबा साहब जब अमेरिका से वापस भारत लौट रहे थे तब उनको पता था कि भारत में उनके साथ कैसा व्यवहार होने वाला है, बडौदा में नौकरी करते वक्त रहने का ठिकाना तक नहीं मिल पायेगा और चपरासी भी पानी नहीं पिलायेगा। फिर भी देश व समाज सेवा के लिए वे भारत आये। सामान्य व्यक्ति भारत आने की बजाय पत्नि व बच्चों को अमेरिका ले जाता एवं आराम से इज्जत की जिंदगी जीता। परन्तु बाबा सहाब ने निस्वार्थता का परिचय दिया और उन्होंने समाज सेवा हेतु आराम को त्यागकर कठिनाई भरी राह चुनी।
6. पहचान नहीं छिपाई व अपने लोगों के साथ साथ कमजोर की वकालत : बाबा सहाब ने जीवन में कभी भी स्वयं की पहचान नहींं छिपाई, हमेशा कमजोर के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश की। उन्होंने न केवल अछूतों बल्कि मजदूरों व महिलाओं के लिए क्रमशः निर्धारित ड्यूटी आवर्स व हिन्दू कोड बिल बनाया। पिछडो की उन्नति हेतु संविधान में आरक्षण सहित अनेक प्रावधान किये।
7. योग्यता के स्तर का काम : सामन्यतः व्यक्ति उनकी योग्यता से छोटा काम करते हैं क्योंकि वे कार्य उनको आसान लगते हैं। परन्तु सोचो यदि बाबाासाहब संविधान लिखने की वजाय उनकी जाति के लोगों की भांति सामान्य काम करने मेंं लग जाते तो क्याा होता? इस बात को ध्यान में रखते हुए पढ़े-लिखे और अनुुुभवी लोगों उनकी योग्यता व अनुभव के अनुरूप ही कार्य करने चाहिए। 
 8. बदले की भावना नहीं रखी: उनको जीवन में अनेको बार जाति के आधार पर घोर अपमान सहना पड़ा परन्तु उन्होनें कभी भी ऊँची जाति के लोगो को नुकसान नहीं पहुँचाया।
9. SCST : Work hard with full devotion and sincerity, learn skills and become masters in your areas, do not use Babasahab's name like carpet to hide your inefficiencies. 
10. Do not discriminate on the basis of caste, religion etc., try to understand back ground of a person. Software depends on upbringing. 
11. Remember face of Babasahab in any adversity, one can work to find solution. 
उक्त तो कुछ ही पहलू है उनके व्यक्तित्व को समराईज करना आसान नहीं है।
रघुवीर प्रसाद मीना

Sunday 1 April 2018

देश की न्याय व्यवस्था में सुधार की सख्त व महत्ति आवश्यकता है।

rpmwu125
01.04.2018

हमारे देश में जातिप्रथा का प्रचलन आदिकाल से उच्च वर्ग कहे जाने वाले लोगों की स्वार्थ सिद्धी के कारण चला आ रहा है। देश में अधिकतर लोगों का इस संदर्भ में दौहरा चरित्र (hypocrisy) है । सामान्यत : हर व्यक्ति कहता है कि जातिवाद करना गलत है परन्तु जब जाती के आधार पर दिये गये आरक्षण व अन्य कानूनी प्रावधानों की बात आती है तो ऊँची कही जाने वाली जातियों के कई लोग इनका विरोध करते है एवं दूसरी ओर वे अंतर्जातिय विवाह इत्यादि की घोर खिलाफत भी करते है। ऐसे लोग उनके बच्चो की शादी दलित परिवारों में कदापी नहीं करते है एवं वे उनके अगले जीवन में दलित के घर जन्म लेने की सम्भावना तक से सहम जाते है।
देश की न्यायपालिका पर ऊँची कही जाने वाली जातियों के व्यक्तियों का ही कब्जा है एवं वे ही  आरक्षण व संविधान प्रदत्त अन्य प्रावधानों को कमजोर करते रहते है। उदाहरणार्थ -
1) नई भर्ती में न्यूनतम आरक्षण को अधिकतम सीमा (minimum representation को maximum limit या restriction) में बदल देने की कोशिश।
2) पदोन्नति में आरक्षण पर रोक।
3) SC/ST Act के प्रावधानों को कमजोर करने का निर्णय।
उच्च न्यायापालिका द्वारा उक्त बिषयों पर दिये गये अनेकों निर्णय इस बात के प्रमाण है कि देश की न्याय व्यवस्था में नकारात्मक जातिवाद की भरमार है एवं  निर्णय आरक्षित वर्ग के प्रतिकूल लिए जाते है।
वर्तमान व्यवस्था, न्यायपालिका में भर्ती के तरीके में बदलाव नहीं करने देना चाहती हैं। उच्च न्यायापालिका में चुनिंदा जातियों व परिवारों का ही बोलबाला रहा है।
दिनांक 02.04.2018 को होने वाले विरोध प्रदर्शन में पूरजोर माँग रखी जाये कि उच्च न्यायपालिका के चयन हेतु अख्तियार किये जा रहे वर्तमान सिस्टम को बदला जाये ताकि न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता व ईमानदारी आ सके।
हमें भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर उच्च न्यायपालिका में होने वाली भर्ती के तरीके को बदलवाने की जरूरत है ताकि उच्च व उच्चतम न्यायालयों में निष्पक्ष व बिना जातिवाद के वायरस से संक्रमित लोग पहुंचे जिससे लम्बी अवधि में वंचित व पिछड़ी जातियों के लोगो के हकों की रक्षा हो सके।
इस बिषय पर माननिय लोकसभा सांसद दौसा श्री हरीश चंद्र मीना द्वारा संसद में रखे गये पक्ष का विडियो नीचे लिंक में है, कृपया देखे व प्रण करे कि जब तक माँग पूरी नहीं हो जाती है हम लगातार संघर्षरत रहेगें।
https://youtu.be/T7e0Y29Ueik
रघुवीर प्रसाद मीना

Saturday 31 March 2018

गम्भीर दुर्घटना से बचने के लिए यात्री को स्टेशन पर छोडने जाते समय कृपया रेल गाड़ी में नहीं चढ़े।

rpmwu124
31.03.2018

गम्भीर दुर्घटना से बचने के लिए यात्री को स्टेशन पर छोडने जाते समय कृपया रेल गाड़ी में नहीं चढ़े। दिनांक 30.03.18 को जयपुर के गाँधीनगर रेलवे स्टेशन पर अपनी बेटी को डबल डैकर ट्रेन में बिठाने के पश्चात चलती गाड़ी से उतरते वक्त एक व्यक्ति का बैलेंस बिगड गया और वह फिसल कर ट्रेन व प्लेटफार्म के बीच गिर गया जिससे उसके पैर गम्भीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गये। रेलवे स्टाॅफ ने पूर्ण समझदारी दिखाते हुए तत्परता से गाडी को रोका व घायल व्यक्ति को बहार निकालकर एम्बुलेंस के माध्यम से अस्पताल पहुँचाया।
अक्सर कई लोग ऐसी गलती सामान को एडजस्ट करने में मदद करने की बात कहकर करते है। पहले तो कम सामान लेकर यात्रा करे और यदि किसी कारणवश सामान ज्यादा व भारी हो तो कोच में यदि रेल कर्मी उपलब्ध है तो उसकी अथवा सहयात्रियों की मदद ली जा सकती है। आपके पैर व जिन्दगी बहुत ही कीमती है, कृपया लापरवाही नहीं बरते।
यदि अति अतिविशेष परिस्थितियों में व्यक्ति को कम स्पीड पर चलती गाड़ी से उतरना ही पड जाये तो उतरते समय मुँह व चलने की दिशा गाडी के चलने की दिशा में रखना चाहिए एवं उतरने के पश्चात गाड़ी के साथ साथ चलना या दौडना चाहिए ना कि एकदम रूकना।
निवेदन है कि जब भी आप अपने परिवार के सदस्यों , रिश्तेदारों या दोस्तो को छोडने (see off करने) रेलवे स्टेशन पर जाये तो कृपया गाड़ी में नहीं चढ़े।
साथ साथ जिस व्यक्ति को यात्रा करनी है उसकी भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह उसको छोडने आये व्यक्ति के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए उसे केवल सामान जमाने जैसे छोटे से काम के लिए गाड़ी में अन्दर प्रवेश नहीं करने दे।
आओ प्रण ले कि जब भी हम किसी प्रियजन को रेलवे स्टेशन पर छोडने जाये तो कोच में प्रवेश नहीं करेगें एवं यदि यात्री है तो छोडने आने वाले को गाडी में नहीं चढ़ने देंगे।
सतर्क आदतें ही संरक्षा है।
रघुवीर प्रसाद मीना
अपर मंडल रेल प्रबंधक (आॅपरेशंस)
जयपुर मंडल, उत्तर पश्चिम रेलवे।