rpmwu161
02.12.2018
एक बार दीवार पर तीन बिल्लियां बैठी हुई थी, उनमें से दो ने निर्णय लिया कि कूद जाएं। अब कितनी बिल्लियां बची? साधारणतया लोग कहेंगे कि "एक" परंतु 1 घंटे या कई दिनों बाद देखा गया कि वहां तीनों ही बिल्लियां बैठी हुई थी। क्योंकि दो बिल्लियों ने केवल निर्णय ही लिया था, लिए गये निर्णय का क्रियान्वयन नहीं किया।
यह कहानी जीवन के हर पहलू पर लागू होती है। निर्णय लेना एक बात है परंतु उसे क्रियान्वित करना बहुत ही जरूरी है। अर्थात कार्य को कर दिया जाए "make things happen" यथा delivery बहुत जरूरी है।
प्रतिदिन हम लोग अपने घर पर सुबह देख सकते है कि मां या पत्नी नाश्ता तैयार करके दे देती है। मसलन उन्होंने आटा, चावल, बेसन या ब्रेड इत्यादि ली और उसको प्रोसेस करके एंड रिजल्ट नाश्ते या खाने के रूप में तैयार कर देती हैं। कुल मिलाकर सुबह श्याम यदि घर पर महिलाओं के रोल को देखें तो उसमें कार्य निष्पादन के बहुत सारे पहलू जुड़े रहते हैं। इसी प्रकार हर व्यक्ति सुबह उठकर स्नान कर लेता है तो उसने एक कार्य निष्पादित कर लिया। यदि एक्सरसाइज कर ली तो एक और मुख्य कार्य निष्पादित कर लिया।
दिन भर में देखने की आवश्यकता है कि व्यक्ति वास्तव में क्या कार्य निष्पादित करता है? कार्यालय में डिसीजन लेना, फाइलों को निपटाना भी कार्य निष्पादन करना है। हर व्यक्ति को दिन समाप्त होने पर अपने आपको इवेलुएट करना चाहिए कि उसने उस दिन क्या कार्य निष्पादित किया है? यदि उसे लगे कि वह एफिशिएंट तरीके से कार्य निष्पादित नहीं कर पा रहा है तो उसे कार्य करने के तरीके बदलाव करने की जरूरत है।
कार्य निष्पादन करना जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। यदि कोई व्यक्ति केवल बातें करें एवं सोचता रहे तो उसका उतना महत्व नहीं है जितना कि कार्य निष्पादन करने का। जब तक हम कार्य निष्पादन नहीं करेंगे तब तक कोई ठोस कार्य संपन्न नहीं होगा। हमें प्रतिदिन देखना चाहिए कि हम कितने अच्छी तरीके से कार्यों को निष्पादित कर रहे हैं या कार्यशैली को और सुधारने की जरूरत है।
"Make Things Happen"
रघुवीर प्रसाद मीना
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