Friday 2 November 2018

DAP का दुष्परिणाम।

rpmwu147
02.11.2018

वीडियो में देखें कि किस प्रकार धर्म के नाम पर दलितों का अभी भी बहिष्कार किया जा रहा है, एक दलित दूल्हा व उसकी माँ को हनुमानजी के मंदिर पर चढ़ने के लिए पब्लिकली मारापीटा व बेइज्जत किया। दूसरी तरफ लोग बोलते हैं की जातिगत आधार पर आरक्षण व अन्य लाभ नहीं होने चाहिए। जब जाति देख कर यदि किसी व्यक्ति का अपमान किया जाता है तो उस समय यह बात क्यों नहीं समझ में आती है?
यदि देश को आगे बढ़ाना है तो पहले जाति के आधार पर होने वाले डिस्क्रिमिनेशन को समाप्त करना होगा। साथ ही में दलितों को भी धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण से दूर रहने की जरूरत है। ये लोग अनावश्यक रूप से धार्मिक गतिविधियों में बहुत ज्यादा लिप्त रहते हैं, इनके पीछे रहने का यह भी एक मुख्य कारण है।
यदि कोई व्यक्ति जातिगत भेदभाव को जानने हेतु लिटमस टेस्ट करना चाहे तो उसे शांत भाव में आंखें बंद करके अपने आप से निम्न प्रश्न का उत्तर पूछना चाहिये -
"क्या वह अगले जन्म में किसी दलित के घर जन्म लेना चाहेगा?"
जब तक इस प्रश्न का उत्तर नकारात्मक आता रहेगा तो लोगों को कोई हक नहीं है कि वह जाति के आधार पर दिए जाने वाले प्रोत्साहनों की भर्त्सना करें।
आवश्यकता है कि सभी लोग खासकर दलित धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण में विश्वास कम करें व जाति के आधार पर यदि कोई किसी को परेशान या तंग करें तो सरकार को उसके विरूद्ध उदाहरण पेश करने लायक कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

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