Wednesday 12 September 2018

मिशन सत्यनिष्ठा!

rpmwu136
12.09.2018

आज दिनांक 12 सितंबर 2018 को जयपुर मंडल के अरावली सभागार में मिशन सत्य निष्ठा के तहत एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह मिशन  रेलमंत्री श्री पीयूष गोयल एवं रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री अश्विनी लोहानी की पहल पर विभिन्न जोनल रेलवेज में आयोजित किया जा रहा है। इस मिशन का मुख्य मकसद यह है कि अधिकारी व कर्मचारियों के मन में ईमानदारी पूर्वक देश सेवा की भावना को जागृत किया जाए।
आज इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में रेलवे बोर्ड के मेंबर स्टाफ श्री एस. एन. अग्रवाल, उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री टी.पी.सिंह, सेवानिवृत्त केबिनेट सैकेट्री व झारखंड के पूर्व राज्यपाल श्री प्रभात कुमार सहित कई गणमान्य हस्तियों ने उनके विचार व्यक्त किये। मुख्यालय तथा उपरे के चारों मंडलों में विडियो काॅनफ्रेन्स के माध्यम से कार्यक्रम का लाईव प्रसारण किया गया। कुल लगभग 400+ लोगो ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के दौरान श्री प्रभात कुमार ने रेल मंत्री द्वारा सत्यनिष्ठा परखने हेतु अपने आप से किए जाने वाले निम्न प्रश्नों के बारे में विस्तार से बताया-
1. क्या आम आदमी की अवधारणा में भारतीय रेल एक नैतिक ऑर्गनाइजेशन है?
2. यदि आप रुपए पैसों के मामले में सत्यनिष्ठ है तो क्या आप समय के मामले में सत्यनिष्ठ है अथवा नहीं?
3. क्या आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार कार्य करते हैं अथवा नहीं?
4. क्या आप आपकी नियत कार्य के अलावा और अधिक कार्य करते हैं?
5. क्या कभी आपकी नजर में आपके संगठन में कोई अनैतिक कार्य हुआ हो और आप चुप रहे हो?
6. क्या आप आपके कार्य में गर्व महसूस करते हैं? क्या आप भारतीय रेल के सदस्य होने में गर्व महसूस करते हैं?
इनके अलावा श्री प्रभात सहाय और तीन प्रश्न अपने आप से पूछने हेतु बताया-
7. क्या कभी आपने अपने सहयोगी के कार्य का श्रेय अपने नाम लिया?
8. क्या कभी आपने अपनी गलतियों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराया?
9. क्या स्थानांतरण के लिए कभी आपने समझौता किया?
मुझे लगता है कि यदि व्यक्ति उक्त प्रश्नों के उत्तर ढूंढे तो उसे स्वयं यह पता लग जाएगा कि वह कितना सत्यनिष्ठ है।
कार्यक्रम के दौरान किसी ने बड़ा अच्छा कहा कि यदि आप कार्यालय की गतिविधियां अपने परिवार व बच्चों से शेयर कर सकते हैं तो मान लीजिए कि आपके सभी कार्य एथिकल है।
प्रत्येक व्यक्ति को सत्य निष्ठा के साथ उसके संगठन में कार्य करना चाहिए, यह ही पूजा है।
रघुवीर प्रसाद मीना

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