Sunday 2 December 2018

यदि मजबूत लोकतांत्रिक ढांचा चाहिए तो चुनाव में नहीं ले किसी भी नेता से कोई अहसान ।

rpmwu160
02.12.2018

राजस्थान में विधानसभा के चुनाव 7 दिसंबर को होने वाले हैं। लोकतंत्र में चुनाव में मत देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। इस दौरान छोटी सोच रखने वाले मतदाता, उनके मत की वैल्यू समझे बिना नेताओं से विभिन्न प्रकार की लालच (फेवर/एहसान) जैसे गाड़ी का किराया, कुछ पैसे, शराब या कपड़े इत्यादि लेकर अपने मत की कीमत पर कलंक लगा लेते हैं। जिस नेता ने ऐसी लालच से वोट लिए हैं वह उन मतदाताओं की अगले 5 साल बिल्कुल परवाह नहीं करता है क्योंकि उसने इन वोटों को खरीदा है ना कि लोगों ने उसके ऊपर किसी प्रकार का कोई एहसान किया है।
यदि हम वास्तव में चाहते हैं कि अच्छे नेता चुने जाये तो हमें चाहिए कि चुनाव के समय नेताओं से किसी प्रकार का फेवर या एहसान नहीं ले, बल्कि मत देकर आप अच्छा नेता और सरकार चुन कर लोकतंत्र की मदद करें। ऐसा करने से नेता हमेशा हमेशा के लिए आप का कृतज्ञ रहेगा और जैसा वोटर चाहेंगे वह उसी प्रकार का कार्य करेगा। यदि कोई व्यक्ति लालच लेकर वोट दे रहा है तो उसको उस नेता से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
इस संदर्भ में एक बड़ा जोरदार उदाहरण मैंने अभी हाल में पढ़ा है। एक व्यक्ति के पास एक नेता गया और उसने उसे ₹1000 का नोट दिया और कहा कि आप मुझे वोट देना। उस समझदार व्यक्ति ने कहा कि भाई ₹1000 का मैं क्या करूंगा कि आप एक काम करो मेरे लिए एक गधा खरीद कर दे दो। जब वह नेता गधा खरीदने के लिए बाजार में गया तो पता लगा कि ₹20000 तक में भी गधा नहीं आ रहा है, तो उसने सोचा कि अगर ऐसे मैं गधा देता रहूंगा तो यह बहुत ही मंहगा पड़ेगा। तो वह नेता उस व्यक्ति के पास पुन: गया, उसने कहा कि गधे तो बहुत महंगे हैं ₹20000 से कम नहीं मिल रहे है तो उस व्यक्ति ने कहा तो मैं क्या तुमको गधे से भी बेवकूफ नजर आ रहा हूं? जो आप मेरे बोट को हजार रुपे में खरीदना चाहते हो ।
इस छोटी सी कहानी के माध्यम से हम सब को यह समझना चाहिए कि हमारा वोट बहुत ही महत्वपूर्ण है। सच्चे लोकतंत्र के लिए उसे किसी भी कीमत पर छोटी -मोटी लालच या फेवर इत्यादि के लिए नहीं बेचे और चुनाव के समय नेताओं से किसी भी प्रकार का फेवर  या एहसान नहीं ले। बल्कि यदि आप करने के लिए सक्षम है तो उन पर एहसान करें ताकि 5 साल तक वे अच्छे मन लगाकर स्वच्छ लोकतंत्र में काम कर सके।
यदि मतदाता भ्रष्ट तरीके अपनाकर वोट देता है तो मान लेना चाहिए कि उसने भ्रष्टाचार का पेड़ लगा दिया है जिसमें भ्रष्टाचार के ही फल आने वाले हैं। और यदि उसने नेकी से मत दिया हैं तो उसने नेकी का पेड़ लगाया हैं जिसमें नेकी के ही फल आने वाले है। हमें समझ लेना चाहिए कि देश, समाज और व्यक्ति स्वयं के विकास और उन्नति के लिए उसे क्या करना है?
रघुवीर प्रसाद मीना

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