Friday 26 October 2018

देश में धन का असमान बंटवारा ।


rpmwu144
25.10.2018

देश में धन के असमान बंटवारा के बारे में सभी लोग बात करते हैं, सर्वे के आंकड़े चौकाने वाले है। समरी निम्न प्रकार है -
  1 प्रतिशत अमीर लोगों के पास 51.1% दौलत।
10 प्रतिशत अमीर लोगों के पास 77.4% दौलत।
60 प्रतिशत गरीब लोगों के पास महज 4.7% संपत्ति। ये लोग मजदूर व किसान है।
195 में देशों में से 128 वें स्थान पर है भारत प्रति व्यक्ति औसत संपत्ति के मामले में।
उक्त आंकड़े क्या इंगित करते हैं? ये आंकड़े सीधे सीधे दर्शाते है कि प्रत्यक्ष मेहनत करने वाले लोगों की अपेक्षा चीजों को मैनेज करने वाले लोगों के पास बहुत अधिक धन सम्पदा है। मेहनत करने वाले लोग गरीब ही है, जो मजदूर है उनको मेहनताना बहुत कम दिया जाता है एवं किसानो़ को लागत की तुलना में फसल की उचित दर नहीं मिलती है या लोगों के पास न तो मजदूरी और न ही खेती के अवसर है। यहाँ तक कि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन या न्यूनतम सपोर्ट प्राईस में से भी मैनेज करने वाले समृद्ध विचौलिए एक बड़ा हिस्सा रख लेते है। जब लोग निजि कार्य करवाते हैं तो काम करने वालों को कम से कम भुगतान करते हैं। किसान की फसल खरीदते समय विभिन्न वाहनों से उसको ठगा जाता है। कमजोर के साथ यह अन्यायपूर्ण रवैया सदियों से चला आ रहा है।
गरीब को पहले राजा महाराजा व उनके सिपासालान लुटते थे, बेगारी (बिना भुगतान के काम) करवाते थे व फसल में से भारी हिस्सा टैक्स के रूप में ले लेते थे। अब ठेकेदार या पढे़लिखे लोग इन्हें मुर्ख बना रहे है। सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन नहीं होने से सरकार भी अभी तक गरीब की स्थिति में समुचित सुधार नहीं कर पाई है।
सरकार को चाहिये कि न्यूनतम मजदूरी एवं न्यूनतम सपोर्ट प्राईस की चोरी करने वाले लोगों पर कडा़ अंकुश लगाये, ऐसे कृत्य को बहुत कठोरता से डील करें। दूरदराज के क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करें ताकि प्रोसेस के दौरान वहां के स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके व बाद में रोजगार की अपाॅर्चुनिटी बढ़ सके।
हम सभी व्यक्तिगत तौर पर अपनी अपनी कैपेसिटी में हर सम्भव प्रयास करें कि गरीब लोगों के साथ न्याय हो, उन्हें उनका हक मिले। यदि गरीब लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा तो उनकी भावी पीढ़ी देश की अच्छी नागरिक बनेंगी।
अमीर लोगों को भी चाहिये कि वे प्रोफिट मार्जिन को कम रखे व मेहनत करने वाले लोगों को उनका हक देवे।
रघुवीर प्रसाद मीना

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