Sunday 27 September 2020

राजा राममोहन रॉय - महान समाज सुधारक

 

(rpmwu382 dt. 27.05.2020)

राजा राममोहन राय (22 मई 1772 - 27 सितंबर 1833) को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है। इनके पिता का नाम रमाकांत तथा माता का नाम तारिणी देवी था। राजा राममोहन राय की दूर‍दर्शिता और वैचारिकता के सैकड़ों उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं।वे रू‍ढ़िवाद और कुरीतियों के विरोधी थे लेकिन संस्कार, परंपरा और राष्ट्र गौरव उनके दिल के करीब थे। वे स्वतंत्रता चाहते थे लेकिन चाहते थे कि इस देश के नागरिक उसकी कीमत पहचानें।

राजा राममोहन राय का जन्म बंगाल में 1772 में हुआ था।15 वर्ष की आयु तक उन्हें बंगालीसंस्कृतअरबी तथा फ़ारसी का ज्ञान हो गया था। किशोरावस्था में उन्होने काफी भ्रमण किया। उन्होने 1809-1814 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए भी काम किया। उन्होने ब्रह्म समाज की स्थापना की तथा विदेश (इंग्लैण्ड तथा फ़्रांस) भ्रमण भी किया।

राजा राममोहन राय ने ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी छोड़कर अपने आपको राष्ट्र सेवा में झोंक दिया। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के अलावा वे समाज में व्याप्त कुरितियों से भी लड़ाई लड़ रहे थे। उस वक्त देश के नागरिक अंधविश्वास और कुरीतियों में जकड़े थे। राजा राममोहन राय ने उन्हें झकझोरने का काम किया। बाल-विवाह, सती प्रथा, जातिवाद, कर्मकांड, पर्दा प्रथा आदि का उन्होंने भरपूर विरोध किया। देवेंद्र नाथ टैगोर उनके सबसे प्रमुख अनुयायी थे। आधुनिक भारत के निर्माता, सबसे बड़ी सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलनों के संस्थापक, ब्रह्म समाज, राजा राम मोहन राय सती प्रणाली जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अंग्रेजी, आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी और विज्ञान के अध्ययन की वकालत की।

आज ऐसे महान समाज सेवी की पुण्यतिथि की अवसर पर अपने आप से प्रश्न करें कि समाज से अंधविश्वास व कुरतियों की समाप्ति के  लिए में स्वयं क्या कर रहा हूँ ? क्या में स्वयं तो अंधविश्वास व कुरीतियों को बढ़ावा तो नहीं दे रहा हूँ? 

हमें जय जवान जय किसान जय विज्ञान जय अनुसंधान के साथ सभी के उत्थान पर बल देना चाहिए। 


सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 


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