गुरु पूर्णिमा के पुनीत अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। हमारे देेश की संस्कृति में गुरु को ईश्वर से ऊंचा दर्जा दिया गया है। गुरु पूर्णिमा का यह पर्व हमें जीवन में अंधकार को दूर कर सच्चाई की राह दिखाने वाले गुरुजनों के प्रति अगाध सम्मान और कृतज्ञता का भाव रखने की प्रेरणा देता है।
व्यक्ति, समाज व देश के विकास में गुरुजनों की बड़ी भूमिका है। उनसे लिए गए ज्ञान तथा शिक्षाओं का अनुसरण कर युवा उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होते हैं और उसी से समाज, राज्य व देश समृद्ध व कल्याणकारी बनते है।
इस अवसर पर युवाओं से अपील है वे अपने गुरु के सलेक्शन का खास ध्यान रखें। किसी भी ऐसे व्यक्ति को अपना गुरु नहीं बनाये जो जनहित व समाजहित में नुकसानदायक हो। क्योंकि जो व्यक्ति दूसरों अथवा समाज को नुकसान कर सकता है वह या उसकी शिक्षा एक दिन आपको भी नुकसान कर सकते है। अतः गुरु पूर्णिमा के दिन इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए कि जिस व्यक्ति को आप गुरु मानते है, क्या वह वास्तव में जनहित के काम करता है? जो भी युवा अच्छे गुरुओं के शिष्य है उन्हें गुरुुओं के वास्तविक सम्मान के लिए उनसे सीखें गये ज्ञान को जीवन में इंप्लीमेंट करें। ज्ञान प्राप्त करना मात्र ही जीवन का उद्देश्य नहीं है, ज्ञान को जनहित में इंप्लीमेंट करना अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसा करने से आपके गुुुरुओं को भी आप पर गर्व होगा।
विभिन्न क्षेत्रों में अच्छे गुरु चुनें, उनसे सीखें, सीखे हुए ज्ञान को जनहित में इम्प्लिमेंट करके गुरू व उनके ज्ञान की सार्थकता को सिद्ध करें। यही गुरूओं के प्रति असली कृतज्ञता होगी।
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
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