rpmwu361 dt.10.07.2020
राजस्थान राज्य में हिंदी में "मीना" (अंग्रेजी में "Mina") अनुसूचित जनजाति की सूची में क्रम संख्या 9 पर अंकित है और ये ही शब्द राज्य की जनगणना में उपयोग में लिए गये है। पंचायत से लेकर विघानसभा व लोकसभा की सीटों व सरकारी नौकरियों में इन्हीं शब्दों से आरक्षण का प्रावधान है। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार हिंदी में "मीणा" व अंग्रेजी में "Meena" शब्दों वाली कोई भी जाति या समुदाय राजस्थान में निवास नहीं करती है, राजस्थान राज्य में उनकी जनसंख्या शून्य है।
नाम के साथ उल्लेखित मीना/मीणा (Mina/Meena) शब्दों के विषय में अनेकों बार कम समझदार व अप्रशिक्षित सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा संशय किया जाता है की "मीना" तो अनुसूचित जनजाति है परंतु "मीणा" अनुसूचित जनजाति नहीं है। उनको यह समझ नहीं है कि समुदाय का सरनेम से कोई लेना-देना नहीं है। दोनों अलग अलग चीजें है। स्वतंत्र भारत में कोई व्यक्ति अपना सरनेम कुछ भी लगा सकने के लिए स्वतंत्र है। जाति प्रमाणपत्र कोई भी व्यक्ति स्वयं नहीं बनाता है, सरकारी अधिकारी ही जारी करते है। यदि प्रमाणपत्र में गलती है तो सरकारी अधिकारियों की गलती है ना कि प्रमाणपत्र धारक की।
हम सभी को स्पष्ट होना चाहिए कि वास्तव में हिंदी में "मीणा" व अंग्रेजी में "Meena" शब्द अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल है। परंतु बोलचाल की भाषा में राजस्थान में "न" को "ण" बोलने के कारण मीना को मीणा उच्चारित किया जाता है और यह सभी जगह प्रचलित है। कई लोगों का सरकारी रिकॉर्ड में सरनेम 'मीना' होता है लेकिन जब आदेश जारी होता है तो उन्हें 'मीणा' लिख दिया जाता है। यह सामान्य सी बात है। परंतु जहां तक जाति प्रमाणपत्रों में स्पेलिंग अंकित करने की बात है तो वहां हिन्दी में "मीना" व अंग्रेजी में "Mina" ही लिखा जाना होगा।
रही बात सरनेम की, तो सरनेम में व्यक्ति कुछ भी लगा सकता है। वह अपने गोत्र का नाम, गांव का नाम, देश भक्ति को इंगित करने वाले शब्द, कुमार, प्रसाद, सिंह पिता का नाम या कुछ भी नहीं लिखने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र है। अतः सरनेम के आधार पर व्यक्ति की जाति अथवा समुदाय निर्धारित नहीं किये जा सकते है। जाति समुदाय निर्धारित करने की एक प्रक्रिया है और उस प्रक्रिया के अंतर्गत ही प्रमाण पत्र जारी किए जाते है। परंतु अधिकारियों के ज्ञान की कमी के कारण वे कभी कभार प्रमाणपत्रों में बोलचाल की भाषा के शब्द लिख देते है। अतः प्रमाणपत्रों में समुदाय के काॅलम में सही स्पेलिंग है या नहीं इसकी अवश्य जाँच कर लेनी चाहिए।
नये प्रमाणपत्रों में ऐसी गलती को समाप्त करने के लिए अभी तो शायद समाधान हो चुका है। ई_मित्र के माध्यम से बनने वाले जाति प्रमाणपत्रों में गलत स्पेलिंग आने का सवाल ही नहीं है क्योंकि कंप्यूटर में जो फीड किया हुआ है वह "मीना" "Mina" ही किया हुआ होगा। फिर भी मीना मीणा के भ्रम से कई लोग युवाओं को जानबूझकर परेशान करते रहते है। उनकी परेशानियों के दीर्घकालिक समाधान के लिए संविधान की सूची में मीना के साथ हिंदी में मीणा अंग्रेजी में Mina के साथ Meena शब्द जोड़े जा सकते है। संलग्न दस्तावेज में आप देख सकते है कि वर्ष 2001 से 2011 के बीच 194 प्रकरणों में समुदायों के नाम के साथ समानार्थी शब्द व सब ग्रुप इत्यादि जोड़े गये है। यह डैटा मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स की वेबसाइट पर उपलब्ध है, इसका अवलोकन कर सकते है -
परंतु संविधान की सूची में परिवर्तन करवाने के लिए राजनीतिक समझ, इच्छाशक्ति व एकजुटता की आवश्यकता है। यदि हमारे समाज के नेता मन में ठान ले तो यह बिल्कुल सम्भव हो सकता है। परंतु नेताओं में आपसी तालमेल की कमी है और उनकी इगो आगे आ जाती है। पाँचना डैम से नहरों में पानी खुलवाने के जनहितैषी अभियान तक में मदद की अपेक्षा एक वर्तमान नेता संस्था के रजिस्ट्रेशन तक में बाघा कर रहा हैं तो संविधान सूची से जुड़े इस बड़े कार्य में उनसे समझदारी व सकारात्मक भूमिका निभाने की आशा करना कुछ ज्यादा ही है। फिर भी यदि राजनीतिक नेता लीड ले तो हम सभी को उनका साथ देना चाहिए।
जब तक ऐसा नहीं हो पाता है तब तक वर्तमान प्रावधानों के अंतर्गत उन्नति हेतु विस्तृत जानकारी के साथ मैंने एक ब्लॉग लिखा है, कृपया उसका निम्न लिंक पर अवलोकन करें और उसके अनुसार समझदारी दिखाते हुए जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करें।
http://rpmeenapdz.blogspot.com/2016/09/blog-post_8.html?m=1
स्वयं समझे और दूसरे भाईयों-बहनों को समझाने में मदद करें।
धन्यवाद
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
मो. 8209258619
बहुत अच्छी जानकारी बताई सर ,,अगर नेता चाहे तो हमारी समस्याओं का समाधान हो सकता ह
ReplyDeleteThanks
Very good sir
ReplyDeleteVery Good Sir
ReplyDeleteBahut achchhi jankari Di h
बिल्कुल सही लेख
ReplyDelete🙏🏼🙏🏼💐