Saturday 5 June 2021

विश्व पर्यावरण दिवस 2021 : GHGs - Green House Gases (ग्रिन हाउस गैसेज़) व ग्लोबल वार्मिग।

rpmwu387 dt 05.06.2021    

    GHGs - Green House Gases (ग्रिन हाउस गैसेज़) व ग्लोबल वार्मिग।

दिनॉक 21 व 22.03.2016 को इरिसेन, पुणे में Training-cum-Capacity Building for Management of Green House Gases में भाग लिया। बहुत ही महत्व का विषय है। विश्व पर्यावरण दिवस 2021 के अवसर पर सभी की जानकारी के लिए निम्न महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में पुनः अवगत करवाया जाता है -
1. वातावरण में उपस्थित ग्रिन हाउस गैसेज़ (GHGs) अर्थात् CO2, CH4, CFCs, N2O इत्यादि सूरज की किरणें जब धरती से टकराकर बापस ब्रहमॉड में जाती है तो उन्हें रोक लेती है जिसके कारण पृथ्वी के वातावरण का तापमान बढ़ता है।
2. ये गैस ज्यादा मात्रा में होंगी तो धरती से टकराने के बाद वापस जाने वाली सूर्य की ज्यादा किरणों को रोकेंगीं व वातावरण का तापमान ज्यादा बढ़ेगा। इसे ही ग्लोबल वार्मिग कहते है।
3. ग्लोबल वार्मिग के बहुत सारे दुष्परिणाम है जो कि लम्बे समयान्तराल में पृथ्वी पर जीवन को ख़तरा उत्पन्न कर सकता है।
4. कोयला व पेट्रोलियम उत्पाद, जो कि धरती के अन्दर दबे हुए है, को काम में लेने अर्थात् जलाने से इन गैसों (GHGs) की मात्रा वातावरण में बढ़ती है और वह ग्लोबल वार्मिग का कारण बन रही है। इसे माना जा सकता है कि पृथ्वी के अन्दर दबे हुए राक्षस को जगाया जा रहा है।
5. जानकर आश्चर्य होगा कि एक लीटर डीज़ल को जलाने से वज़न के हिसाब से 2.86 किलोग्राम कार्बन डाइआक्साइड (CO2) बनती है। 1 लीटर डीज़ल में 0.78 किलोग्राम कार्बन होता है। कार्बन का एक अणु आॉक्सिजन के दो अणूओं के साथ मिलकर CO2 बनाता है। कार्बन के परमाणु का एटोमिक वेट 12 होता है तथा ऑक्सिजन अणु का 32, इस प्रकार 0.78 x 44/12 = 2.86 आता है।
6. इसी प्रकार 1 मेगावॉट-ऑवर अर्थात् 1000 यूनिट बिजली को बनाने में 0.82 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है।
7. विश्व स्तर पर United Nations Framework Convention for Climate Change (UNFCCC) संस्था इस बिषय को डील करती है।
8. पिछले दिनों 2015 में पैरिस में हुई अर्थ समिट में विभिन्न देशों ने अपने अपने INDCs ( Intended Nationally Determined Contributions) अर्थात् GHGs के स्तर को कम करने हेतु लिए जाने वाले एक्शन्स के बारे में कमिटमेंट दिया था। हमारा देश सन् 2030 तक 2005 की तुलना में इन गैसों के उत्सर्जन को 33% कम करेगा।
9. इन गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकार अपने स्तर पर रिन्युएबल एनर्जी सोर्सेज अर्थात् सोलर, हाइड्रल, विंड व न्युक्लियर पॉवर प्लान्ट डवलप कर रही है। इसके साथ साथ देश का हर व्यक्ति डीज़ल/पैट्रोल व बिजली की खपत को कम करके ग्रिन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकता है।
10. हम सभी को विभिन्न रिसोर्सेज़ को बड़े सावधानी व समझदारी से उपयोग में लेना चाहिये ताकि ऊर्जा की आवश्यकता को कम रखा जा सके और ग्रिन हाउस गैसेज़ भी कम ही उत्सर्जित हो । भावी पीढ़ियों हेतु सुरक्षित पृथ्वी देने के लिए यह ज़िम्मेदारी हम सभी को निभानी ही चाहिये।

रघुवीर प्रसाद मीना



1 comment:

  1. बहुत ही बहुमूल्य जानकारी शेयर की है

    सभी को अपनी तरफ़ से पर्यावरण में हानिकारक गैसों को कम करने के प्रयास करने चाहिये ।

    ReplyDelete

Thank you for reading and commenting.