Monday 7 June 2021

7 जून 1893 : महात्मा गाँधी के जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ से हम क्या सीख सकते है?

rpmwu388 dt 07.06.2021

                    7 जून 1893 के दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में डरबन से प्रीटोरिया रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे। वे उस समय वकालत करते थे। उन्होंने रेल यात्रा हेतु फर्स्ट क्लास का टिकट खरीदा व फर्स्ट क्लास के डिब्बे में यात्रा कर रहे थे। यात्रा के दौरान टिकट चैक करने जब टीटी आया तो उसने महात्मा गांधी से कहा कि फर्स्ट क्लास के डिब्बे में केवल वाईट (गौरे) लोग ही यात्रा कर सकते है, आप नहीं। महात्मा गांधी ने रंगभेद की नीति का विरोध किया और टीटी से कहा कि मैं अपनी मर्जी से तो थर्ड क्लास के डिब्बे में नहीं जाऊंगा यदि आपको आपत्ति है तो आप मुझे जबरदस्ती भेज सकते है। शायद उनमें आपस में काफी लंबी बहस हुई होगी। उसके पश्चात अगले स्टेशन पीटरमैरिट्ज़बर्ग पर महात्मा गांधी को जबरन रेलगाड़ी से उतार दिया गया एवं उनके सामान को प्लेटफार्म पर फेंक दिया गया तथा उन्हें वहीं छोड़कर रेलगाड़ी रवाना हो गई। इस प्रकार रंगभेद की नीति की वजह से महात्मा गांधी की जो इंसल्ट हुई वह उनके जीवन का टर्निग पाॅइन्ट था।

                यह घटना सभी ने सुनी है सामान्यतः तो इसमें कोई नई बात नजर नहीं आती है। परंतु यदि गहराई से सोचें तो अनेकों मनुष्यों व समुदायों के जीवनकाल में कई बार इस प्रकार की घटनाएं होती है जिसमें बिना उनकी गलती के उनके साथ भयंकर अत्याचार होते है। ऐसे सभी व्यक्तियों को बेवजह अत्याचार की घटनाओं को टर्निंग प्वाइंट समझते हुए महात्मा गांधी के जीवन से सीख लेते हुए अत्याचार के खिलाफ प्लान करके संघर्ष का बिगुल बजा देना चाहिए। लम्बे समय तक अत्याचार को सहना कोई समझदारी नहीं है। #अन्याय_को_सहना_कायरता_है।


सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना 

1 comment:

  1. Congratulations for achieving goals in course of Life.

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Thank you for reading and commenting.