Tuesday 8 June 2021

गौतमबुद्ध ने जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने व अंधविश्वास और कुरीतियों से दूर रहने की शिक्षा दी।

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 गौतमबुद्ध ने जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने व अंधविश्वास और कुरीतियों से दूर रहने की शिक्षा दी।

आज (26 मई 2021) बुद्ध पूर्णिमा है । बैसाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है क्योंकि इसी पूर्णिमा के दिन बुद्ध से सम्बंधित तीन घटनायें हुई - 1-बुद्ध का जन्म (563 ई०पू० ,लुम्बिनी में ) 2- ज्ञान की प्राप्ति (528 ईo पूo, बोधगया में ) 3-बुद्ध का महापरिनिर्वाण (483 ई० पू० , कुशीनगर में) कपिलवास्तु में शाक्य वंश के राजा शुद्धोदन के घर जन्मे बुद्ध (पूर्व नाम सिद्धार्थ) के बारे में ज्योतिषियों ने भविष्य वाणी की थी कि ये बालक या तो चक्रवर्ती सम्राट बनेगा और या फिर सन्यासी। पिता ने सिद्धार्थ को सम्पूर्ण ऐश्वर्य में उलझाये रखने का प्रयास किया ताकि सन्यास का विचार भी उसके मन में ना आये। फिर हम सब जानते हैं कि सिद्धार्थ अपने सेवक छंदक के साथ जब नगर भ्रमण को निकले तो क्रमशः वृद्ध , रोगी और मृतक को देख कर विचलित हुए कि जीवन में रोग, जरा और मृत्यु का दुःख अवश्यम्भावी है। फिर एक सन्यासी को शांत और प्रसन्न चित्त देख कर सिद्धार्थ ने निश्चय किया कि वे स्वयं दुःख की निवृत्ति का उपाय खोजेंगे। 29 वर्ष की आयु में बुद्ध ने सब ऐश्वर्य त्याग दिये और पत्नी यशोदरा और पुत्र राहुल को सोता छोड़ सत्य की खोज में वन को निकल पड़े । गुरुओं की शरण में गये, 6 वर्ष तक कठोर तप किया, शरीर मृतप्राय: हो गया परंतु अभी राह ना मिली। बस बुद्ध को मार्ग मिला - ‘मध्यमा प्रतिपदा’ का मार्ग। निर्बाध इन्द्रिय विलास (extreme indulgence in sensory pleasures) और कठोर तप (rigorous self denial) की दो चरम अवस्थाओं को नकार कर बुद्ध ने मध्य मार्ग (#middle_path) का ज्ञान दिया।

बौद्ध दर्शन का सार चार आर्य सत्यों (four noble truths) में निहीत है -
1- सर्व-दुःख दुःखम् ( there is suffering everywhere in this world)
2- दुःख-समुदय (there is a cause of suffering) द्वादश निदान के सिद्धांत में बुद्ध ने तृष्णा (desires) को दुःख का मूल कारण माना ।
3- दुःख-निरोध (there is a way to get rid of suffering)
4- दुःख-निरोध-मार्ग (the path to relieve the suffering) दुःख के निवारण का जो मार्ग बुद्ध ने बताया , वह अष्टांग मार्ग (eightfold noble path) कहलाया-
1. सम्यक् दृष्टि – Right Views
2. सम्यक् संकल्प – Right Resolve
3. सम्यक् वाक् – Right Speech
4. सम्यक् कर्मान्त – Right Actions
5. सम्यक् आजीव – Right Livelihood
6. सम्यक् व्यायाम – Right Efforts
7. सम्यक् स्मृति – Right Mindfulness
8. सम्यक् समाधि – Right Concentration
बुद्ध ने आत्म अनुभव (self experience) को श्रद्धा (faith) के ऊपर माना । बुद्ध ने कहा : मुझ पर भरोसा मत करना। मैं जो कहता हूं उस पर इसलिए भरोसा मत करना कि मैं कहता हूं। सोचना, विचारना, जीना। तुम्हारे अनुभव की कसौटी पर सही लगे, तो उसे सही मानना ।
उन्होंने कहा - अपने दीपक स्वयं बनो (#अप्प_दीपो_भव)। स्वयं बुद्ध बनो ।
निर्वाण जीवन का अंत नहीं है। अष्टांग मार्ग का अनुसरण कर दुःख का निवारण करना ही वस्तुतः निर्वाण है । ऐसा कर व्यक्ति जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है और अंततः महापरिनिर्वाण को प्राप्त होता है ।
(वाट्सएप पर प्राप्त हुआ, अच्छा लगा तो कुछ परिवर्तनों के बाद सभी की जानकारी व जीवनशैली को बेहतर बनाने के लिए प्रेसित किया है।)

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