rpmwu399 dt. 08.06.2021
वास्तव में सही बात है कि व्यक्ति गरीब व कमजोर पर बेवजह दादागीरी करता है। मजदूर/सब्जीवाले/रिक्शावाले/छोटी दुकान वाले इत्यादि से कुछ पैसे कम करवाकर अधिकांश लोग अपने आप को बहुत होशियार समझते है। दूसरी ओर दवा वालों व बड़े होटल व रेस्तरां वालों से कोई बार्गेनिंग नहीं करता है।
यदि गरीब व कमजोर को थोड़े अधिक पैसे चले भी जाये तो समझना चाहिए कि धर्म का काम हो गया है। बिना मंदिर जाये भक्ति हो जाती है और जरूरतमंद की मदद हो जाती है।
विचारणीय पहलू है। जरा सोचिए व यदि ऐसा करते है तो अपनी आदत बदले। वीडियो के लिए निम्न लिंक को क्लिक करें -
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=4157123234336066&id=100001152913836
सादर
Raghuveer Prasad Meena
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