Saturday 5 June 2021

विश्व पर्यावरण दिवस 2021 : मैं स्वयं क्या कर सकता हूँ ? पर्यावरण संरक्षण हेतु माँ की तरह काम करे ना कि दाई की भांति सलाह दे।

rpmwu386 dt 05. 06. 2021 

            विश्व पर्यावरण दिवस पर बड़ा प्रश्न है कि पर्यावरण संरक्षण में मैं स्वयं क्या कर सकता हूँ ? 

पर्यावरण संरक्षण हेतु माँ की तरह काम करे ना कि दाई की भांति सलाह दे।

            विश्व पर्यावरण दिवस सन 1972 के पश्चात हर वर्ष मनाया जाता है। इस दिन पर्यावरण का महत्त्व व उसका संरक्षण मुख्य फोकस रहता है। पर्यावरण संरक्षण मनुष्य के स्वयं के अस्तित्व की आवश्यकता है। यक्ष प्रश्न है कि आख़िर पर्यावरण ख़राब क्यों होता है? पर्यावरण को बिगाड़ने में जानवरों व पशु पक्षियों का कोई हाथ नहीं है, केवल मनुष्य ही उसकी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्तिओं के लिए अनेकों उत्पादों के उत्पादन व सेवाओं के संचालन हेतु ऊर्जा का उपयोग करता है और इसी क्रम में पर्यावरण ख़राब होता है। हमारे देश में वर्ष 2017 के आंकड़ों के मुताबिक लगभग 70% ऊर्जा की आवश्यकता की आपूर्ती कोयले एवं पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स से होती है। शेष 30% ऊर्जा की आपूर्ति बायोफुएल, नेचुरल गैस, हाइड्रो, सोलर, विंड, न्यूक्लेयर इत्यादि संसाधनों से होती है। कोयले एवं पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स में अधिकांशतय: कार्बन होता है जो कि एक बहुल लम्बे कालांतर में ज़मीन के अंदर प्राकृतिक कारणों से दफ़ना हुआ है। ऊर्जा के इन स्त्रोतों से ऊर्जा प्राप्त करने हेतु कोयले एवं पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स (डीजल, पेट्रोल एटीफ इत्यादि) को ज़मीन से बाहर निकलकर उनका ट्रांसपोर्टेशन कर उन्हें जलाना होता है ताकि उत्पन्न ऊर्जा से विभिन्न प्रकारों के उत्पाद व सेवाओं उत्पादन/संचालन हो सके। किसी भी भोग विलास या आजकल तो अधिकांश को आवश्यकता कह सकते है, की वस्तुओं में काम आने वाले उत्पादों यथा बिजली, स्टील, सीमेंट, रोड व हाईवे कंस्ट्रक्शन, काम आने की शेप में पत्थर, मोबाइल्स, टेलीविज़न, कम्प्यूटर्स , पेपर, इलेट्रॉनिक आइटम्स, ग्लास, कपड़े, बड़े पैमाने पर खाने की वस्तुएं इत्यादि को बनाने के लिए ऊर्जा अर्थात बिजली या हीट की आवश्यकता होती है जो कि अधिकांशतय कोयले एवं पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स के प्रयोग से उत्पादित होती है। परन्तु इसी के साथ यह भी जान लेना आवश्यक है कि 1 लीटर डीजल की खपत से 2.86 किलोग्राम तथा 1000 यूनिट बिजली के उत्पादन में 0.82 टन कार्बनडाइऑक्सइड का क्रमशः वातावरण में विसर्जन होता है जो कि पर्यावरण के प्राकृतिक संतुलन को ख़राब करती है। 

            सयुंक्त राष्ट्र संघ, अन्तर्रष्ट्रीय एवं राष्ट्रिय स्तर पर सभी देश आपस में तय मापदंडों के अनुसार पर्यावरण संरक्षण की दिशा को ध्यान में रखकर विकास कार्य करते रहते है। हमारे देश की भी लगातार कोशिश है कि ऊर्जा के अक्षय स्त्रोतों का अधिकाधिक प्रयोग करें। अक्षय स्त्रोतों जैसे हाइड्रो, सोलर, विंड, न्यूक्लेयर इत्यादि से बिजली उत्पादन को राष्ट्रिय स्तर पर विशेष महत्व दिया जा रहा है ताकि कार्बनडाइऑक्सइड का उत्सर्जन कम हो और पर्यावरण शुद्ध रहें। साथ ही सरकार ऐसे उत्पादों पर विशेष प्रोत्साहन देती है जिनके उत्पादन व प्रयोग में कम ऊर्जा खर्च हो। परन्तु कुछ देश ऐसे है जो पर्यावरण ख़राब होने को महसूस तो करते है परन्तु स्वयं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कम काम करते है, केवल चिंता व्यक्त करते है और दूसरों को पर्यावरण संरक्षण सलाह देते रहते है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए वास्तव में काम करने वालों एवं केवल सलाह देने वालों में बच्चा होते समय माँ के द्वारा की जाने वाली कोशिश और दर्द एवं दाई द्वारा महसूस दर्द व सलाह के सामान अंतर होता है।       

             सयुंक्त राष्ट्र संघ, विभिन्न देश, प्रदेश, शासन, प्रशासन पर्यावरण संरक्षण हेतु अपने अपने स्तर पर कार्य करते है। उन्हें करने दिया जाये, प्रोत्साहित करें और उनका सहयोग करें। हम स्वयं भी अपनी डिमांड सीमित रखकर, रहने के तरीकों को सरल बनाकर पर्यावरण संरक्षण व सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए निम्न प्रकार से अहम रोल अदा कर सकते है। 

               1. आदिवासी अर्थात स्वदेशी लोग (indigenous People) दुनिया की सतह क्षेत्र के एक चौथाई (1/4th , 25%) हिस्से पर रहते है परन्तु वे दुनिया की 80 % बची हुई जैव विविधता की रक्षा करते हैं। उनसे जीवन को कैसे सादा रखा जाये यह सीखा जा सकता है। अपनी आवश्यकताओं को नियंत्रित करके वस्तुओं व सेवाओं के सीमित उपयोग/उपभोग से ऊर्जा की आवश्यकता को परोक्ष रूप से कम कर कोयले एवं पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की खपत को कम करने में सहयोग कर सकते है।

                2. जरूरत से ज्यादा मैटेरियल लगने वाले समस्त डिजाइन बड़ी मात्रा में अधिक सामग्री के स्तेमाल का कारण बनते है। इसी प्रकार मशीनों व असेटस् के रखरखाव में इनएफीसियेंसी भी अधिक ईधन तेल, ल्यूब आयल व अन्य मदों की बेवजह खपत का कारण होती है। अतः डिजाइन व मेन्टेनेंस से सम्बन्धित व्यक्ति उनके कार्यो को सही निष्पादित करके मदों की खपत कम करने में अहम रोल अदा कर पर्यावरण संरक्षण में विशेष सहयोग कर सकते है। 

               3. चीजों के उपयोग को रेडूस (कम), रीयूज (दुबारा उपयोग), रीसायकल (दूसरी चीज़ बनाने में उपयोग) करें।


                   4. पेपर नैपकिन्स को बनाने में बहुत अधिक संख्यां में पेड़ काटे जाते है। उनका कम से कम उपयोग करें। 

                   5.  बिजली व डीजल/पैट्रोल की खपत में मितव्यता बरते। 

                   6.  प्लास्टिक के कैरी बैग्स का कम से कम उपयोग करें। 

                   7. अधिक से अधिक अधिक संख्यां में पेड़ लगाएँ।  

                 पर्यावरण के संरक्षण के लिए वास्तव में सलाह से ज्यादा काम करें। पर्यावरण संरक्षण हेतु माँ की तरह काम करे ना कि दाई की भांति सलाह दे।

रघुवीर प्रसाद मीना 







            

3 comments:

  1. आदिवासियों को विस्थापित कर आधुनिक उद्योगिकीकरण की अंधी दौड़ पर्यावरण को दूषित कर रही हैं।

    आज लाखो पेड़ काटे जाते है
    उनकी ज़गह पर सिर्फ़ पेपरों में खानापूर्ति की जाती हैं।

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  2. आदिवासियों को विस्थापित कर आधुनिक उद्योगिकीकरण की अंधी दौड़ पर्यावरण को दूषित कर रही हैं।

    आज लाखो पेड़ काटे जाते है
    उनकी ज़गह पर सिर्फ़ पेपरों में खानापूर्ति की जाती हैं।

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  3. शानदार और इनफॉर्मेटिव

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Thank you for reading and commenting.