rpmwu396 dt. 08.06.2021
#defectivesoftware वास्तव में हमारे देश के अधिकांश लोगों की सोफ्टवेयर में #जाति बहुत ही भयंकर तरह से चिपकी हुई है। यह मनुष्य के सॉफ्टवेयर में वायरस की भांति है। विचार करके सोचे तो इसमें लोगों का स्वयं का ज्यादा दोष भी नहीं है। क्योंकि बचपन की परवरिश व सरकारी दस्तावेजों की आवश्यकताओं ने ही नागरिकों को ऐसा बना दिया है। पहले तो जाति के आधार पर पीने के पानी को हाथ लगाना या नहीं लगाना, क्लास में अन्दर बैठना या बाहर बैठना इत्यादि तय होते थे। थाने में आरोपी की जाति देखकर ही अनुमान लगा लेते थे कि वह सही है या गलग और तदनुसार ही उसके साथ आगे की कार्रवाई होती थी।
सरकार को चाहिए कि जाति लिखने की आवश्यकता को जल्दी से जल्दी समाप्त करें। जब व्यक्ति वयस्क हो जाता है तो उसको स्वयं भी जाति-धर्म से ऊपर उठकर तर्कसंगत तरीके से सोचना व आचरण करना चाहिए।
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