All the able persons in the world need to make lives of the poor and downtrodden better with human dignity by innovative thinking, planning and execution.शारीरिक रूप से मजबूत को कमजोर की, अधिक बुद्धिमान को कम बुद्धिमान की और धनवान को गरीब की मदद करना ही मानवता है।
Saturday, 18 December 2021
बच्चे बोलते समय बातें व विचारों को फिल्टर नहीं करते है। परन्तु बड़े होने पर हम फिल्टर करना सीख जाते है और कई लोगों की सोफ्टवेयर के फिल्टर में ज्यादा अवांछनीय अवयवों के जमा हो जाने से वे परेशान हो जाते है। अत: बैलेंस करें।
परेशानियां व्यक्ति की सोच का हीट ट्रीटमेंट करती है और नुकसान होने को एमबीए की फीस समझने से व्यक्ति खराब समय में भी प्रसन्न रह सकता है।
Tuesday, 14 December 2021
फूल के पेड़ों से सीखें - थोड़ा बहुत ही अनुकूलित वातावरण मिलने पर तुरंत सुंदरता बिखेकर कर मन मोहने लग जाते है।
Friday, 3 December 2021
संसाधन के एफिशियेंट उपयोग के लिए ईंधन (फ्यूल) की मात्रा को बैलेंस करना आवश्यक है। रिन्यूएबल एनर्जी का ज्यादा उपयोग हो न कि पेट्रोलियम ईंधन का।
Saturday, 13 November 2021
फिल्टर से सीख : प्रभावी बनें
Tuesday, 9 November 2021
योग्यताओं का उपयोग करें अन्यथा आप ऐसा नहीं करने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।
Wednesday, 27 October 2021
किसान व उपभोक्ता दोनों का दोहन - हम सभी पर बोझ। आखिर कौन करेगा ईलाज?
#UrgentAction देश में किसान या अन्य चीजों के उत्पादकों व उपभोक्ता दोनों के बीच रेटस् का भारी डिफरेंस उत्पन्न करने वाले मुख्य रूप से "ट्रेडर्स" ही है। ट्रेडर्स उत्पाद की वास्तविक गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं करते है। ट्रेडर्स उत्पाद की भिन्न भिन्न मात्राओं में अच्छी पैकेजिंग करते है और जगह जगह उत्पाद को उपलब्ध करवाते है। उनका काम भी महत्वपूर्ण है परन्तु उनके द्वारा किसान या उत्पादक एवं उपभोक्ता के बीच दरों में किया गया अंतर सामान्यतः बहुत भारी हो जाता है।
उक्त कथन को एक साधारण उदाहरण के माध्यम से हम आसानी से समझ सकते है। जब कोई किसान बाजार में टमाटर या भिंडी या मटर या प्याज या आलू या अन्य कोई सब्जी बेचने जाता है तो जैसे ही आढ़तियां उनके सामान पर हाथ लगाते है तो वे उनके केवल उनके प्रॉफिट मार्जिन को किसान को मिली कुल कीमत से ज्यादा कर लेते है। किसान को मिलने वाली कीमत में फसल को तैयार करने अर्थात जोतने, बोने, बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई, रखवाली, मजदूरी, ट्रांसपोर्ट का कुल खर्चा भी शामिल होता है जबकि सामान्यतः आढ़तियों का खर्चा दुकान का बिजली का बिल व स्टाफ की सैलरी रहते है। आढ़तियां के पश्चात सब्जी, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं व कॉलोनियों में ठेले वालों के माध्यम से उपभोक्ताओं को पहुंचती है और हर स्तर पर उसमें रेट का इजाफा होता रहता है।
दवाईयों के मामले में तो ट्रेडर्स का मार्जिन भयंकर है एवं देश के अनेक नागरिक तो दवाईयों की कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई कीमतों के कारण ईलाज ही नहीं करवा पाते है और परेशान होते रहते है व मर भी जाते है।
अब हम उत्पादक या किसान एवं उपभोक्ता दोनों की नजरों से चीजों को देखें तो हमें पता चलता है कि कमाई तो ट्रेडर्स ही कर रहे है।
इस स्थिति से निपटने के लिए व्यक्तिगत, सामाजिक व सरकारी स्तरों पर ठोस कार्यवाही की जरूरत है जैसे -
1. सब्जीमंडियों व कृषिमंड़ियों में आढ़तियों की दादागीरी को कम करने हेतु किये जा रहे प्रयासों का समर्थन करें।
2. किसान परिवारों से आने वाले पढ़े-लिखे युवाओं को समझने की आवश्यकता है कि खेती करने या सब्जी उगाने से ज्यादा प्रॉफिट मार्जिन उन्हें ग्राहकों तक पहुंचाने में है अतः खेत से ग्राहक तक सामान पहुंचाने के समस्त कार्यों में आगे आए।
3. दवाइयों की एमआरपी निर्धारित करते समय और गंभीर नियंत्रण की आवश्यकता है ताकि दवाइयों के एमआरपी सही निर्धारित हो।
4. सब्जी मंडियों में भी आढ़तियों के मार्जिन को निर्धारित कर दिया जाना चाहिए।
5. सरकार की इस सम्बन्ध में बनाई गई नीतियों का लाभ लें। किसान रेल में किराये में 50% की छूट का लाभ ले और उत्पाद को सही दर पर बेचने का प्रयास करें।
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
Sunday, 24 October 2021
व्यक्ति के शरीर व सोच_विचारों पर स्वयं का कितना नियंत्रण होता है? वह क्या बेहतर कर सकता है? सभी को यह समझने की जरूरत है। धर्म, जाति, समुदाय या रेस के आधार पर भेदभाव नहीं करें।
Life_lesson व्यक्ति का किसी धर्म, जाति, समुदाय, रेस, गरीब, अमीर, देश या भौगोलिक स्थिति में जन्म लेना एक नेचुरल प्रक्रिया है। इस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है।
व्यक्ति की हार्डवेयर (शारीरिक बनावट व संरचना) उसके माँ बाप के जीन्स, उनकी हेल्थ, रेस व भौगोलिक स्थिति पर विशेष रूप से निर्भर करती है।
व्यक्ति की सोफ्टवेयर (सोच व विचार) उसके बचपन के दौरान पालन पोषण के वातावरण, धर्म, जाति, समुदाय की परंपराओं से बेहद प्रभावित होती है। जैसे माहौल में वह बड़ा होता है वैसा ही बन जाता है। इस प्रकार सोच व विचारों के विकसित होने में भी उसका स्वयं का कोई खास योगदान नहीं रहता है।
और बेहतर तरीके से समझने के लिए एक उदाहरण लेते है कि यदि जन्म लेने के पश्चात 2 बच्चे अस्पताल में आपस में बदल जाते है तो क्या होता है? पहला बच्चा मान लीजिए हिंदू दंपत्ति का है और दूसरा बच्चा मुसलमान दंपत्ति का है। जब वे बड़े होते हैं तो उनके #शरीर तो उनके मां-बाप के डीएनए पर निर्भर करेगा परंतु उनके सोच_विचार उनके बड़े होने पर जो पालन-पोषण हुआ है उसके वातावरण पर के अनुसार विकसित होंगे। जो बच्चा बायलॉजी हिंदू दंपत्ति का है वह अल्लाह अल्लाह कहेेगा और जो बच्चा मुस्लिम दंपत्ति है वह राम-राम कहनेे लगेगा।
उक्त से स्पष्ट है कि व्यक्ति का स्वयं का उसकी शारीरिक संरचना एवं सोच विचारों पर बहुत विशेष नियंत्रण नहीं है। हालांकि व्यक्ति बड़े होने पर स्वयं भी कुछ हद तक सही खानपान, संयम, योगा व जिम से हार्डवेयर यानि शरीर की देखभाल कर सकता है। इसी प्रकार शिक्षा व अच्छे लोगों की संगत और आत्ममंथन से व्यक्ति अपनी सोफ्टवेयर यानि सोच व विचारों को तर्कसंगत बना सकता है।
आज आवश्यकता है कि देश का हर नागरिक इस बात को समझे कि साधारणतया व्यक्ति के सोच विचारों पर उसका बहुत ज्यादा नियंत्रण नहीं रहा है वे उसके पालन-पोषण के दौरान जो वातावरण मिला है उससे विकसित हुए है। अतः किसी धर्म, जाति, समुदाय या मान्यताओं को मानने वाले व्यक्ति के विरुद्ध बहुत खराब या अच्छा सोचने का निर्णय करने से पहले उक्त पहलुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
जरूरत है कि वयस्क होने पर सभी नागरिक तर्कसंगत सोच (सोफ्टवेयर) विकसित करें और सभी के कल्याण और उन्नति की कामना करें। बेवजह धर्म, जाति, समुदाय या रेस के आधार पर एक दूसरे को ऊंचा नीचा या अच्छा बुरा नहीं समझे।
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
Friday, 22 October 2021
वैल्यू (Value)
व्यक्ति की पर्सनालिटी को पहचानने का साधारण परन्तु महत्वपूर्ण टेस्ट।
Thursday, 21 October 2021
सही व्यक्ति : गलत व्यक्ति (RIGHT PERSON : WRONG PERSON)
निर्धारण सभी को स्वयं को ही करना है कि वह सही व्यक्ति है अथवा गलत। यदि गलत है तो अपनी सॉफ्टवेयर को ठीक करके उचित राह पर चलकर सही व्यक्ति बनें।
Wednesday, 20 October 2021
क्या मनुष्य भगवान का संरक्षक है?
Saturday, 9 October 2021
वित्तीय औचित्य के सिद्धांत
Wednesday, 6 October 2021
Diesel and Electrical Traction
Sunday, 22 August 2021
रक्षाबंधन व हमारे कर्तव्य।
Friday, 20 August 2021
महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए सभी को सकारात्मक पहल करने की जरूरत है।
#rightsofwomen
#Software की जीवन में अति महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। तालिबान के लोगों की हार्डवेयर (शारीरिक बनावट) सामान्यतः जोरदार रहती है। परन्तु उनके दिमाग की सोफ्टवेयर, धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण #DAP के कारण वायरसों से भयंकर रूप से ग्रसित है। #DAP व बचपन के परवरिश के माहौल की वजह से हर धर्म में बहुत सारे लोगों के मष्तिष्क की सोफ्टवेयर अलग तरह की विकसित हो जाती है। उस धर्म विशेष के लोगों की ही ज्यादा जिम्मेदारी बनती है कि वे देखें कि उनकी जनरेशनस् किस दिशा में जा रही है? कब तक पुरानी रुढ़िवादी रीति रिवाजों को ढ़ोते रहना है? समयानुसार बदलाव करना जरूरी है, नहीं तो चीजें जड़ हो जायेगी।
अनेकों देशों में पहले महिलाओं को वोट देने एवं पढ़ने का अधिकार नहीं होता था, जिसे समय के अनुसार बदल दिया गया और महिलाओं को वोट देने और पढ़ने का बराबर का अधिकार प्रदान कर दिया है। इसी प्रकार महिलाओं के श्रम का वेतन पुरुषों की तुलना में कम होता था, सरकारें इस ओर भी लगातार प्रयासरत है कि महिलाओं को बराबर वेतन मिले। सरकार में बराबर भागीदारी के बारे में भी विचार किया जा रहा है।
हिन्दू धर्म में महिलाओं के लिए पूर्व में सती प्रथा, विधवाओं के केश मुंडन, विधवाओं द्वारा पुन:विवाह नहीं करना, महिलाओं को पढ़ने नहीं देना, कम उम्र में माँ बनना, देवदासी बनना जैसी विकृतियां थी, जिन्हें समय के साथ बदल दिया गया और रीति रिवाजों को सही कर लिया गया है।
संसार में हर व्यक्ति की माँ महिला ही होती है। वह महिला के गर्भ से ही जन्म लेता है। उसकी बहने, उसकी पत्नी व उसकी बेटियां भी महिलाएं होती है। फिर भी यदि #DAP के कारण महिलाओं के साथ अत्याचार करें तो यह कैसी अमानवीय सोच है? यदि ऐसा धार्मिक मान्यताओं या रूढ़िवादी रीति-रिवाजों की वजह से हो रहा है तो उन मान्यताओं व रीति-रिवाजों को बदल देने की आवश्यकता है। आखिरकार कब तक पुराने ढ़र्रे पर चलकर पुरूष उसके स्वार्थ हेतु महिलाओं के साथ अत्याचार करता रहेगा?
आवश्यकता है कि जिस भी धर्म या समुदाय में महिलाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है उसके प्रबुद्धजनों को आगे आकर समाज में लोगों की विचारधारा को बदलने हेतु ठोस व बोल्ड पहल करनी होगी।
दूसरे सभी समझदार पुरूषों व महिलाओं और मीडिया तथा सरकारों एवं संगठनों/संस्थाओं को भी इस विषय में महिलाओं के प्रति होने वाले अत्याचारों से निजात दिलाने में हरसंभव सहयोग करने की आवश्यकता है।
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
Tuesday, 17 August 2021
सामाजिक तौर पर ईमानदार (Socially Honest) बनने की जरूरत है।
Sunday, 15 August 2021
75 वां स्वतंत्रता दिवस : 15 अगस्त 2021
Thursday, 12 August 2021
व्यक्तित्व : मधुमक्खी की तरह सकारात्मक या मख्खी की भांति नकारात्मक।
Monday, 9 August 2021
9 अगस्त 2021 : अंतरराष्ट्रीय विश्व आदिवासी दिवस
एट्रोसिटीज > 6500 प्रति वर्ष | बीपीएल : ग्रामीण 45.3% श. 24.1% | कोई एसेट नहीं : 37.3% |
खेती की आय के घर : 38% | मैन्युअल कैज़ुअल लेबर : 51.36% | भूमिहीन घर : 35.62% |
सरकरी सेवा से आय वाले घर : 4.38% | घर में सबसे ज्यादा कमाने वाले की आय रु. 5000 से कम : 86.57% | सिंचित भूमि वाले घर : 18.10% |
साक्षरता दर : पु. 68.5% म. 49.4% | ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो : एलीमेंट्री (6 से 13 वर्ष) : 103.3 उच्च शिक्षा : 15.4 | ड्रॉप आउट दर : कक्षा 1 से 10 तक : 62.4% |
घर : अच्छे 40.6%, रहने योग्य 53% व ख़राब 6.4% | पीने का पानी : नल, केवल 24.4 घरों में, घरों के बाहर 47.7 %, दूर 33.6% | बिजली : 51.7% घरों में |
नाहने की सुविधा : 31% | ड्रेन कनेक्टिविटी : 23% | शौचालय : 23% |
किचन : 53.7% | खाने पकाने के लिए गैस : 9 % | स्कूटर/मो.साईकल : 9% |
कार : 1.6% | साईकल : 36.4% | रेडियो/ट्रांजिस्टर : 14.2% |
टेलीफोन : 34.8% | टेलीविज़न : 21.9% | कंप्यूटर/लैपटॉप : 5.2% |
खून की कमी महिलाएं : 59.8% | शिशु मृत्यु दर : 44.4 | 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर : 57.2 |
5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की कुपोषण की स्थिति : 43.8% रुकी हुई वृद्धि, कमज़ोर 27.4%, कम वज़न 45.3% | ||
जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) : इंडिजेनस लोगों की जीवन प्रत्याशा दुनिया भर में गैर-स्वदेशी लोगों की जीवन प्रत्याशा की तुलना में 20 वर्ष कम है। | ||
कमज़ोर स्वास्थ्य सेवाएं : आदिवासी क्षेत्रों में अस्पताल, डॉ, नर्स व स्टॉफ और उपकरणों की भारी कमी और भयंकर अनुशासनहीनता। |