rpmwu428 dt. 22.08.2021
#HappyRakshaBandhan
सभी को रक्षा बंधन के पर्व पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहने भाईयों को राखी बांधकर उनके मंगल एवं दीर्घायु की कामना करती है। भाई इस अवसर पर बहनों को उपहार देते है।
हमारी संस्कृति में कहने को तो बहनों को बराबरी का दर्जा था। जबकि वास्तविकता में ऐसा था नहीं। पहले तो लड़कियों पढ़ाया ही नहीं जाता था, अभाव के कारण खानपान में भी भेदभाव हुआ करता था और छोटी उम्र में शादी कर दी जाती थी। परन्तु अब निश्चित रूप से बालिकाओं की पढ़ाई, खानपान में भेदभाव एवं उनके हकों व अधिकारों में सुधार हुआ है। लड़के लड़की में भेद करना समाप्त तो नहीं कम जरुर हुआ है। चीजें लगातार सुधर रही है। यह प्रसन्नता की बात है।
बहनें बड़ी होकर माँ बनती है, बच्चों को जन्म देती है और वे बच्चे हमारे देश के नागरिक बनते है। माँ व बच्चे दोनों का स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। परन्तु संलग्न अखबार की रिपोर्ट से देख सकते है कि वास्तविकता क्या है? हमारे देश में महिलाएं की बड़ी संख्या एनेमिक (खून की कमी वाली) है। विटामिन डी की कमी है। कैल्शियम की कमी से ग्रसित रहती है। ऐसे में उन्हें स्वयं व बच्चे दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
रक्षाबंधन के इस पावन पर्व पर हमें निश्चय करना चाहिए कि -
1. अपनी बहन के समान ही दूसरे सभी की बहनें है। उनका सम्मान करें।
2. लड़कियों के शरीर की बनावट लड़कों के शरीर की बनावट से बहुत भिन्न होती है। बड़ी होने पर प्रत्येक माह उनमें खून की क्षति होती है। शादी के पश्चात गर्भ धारण होने के उपरांत बच्चा 9 माह तक गर्भ में ही पलता है। जन्म के बाद माँ बच्चे को स्तनपान करवाती है। अत: बचपन से ही लड़कियों की सेहत पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
3. माँ बाप को लड़के व लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए। यदि करें को लड़की के पक्ष में ही करें क्योंकि व्यक्तिगत तौर पर मानवता की कड़ी को आगे बढ़ाने में माँ के रूप में लड़कियों की ही ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
4. धार्मिक विश्वास का दुरुपयोग करके महिलाओं पर प्रतिबंध लगाना जायज नहीं है। यदि गलत रीति रिवाज है तो उनको बदल देने की जरूरत है।
5. लडकियों को स्वयं को भी उनके अस्तित्व व स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। एक दूसरे की मदद करें। नाजुकता की सोच से बाहर आये, अच्छा खायें, स्वास्थ्य पर ध्यान दे। पढ़ाई करें और आगे बढ़े।
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
बहुत अच्छा सन्देश है
ReplyDeleteहमारे यँहा बेटियों को अच्छा खानापीना दिया जाता था यह सोच कर की दूसरे के घर अच्छा मिले ना मिले हमारे यँहा उसे अच्छा मिलना ही चाहिये ।
यह भावना हर परिवार में होनी चाहिए
बिलकुल सर सहमत
Deleteजी सर बिलकुल धीरे धीरे सुधार हो रहा है,लड़कियो को अब पहले की तरह भेदभाव में कमी आई है और शादी भी 18 साल के बाद ही करते हैं । शिक्षा में भी शुधार हुआ है लेकिन अभी आदिवासी क्षैत्रो में शिक्षा व्याबस्था उतनी दुरूस्त नहीं है जितनी होनी चाहिए । किसी किसी गांव में तो मूलभूत आवश्यकताऐ ही नहीं है। बच्चियों को दूसरे गांव नदी नाले पार कर स्कूल जाना पडाता है,किसी अनहोनी कि बजय से अभिभावक आगे पढ़ाई नहीं करवाते है।
ReplyDeleteGood evening sir
ReplyDeleteआपकी बात सोलह आना सच है और इसमें बेहतर सुधार के लिए, पुरुष प्रधान समाज में, पुरूषों को आगे आना चाहिए l और ल़डकियों और महिलाओं को अपने अधिकार को जिम्मेदारी के साथ ग्रहण करना चाहिए l
लखन लाल मीना
लड़कियां आज़ भी काफ़ी पीछे है... लेख अच्छा है
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