#UrgentAction देश में किसान या अन्य चीजों के उत्पादकों व उपभोक्ता दोनों के बीच रेटस् का भारी डिफरेंस उत्पन्न करने वाले मुख्य रूप से "ट्रेडर्स" ही है। ट्रेडर्स उत्पाद की वास्तविक गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं करते है। ट्रेडर्स उत्पाद की भिन्न भिन्न मात्राओं में अच्छी पैकेजिंग करते है और जगह जगह उत्पाद को उपलब्ध करवाते है। उनका काम भी महत्वपूर्ण है परन्तु उनके द्वारा किसान या उत्पादक एवं उपभोक्ता के बीच दरों में किया गया अंतर सामान्यतः बहुत भारी हो जाता है।
उक्त कथन को एक साधारण उदाहरण के माध्यम से हम आसानी से समझ सकते है। जब कोई किसान बाजार में टमाटर या भिंडी या मटर या प्याज या आलू या अन्य कोई सब्जी बेचने जाता है तो जैसे ही आढ़तियां उनके सामान पर हाथ लगाते है तो वे उनके केवल उनके प्रॉफिट मार्जिन को किसान को मिली कुल कीमत से ज्यादा कर लेते है। किसान को मिलने वाली कीमत में फसल को तैयार करने अर्थात जोतने, बोने, बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई, रखवाली, मजदूरी, ट्रांसपोर्ट का कुल खर्चा भी शामिल होता है जबकि सामान्यतः आढ़तियों का खर्चा दुकान का बिजली का बिल व स्टाफ की सैलरी रहते है। आढ़तियां के पश्चात सब्जी, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं व कॉलोनियों में ठेले वालों के माध्यम से उपभोक्ताओं को पहुंचती है और हर स्तर पर उसमें रेट का इजाफा होता रहता है।
दवाईयों के मामले में तो ट्रेडर्स का मार्जिन भयंकर है एवं देश के अनेक नागरिक तो दवाईयों की कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई कीमतों के कारण ईलाज ही नहीं करवा पाते है और परेशान होते रहते है व मर भी जाते है।
अब हम उत्पादक या किसान एवं उपभोक्ता दोनों की नजरों से चीजों को देखें तो हमें पता चलता है कि कमाई तो ट्रेडर्स ही कर रहे है।
इस स्थिति से निपटने के लिए व्यक्तिगत, सामाजिक व सरकारी स्तरों पर ठोस कार्यवाही की जरूरत है जैसे -
1. सब्जीमंडियों व कृषिमंड़ियों में आढ़तियों की दादागीरी को कम करने हेतु किये जा रहे प्रयासों का समर्थन करें।
2. किसान परिवारों से आने वाले पढ़े-लिखे युवाओं को समझने की आवश्यकता है कि खेती करने या सब्जी उगाने से ज्यादा प्रॉफिट मार्जिन उन्हें ग्राहकों तक पहुंचाने में है अतः खेत से ग्राहक तक सामान पहुंचाने के समस्त कार्यों में आगे आए।
3. दवाइयों की एमआरपी निर्धारित करते समय और गंभीर नियंत्रण की आवश्यकता है ताकि दवाइयों के एमआरपी सही निर्धारित हो।
4. सब्जी मंडियों में भी आढ़तियों के मार्जिन को निर्धारित कर दिया जाना चाहिए।
5. सरकार की इस सम्बन्ध में बनाई गई नीतियों का लाभ लें। किसान रेल में किराये में 50% की छूट का लाभ ले और उत्पाद को सही दर पर बेचने का प्रयास करें।
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
No comments:
Post a Comment
Thank you for reading and commenting.