rpmwu427 dt. 17.08.2021
#socialcorruption हमारे देश में आर्थिक भ्रष्टाचार (financial corruption) से कहीं ज्यादा सामाजिक भ्रष्टाचार (social corruption) है। अधिकांश लोग दोगले (hypocrite) है। कहते कुछ है और करते कुछ और ही है। कथनी व करनी में बड़ा अन्तर रहता है। मुंह पर कुछ बात करते है और पीठ पीछे कुछ और। ऐसे लोग समाज व देश की उन्नति में बड़ी बाधा है।
दोगले लोगों के साथ जो लोग जाति, धर्म, समुदाय व विचारधारा के आधार पर भेदभाव करते है, दूसरों को तंग करते है, उन सभी को सामाजिक भ्रष्ट (#socially_corrupt) लोगों की संज्ञा दी जा सकती है। उनके दिमाग के सोफ्टवेयर में वायरस है।
यदि वास्तव में हम देश की उन्नति चाहते है तो हमें #socially_honest होना पड़ेगा। Hypocrisy छोड़नी होगी। सही बात को स्पष्ट कहने का साहस जागृत करना होगा। आवश्यकता है कि जाति, धर्म, समुदाय व विचारधारा के आधार दूसरों के प्रति दुर्भावना नहीं रखें, सभी के प्रति सुविचार एवं सद्भावना रखें।
यह बात विचारणीय है कि एक तो व्यक्ति का जन्म उसके हाथ में नहीं है। और उससे भी बड़ी बात यह है कि जन्म लेने के पश्चात यदि किसी बच्चे की दूसरे धर्म या जाति या समुदाय के बच्चे के साथ अदला-बदली हो जाये तो बड़े होने पर उसके मष्तिष्क की सोफ्टवेयर उसके बचपन के पालन पोषण व सामाजिक माहौल के आधार पर विकसित होती है, उस पर भी उसका कोई नियंत्रण नहीं है। फिर क्यों बेवजह व्यक्ति को दूसरों के विरूध्द जाति, धर्म, समुदाय व विचारधारा के आधार दुर्भावना रखनी चाहिए?
आवश्यकता है कि सभी उक्त वस्तुस्थिति को समझे व #socially_honest बने।
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
आप की बात से सहमत हूँ सर बस समय समय पर मार्ग दर्शन करते रहे! बाकी नियति पर छोड दे!
ReplyDeleteजोहार
ReplyDeleteसामाजिक भृष्टाचार ही मानवता का सबसे बड़ा शत्रु हैं आज का ज्यादातर इंसान इस मे लिप्त है... मेरे ख्याल से इंसान की इंसान के अलावा कोई धार्मिक या जातीगत पहचान न हो यही सबसे बड़ा धर्म कर्म ओर पूजा है..शंकर लकबाड
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