Life_lesson व्यक्ति का किसी धर्म, जाति, समुदाय, रेस, गरीब, अमीर, देश या भौगोलिक स्थिति में जन्म लेना एक नेचुरल प्रक्रिया है। इस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है।
व्यक्ति की हार्डवेयर (शारीरिक बनावट व संरचना) उसके माँ बाप के जीन्स, उनकी हेल्थ, रेस व भौगोलिक स्थिति पर विशेष रूप से निर्भर करती है।
व्यक्ति की सोफ्टवेयर (सोच व विचार) उसके बचपन के दौरान पालन पोषण के वातावरण, धर्म, जाति, समुदाय की परंपराओं से बेहद प्रभावित होती है। जैसे माहौल में वह बड़ा होता है वैसा ही बन जाता है। इस प्रकार सोच व विचारों के विकसित होने में भी उसका स्वयं का कोई खास योगदान नहीं रहता है।
और बेहतर तरीके से समझने के लिए एक उदाहरण लेते है कि यदि जन्म लेने के पश्चात 2 बच्चे अस्पताल में आपस में बदल जाते है तो क्या होता है? पहला बच्चा मान लीजिए हिंदू दंपत्ति का है और दूसरा बच्चा मुसलमान दंपत्ति का है। जब वे बड़े होते हैं तो उनके #शरीर तो उनके मां-बाप के डीएनए पर निर्भर करेगा परंतु उनके सोच_विचार उनके बड़े होने पर जो पालन-पोषण हुआ है उसके वातावरण पर के अनुसार विकसित होंगे। जो बच्चा बायलॉजी हिंदू दंपत्ति का है वह अल्लाह अल्लाह कहेेगा और जो बच्चा मुस्लिम दंपत्ति है वह राम-राम कहनेे लगेगा।
उक्त से स्पष्ट है कि व्यक्ति का स्वयं का उसकी शारीरिक संरचना एवं सोच विचारों पर बहुत विशेष नियंत्रण नहीं है। हालांकि व्यक्ति बड़े होने पर स्वयं भी कुछ हद तक सही खानपान, संयम, योगा व जिम से हार्डवेयर यानि शरीर की देखभाल कर सकता है। इसी प्रकार शिक्षा व अच्छे लोगों की संगत और आत्ममंथन से व्यक्ति अपनी सोफ्टवेयर यानि सोच व विचारों को तर्कसंगत बना सकता है।
आज आवश्यकता है कि देश का हर नागरिक इस बात को समझे कि साधारणतया व्यक्ति के सोच विचारों पर उसका बहुत ज्यादा नियंत्रण नहीं रहा है वे उसके पालन-पोषण के दौरान जो वातावरण मिला है उससे विकसित हुए है। अतः किसी धर्म, जाति, समुदाय या मान्यताओं को मानने वाले व्यक्ति के विरुद्ध बहुत खराब या अच्छा सोचने का निर्णय करने से पहले उक्त पहलुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
जरूरत है कि वयस्क होने पर सभी नागरिक तर्कसंगत सोच (सोफ्टवेयर) विकसित करें और सभी के कल्याण और उन्नति की कामना करें। बेवजह धर्म, जाति, समुदाय या रेस के आधार पर एक दूसरे को ऊंचा नीचा या अच्छा बुरा नहीं समझे।
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
Very nice post sir ji
ReplyDeleteसर आप हमेशा तर्कसंगत और मानवीय सोच को ध्यान में रख कर पोस्ट करते है,वाकई बेहतरीन और अदभुत है अगर कोई इन पर 10% भी अमल करे तो समाज मे बहुत बड़ा बदलाव हो सकता है और आज समाज को इस बदलाव की जरूरत भी है।।👌👌🙏🏻🙏🏻
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