rpmwu439 dt. 03.12.2021
यातायात के हर संसाधन जैसे रोकेट, एरोप्लेन, ट्रेन, ट्रक, बस, कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर, स्कूटी इत्यादि को चलने के लिए उनमें ईंधन अर्थात फ्यूल का होना बहुत आवश्यक है। संसाधनों में ईंधन की मात्रा एक निर्धारित स्तर की तय की जाती है ताकि यातायात के साधन का एफिशियेंट उपयोग हो सके। यदि ईंधन का टेंक बहुत बड़ा बना दिया जाए तो संसाधन ज्यादा देर तक तो चल सकेगा परंतु उसमें उपयोगी स्थान को कम करना पड़ेगा। यह बात बहुत ही विचारणीय व शिक्षाप्रद है।
जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में भी यह एकदम सटीक उतरती है। व्यक्ति का जीवन सार्थक व अर्थपुर्ण होना चाहिए। यदि वह खाने, पीने, सोने, सजने, संभरने इत्यादि में जरूरत से ज्यादा समय गंवा दे तो क्या होगा?
विभिन्न राजनीतिक पार्टियां रिन्यूएबल एनर्जी के तौर पर विकास, समानता, अधिकार व वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ाने के अलावा त्वरित परिणाम देने वाले पेट्रोलियम ईंधनों की भांति धर्म, जाति, समुदाय, सम्प्रदाय, रेस, धन, शराब, डर इत्यादि का भी चुनावों के दौरान प्रयोग करती है। पेट्रोलियम ईंधनों का यदि ज्यादा उपयोग किया जाएगा तो वे तात्कालिक परिणाम तो दे देंगे परन्तु दीर्घावधि में नागरिकों की सोच में प्रदुषण के कारण देश को नुकसान ही होगा।
उपरोक्त के मद्देनजर हर समझदार नागरिक को चाहिए कि वह समझे कि कौन पेट्रोलियम ईंधनों का सोच को प्रदुषित करने के लिए सबसे ज्यादा प्रयोग कर रहा है? उनसे सावधान रहे। इसी में मानवता की भलाई है।
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
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