Tuesday 12 May 2020

आत्महत्या (Suicide) कोई समाधान नहीं, बल्कि परेशानियों की जननी है।

rpmwu351 dt. 12.05.2020

अभी 2 दिन पूर्व फिर से रेलवे के एक ट्रैक मेंटेनर ने अपना जीवन त्याग दिया। भूतकाल में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है जिसमें रेलवे के ग्रुप डी स्टाफ द्वारा आत्महत्या कर ली जाती है। दूसरे लोग भी ऐसा करते है। आत्महत्या के पीछे अधिकतर व्यक्तिगत जीवन की समस्याएं रहती है एवं कभी कभार ऑफिस की प्रताड़ना भी उसका कारण बन सकती है। परंतु जो भी लोग आत्महत्या करते हैं उनके बारे में विचार करने से लगता है कि आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि जिन परेशानियों से व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है वे या तो और ज्यादा खराब हो जाएंगी अथवा उसकी आत्महत्या करने से उस व्यक्ति को कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा जिसकी प्रताड़ना से उसने आत्महत्या की है। 

मन में आत्महत्या की सोच आने वाले हर व्यक्ति को निम्न पर विचार करना चाहिए - 

1. माँ-बाप ने किन सपनों के साथ उसको जन्म दिया एवं उनकी परिस्थितियों में यथासंभव अच्छे से अच्छा पालन पोषण किया? 

2. माँ-बाप को उसका आत्महत्या करना कैसा लगेगा? वे कितने दुखी और परेशान होंगे? 

3. यदि व्यक्ति शादीशुदा है तो उसकी पत्नी/पति पर क्या गुजरेगी? यदि पुरुष है तो विचार करें कि जिसके भरोसे उसकी पत्नी अपने घर को छोड़कर आई है, क्या आत्महत्या करना उसको अकेले छोड़कर रण से भागने जैसी कायरता नहीं है? पत्नी के मन में आत्महत्या के विचार आये तो सोचना चाहिए कि उसके पति का क्या हाल होगा? 

4. यदि व्यक्ति के बच्चे हैं तो उनके जीवन के बारे में विचार करें एवं सोचे कि बच्चों के इस दुनिया में आने में मेरा भी एक अहम रोल रहा है तो उन्हें ऐसे छोड़कर ऐसे दुनिया से चला जाऊं? क्या ऐसा करना जिम्मेदारियों से भागना नहीं है? 

5. अपने भाईबहन, दोस्तों, शिक्षकों व जानकार शुभचिंतकों के बारे में भी सोचे कि मेरे इस कृत्य से वे कितने दुखी व अपसेट होंगे? 

6. एक सवाल स्वयं से करें कि आत्मा के साथ मेरा जो शरीर है यदि इसको वैज्ञानिक तरीकों से बनाया जाये तो यह कितने रूपये में बन पायेगा ? स्वयं का मूल्य पहचाने व स्वयं का आदर करें। 

7.  गहराई से विचार करें कि इस दुनिया में  कितने लोगों की मेरे से ज्यादा खराब परिस्थितियां है? 

एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जो भी व्यक्ति रेलवे अथवा सरकार के किसी विभाग में कार्य कर रहा है उसे प्राइवेट या डेली वेजेस पर कार्य करने वाले लोगों की तुलना में 3 से 5 गुना अधिक वेतन मिलता है और विभिन्न प्रकार के भत्ते व सुविधाएं भी देय होती है। सरकारी नौकरी करने वाला हर छोटे से छोटा कर्मी भारत की 80% जनसंख्या से अच्छी आर्थिक स्थिति में होने के बावजूद यदि आत्महत्या करता है तो उसका कोई औचित्य नहीं है। 


यदि कोई व्यक्ति जरूरत से अधिक परेशान करता है तो ऐसे लोगों की सिस्टम में शिकायत की जा सकती है। आज के दिन शिकायत करना बहुत ही आसान है, ट्विटर अथवा व्हाट्सएप इत्यादि के माध्यम से मिनटों में बिना पैसे खर्च किए हुए शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। परंतु हर व्यक्ति को यह सोचना चाहिए कि इस दुनिया में सहअस्तित्व जरूरी है, लोगों के साथ रहना सीखें, एक दूसरे के विचारों, भावनाओं व जिम्मेदारियों की कद्र करें। 

व्यक्ति : स्वयं अपने आप का सम्मान करें और गंभीर परेशानीयां होने पर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, निजि शुभचिंतकों तथा सामाजिक कार्यकर्तााओं से शेयर करके समाधान निकालें। यदि नौकरी करने में बहुत अधिक परेशानी हो रही है तो ऐसी स्थिति में नौकरी को छोड़कर दूसरा कोई काम कर लेना आत्महत्या करने से कई गुना बेहतर विकल्प है। यदि गंभीर प्रयासों केे बावजूद वैवाहिक जीवन साथ नहीं चल सकता है तो समझदारी से अलग अलग रहा जा सकता है। 

समाज किसी व्यक्ति पर ऐसा दबाव नहीं बनाना चाहिए जिससे कि वह आत्महत्या करने को मजबूर हो जाए। जैसे कहा जाता है कि वीणा के तार उतने ही खींचो कि वे टूट नहीं जाए, ऐसे ही किसी व्यक्ति से जो अपेक्षाएं है उन्हें उतना ही रखो कि व्यक्ति उन अपेक्षाओं को पूूरा करने के बोझ के तले आकर अपना जीवन ही नहीं त्याग दें। 

सरकार : आत्महत्या के भाव आने वाले लोगों के लिए अलग से काउंसलिंग इत्यादि की कॉन्फिडेंसियल व्यवस्था होनी चाहिए। आईटी के इस युग में उनके द्वारा दिए गए फीडबैक को सकारात्मक तरीके से उनके कल्याण के लिए उपयोग में लें। कई बार लोगों की जेन्यून परेशानी होती है उनका त्वरित निराकरण करने के उपाय सुझाये जाये ताकि आत्महत्या करने के भाव आने वाला व्यक्ति देश का अच्छा नागरिक बनकर प्रसन्नता से जीवन यापन कर सकें।

विचार करें और बहादुरी का परिचय देकर गर्व से उपयोगी जीवन जीये। 


रघुवीर प्रसाद मीना 

2 comments:

  1. बहुत ही जोशीला लेख है सर जी ।।

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Thank you for reading and commenting.