Sunday 10 May 2020

माँ को समर्पित दिन : मदर्स डे (Moder's Day)


rpmwu349 dt. 10.05.2020
मनुष्य व जीव जगत के प्रत्येक प्राणी के अस्तित्व एवं उसके पालन पोषण में माँ का अद्वितीय रोल रहता है। माँ विभिन्न प्रकार की परेशानियों को झेल कर अपनी संतान को हर सम्भव सुख देना चाहती हैं। संतान के सुखी रहने पर माँ को असीम खुशी एवं सुकून मिलता हैं। जब माँ गर्भ धारण करती है तब से ही वह अपनी संतान की हेल्थ के प्रति सजग रहना शुरु कर देती है और होने वाली संतान की अच्छी हेल्थ के लिए वह उसके जीवन की परिस्थितियों में जो भी अच्छे से अच्छा हो सके उसके लिए हरसंभव प्रयत्न करती हैं। वह संतान के उत्तम शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए यथासंभव संतुलित खाना व अच्छे आचार विचार मन में लाने की कोशिश करती हैं। संतान के उत्पन्न होने पर कई माँओं की जान चली जाती है और जो माँ सफलतापूर्वक अपने बच्चे को जन्म देती है वे अपने आप को गीले में रख कर संतान को सूखे पर लेटाती हैै। बच्चे को किसी प्रकार का कष्ट नहीं हो वह उसके लिए हर संभव प्रयास करती हैं। खुद रात में बच्चे का ध्यान रखने में नहीं सोती है और दिन में घर के काम में व्यस्त होने के कारण उसकी सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ने के बावजूद भी वह इस बात से नहीं घबराती है और बच्चे का अच्छे से अच्छा पालन पोषण करती है। जब खाना खातेे है तो माँ पहले अपने छोटे बच्चों को खिलाती है और सबसे बाद मेंं जो भी बचता है उससे खुद का काम चलाती है। जो भी इस लेख को पढ रहे है उन सबकी माँओं ने उनकेेेे लिए विभिन्न प्रकार के कष्ट व असुुविधाएं झेली हैं। व्यक्ति के बड़े होने पर माँ हमेशा चाहती है कि वह सफल बने और उसके जीवन में उसे उत्तम से उत्तम सुख सुविधाएं प्राप्त हो, माँ इस बात की हमेशा कामना करती हैं। 

कोई भी मनुष्य उसकी माँ के ऋण को तो पूरी तरह नहीं चुका सकता है परंतु जीवन में माँ को प्रसन्न रखने के लिए काफी कुछ कर सकता है। यदि व्यक्ति माँ के सपनों को साकार करें तो उसकी माँ को बहुत प्रसंता और सुख की अनुभूति होगी। व्यक्ति को कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे लोग उसकी माँ की कोख कोशे। यदि व्यक्ति उसका व्यवहार स्वयं एवं दूसरों की माँओं अथवा होने वाली माँओं के प्रति अच्छा रखें तो यह वास्तव में एक मनुष्य के लिए माँ का ऋण चुकाने का एक जोरदार प्रयास है। 


मनुष्य को स्वयं व उसके बच्चों को जन्म देने वाली हर माँ एक महिला ही है। महिला शारीरिक रूप से पुरुष की तुलना में बहुत भिन्न है। महिला का शरीर, मनुष्य को जन्म दे सकता है और उससे जुड़ी विभिन्न जटिलताओं से युक्त है, लड़कियां बचपन से ही  इन जटिलताओं को झेलती है। भूतकाल में महिलाओं के साथ बहुत अत्याचार होता था, उन्हें पढ़ने लिखने की आजादी नहीं थी। कुछ धर्मों में आज भी महिलाओं के साथ धार्मिक मान्यताओं के आधार पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं। सभी को आत्म निरीक्षण करके सोचने की आवश्यक है कि जो धार्मिक व सामाजिक दकियानूसी मान्यताएं महिलाओं की समानता व उनके अधिकारों का हनन करती है, उन्हें स्वयं त्याग दे और दूसरों को त्यागने के लिए प्रेरित करें। यदि हम मदर्स डे पर वास्तव में अपनी मां के स्वाभिमान के लिए कुछ करना ही चाहते हैं तो यह करें कि महिलाओं को सम्मान दें, उनके शोषण व उत्पीड़न को रोके वं हर क्षेत्र में उनको हक दिलाने की मुहिम का हिस्सा बनकर अपने पुरुषार्थ का परिचय दें। संलग्न विडियो में माँ की महिमा पर कवि डाॅ सुनील जोगी द्वारा लिखी पंक्तियां..., अवश्य सुनें और उन पर मनन करके अपनी व दूसरे सभी की माँओं का आदर व सम्मान करें। 


रघुवीर प्रसाद मीना 

8 comments:

  1. Very true. Infact we can never repay what we get from our parents. We are forever indebted to them. The gratitude, respect n care in their times of need is the least that we can do.

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  2. सर, Mothers day पर य़ह आपका लेख बहुत ही महत्वपूर्ण और सभी के लिए प्रेरणादायक है l
    माँ के सम्मान, स्वाभिमान, उनके मान के लिए हम जितना बेहतर
    प्रयास कर सकते हैं, उतना अवश्य करना चाहिए l
    यही हमारा कदम उनके सम्मान के लिए पहला कदम होगा l

    माँ को सलाम
    माँ को नमन
    उनको चरण स्पर्श

    लखन लाल मीना

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  3. माँ के कर्ज को उतारने का सबसे बढ़िया तरीका है मातृशक्ति का सम्मान. बहुत ही सरगर्भित विचार है

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Thank you for reading and commenting.