Thursday 7 May 2020

इनकम टैक्स देने वाले नागरिकों को रिकॉग्नाइज व प्रोत्साहित करने व उन्हें आवश्यकता पड़ने पर सरकारी मदद मिलनी चाहिए।

                                                                                      
rpmwu346 dt. 07.05.2020

हमारे देश की कुल आबादी लगभग 135 करोड़ से भी अधिक है वित्तीय वर्ष 2018-19 के आंंकड़ो के मुुुताबिक 5.78 करोड़ (4. 28%) इनडिविजयूअलस् ने आयकर रिटर्न भरें और उनमे़ से इनकम टैक्स देने वाले लोगों की संख्या केवल 1.46 करोड़ (1.08%) ही थी। जिनमें 1 करोड़ करदातााओं की आय रू. 5 से 10 लाख के बीच थी, मात्र 46 लाख करदाताओं की आय 10 लाख से अधिक रही। वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुल प्राप्तियां 23.15 लाखकरोड़ थी, जिसमें आयकर का हिस्सा 4.73 लाखकरोड़ (लगभग 20.50%) था। वित्तीय वर्ष 2020-21 में देश की कुुल प्राप्तियों का अनुमान 30.42 लाखकरोड़ है उसमें से आयकर प्राप्तियों का अनुमान 6.18 लाखकरोड़ (लगभग 21%) हैै। इस प्रकार इनकम टैक्स देने वाले नागरिक देश के विकास व संचालन में महत्वपूर्ण योगदान अदा करते हैं।

जो लोग इनकम टैक्स नहीं देते हैं उनमें दो प्रकार के लोग हैं, अधिकतर लोगों की इनकम उस स्तर में नहीं आती है जिसमें इनकम टैक्स देने की आवश्यकता हो जबकि कई लोग विभिन्न प्रकार के तरीकों से अपनी आय को कम दिखाकर इनकम टैक्स के भुगतान से बचते हैं।  यदि गहराई से देखें तो इनकम टैक्स देने वाले लोगों के प्रति सरकारी कर्मियों का रुख केवल यह रहता है कि क्या उसने कोई टैक्स की चोरी तो नहीं की। सरकारी कर्मियों द्वारा कभी भी नागरिकों के इनकम टैक्स की राशि जमा कराने को सकारात्मक तौर पर रिकॉग्नाइज नहीं किया जाता है, इसके कारण लोगों में टैक्स देने को लेकर कोई उत्सुकता नहीं होती है।  अधिकांश लोग निल टैक्स का रिटर्न भरने का प्रयत्न करते रहते हैं। 

सरकार को हर पैन कार्ड पर कितना इनकम टैक्स प्राप्त हो रहा है यह आंकड़े एकदम सटीक तरीके से पता रहता हैं। इनकम टैक्स देने वाले लोगों के मन में एक सकारात्मक भावना व मोटिवेशन हेतु एक विशेष पहल की आवश्यकता है, जैसे बैंक के कार्ड धारकों को एयरपोर्टस् पर फ्री लाउन्ज एक्सेस व अन्य सुविधाएं देते है उसी तर्ज या बेहतर व्यवस्था करके करदाताओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। कम से कम करदाता को ई_मेल के जरिये कर की वर्तमान वित्तीय वर्ष व तब तक के कुल दिये गये टैक्स की राशि के साथ धन्यवाद तो ज्ञापित ही करना चाहिए। एक और महत्वपूर्ण व्यवस्था यह हो सकती है कि अच्छे करदाताओं के जीवन में यदि कभी खराब समय आ जाएं तो उस समय सरकार उनकी आर्थिक सहायता करें।

ऐसी व्यवस्था बनाने से आयकर देने में नागरिकों को अच्छा फील होगा और अधिक से अधिक नागरिक आयकर देने की कोशिश करेंगे। इससे देश व नागरिक दोनों को ही लाभ होगा।

रघुवीर प्रसाद मीना 

2 comments:

  1. आप की बात से सहमत हूँ । लेकिन इस बात को समझना यहां जरूरी है कि आखिर क्यों लोग Tax की चोरी करते हैं । हमारे system मे ज्यादातर सम्पन्न आदमी चाहे वो व्यापारी हो ,अधिकारी हो या नेता हो सब से ज्यादा Tax चोरी करते है ।हमारे यहां Moral values का पतन सबसे ज्यादा हो गया । लोग Tax चोरी करने मे गौरव की अनुभूति करते है। हमारी सोच एक मात्र येन केन प्रकारेण पैसा कमाने की बन चुकी हैं ।हम एक बच्ची के रिस्ते के लिए एक UPSC selected candidate मे भी Custom,Income tax व Excise वाले first choice पर रखते हैं क्यो?. आप देख रहे होगें सरकार Corporate को कितनी रियाते देती फिर भी लोग ईमानदारी से कार्य नहीं करते । जो लोग ईमानदारी से कार्य करना चाहते हैं उन्हें कार्य नहीं करने दिया जाता । सारे नियम कमजोर पर लागू होते है । एक अच्छी बात कोई कमजोर व छोटा आदमी बोलत हैं तो ऊस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता यदि जाता भी है तो बकवास समझ लिया जाता हैं यदि वही बात एक बढा आदमी कहता तो सारे लोग बिना समझें ऊस पर कशीदे मढने लग जाते हैं । अतः जब तक हमारी सोच नही बदलेगी जब तक Incentive देने से कोई लाभ मिलता दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता।


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  2. यदि सरकार इमानदारी से इनकम टैक्स की भुगतान करने वाले लोगों को रिकॉग्नाइज करेगी और प्रोत्साहित करेगी तो कई लोग जो अभी टैक्स नहीं दे रहे हैं वे टैक्स देना शुरू कर देंगे। साथ में आपने बहुत सही बात की है कि लोगों को उनकी नैतिकता को सही करने की जरूरत है। यदि नैतिकता सही हो जाएगी तो देश में बहुत सारी परेशानी समाप्त हो जायेगी। जितने भी भगवान के अवतार हुए हैं उन्होंने मनुष्य को उसकी नैतिकता सही रखने का ही संदेश दिया है परंतु उसके बावजूद भी लोग नैतिकता को सही नहीं रखते हैं इसके लिए आवश्यक है कि नैतिकता पर सरकार व सभी समाजों द्वारा विविशेष बल दिया जाए।

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Thank you for reading and commenting.